हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए फाइव डे वीक शुरू करने के मामले में कर्मचारी संगठनों में बहस छिड़ गई है। कोई सप्ताह में पांच दिन कार्यदिवस रखने के पक्ष में है तो कोई इस पर सबकी राय जानने के बाद ही फैसला लेने की बात कर रहा है। हिमाचल प्रदेश सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन की ओर से इस मांग को उठाए जाने के बाद राज्य में इस संबंध में चर्चा का माहौल बना है। प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (प्रदीप गुट) के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर का कहना है कि महासंघ ने मुख्यमंत्री से कर्मचारियों की संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक बुलाने की मांग की है। इसके लिए मुख्यमंत्री सुक्खू को एक मांग पत्र भी दिया गया है। इसमें भी इस मांग को शामिल किया गया है कि प्रदेश में कर्मचारियों के लिए फाइव डे वीक किया जाए। यह अन्य राज्यों की तर्ज पर किया जा सकता है। उन्हाेंने कहा कि इसके लिए कामकाज की व्यवस्था भी ठीक उसी तरीके से हो सकती है। मसलन जहां सरकारी कार्यालय दस बजे शुरू होते हैं, उनमें यह शुरुआत नौ बजे की जा सकती है। इसी तरह काम के घंटे भी कवर हो जाएंगे। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ (विनोद गुट) के अध्यक्ष विनोद कुमार ने इस संबंध में अलग राय रखते हैं। विनोद कुमार का कहना है कि इस बारे में सभी पक्षों को सुनने के बाद ही विचार करना होगा। केवल सचिवालय वाले के पक्ष को जानकर ही फैसला लेना उचित नहीं है। इसके लिए कर्मचारियों के सभी पक्षों को सुना जाना चाहिए। अगर प्रदेश में सुबह और शाम का समय बढ़ाकर फाइव-डे वीक किया जाता है तो इसमें यह देखना होगा कि क्या यह सभी कर्मचारियों के लिए उपयुक्त है कि नहीं। प्रदेश में सर्दियों में जब दिन छोटे होते हैं तो कर्मचारी न तो सुबह जल्दी तैयार हो पाते हैं और न ही शाम के वक्त ही जल्दी घर पहुंच पाते हैं। कर्मचारी महासंघ (त्रिलोक गुट) के अध्यक्ष त्रिलोक ठाकुर ने कहा कि वह इससे सहमति रखते हैं। सरकारी खर्च कम होगा। अफसरों की गाड़ियां कम चलेंगी। दफ्तरों में भी कम खर्च होगा। अन्य दिनों में काम की अवधि को पूरा कर लिया जाएगा। इस संबंध में सरकार को विचार करना चाहिए। सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष संजीव शर्मा की अध्यक्षता में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से मिले कर्मचारी नेताओं ने यह मांग उठाई थी। इसके लिए सरकारी गाड़ियों का खर्चा घटाने और अन्य व्यय घटाने के तर्क दिए थे।
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। बीते दिन ऊना और सिरमौर जिले में बारिश ने कहर बरसाया है। वहीं, मौसम विभाग ने एक बार फिर से चंबा, किन्नौर, मंडी, सिरमौर और शिमला जिले में फ्लैश फ्लड की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग ने भारी बारिश की आशंका को देखते लोगों से एहतियात बरतने की सलाह दी है। मौसम वैज्ञानिक संदीप ने कहा, "हिमाचल प्रदेश में बीते 24 घंटे के दौरान अधिकतर हिस्सों में बारिश हुई है। अलगे चार दिनों तक प्रदेश में बारिश का दौर जारी रहेगा और कई हिस्सों में तेज बारिश होने की भी संभावना है। खासकर कुल्लू, बिलासपुर, शिमला, मंडी और कांगड़ा में भारी बारिश को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। मौसम वैज्ञानिक संदीप के अनुसार इस दौरान प्रदेश में नदी-नाले उफान पर रह सकते हैं। लोगों को नदी-दलों से दूर रहने की सलाह दी गई है। फ्लैश फ्लड को लेकर भी अलर्ट जारी किया गया है। चंबा, किन्नौर, मंडी, सिरमौर और शिमला जिले में फ्लैश फ्लड को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। अगले चार दिनों तक प्रदेश में मौसम खराब रहेगा। हालांकि इस दौरान भारी बारिश से थोड़ी राहत मिलेगी। पहले जहां बारिश को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया था। वहीं, अब चार दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया।
** ट्रैफिक वन वे होने से बढ़ी परेशानी हिमाचल प्रदेश में चंडीगढ़-मनाली फोरलेन हाईवे की दशा सुधरने के बजाय और खस्ता होती जा रही है। शनिवार की रात से हो रही बारिश के कारण हाईवे पर कैंची मोड़ से ऊपर यह रोड एक बार फिर धंसना शुरू हो गया है, जिसके बाद यहां से अब ट्रैफिक को भी एकतरफा भेजा जा रहा है। मंडी जिला के पंडोह के कैंची मोड़ से लेकर दयोड़ तक यह हालात है। करीब ढेड़ किलोमीटर के इस पैच में सड़क जगह-जगह से धंस गई है, जिसका एक कारण फोरलेन निर्माणाधीन कंपनी के द्वारा सही से निकासी नालियां न बना पाना भी माना जा रहा है। कैंचीमोड़ से डयोड़ तक बने इस पैच में बीते शनिवार रात को जगह-जगह लैंडस्लाइड हुआ, जिस कारण भी यह हाईवे जगह-जगह से खराब हो गया है। हालांकि फोरलेन निर्माणाधीन कंपनी द्वारा मशीन लगाकर मलबे को हटाया जा रहा है, लेकिन हाईवे की मेंटेनेंस सही से नहीं हो पा रही है। कैंची मोड़ की पहाड़ी से बरसात का सारा पानी हाईवे पर बहता है, जिससे कुछ महीने पहले 40 करोड़ की लागत से लगाए गए डंगे के साथ सड़क को भी खतरा पैदा हो गया है। हाईवे पर पानी बहने के कारण इस डंगे के साथ सड़क में भी जगह जगह दरारें पड़ना भी शुरू हो गई है। बता दें कि पिछली बरसात के दौरान भी कैंची मोड़ से लेकर दयोड़ तक यह फोरलेन जगह-जगह से कई फीट तक धंस गया था, जिसके बाद निर्माणाधीन कंपनी द्वारा इस फोरलेन को दुरूस्त करने के लिए मात्र लीपापोती ही गई है। अब इस बरसात में भी यह हाईवे एक बार फिर से धंसना शुरू हो गया है। यहां से अब एकतरफा ट्रैफिक ही गुजर रहा है, जिससे हाईवे पर जाम की स्थिति भी पैदा हो रही है।
हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष पिछले साल की तुलना में 50 लाख सेब के डिब्बे की मांग बढ़ी है। पहले टेलीस्कोपिक डिब्बे तैयार होते थे, लेकिन इस बार यूनिवर्सल डिब्बे बनाए जा रहे हैं। वहीं, पिछले वर्ष की तुलना में इस बार पांच रुपये डिब्बे के दाम भी सस्ते हुए हैं। प्रदेश में 250 के करीब गत्ता उद्योग हैं। इसमें 100 से अधिक उद्योग सेब के डिब्बे ही तैयार करते हैं। पहले टेलीस्कोपिक डिब्बे बनते थे जिसमें 28 से 30 किलो तक सेब आ जाता था, लेकिन इस बार यूनिवर्सल डिब्बे ही बागवानों को भेजे जा रहे हैं। इस डिब्बे में 20 किलो ही सेब आता है। ऐसे पिछले वर्ष जहां पर ढाई करोड़ सेब के डिब्बे लगे थे वहीं, इस बार यह पचास लाख बढ़ कर तीन करोड़ तक पहुंच गए हैं। जिन उद्यमियों के पास पुराने टेलीस्कोपिक डिब्बे पड़े हुए थे, उन्होंने यह डिब्बे नाशपाती और आडू आदि के लिए सप्लाई कर दिए हैं। सेब के लिए सभी उत्पादकों ने नए सिरे से डिब्बे तैयार कर अच्छी गुणवत्ता के सप्लाई किए जा रहे हैं, जिसमें एक माह तक सेब खराब नहीं होगा। यही नहीं यूनिवर्सल डिब्बे के दाम भी पांच रुपये कम हैं। जीएसटी कम होने से सेब के डिब्बे के दाम भी कम हुए है और सेब उत्पादकों को 60 रुपये तक डिब्बे पहुंच रहा है। गत्ता उद्योग संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष गिरीश सरदाना ने बताया कि इस बार प्रदेश से तीन करोड़ तक गत्ते के डिब्बे तैयार होगे। कालाअंब, बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ में गत्ता संचालक सेब के डिब्बे तैयार करते हैं। गत्ता उद्योग संघ के पूर्व राज्य अध्यक्ष मुकेश जैन, वर्तमान अध्यक्ष आदित्य सूद ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार पांच रुपये की सेब के डिब्बे सस्ते हुए हैं। जीएसटी कम होने से रेट में कमी आई है। वहीं अब एक डिब्बे में 20 किलो सेब आने से डिब्बे की संख्या बढ़ गई है। गत्ता संचालकों को काम मिला है वहीं सेब उत्पादकों को भी कम दाम में डिब्बे मिल रहे है। वहीं यूनिवर्सल डिब्बे में सेब खराब होने का खतरा भी कम हो गया है।
सिरमौर: जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिरमौर हंसराज की अदालत ने आरोपी सुनील कुमार पुत्र बाबूराम निवासी मोतीपुर, जिला लखीमपुर (उत्तर प्रदेश) को पत्नी की मौत के मामले में दोषी करार दिया है। अदालत ने आईपीसी की धारा 306 के तहत दोषी को 5 साल की साधारण कैद और 20,000 रुपए का जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने की सूरत में दोषी को 4 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। इसके अलावा अदालत ने दोषी को आईपीसी की धारा 201 के तहत 1 साल की साधारण कैद व 5,000 रुपये का जुर्माना और आईपीसी की धारा 498 के तहत भी 1 साल की साधारण कैद व 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। अदालत में मामले की पैरवी जिला न्यायवादी चंपा सुरील ने की। मामले की जानकारी देते हुए जिला न्यायवादी चंबा सुरील ने देते हुए बताया कि आरोपी सुनील कुमार अपनी पत्नी के साथ जिला सिरमौर के पुरुवाला में किराए का कमरा लेकर रहता था। 4 मार्च 2021 को पुलिस को सूचना मिली कि सुनील कुमार ने अपनी पत्नी के साथ कुछ गलत किया है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार किया और उसके कमरे का दरवाजा खुलवाया। कमरे में एक लोहे का बक्सा मिला, जिसमें उसकी पत्नी का शव था। पुलिस जांच में पता चला कि सुनील कुमार अपनी पत्नी पर शक करता था और अकसर उसके साथ लड़ता था। 2 मार्च 2021 को सुनील कुमार ने अपनी पत्नी के साथ लड़ाई की और उसकी पत्नी ने अपने कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आरोपी ने शव को लोहे के बक्से में छिपा दिया था। इस मामले में अदालत ने 27 गवाहों और तमाम साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराते हुए अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया और दोषी पति को उपरोक्त सजा सुनाई।
हिमाचल प्रदेश में नशे का खात्मा करने के इरादे से प्रदेश की सुक्खू सरकार जिला सिरमौर में राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र खोलेगी। रविवार को प्रदेश सरकार ने यह नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित करने का ऐलान किया है। ये केंद्र सिरमौर जिला के पच्छाद उपमंडल के कोटला बड़ोग में स्थापित किया जाएगा। इस केंद्र के स्थापित होने से मादक पदार्थों की लत से जूझ रहे लोगों की सहायता की जाएगी और उन्हें नशीली दवाओं पर अपनी निर्भरता से उबरने और आत्मनिर्भरता के साथ समाज में फिर से एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को नशे से निपटने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा कि, 'राज्य सरकार ने युवाओं को मादक पदार्थों के खतरे के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। इसका उद्देश्य उन्हें नशे की लत से बचाना है। इसी के चलते कोटला बड़ोग में सरकार राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र को स्थापित करेगी। आज के दौर में युवाओं को नशे से दूर रखना सबसे बड़ी चुनौती है। समाज को भी नशे की लत से जूझ रहे लोगों का मनोबल बढ़ाना चाहिए, ताकि वो दृढ़ इच्छाशक्ति से मादक पदार्थों का सेवन छोड़ सकें। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि नशा मुक्ति केंद्र ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सिंथेटिक मादक पदार्थों के सेवन को खत्म करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है। नशा मुक्ति केंद्र का उद्देश्य एक ही परिसर में सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करके इसेे संकट से उत्पन्न गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य मुद्दों से निपटना है। नशा मुक्ति केंद्र में कमरे, शौचालय, भोजन की व्यवस्था, मनोरंजन स्थल, पुस्तकालय, व्यायामशाला, खेल, ध्यान और योग की सुविधाएं भी दी जाएंगी। इसके अतिरिक्त केंद्र में कौशल विकास व व्यावसायिक प्रशिक्षण और इन-हाउस उपचार, भोजन, कपड़े और लॉन्डरी जैसी अनिवार्य सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस समग्र दृष्टिकोण का उद्देश्य नशे की लत से जूझ लहे लोगों के लिए महत्वपूर्ण सहायता और पुनर्वास सेवाओं का मानकीकरण करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नशे से जूझ रहे पुरुष और महिलाओं के लिए इस केंद्र में 100 बिस्तरों की सुविधा होगी। इस केंद्र का उद्देश्य राज्य के युवाओं को नशे से दूर रखना और समाज में सकारात्मक योगदान सुनिश्चित करना हैं। नशा मुक्ति केंद्र के लिए चयनित स्थल 157 बीघा और 07 बिस्वां में फैला हुआ है। यहां मौजूदा इमारतों को मामूली मरम्मत के साथ फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं अतिरिक्त बुनियादी ढांचे की योजना भी तैयार की गई है। लोक निर्माण विभाग को कार्य को आगे बढ़ाने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि इस केंद्र की स्थापना मादक पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने और ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, राज्य सरकार आदर्श नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र के निर्माण के लिए पर्याप्त धनराशि मुहैया कराएगी। इसके अतिरिक्त केंद्र में नशे की लत से जूझ रहे व्यक्तियों की उचित देखभाल के लिए पर्याप्त स्टाफ भी सुनिश्चित किया जाएगा। बता दें कि सिरमौर जिला तीन राज्यों के साथ सटा है। 225 किलोमीटर में से 223 किलोमीटर की सीमा हरियाणा और उत्तराखंड को छूती है, जबकि दो किलोमीटर का एरिया यूपी के साथ भी लगता है। ऐसे में यहां राज्य स्तरीय नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र स्थापित करना सरकार का सराहनीय प्रयास है। इससे काफी हद तक नशे की लत में जा चुके लोगों को लाभ मिल सकेगा।
**समेज क्षेत्र में बिजली और पेयजल आपूर्ति हुई बहाल समेज त्रासदी में लापता लोगों को परिजनों से मिलाने के लिए पुलिस की डीएनए मिलान तकनीक मददगार साबित हो रही है।अभी तक पहचान न हुए शवों में से दो शवों की पहचान डीएनए के माध्यम से हो चुकी है। इनमें संतोष कुमारी पत्नी सूरत राम गांव कनराढ़ डाकघर सुघा तहसील रामपुर उम्र 54 वर्ष की पहचान इनके पुत्र राजेश कुमार के डीएनए से हुई है। इसके साथ ही रूप सिंह सुपुत्र सुखराम डाकघर सरपारा तहसील रामपुर उम्र 52 वर्ष की पहचान इनके पुत्र साहिल के डीएनए मिलान करके हुई है। पुलिस ने 37 के करीब डीएनए सैंपल लिए हुए है। इन्ही के आधार पर डीएनए मिलान हो रहा है।उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि कई शव क्षत-विक्षत हालात में मिले है, जिनकी पहचान करना सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन हमने ऐसे लापता लोगों के परिजनों के डीएनए सैंपल लिए है। फिर शवों के डीएनए सैंपल से मिलान करवा रहे है। इनमें से दो शवों के डीएनए मिलान कर लिए गए है। यह दोनों व्यक्ति शिमला जिला के क्षेत्र में रहते थे।पुलिस ने डीएनए सैंपलिंग बहुत शानदार तरीके से की हुई थी। इसी की वजह से शवों की पहचान हो पाई है। उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता है कि सर्च आपरेशन के दौरान मिलने वाले हर शव की पहचान हो। इसी कड़ी में हमने वैज्ञानिक तकनीक का सहारा लिया है। पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि वैज्ञानिक तकनीक के माध्यम से जांच को प्रभावी बनाया जाता है। डीएनए मिलान से ही परिजनों को शव मिल पा रहे है। क्योंकि कई शवों की पहचान बिना डीएनए के संभव ही नहीं थी। हमने पूरी योजना से डीएनए सैंपल प्रोफाईलिंग की है। इसी तरह अन्य शवों की पहचान करने में लगे है। समेज त्रासदी से प्रभावित क्षेत्र में बिजली एवं पेयजल आपूर्ति बहाल कर दी गई है। करीब दस दिन बिजली और पेयजल आपूर्ति को बहाल करने में लग गए। कई जगह से पाईपें, बिजली के खंबे एवं तारें पूरी तरह गायब हो गई थी। ऐसे में संबधित विभागों ने नई तारें, खंबे और पानी की पाईपें बिछाई है। एसडीएम रामपुर निशांत तोमर ने बताया कि समेज में बिजली और पेयजल की आपूर्ति बहाल कर दी गई है। दोनों विभागों ने दिन रात मेहनत करके कार्य को तीव्र गति से अंजाम दिया है।
हिमाचल प्रदेश में आगामी कुछ दिनों तक बारिश का दौर जारी रहेगा। इसके अलावा मौसम विभाग ने आंधी तुफान को लेकर भी अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग शिमला ने प्रदेश भर में 16 अगस्त तक भारी बारिश के लिए 'येलो' अलर्ट जारी किया है। शनिवार को भी प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई और लैंडस्लाइड और बाढ़ के कारण प्रदेशभर में 135 सड़कें बंद रहीं। मौसम विभाग ने आज रविवार को भी चंबा, कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और शिमला जिलों के अलग-अलग हिस्सों में बारिश के साथ हल्के से मध्यम स्तर की बाढ़ के खतरे की चेतावनी दी है। मौसम विभाग ने निचले इलाकों में तेज हवाओं और जलभराव के कारण बागानों, फसलों, कमजोर संरचनाओं और कच्चे घरों को नुकसान को लेकर भी अलर्ट जारी किया है। लाहौल-स्पीति, चंबा और सिरमौर जिले में भारी बारिश, लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड के कारण भारी नुकसान हुआ है। हालांकि गनीमत रही की इन घटनाओं में कोई भी हताहत नहीं हुआ है। लाहौल-स्पीति पुलिस ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों को ज्यादा सावधानी बरतने और नदी-नालों के पास न जाने की सलाह दी है। जिले में तेजी से नदी-नालों में पानी का स्तर बढ़ रहा है। बीते कुछ दिनों में प्रदेश भर में भारी बारिश का दौर जारी है। शुक्रवार शाम से सबसे ज्यादा 168.3 मिमी बारिश सिरमौर के नाहन में दर्ज की गई। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक, सिरमौर में 42, कुल्लू में 37, मंडी में 29, शिमला में 17, कांगड़ा में पांच, किन्नौर में 4, लाहौल और स्पीति जिले में एक सड़क बंद है। प्रदेशभर में 135 सड़कें बंद हैं, जबकि बारिश के कारण 24 बिजली और 56 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हुई हैं।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हिमाचल की पंचायती राज संस्थाओं के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद 59.34 करोड़ रुपये का पर्याप्त अनुदान जारी किया है। इसे पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों को दिया जाएगा। साथ ही केंद्र सरकार ने चेतावनी दी है कि सरकार या विभाग इसे अपने पास रोककर नहीं रख सकेंगे। केंद्र से प्राप्त होने के पंद्रह दिनों के भीतर यह पैसा संबंधित संस्थाओं को नहीं दिया गया तो इस पर ब्याज देना होगा। इसे कर्मचारियों के वेतन और स्थापना व्यय पर खर्च नहीं करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में मंत्रालय के वित्त आयोग प्रभाग के निदेशक चिन्मय पुंडलीकराव गोटमारे ने राज्य सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज सचिव को पत्र भेजा है। यह निधि ग्रामीण स्थानीय निकाय मूल अनुदान अनटाइड के तहत पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों का हिस्सा है। इसका उपयोग जमीनी स्तर पर विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की ओर से राज्य सरकार को भेजे गए पत्र से इसकी पुष्टि हुई है। यह धनराशि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पहली किस्त के रूप में जारी की गई है। राज्य सरकार को 2011 की जनगणना के आधार पर सामान्य और विभिन्न मदों से बाहर किए गए क्षेत्रों में 90 और 10 प्रतिशत के क्रमवार भार के साथ अनुदान वितरित करने की सलाह दी गई है। निधियों की प्राप्ति के दस कार्य दिवसों के भीतर इन्हें संबंधित संस्थाओं को हस्तांतरित किया जाना चाहिए। अन्यथा बाजार की दरों पर औसत ब्याज दर वसूली जाएगी। पंचायती राज मंत्रालय ने इन निधियों के उपयोग के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देशों की रूपरेखा तैयार की है। अनुदान अनटाइड है, जिसका अर्थ है कि इसका उपयोग स्थानीय निकायों की आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न विकास गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। राज्य सरकार को निधियों के पारदर्शी और कुशल प्रबंधन के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) से जुड़े पंद्रहवें वित्त आयोग के अनुदानों के लिए अलग-अलग बैंक खाते खोलने का अधिकार है।
हिमाचल प्रदेश में बंद और मर्ज होने वाले 560 सरकारी स्कूल सितंबर से नजदीकी शिक्षण संस्थानों में शिफ्ट होंगे। इस प्रक्रिया में सरप्लस होने वाले 750 शिक्षकों को नए स्कूलों में नियुक्ति के बाद ही 560 स्कूलों के विद्यार्थी नजदीकी स्कूलों में शिफ्ट किए जाएंगे।शून्य नामांकन वाले 108 स्कूल बंद करने और पांच व पांच से कम विद्यार्थियों की संख्या वाले 452 स्कूल मर्ज करने का सरकार ने फैसला लिया है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने जिला उपनिदेशकों से 10 दिन में शिक्षकों को नई जगह नियुक्ति देने की सूची मांगी है। इस सूची के तैयार होने के बाद विद्यार्थियों को दो से तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। इस माह पहले की तरह ही इन सभी 560 स्कूलों में पढ़ाई करवाई जाएगी। जिन स्कूलों को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा दिया गया, वहां सरप्लस शिक्षकों को लगाया जाएगा। इसी माह इस बाबत सूची बनाकर शिक्षा सचिव से मंजूरी लेने का लक्ष्य रखा है। इन स्कूलों में सेवारत शिक्षकाें को किस स्कूल में तैनाती दी जानी है, इसका अंतिम फैसला शिक्षा सचिव राकेश कंवर लेंगे। शिक्षकों को आसपास के स्कूलों में भी एडजस्ट न किया जा सके, इसके लिए शिक्षा सचिव ने तैनाती का अंतिम अधिकार अपने पास रखा है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि बंद और मर्ज होने वाले स्कूलों से जलवाहकों, मल्टी टास्क वर्करों सहित अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को अन्य जगह तैनाती देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अब गैर शिक्षकों और शिक्षकों की सूची तैयार करने को कहा गया है। अगले सप्ताह से यह काम शुरू हो जाएगा। शिक्षा निदेशक ने बताया कि लक्ष्य रखा गया है कि सितंबर से सरकार का फैसला पूरी तरह से लागू कर विद्यार्थियों को अन्य स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाए।
हिमाचल प्रदेश को हरित ऊर्जा राज्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए हिमुडा प्रदेश में पहला ऊर्जा दक्षता आधुनिक व्यवसायिक परिसर बनाएगा। शिमला के विकासनगर में करीब 100 करोड़ की लागत से व्यवसायिक परिसर बनाया जाएगा। इस भवन में ऊर्जा की खपत घटाने के लिए स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के सहयोग से आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होगा। नगर नियोजन, आवास और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने दिल्ली में स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। धर्माणी ने बताया कि तीन महीने के भीतर भवन का नक्शा तैयार कर इसी साल निर्माण कार्य शुरू करने का लक्ष्य है। अगले दो साल के भीतर आधुनिक व्यवसायिक परिसर बनकर तैयार हो जाएगा। भवन में कार्यालय, रिटेल चेन, मल्टीपर्पज हॉल, बैंक्वेट हॉल, फूड कोर्ट सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। भवन की पूरी बिजली सोलर सिस्टम से उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट सरकार के लक्ष्यों के अनुरूप हाई बिल्डिंग रैंकिंग हासिल करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। इस अवसर पर राजीव गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज नगरोटा जिला कांगड़ा के वास्तुकला विभाग और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के बीच तकनीकी ज्ञान साझा करने के लिए भी समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया। उन्होंने प्रदेश में हिल आर्किटेक्चर में विशेषज्ञ पाठ्यक्रम शुरू करने को लेकर भी चर्चा की। स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर दिल्ली के निदेशक प्रो. वीके पॉल ने एमओयू हस्ताक्षरण कार्यक्रम की कार्यवाही का संचालन किया।इस मौके पर हिमुडा के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में आवश्यकता से अधिक कार्यरत शिक्षकों को अब जनजातीय क्षेत्रों में नियुक्त किया जाएगा। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का युक्तिकरण करने को लेकर शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। उच्च और प्रारंभिक शिक्षा के जिला उपनिदेशकों को जारी पत्र में जनजातीय क्षेत्रों में रिक्त पड़े पदों को प्रतिनियुक्ति के माध्यम से भरने के आदेश दिए गए हैं। विद्यार्थियों की अधिक संख्या वाले स्कूलों को शिक्षकों की तैनाती करने में प्राथमिकता देने को कहा गया है। बदले जाने वाले शिक्षकों की हर माह 5 तारीख तक उच्च और प्रारंभिक शिक्षा निदेशकों को सूचना देना भी अनिवार्य कर दिया गया है। शैक्षणिक दक्षता बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि उच्च और प्रारंभिक शिक्षा विभाग के उप निदेशक अब स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर जनजातीय जिलों में शिक्षकों की तैनाती की निगरानी करेंगे। प्रत्येक उप निदेशक को छात्र नामांकन संख्या पर विचार करना होगा और प्रत्येक महीने की 5 तारीख तक विभागाध्यक्ष को स्कूल-वार प्रतिनियुक्तियों का विवरण देते हुए मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। निदेशक पर्याप्त स्टाफिंग सुनिश्चित करने के लिए इन रिपोर्टों की समीक्षा करेंगे। राजधानी शिमला सहित प्रदेश के अधिकांश जिला मुख्यालय और उपमंडल मुख्यालयों में स्थित स्कूलों में सरप्लस शिक्षक कार्यरत हैं। एक ही विषय के कई स्कूलों में दो से तीन शिक्षक कार्यरत हैं। विद्यार्थियों की संख्या कम होने के बावजूद शिक्षकों की कई स्कूलों में आवश्यकता से अधिक नियुक्तियां की गई हैं। इसी कड़ी में अब शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने शिक्षकों की सभी श्रेणियों जेबीटी, टीजीटी, सीएंडवी, प्रवक्ता स्कूल न्यू का युक्तिकरण करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों को अब जनजातीय क्षेत्रों के ऐसे स्कूलों में भेजा जाएगा जहां शिक्षकों की भारी कमी है। प्रतिनियुक्ति के आधार पर इन शिक्षकों को जनजातीय क्षेत्रों के स्कूलों में भेजा जाएगा। शिक्षा सचिव ने विभगाीय अधिकारियों से सरप्लस शिक्षकों और कमी से जूझ रहे स्कूलों की सूची तैयार करने के निर्देंश दिए हैं। शिक्षक उपलब्धता, छात्र नामांकन का उपायुक्त भी करेंगे आकलन प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा माहौल बनाने के लिए अब जिला उपायुक्तों का सहयोग भी लिया जाएगा। इसके तहत उपायुक्त नियमित रूप से शिक्षक उपलब्धता और छात्र नामांकन का आकलन करेंगे और आवश्यक निर्देश प्रदान करेंगे। इस पहल का उद्देश्य क्षेत्रीय शैक्षिक मांगों के साथ शिक्षण संसाधनों को बेहतर ढंग से संरेखित करना है।
**प्रोफेसर पर लगे धक्का-मुक्की करने के आरोप **धक्का देने वाले शिक्षक के खिलाफ थाने पहुंचे छात्र हिमाचल में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कालेज संजौली शिमला में दूसरे दिन भी शनिवार को माहौल तनावपूर्ण रहा। छात्र संगठन एसएफआई के वर्कर ने शनिवार को फिर से कालेज परिसर में धरना दिया। पुलिस की मौजूदगी में छात्रों की प्रिंसिपल और प्रोफेसर के साथ तीखी नोक-झोंक हुई। SFI ने आरोप लगाया कि शुक्रवार को धरने के दौरान एक शिक्षक द्वारा एसएफआई के कार्यकर्ता के साथ मारपीट की गई। SFI ने प्रधानाचार्य से शिकायत कर आरोपी शिक्षक को बर्खास्त करने की मांग उठाई है।इस दौरान SFI कार्यकर्ताओं ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। SFI के राज्य सचिव दिनित देंटा ने कहा शुक्रवार को फीस वृद्धि के विरोध में कार्यकर्ता कैंपस में धरना दे रहे थे इस दौरान एक शिक्षक द्वारा एसएफआई के छात्रों के साथ मारपीट की गई है। उन्होंने शिक्षक पर आरोप लगाते हुए कहा कि छात्र को शिक्षक द्वार जान से मारने की धमकी दी गई। उन्होंने कहा कि इस बाबत लक्कड़ बाजार चोकी में भी शिकायत दर्ज करवा दी गई है साथ ही प्रधानाचार्य को भी कंप्लेंट की गई है। दिनित देंटा ने शिक्षक पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब प्रिंसिपल ऑफिस में एसएफआई के कार्यकर्ता जा रहे है तो ये प्रोफ़ेसर छात्रों को डराने धमकाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह से छात्रों को डराने का माहौल कॉलेज में बर्दाश्त नही किया जाएगा और आने वाले दिनों में SFI कॉलेज में उग्र आंदोलन करेगी। वहीं SFI के सचिव अंशुल ने कहा कि जब शुक्रवार को SFI कार्यकर्ता फीस वृद्धि व छात्र मांगो को लेकर कॉलेज कैंपस में प्रदर्शन कर रहे थे तो उसी समय कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षक आते है और उनके साथ तथा अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट करते हैं। अंशुल ने शिक्षक पर गला दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस दौरान उनके कपड़े भी फट गए। उन्होंने कहा कि इसके उपरांत कॉलेज प्रशासन द्वारा लक्कड़ बाजार चौकी में गलत व्यवहार की झूठी शिकायत भी दर्ज करवाई गई । उन्होंने कहा कि SFI केवल धरने के माध्यम से छात्रों की मांगों को उठा रही थी।
हिमाचल प्रदेश सरकार HRTC को घाटे से उभारने के लिए कई अहम फैसले लेने की तैयारी में है और खबर ये भी है कि महिलाओ को HRTC बसों में मिलने वाली 50 % छूट को घटाकर 25 % किया जा सकता है। इसके अलावा प्रदेश के सरकारी स्कूल के बच्चो के लिए HRTC बसों में फ्री सफर को बंद किया जा सकता है और बच्चो के लिए कम से कम और निर्धारित किराया तय करने पर भी सरकार विचार कर रही है। हाल में ही हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने पुलिस कर्मियों को निगम की बसों में निशुल्क सफर बंद करने का फैसला लिया है। हालांकि इसके बाद पुलिस कर्मियों में रोष भी देखने को मिला है। पुलिस कर्मियों का कहना था कि उन्हें कभी भी फ्री सफर की सुविधा नहीं मिली। दरसल पुलिस कर्मियों को महीने के 250 रुपए देकर HRTC बसों में सफर करने की सुविधा मिलती थी। इससे पहले HRTC निदेशक मंडल की बैठक में निजी स्कूलों के बस पास की दरें दोगुना करने और कार्ड वैधता अवधि दो साल से घटा कर एक साल करने का निर्णय लिया जा चुका है। हालांकि बीते कुछ समय से निगम प्रबंधन द्वारा लिए गए फैसलों से HRTC की आय में बढ़ोतरी होनी शुरू हुई है। बीते सालों के मुकबले इस साल निगम की आय बढ़ी है और कर्मचारियों को भी वेतन महीने की पहली तारीख को मिला है। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कुछ दिनों पहले कहा था कि HRTC को घाटे से उभारने के लिए सरकार अभी कई अहम फैसले लेगी। सरकार के इन फैसलों से बेशख लोगो को अपनी जेब थोड़ी ढीली करनी पड़े लेकिन निगम को घाटे से उभारने के लिए कुछ फैसले लेना तो ज़रूरी है।
**पीडब्ल्यूडी मंत्री ने अधिकारियों को औपचारिकताएं पूरी करने के दिए निर्देश लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि नाबार्ड के पास विभाग की विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित 35 डीपीआर वर्तमान में लंबित हैं। उन्होंने इन लंबित डीपीआर को शीघ्र मंजूरी देने की आवश्यकता पर बल दिया और अधिकारियों को सभी आवश्यक औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए, ताकि इन परियोजनाओं पर शीघ्र कार्य आरंभ किया जा सके। विक्रमादित्य सिंह शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए विभिन्न परियोजनाओं की लंबित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और बारिश के कारण क्षतिग्रस्त सडक़ों और पुलों की मरम्मत कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने ने कहा कि प्रदेश में विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन के लिए डीपीआर को शीघ्र मंजूरी प्रदान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में तेजी आएगी। इससे क्षेत्र के लोग लाभान्वित होंगे। लोक निर्माण मंत्री ने हाल ही में हुई बारिश से क्षतिग्रस्त सडक़ों के मरम्मत कार्य की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को क्षतिग्रस्त पुलों की मरम्मत और सडक़ों की बहाली में तेजी लाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार कृषि क्षेत्र में हिम-उन्नति योजना लागू करने जा रही है। इस योजना के लिए 150 करोड़ रुपये दिए गए हैं। योजना से लगभग 1.92 लाख किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा, जो पहले से ही 32,149 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर रसायनमुक्त खेती कर रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्लस्टर-आधारित विकास मॉडल के माध्यम से कृषि क्षेत्र को आर्थिक रूप से व्यावहारिक बनाने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा। योजना के तहत सरकार छोटे किसानों को एकीकृत करेगी, जिससे वह बड़ी मात्रा में उत्पादन कर सकें। यह पहल प्रदेश में चलाई जा रही विभिन्न कृषि योजनाओं को भी एकीकृत करेगी। इस योजना से विशेष रूप से छोटे व सीमांत किसानों, महिला किसानों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवार और समाज के कमजोर वर्गों के लोग लाभान्वित होंगे। योजना से 2600 केंद्रित कृषि समूहों के निर्माण से लगभग 50 हजार किसानों के लिए स्वरोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। इसके अलावा राज्य में सब्जियों और अनाजों की उत्पादकता में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। इस वित्त वर्ष के लिए 10 नए किसान उत्पादक संगठन स्थापित करने के लिए 50 करोड़ और कांटेदार तार लगाने के लिए 10 करोड़ का प्रावधान है।
** फल राज्य में अनुमान से भी कम उत्पादन रहने के आसार मौसम की मार से देश की मंडियों में इस बार हिमाचली सेब की महक फीकी पड़ने लगी है। देशभर में फल राज्य के नाम से विख्यात हिमाचल में पहले सर्दियों के मौसम में अच्छी बारिश और बर्फबारी न होने से सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हुए थे। इसके बाद सेब में फ्लावरिंग के समय मौसम खराब रहने से और तापमान में आए उतार और चढ़ाव से फ्रूट सेटिंग कम हुई है। गर्मियों के मौसम में समय पर बारिश न होने से इस बार सेब के साइज पर भी असर पड़ा है, जिससे सेब की क्वालिटी पर प्रभाव पड़ा है। ऐसे में बागवानी विभाग ने पहले ही सेब उत्पादन कम रहने के आसार जताए थे, लेकिन अब मानसून सीजन में भी सेब को खासा नुकसान पहुंचा है, जिस कारण इस बार सेब उत्पादन अनुमान से भी कम रहने के आसार नजर आ रहे हैं। हिमाचल में इस बार सेब की पेटियों का उत्पादन 3 करोड़ पेटियों से कम रहने का अनुमान लगाया गया है।
हिमाचल प्रदेश में 31 जुलाई की रात को आई त्रासदी में 55 लोग लापता हुए थे, जिनमें से 28 शव रेस्क्यू टीम द्वारा बरामद किए गए हैं। वहीं, 14 शवों की शिनाख्त कर ली गई है, जबकि लापता लोगों के लिए अभी भी सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। समेज में आज 10वें दिन भी रेस्क्यू एंड सर्च ऑपरेशन जारी है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में पीजी कोर्स की करीब 248 सीटें अभी भी खाली हैं। 22 विभागों में खाली पड़ी इनसब्सिडाइज्ड और नॉन सब्सिडाइज्ड सीटों को भरने के लिए 16 अगस्त तक आवेदन मांगे गए हैं। किस विभाग में कितनी सीटें खाली हैं, इसकी पूरी जानकारी विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. बीके शिवराम ने बताया कि खाली सीटों पर क्वालीफाइंग एग्जाम की मेरिट आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। खाली सीटों के लिए विद्यार्थी 16 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं। खाली सीटों की श्रेणी को बदलकर भरे जाने की प्रक्रिया विवरणिका में दिए नियमों के तहत की जाएगी। सीटों को भरने की प्रक्रिया के तहत प्रवेश पाने वाले विद्यार्थी छात्रावास सुविधा के लिए पात्र नहीं होंगे। एचपीयू की ओर से जारी ब्योरे के मुताबिक नॉन सब्सिडाइज्ड श्रेणी में अधिक सीटें खाली हैं। एमएफए पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग में 12, एमए ग्रामीण विकास में 9, एमसीए में 2 (पीडब्लूडी), एफवाईआईसीटीटीएम में 20, पीजी डिप्लोमा इन पापुलेशन स्टडीज में 3, एमए सोशल वर्क 3 (सामान्य श्रेणी), एमएससी एनवायरमेंटल साइंस में 2 सीटें खाली हैं। एमए एजुकेशन में 10, एमए विजुअल आर्ट में 4, एमएबी ग्रामीण विकास 14, एमएफए पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग में 15, एमए ग्रामीण विकास में 3, एमए डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज में 11, एमए पापुलेशन में 15, एमसीए में 2 जनरल, 10 एससी व 2 पीडब्ल्यूडी, एमएससी डाटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एचपीयू जरनल 13, एसटी एक, एससी तीन, पीडब्ल्यूडी की एक सीट है। इसके अलावा एमए जेएमसी में एक नॉन, बीएचएम में 22, एफवाईआईसीटीटीएम में 10, एमटीटीएम में 10, पीजी डिप्लोमा इन पापुलेशन स्टडीज में 5, बेचलर इन लाइब्रेरी साइंस में 8, एमएससी माइक्रोबायोलॉजी में 3, एमए आर्कियोलॉजी एंड एनिशिएंट हिस्ट्री में 10, एमए योग स्टडीज में 1, डिप्लोमा इन योग स्टडीज में 5, पीजीडीडीडीएम में 6 और एमएससी एनवायरमेंटल साइंस में 3 सीटें खाली हैं।
मुकेश अग्निहोत्री ने सोनिया गांधी को सरकार और संगठन की गतिविधियों से अवगत कराया। जलशक्ति और परिवहन विभाग की योजनाओं की जानकारी भी दी। प्रदेश में बारिश से हुए नुकसान से भी अवगत कराया। वहीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता और ठियोग से विधायक कुलदीप राठौर ने शुक्रवार को नई दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल, महासचिव मुकुल वासनिक, प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ल, फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की सदस्य व सांसद रजनी पाटिल से मुलाकात की। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के दौरान राठौर ने सरकार और संगठन की गतिविधियों से अवगत कराया। मानसून सीजन के दौरान प्रदेश में हो रहे नुकसान की भी जानकारी दी। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर के दिल्ली दौरे से प्रदेश संगठन में बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। चुनावों के दौरान निष्क्रिय रहे पदाधिकारियों की संगठन से जल्द छुट्टी हो सकती है। बीते दिनों मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। इसी कड़ी में अब राठौर की मुलाकात के राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। ऐसे में आसार हैं कि आने वाले दिनों में संगठन में बड़ा फेरबदल हो सकता है।
एनएच के साथ लगतीं जिलों की सड़कों की मरम्मत के लिए लोक निर्माण विभाग ने केंद्र से पैसा जारी करने के लिए रिमाइंडर भेजा है। सड़कों को दुरुस्त करने के लिए 52 करोड़ रुपये मांगे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से इस मामले को उठा चुके हैं। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी गडकरी से यह मामला उठाया है। बीते साल बरसात में आई प्राकृतिक आपदा के चलते हिमाचल में कई नेशनल हाईवे बंद हो गए थे। ऐसे में जिला सड़कों से वाहनों की आवाजाही हुई। उस दौरान केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल दौरे के दौरान केंद्र को प्रस्ताव भेजने की बात कही थी। हिमाचल में आपदा के चलते 17 पुल ढह गए। अकेले लोक निर्माण विभाग को 2913.05 करोड़ का नुकसान हुआ है। अन्य विभागों की अपेक्षा यह बहुत ज्यादा है। इन सड़कों की हालत दयनीय बनी हुई है। सड़कों पर गड्ढे पड़े हैं। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि एनएच बंद होने से वाहनों की आवाजाही जिला सड़कं और संपर्क मार्ग सहारा बने थे। केंद्र सरकार ने सड़कों को ठीक करने के लिए पैसा देने की हामी भरी थी, अभी यह पैसा नहीं मिला है।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने आज हिमाचल प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ग्रामीण क्षेत्र में गारंटिड रोजगार अवसर प्रदान कर ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिकी सुदृढ़ करने और इन क्षेत्रों में अधोसंरचना निर्माण से गांवों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदेश की लगभग 90 प्रतिशत आबादी बसती है और मनरेगा के तहत एक वर्ष में 100 कार्य दिवस का गारंटिड रोजगार प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा के तहत अतिरिक्त बीस दिनों के कार्य दिवस का प्रावधान किया गया है, जिस पर होने वाला सम्पूर्ण खर्च प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने अप्रैल, 2024 से मनरेगा दिहाड़ी को 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिहाड़ीदारों को लाभान्वित किया है। बैठक के दौरान वित्त वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान की गई और अवगत करवाया कि वित्त वर्ष 2023-24 में हिमाचल प्रदेश में 344 लाख से अधिक कार्य दिवस अर्जित किया गए, जिनमें से 64 प्रतिशत कार्य दिवस महिलाओं द्वारा अर्जित किए गए। वित्त वर्ष 2024-25 में जुलाई तक 144 लाख कार्य दिवस अर्जित किए गए हैं। मनरेगा को प्रदेश में लागू करने से अब तक इसके तहत 11 लाख 71 हजार 739 कार्यों में से लगभग 86 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुके हैं, जबकि शेष कार्य निर्माणाधीन हैं। बैठक में बताया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में मनरेगा के तहत 1288 करोड़ 24 लाख रुपये से अधिक व्यय किया गया। वित्त वर्ष 2024-25 में जुलाई तक लगभग 688 करोड़ रुपये खर्च किए गए और 99 प्रतिशत से अधिक मामलों में समय पर मजदूरी का भुगतान किया जा चुका है। बैठक में हिमाचल प्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद के नामित सदस्यों ने परिषद के समक्ष अपने सुझाव प्रस्तुत किए। ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि परिषद के समक्ष आए सुझावों को लोगों के कल्याणार्थ एवं पंचायती राज संस्थानों को सुदृढ़ करने के दृष्टिगत प्रभावी रूप से केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जाएगा। बैठक में निदेशक ग्रामीण विकास एवं आयुक्त मनरेगा राघव शर्मा, निदेशक मत्स्य पालन विवेक चन्देल और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज लोक निर्माण विभाग तथा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए विभिन्न परियोजनाओं की लंबित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और बारिश के कारण क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की मरम्मत कार्यों की प्रगति की समीक्षा की। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि नाबार्ड के पास विभाग की विभिन्न परियोजनाओं से संबंधित 35 डीपीआर वर्तमान में लंबित हैं। उन्होंने इन लम्बित डीपीआर को शीघ्र मंजूरी देने की आवश्यकता पर बल दिया और अधिकारियों को सभी आवश्यक औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए ताकि इन परियोजनाओं पर शीघ्र कार्य आरम्भ किया जा सके। उन्होंने कहा कि विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के समय पर क्रियान्वयन के लिए डीपीआर को शीघ्र मंजूरी प्रदान करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में तेजी आएगी, जिससे क्षेत्र के लोग लाभान्वित होंगे। लोक निर्माण मंत्री ने हाल ही में हुई बारिश से क्षतिग्रस्त सड़कों के मरम्मत कार्य की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को क्षतिग्रस्त पुलों की मरम्मत और सड़कों की बहाली में तेजी लाने के निर्देश दिए ताकि क्षेत्र के लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. विवेक पठानिया और लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
**हिमाचल के राजनीतिक मसलों पर की चर्चा सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष के बाद अब प्रदेश के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और विधायक कुलदीप राठौर दिल्ली पहुंच गए है और दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे सहित कई नेताओं के साथ मुलाकात की। राठौर ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को हिमाचल में सरकार और संगठन को लेकर चर्चा की खास कर संगठन को मजबूत करने की बात कही। राठौर के दिल्ली जाने से सियासी सरगर्मियां भी तेज हो गई है। कुलदीप राठौर पहले भी संगठन के लोगो को सरकार में तरजीह न देने को लेकर बयान दे चुके है। सूत्रों की माने तो कुलदीप राठौर ने संगठन को मजबूत करने का आग्रह किया।
समेज त्रासदी के बाद आज नोगली में एक महिला का शव बरामद हुआ है। शव की पहचान कल्पना केदारटा पत्नी जयसिंह के तौर पर हुई है, जो कि ग्रीनको हाइड्रो प्रोजेक्ट में कार्यरत थी। रेस्क्यू टीम द्वारा शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रामपुर अस्पताल भेजा जा रहा है। ये जानकारी एसडीएम निशांत तोमर ने दी। समेज में आज रेस्क्यू ऑपरेशन का नौवां दिन है। त्रासदी के बाद अब तक 15 शव बरामद किए गए हैं, जिनमें से 4 शवों की शिनाख्त कर ली गई है।
समेज त्रासदी के बाद से चल रहे सर्च ऑपरेशन के नौवें दिन आज सुबह सुन्नी डैम के नजदीक दोघरी क्षेत्र में चार शव बरामद हुए है। प्रथम दृष्टया में दो शव पुरुषों के हैं और एक लड़की का शव है, जिसकी उम्र 14 से 15 साल बताई जा रही है। इसके साथ ही एक अन्य शव क्षत-विक्षत हालत में मिला है। यह भी प्रथम दृष्टया में महिला का बताया जा रहा है। यह जानकारी उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने दी। उन्होंने कहा कि शव क्षत-विक्षत है। शवों को रेस्क्यू किया जा रहा है, जिसके बाद इन्हे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल में भेज दिया जाएगा। इसके साथ ही जिला प्रशासन कुल्लू को भी इसके बारे में सूचना दे दी गई है।
हिमाचल में मानसून सीजन में भारी बारिश से मचने वाली तबाही को रोकने के लिए सरकार ने अब सख्त कदम उठाए हैं। बरसात में भारी बारिश से नालों और नदियों में जलस्तर बढ़ने से साथ लगते भवन बाढ़ की चपेट में आने से हर साल जान और माल का काफी अधिक नुकसान हो रहा है। वहीं, इस साल 31 जुलाई की आधी रात को भी तीन जिलों शिमला, कुल्लू और मंडी में भी बादल फटने की घटना से नालों और खड्डों में बाढ़ आ गई, जिसमें 53 लोग लापता हुए थे। इसी तरह से कई घर बाढ़ की चपेट में आने से जमींदोज हो गए। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने नालों और नदियों के साथ भवन बनाने के लिए नियम और शर्तों को सख्त बना दिया है। हिमाचल प्रदेश में अब लोगों को नालों और नदियों के साथ भवन निर्माण के समय नियमों की पालना करनी होगी। अब उचित दूरी के बाद ही मकान बनाने की अनुमति होगी, जिसके लिए सरकार ने नियम तय कर दिए हैं। इन नियमों के मुताबिक नालों से 5 मीटर और नदी से 7 मीटर छोड़कर ही भवन निर्माण करना होगा। इन नियमों को राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है। इसके लिए जनता से सुझाव और आपत्तियां भी मांगी गई थी, जिसके बाद अब सरकार ने नियमों को लागू कर दिया है। इससे पहले नालों से 3 और नदियों से 5 मीटर की दूरी पर भवनों का निर्माण किया जाता था, लेकिन प्रदेश में पिछले साल मानसून सीजन में आई प्राकृतिक आपदा की वजह से नालों और नदी के किनारे बने भवनों को सबसे अधिक नुकसान हुआ था। इस साल भी तीन जिलों में बादल फटने की घटना हुई है, जिससे नालों में बाढ़ आने की वजह से कई घर इसकी चपेट में आ गए और 53 लोग पानी के तेज बहाव में बह गए, जिनकी तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस दौरान कई शव भी बरामद हुए हैं। ऐसे में सरकार ने नालों और नदियों के साथ भवन निर्माण को लेकर तय नियमों में बदलाव किया है, ताकि प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान को रोका जा सके। ये नियम सूख चुकी खड्डों और नालों के किनारे बनने वाले भवनों पर भी लागू होंगे।
कुंडी में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नव युवक मंडल कुंडी द्वारा जन्माष्टमी के उपलक्ष पर खेल-कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें इस बार विक्रम शर्मा क्रिकेट मेमोरियल कप का भी आयोजन किया जाएगा, जो 12 अगस्त से 26 अगस्त तक आयोजित होगा। इसमें इच्छुक टीमें 11 अगस्त तक रजिस्ट्रेशन करवा सकती है। सभी टीमों को रजिस्ट्रेशन के लिए 2100 रुपए फीस रखी गई हैं, जिसमें विजेता टीम को 51000 व उपविजेता टीम को 11000 रुपए की नकद राशि दी जाएगी।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड) की स्पोर्ट्स काउंसलिंग में दस्तावेज न दिखा पाने अभ्यर्थियों को मुख्य श्रेणी में शामिल करेगा। इन अभ्यर्थियों को उनके पासिंग क्राइटेरिया के अनुसार आगे होने वाली काउंसलिंग प्रक्रिया में हिस्सा लेने का अवसर दिया जाएगा। उनकी स्पोर्ट्स कोटे की पात्रता को रद्द कर उन्हें जल्द ही आगे होने वाली मुख्य काउंसलिंग में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा। स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से डीएलएड-2024-26 के लिए जून में प्रदेश भर में 107 परीक्षा केंद्रों पर प्रवेश परीक्षा करवाई थी। इस दौरान 17,646 अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, जिनमें से शिक्षा बोर्ड ने 5,579 अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण घोषित किया था। इसके बाद शिक्षा बोर्ड ने स्पोर्ट्स कोटे की सीटें भरने को पहली और दो अगस्त को काउंसलिंग प्रक्रिया हुई। इसमें 116 अभ्यर्थियों को शार्टलिस्ट किया गया। इसमें सामान्य, एससी, एसटी और ओबीसी स्पाेर्ट्स श्रेणी में सर्टिफिकेटों की जांच पड़ताल पहली और दो अगस्त को बोर्ड मुख्यालय में की। दो दिन चली इस काउंसलिंग प्रक्रिया में कुल 62 अभ्यर्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। बोर्ड प्रबंधन की ओर से की गई दस्तावेजों की वेरिफकेशन के बाद अब 52 अभ्यर्थियों के दस्तावेज संबंधित कोटे की सीटें भरने के लिए सही पाए गए हैं, जबकि अन्य अभ्यर्थियों की स्पोर्ट्स कोटे की श्रेणी को रद्द कर दिया गया है। खेल श्रेणी के अभ्यर्थियों को काउंसलिंग के दौरान खेलकूद प्रमाण पत्रों के आधार पर अंक प्रदान करने के लिए पात्र नहीं माना गया है। जिन्होंने अपने प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं करवाए हैं। उनकी खेल श्रेणी को रद्द कर उन्हें मुख्य श्रेणी में शामिल किया गया है। इसके अलावा जो अभ्यर्थी काउंसलिंग के दौरान अनपुस्थित रहे हैं, उन्हें भी मुख्य श्रेणी में शामिल किया गया है। अब यह अभ्यर्थी आगे होने वाली काउंसलिंग प्रक्रिया में हिस्सा ले सकेंगे।
स्कूली बच्चों के लर्निंग लेवल का मूल्यांकन करने के लिए हिमाचल में परख सर्वेक्षण-2024 नवंबर में होगा। समग्र शिक्षा निदेशालय, उच्च शिक्षा निदेशालय और प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। सर्वेक्षण की तैयारियों को लेकर वीरवार को समग्र शिक्षा निदेशालय शिमला में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक डा. अमरजीत शर्मा, अतिरिक्त उच्च शिक्षा निदेशक संजीव सूद, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, अतिरिक्त प्रारंभिक शिक्षा निदेशक बीआर शर्मा सहित जिलों के उप शिक्षा निदेशक, डीपीओ और समग्र निदेशालय में तैनात नोडल अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में सर्वेक्षण के लिए बच्चों को तैयार करने की मकसद से सभी स्कूलों में जीरो पीरियड ( जीरो आवर) लगाने के निर्देश दिए गए। इनमें उन कक्षाओं के बच्चों की तैयारियां कराई जाएंगी जिनका सर्वेक्षण होना है। इस अवसर पर समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण-24 में बेहतर प्रदर्शन को लेकर बेहद गंभीर है। साल 2021 में कराए गए नेशनल अचीवमेंट सर्वे में हिमाचल का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। ऐसे में इस सर्वे से पहले हिमाचल के स्कूलों में स्टेट लेवल अचीवमेंट सर्वे कराया गया था, जिससे कि बच्चों के सीखने के स्तर का आकलन किया जा सके। हालांकि इस सर्वे हम कुछ में बेहतर नहीं कर पाए हैं। ऐसे में परख सर्वेक्षण के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।
हिमाचल में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए सुक्खू सरकार ने कड़ा फैसला लेते हुए स्टडी लीव के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। स्टडी लीव पर जाने वाले अधिकारी-कर्मचारी को पूरा नहीं, अब सिर्फ 40 फीसदी वेतन ही मिलेगा। वहीं, 24 महीने तक के अध्ययन अवकाश के लिए प्रशासनिक की जगह अब वित्त विभाग अनुमति देगा। प्रशासनिक विभाग से शक्तियां वापस ले ली गई हैं। इसके लिए केंद्रीय सिविल सेवाएं अवकाश नियम -1972 को बदला गया है। नए नियम को केंद्रीय सिविल सेवाएं अवकाश हिमाचल प्रदेश नियम -2024 नाम दिया गया है। वर्ष 1986 से लेकर प्रशासनिक विभाग ही 24 महीने तक की स्टडी लीव के लिए अनुमति देता आया है। अब वित्त विभाग ही तय करेगा कि किसी विभाग के अधिकारी या कर्मचारी को अवकाश पर भेजना है या नहीं। हर साल बड़ी संख्या में अधिकारी और कर्मचारी स्टडी लीव पर जाते हैं। अध्ययन अवकाश के दौरान उन्हें सरकार की ओर से पूरा वेतन दिया जाता है। स्टडी लीव पर अधिक कर्मचारियों-अधिकारियों के रहने से जहां विभागों में प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होता रहा है, वहीं सरकारी कोष को भी बड़ा नुकसान होता रहा है। अब देश या देश से बाहर ली गई अध्ययन छुट्टी के दौरान सरकारी कर्मचारी-अधिकारी को 40 प्रतिशत वेतन मिलेगा। इसके अलावा महंगाई भत्ता और मकान किराया भी मिलेगा। अवकाश वेतन का भुगतान सरकारी कर्मचारी की ओर से यह प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के बाद होगा कि वह किसी अंशकालिक रोजगार के संबंध में किसी भी छात्रवृत्ति, वजीफे या पारिश्रमिक की प्राप्ति नहीं कर रहा है।
पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा लोक सेवा आयोग करवाएगा | आज सुक्खू कैबिनेट में इसको लेकर मजूरी दी गई है| हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक गुरुवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। करीब पांच घंटे चली मंत्रिमंडल की बैठक में 36 एजेंडों पर विस्तृत चर्चा हुई| पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा लोक सेवा आयोग के माध्यम से करने के निर्णय को भी मंजूरी दी है| ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व सरकार द्धारा फ्री पानी का निर्णय खत्म वित्तीय संकट से जूझ रही सुक्खू सरकार ने आज़ बिजली के बाद अब पानी की रियायत को भी खत्म कर दिया है। शिमला सचिवालय में हुई मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की कैबिनेट बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्व सरकार द्धारा फ्री पानी देने के निर्णय को खत्म करते हुए पानी के कनेक्शन पर 100 रुपए महीना फिक्स तय किया है। इसके पीछे जल शक्ति विभाग में घाटे का हवाला दिया गया है। जबकि 50 हजार से कम आय वाले लोगों, विकलांगो, एकल महिला को मुफ्त पानी मिलता रहेगा। आपदा प्रभावित 89 परिवारों का सारा खर्चा तीन महीने तक उठाएगी सरकार मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित राज्य कैबिनेट की बैठक में 1 अगस्त को कुल्लू, मंडी और शिमला जिलों में हुए बादल फटने में अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की। दुखी परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए आपदा प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया गया। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जिनके घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं उन्हें क्रमशः 10,000 और 5,000 रुपये प्रति माह किराए पर देने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा 1 अगस्त, 2024 से 31 अक्टूबर, 2024 तक तीन महीने की अवधि के लिए मुफ्त राशन, एलपीजी री-फिल, बर्तन और बिस्तर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। इसके अतिरिक्त, बादल फटने से प्रभावित परिवारों को 50,000 रुपये की तत्काल वित्तीय राहत वितरित की जाएगी एचआरटीसी की बसों में पुलिस जवानों को सरकारी कार्य के लिए ही मिलेगी मुफ्त सेवा वहीं एचआरटीसी की बसों में पुलिस जवानों को केवल सरकारी कार्य के लिए मुफ्त सेवा मिलेगी अन्यथा उसको सेवा का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा कैबिनेट ने आबकारी एवम काराधान विभाग दो विंग में विभाजित करने को मंजूरी दी है। जिसमें एक विंग जीएसटी और दूसरा काराधन विभाग होगा।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से आज हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवाएं (एच.पी.ए.एस.) के 18 परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने भेंट की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश के लोगों के कल्याण के लिए समर्पण भाव से कार्य करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि लोगों के कल्याण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में अधिकारियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक वर्ग को लाभान्वित करने के लिए राज्य सरकार ने नीतियों में सकारात्मक बदलाव किए हैं। उन्होंने अधिकारियों को जमीनी स्तर पर इन सकारात्मक बदलावों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कहा। उन्होंने अधिकारियों को समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए सेवा भाव से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। बैठक के दौरान, एच.पी.ए.एस. अधिकारियों ने प्रशिक्षण के अनुभव मुख्यमंत्री के साथ साझा किए और मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि प्रदेश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे। मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर और निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क राजीव कुमार इस अवसर पर उपस्थित थे।
**अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उप-समिति की बैठक आयोजित उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि हिमकेयर योजना को बंद करने की प्रदेश सरकार की कोई मंशा नहीं है। इस योजना की कुछ कमियों को दूर कर इसे और अधिक सुदृढ़ बनाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल सके। अग्निहोत्री आज हिमकेयर कार्ड और आयुष्मान भारत कार्ड के संबंध में गठित मंत्रिमंडलीय उप-समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, कृषि मंत्री चंद्र कुमार, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा बतौर सदस्य मौजूद थे। उन्होंने कहा कि विपक्ष अफवाह फैला रहा है कि प्रदेश सरकार ने हिमकेयर योजना को बंद कर दिया है, जो सरासर गलत है। सच्चाई यह है कि राज्य सरकार ने कुछ अनियमितताएं पाए जाने के बाद केवल निजी अस्पतालों को इस योजना के दायरे से बाहर करने का निर्णय लिया है। उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में लोगों को सरकारी अस्पतालों में हिमकेयर कार्ड के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा जारी रहेगी। हिमकेयर कार्ड से स्वास्थ्य लाभ लेने पर सरकार द्वारा हर स्तर पर निगरानी रखी जाएगी। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां मेडिकल बिल और उपचार की लागत में बहुत ज्यादा अंतर पाया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा अभी निजी अस्पतालों को 150 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है जबकि सरकारी अस्पतालों को 307 करोड़ की अदायगी की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस योजना के अंतर्गत कुल 457 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सीमा निर्धारित करने के कारण प्रदेश में आयुष्मान भारत कार्ड का लाभ लेने वाले पांच लाख 32 हजार परिवार ही पंजीकृत हैं, जबकि प्रदेश में ऐसे 14 लाख 83 हजार परिवार हैं, जिन्हें आयुष्मान भारत योजना में पंजीकृत किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार आयुष्मान भारत योजना को प्रदेश में संचालित करने के लिए हर वर्ष केवल 50 करोड़ रुपये ही प्रदान करती है। इस वित्त वर्ष के शुरुआती छह माह में ही यह 50 करोड़ रुपये की राशि व्यय की जा चुकी है। शेष बचे महीनों में आयुष्मान के तहत सभी देनदारियों का भुगतान प्रदेश सरकार को करना होगा, जिसकी अनुमानित लागत 100 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने बताया कि आयुष्मान से जुड़े व्यय के संदर्भ में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से बातचीत की जाएगी। स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. गोपाल बैरी, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. राकेश शर्मा और उप-निदेशक हिमकेयर व आयुष्मान भारत देवेंद्र कुमार भी इस मौके पर उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश की कुछ जगहों पर आज मौसम विभाग ने भारी बारिश का पूर्वानुमान जताया हैं। शिमला शहर में भारी बारिश से पेड़ गिरने से गाडिय़ों को नुकसान पहुंचा है। कई इलाकों में भूस्खलन का खतरा मंडरा गया है। सांगटी, कृष्णानगर व संजौली में बहुमंजिला भवन खतरे की जद में हैं। वहीं, जोगिंद्रनगर उपमंडल में बुधवार को भारी बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी। भूस्खलन के कारण सियुरी से छपरोट सडक़ बंद हो गई है। मौसम विभाग के ऑरेंज अलर्ट के बीच हिमाचल प्रदेश के कई भागों में भारी बारिश दर्ज की गई है। करसोग उपमंडल में भारी बारिश के चलते नदी-नाले उफान पर हैं। कई मार्गों पर आवाजाही ठप है। खराब मौसम के कारण विभिन्न स्थानों पर उत्पन्न स्थितियों और बच्चों की सुरक्षा के दृष्टिगत उपमंडल के सभी सरकारी और गैर-सरकारी शिक्षण संस्थानों में गुरुवार को एक दिन की छुट्टी घोषित की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य के कई भागों में दस अगस्त तक बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। आठ और नौ तथा 11 से 13 अगस्त के लिए यलो अलर्ट जारी हुआ है। प्रदेश भर में बीते 24 घंटे के दौरान हुई बारिश में 748 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। इनमें पीडब्ल्यूडी को 312 करोड़ रुपए का नुकसान दर्ज हुआ है।
** मंडी-कुल्लू-शिमला में बाढ़ में बहे लोगों की तलाश में सर्च आपरेशन जारी बादल फटने की घटना के सात दिन बाद शिमला के सुन्नी में दो शव बरामद हुए हैं। अब तक तीनों जिलों में 21 शव बरामद किए जा चुके हैं। बुधवार को शिमला में मिले दोनों शव महिलाओं के हैं और दोनों की पहचान रितिका और रचना के रूप में हुई है। यह दोनों शव सुन्नी डैम से बरामद किए गए हैं। शिमला में अब तक बरामद शवों की संख्या 11 हो गई है। हालांकि इनमें से अब तक चार की ही पहचान हो सकी है। अन्य बरामद शवों को पहचान के लिए आईजीएमसी शिमला में रखा गया है, जबकि परिजनों के डीएनए सैंपल लैब में भेजे गए हैं। इसके अलावा शिमला में ही बरामद दो शवों का बुधवार को अंतिम संस्कार किया गया। रेस्क्यू अभियान में मिले शवों को शिनाख्त के बाद परिजनों को सौंप दिया था। इनकी पहचान रचना उम्र 23 वर्ष गांव सूगा नजदीक सरपारा और दूसरे शव की पहना प्रीतिका पुत्री राजकुमार पांडे झारखंड निवासी के तौर पर हुई थी। उधर, कुल्लू और मंडी में बुधवार को चलाए गए सर्च अभियान के दौरान कोई भी शव नहीं मिल पाया है। यहां सर्च अभियान को जारी रखने का फैसला किया गया है। मंडी में अब भी एक और कुल्लू में दस लोग लापता हैं। कुल्लू के तीन लोग शिमला की तरफ बहे हैं। इनकी पहचान के लिए परिजनों के डीएनए सैंपल लिए गए हैं। समेज त्रासदी को लेकर चल रहे सर्च अभियान में अभी तक दस शवों को बरामद किया जा चुका है। सभी शवों का पोस्टमार्टम करवा दिया गया है। सर्च आपरेशन के दौरान बरामद शवों को पोस्टमार्टम करवाने के बाद आईजीएमसी शिमला के शव गृह में रखा जा रहा है। जिन शवों की पहचान नहीं हो पा रही है उनके डीएनए मैच किए जा रहें। शिमला में मंगलवार को मिले एक युवक के शव को लेकर दोबारा संशय बन गया है। इस शव को पहले कांगड़ा के युवक का बताया जा रहा था। हालांकि युवक के अभिभावकों ने शव को पहचानने से इनकार कर दिया है। इसके बाद युवक का शव परिजनों को नहीं सौंपा है। हालांकि पहचान के लिए युवक के परिजनों का डीएनए सैंपल लिया गया है। इसके मिलान के बाद ही पहचान हो पाएगी। गौरतलब है कि शिमला से 33 लोग लापता हो गए थे। इनमें से ज्यादातर बेहद खराब हालत में बरामद हो रहे हैं। इन शवों को पहचानने के लिए डीएनए की मदद ली जा रही है। अब गुरुवार को नौंवे दिन भी शिमला, मंडी और कुल्लू से लापता लोगों की तलाश की जाएगी।
**दिखाने होंगे ये ज़रूरी दस्तावेज, तभी होगा बदलाव ! अब आधार कार्ड में जन्मतिथि और नाम बदलवाना आसान नहीं रहा। अब पहले की तरह आधार कार्ड में डेट ऑफ़ बर्थ या नाम नहीं बदला जाएगा। अब UIDAI यानी यूनीक आईडेंटिटीफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अब नियमो में कई बलाव किए है। अब आधार कार्ड में डेट ऑफ़ बर्थ चेंज करवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र और हाई स्कूल की मार्कशीट दिखाना ज़रूरी हो गया है। बिना जन्म प्रमाणपत्र के आधार कार्ड में डेट ऑफ़ बर्थ और नाम में कोई भी बदलाव नहीं किए जा सकेंगे। इसके साथ ही जन्मतिथि में बदलाव करने के लिए एक व नाम में कोई बदलाव करने के लिए सिर्फ दो बार ही मौका दिया जाएगा। वही हाईस्कूल पास न करने वाली महिलाएं व पुरुषों के लिए जन्म प्रमाण पत्र दिखाना जरूरी है तभी आपके आधार कार्ड में डेट ऑफ़ बर्थ और नाम में बदलाव किया जा सकेगा।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने रैगिंग के मामलों को रोकने के लिए एंटी रैगिंग कमेटी का गठन कर दिया है। बुधवार को एचपीयू ने कमेटी को अधिसूचित कर दिया है और वेबसाइट पर सदस्यों के नंबर और ईमेल एड्रेस जारी कर दिए हैं। छात्र मोबाइल नंबर या फिर ईमेल के माध्यम से सीधे कमेटी सदस्यों से रैगिंग की शिकायत कर सकते हैं। एचपीयू ने कॉलेजों के लिए अलग से कमेटी गठित की है। हालांकि, कॉलेजों में भी एंटी रैगिंग कमेटियों का अलग से गठन किया जाता है। अगर कॉलेज स्तर पर समस्या नहीं निपटती है तो छात्र उक्त कमेटी के पास अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. बीके शिवराम की अध्यक्षता में बनी एचपीयू की एंटी रैगिंग कमेटी में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ममता मोक्टा, चीफ वार्डन प्रो. आरएल जिंटा, अधिष्ठाता संकाय लाइफ साइंस, काॅमर्स एंड मैनेजमेंट, एआर डीएस कार्यालय, और एससीए अध्यक्ष को शामिल किया गया है। इसके अलावा एंटी रैगिंग कमेटी एचपीयू परिसर में डीएस प्रो. बीके शिवराम, डीन संकाय सोशल साइंस, चीफ वार्डन, निदेशक यूआईटी, निदेशक यूसीबीएस, यूआईएलएस, अतिरिक्त चीफ वार्डन और एआर डीएस बतौर सदस्य शामिल किए हैं। एचपीयू से संबद्ध कॉलेजों के लिए बनाई एंटी रैगिंग कमेटी में डीएन कॉलेज और निदेशक कॉलेज विकास परिषद के अलावा प्रो अर्पणा नेगी और प्राचार्य संजौली कॉलेज सदस्य होंगे। सभी सदस्यों के ई मेल और लैंडलाइन नंबर विवि की वेबसाइट पर अपलोड हैं। छात्र रैगिंग और परिसर में पेश आ रही समस्याओं को ई मेल और कॉल कर दर्ज करवा सकेंगे। विवि के कुलसचिव ने विवि के आम छात्र-छात्राओं की समस्याएं सुनने और निपटारे के लिए छात्र शिकायत निवारण कमेटी का गठन अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ममता मोक्टा की अध्यक्षता में किया है। इसमें चीफ वार्डन प्रो. आरएल जिंटा, के अलावा प्रो. नीलिमा कंवर, प्रो. जीता राम, प्रो. मनु सूद और एआर, एसओ डीएसडब्लू कार्यालय सदस्य बनाए गए हैं।
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में स्क्रब टायफस से पीड़ित (91) मरीज की मौत हो गई है। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल राव ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से इस साल की यह पहली मौत है। आईजीएमसी में पंथाघाटी के रहने वाले 91 साल का पीड़ित मरीज कई दिनों से अस्पताल में उपचाराधीन था। 29 जुलाई को मरीज को मेडिकल आईसीयू में दाखिल किया गया जबकि 2 अगस्त को मरीज का स्क्रब टेस्ट पॉजिटिव आया। मरीज बुखार और सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहा था। गंभीर स्थिति में होने के कारण मरीज की बुधवार को मौत हो गई। बताया जा रहा है कि मरीज उच्च रक्तचाप, मधुमेह, गुर्दे के रोग समेत अन्य बीमारियों से भी जूझ रहा था। इसके अलावा मरीज ने निजी अस्पताल में भी जांच करवाई थी। लेकिन अब अस्पताल ने स्क्रब से मरीज की मौत के बाद इलाज के लिए आए मरीजो को सचेत करना शुरू कर दिया है। आईजीएमसी का दावा है कि वर्ष 2024 में अब तक कुल 301 स्क्रब टायफस के सैंपल की जांच की है। इसमें 44 मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
हिमाचल प्रदेश कैबिनेट की बैठक आज मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में होगी। इस बैठक में कई अहम फैसले होंगे। विभिन्न विभागों में रिक्त पड़े पदों को भरने की कैबिनेट में मंजूरी मिल सकती है। इसमें मानसून के दौरान बादल फटने से हुई घटनाओं के बाद राहत और पुनर्वास कार्यों से संबंधित चर्चा भी हो सकती है। आपदा में हुए नुकसान को लेकर राहत पैकेज पर सरकार निर्णय ले सकती है।पिछले साल आई आपदा के बाद एक तय अवधि के लिए सरकार ने अपने स्तर पर विशेष पैकेज दिया था। इस बार भी पीड़ितों को आवास सुविधा देने जैसे निर्णय हो सकते हैं। इसके अलावा हिमकेयर योजना में पाई गई अनियमितताओं पर चर्चा और स्वास्थ्य विभाग में ऐसी योजनाओं में विभिन्न सुधारों के लिए मंत्रिमंडलीय उपसमिति की रिपोर्ट भी राज्य कैबिनेट की बैठक में रखी जा सकती है।
आउटसोर्स कर्मियों लंबित के वेतन का जल्दी भुगतान करे सरकार सिर्फ़ बयानबाज़ी ही नहीं जनहित के काम भी करे सरकार शिमला : शिमला से जारी वक्तव्य में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार बयानबाजी से ही काम चलाना चाहती है। हर दिन अख़बारों में बयान आते हैं कि जल्दी ही भर्ती के परिणाम घोषित होंगे। नई नौकरियां निकाली जाएगी। लेकिन यह बातें सिर्फ़ ज़ुबानी जमा खर्च से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। हर रोज़ मुख्यमंत्री या किसी न किसी मंत्री द्वारा भर्ती परिणामों के जल्दी से जल्दी जारी होने, नई भर्तियां निकाले जाने की खबरें ही आती हैं। लेकिन कभी परिणाम आने की खबर नहीं आई। सरकार बयानबाजी के आगे नहीं बढ़ पाई है। डेढ़ साल से युवा सड़कों पर इंतज़ार कर रहे हैं। आश्वासनों से थककर युवा कर्मचारी चयन आयोग के दफ़्तर के बाहर क्रमिक अनशन पर बैठे हैं। इतने लंबे समय तक सिर्फ़ आश्वासनों से काम नहीं चल सकता है। अब कोरी बयानबाजी करने के बजाय सरकार को परिणाम जारी करना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि कई विभागों में काम कर रहे आउटसोर्स कर्मियों को लंबे समय से वेतन नहीं मिल रहा है। बहुत से लोग फ़ोन करके बताते हैं कि वेतन नहीं मिल रहा है। जवाबदेह अधिकारी बजट न होने का हवाला देकर टरका देते हैं। कब तक मिलेगा यह भी पता नहीं। घर से बाहर रह कर काम कर रहे लोगों को हर महीनें रहने-खाने का खर्च भी वहन करना पड़ता है। इसके अलावा और भी पारिवारिक ज़िम्मेदारियां होती है। ऐसे में लोगों को यदि चार-चार, छः-छः माह तक वेतन नहीं मिलेगा तो कैसे काम चलेगा। इस तरह से लंबे समय तक वेतन लटका कर रखना संवेदनहीनता है। सरकार लोगों से जुड़े मुद्दों को संवेदनशील होकर सुलझाए। आउटसोर्स कर्मियों के बकाया वेतना के भुगतान के साथ समय पर वेतन देने का प्रावधान करे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि डेढ़ साल से सरकार सिर्फ़ आश्वासन के सहारे चल रही है। अब बयानबाजी से काम नहीं चल सकता है। सरकार अब काम करे और लोगों की समस्याओं का हल निकाले। डेढ़ साल से एक दो हफ़्ते में परीक्षा परिणाम जारी होंगे, जैसे बयान सुन-सुनकर सब थक गए हैं। अब प्रदेश के युवाओं को आश्वासन नहीं भर्ती का परिणाम चाहिए। सरकार जल्दी से जल्दी लंबित पड़ी परीक्षाओं के परिणाम निकाले और नई भर्तियों की घोषणा करे।
327 करोड़ रुपए से की जा रही है ई-बसों की खरीद मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां हिमाचल पथ परिवहन निगम की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार निगम को आर्थिक घाटे से उबारने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेगी और निगम को आत्मनिर्भर बनाएगी। उन्होंने कहा कि बस सेवा सुविधाएं प्रदेश के लोगों के लिए जीवन रेखा का कार्य करती है क्योंकि प्रदेश में परिवहन का यह मुख्य साधन है। हिमाचल पथ परिवहन निगम लोगों को सुलभ और सुविधाजनक परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाता है और निगम के 12 हजार कर्मचारी इस संस्था की नींव हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि निगम को हरित परिवहन प्रणाली में परिवर्तित किया जा रहा है और विश्वसनीय परिवहन सेवा के लिए निगम में इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े को शामिल किया गया है। वर्तमान में निगम की 110 ई-बसें और 50 ई-टैक्सियां कार्यशील हैं। इसके अतिरिक्त, निगम को आर्थिक घाटे से उबारने की दिशा में सुधार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 327 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं और अतिरिक्त दो हजार टाइप-2 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद प्रक्रिया चल रही है। ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि निगम धार्मिक स्थानों में बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत है। इस कड़ी में पहले चरण में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अयोध्या के लिए छह बसों की सुविधा दी गई है और आवश्यकता पड़ने पर इनकी संख्या में वृद्धि की जा सकती है। उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में निगम विश्वसनीय परिवहन सेवाएं उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने कहा कि गत सात माह से निगम के कर्मचारियों और पेंशनरों को हर माह के पहली तारीख को वेतन और पेंशन मिल रहा है, जबकि पिछली भाजपा सरकार के दौरान कर्मचारियों और पेंशनरों को आठ से 10 दिनों के बाद वित्तीय अदायगी की जाती थी।
**जूनियर रेडक्रास स्वयं सेवकों ने भी पौधरोपण अभियान में लिया भाग हिमाचल प्रदेश राज्य रेडक्रास सोसायटी और वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पौध रोपण अभियान में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने बतौर मुख्यतिथि भाग लिया। उन्होंने शिमला के अन्नाडेल के निकट ग्लेन में देवदार का पौधा रोपित किया। अभियान में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला अन्नाडेल स्कूल के जूनियर रेडक्रास स्वयं सेवकों ने 250 पौधे रोपित किए। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हम सभी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। उन्होंने पौध रोपण अभियानों में सहभागिता सुनिश्चित कर प्रदेश के हरित आवरण को बढ़ाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पौधे लगाने के साथ-साथ हमें उनका संरक्षण भी सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ रही प्राकृतिक आपदाएं चिंता का विषय है, जिसके लिए हमें पर्यावरण संरक्षण एवं हरित आवरण को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य सरकार और समाज के सामूहिक प्रयास से सितंबर, 2024 तक 80 करोड़ और मार्च, 2025 तक 1.4 अरब पौधे लगाना है। राज्यपाल ने कहा कि इस अभियान में हर व्यक्ति अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर कम से कम एक पौधा अवश्य लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण योजना के तहत पौधारोपण के लिए वन विभाग को 150 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया है। इस राशि का उद्देश्य राज्य में हरित आवरण को विस्तार प्रदान कर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष वन विभाग ने राज्य में नौ हजार हेक्टेयर भूमि पर पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव राजेश शर्मा, जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी और राज्य रेडक्रास के स्वयं सेवक भी उपस्थित थे।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि शिक्षा में सुधार वर्तमान राज्य सरकार की प्राथमिकता है। हिमाचल प्रदेश की साक्षरता दर सात से 83 प्रतिशत पहुंच गई है। प्रदेश के अस्तित्व में आने के समय लगभग 300 शिक्षण संस्थान थे, जो आज बढ़कर 16 हजार से ज्यादा हो गए हैं। सरकार मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के कुशल नेतृत्व में गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने पर विशेष ध्यान दे रही है। इसको लेकर शिक्षा विभाग में 7,000 खाली पद भरे जा रहे हैं। राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ शिमला में मंगलवार को अमर उजाला के मेधावी छात्र सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में आधारभूत ढांचा मजबूत किया जा रहा है, ताकि विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिले। इसके लिए शिक्षा में क्लस्टर सिस्टम लागू किया है। इससे स्कूलों की तस्वीर बदल रही है। बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ी है। संसाधनों का उचित उपयोग हो रहा है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में भी बेहतर शिक्षा के लिए प्रयास कर रही है। वर्तमान सरकार ने अध्यापकों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रमण कराया है। विदेशों की अच्छी शिक्षा प्रणाली समझकर प्रदेश में लागू करने के प्रयास हो रहे हैं। शिक्षा ढांचा मजबूत करने के लिए विद्यार्थियों की शून्य संख्या वाले 99 स्कूल बंद करने का फैसला लिया है। पांच और पांच से कम विद्यार्थी संख्या वाले स्कूल मर्ज कर रहे हैं। दो से तीन किलोमीटर के दायरे में स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है।
**पुरानी सुविधाएं बंद और खाने-पीने की चीजें महंगी कर रही है सरकार **सरकार सुनिश्चित करे कि आपदा प्रभावितों को न होने पाए कोई परेशानी शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष ने सरकार द्वारा डिपुओं में मिलने वाले सरसों के तेल के दाम बढ़ाने पर सरकार की आलोचना की है। सरकार के किसी भी फ़ैसले से प्रदेश की जनता को कोई राहत नहीं मिल रही है। प्रदेश में ऐसी सरकार पहली बार आई है, जिसका हर फ़ैसला सरकार के लिए आफ़त बनता है। कभी डीज़ल के दाम तो कभी बिजली-पानी के दाम बढ़ाकर सरकार प्रदेश के लोगों को महंगाई के मुंह में झोंकती है तो कभी सीमेंट, स्टील और गृह निर्माण में आने वाली चीजों के दाम बढ़ाकर। अब सरकार ने सरसों के तेल के दाम में दस परसेंट से ज़्यादा की वृद्धि कर दी है। आपदा से जूझ रहे प्रदेशवासियों के लिए यह फ़ैसला परेशान करने वाला है। सरकार को इस तरह के जनविरोधी फ़ैसलों से बाज आना होगा। जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार सभी को परेशान करने का काम कर रही है। सरकार पुरानी सुविधाएं बंद कर रही है, जिससे लोगों के जेब पर बोझ बढ़ रहा है। जो योजनाएं चल भी रही हैं वहां मिलने वाली सुविधाओं की क़ीमतें बढ़ा रही हैं। डीपुओं में मिलने वाले तेल की क़ीमतें बढ़ाने का असर लाखों लोगों पर पड़ेगा। इसी तरह सरकार द्वारा हिम केयर जैसी योजना को निजी अस्पतालों में बंद कर दिया गया है। प्रदेश भर में लोग परेशान हो रहे हैं, इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर ही उन्हें निर्भर होना पड़ रहा है। सिर्फ़ सरकारी अस्पताल में इलाज होने की वजह से अब वेटिंग का समय बढ़ रहा है, जिससे अनावश्यक देरी हो रही है। इलाज में देरी जोखिम भरी होती है। सरकार इस बात को न जाने क्यों समझना नहीं चाहती है। इसी तरह प्रदेश वासियों को मिलने वाली फ्री बिजली को भी बंद करने की तरकीबें निकाल रही है, जिससे इस योजना को बंद किया जा सके। सरकार का काम जनहित की योजनाएं चलाना है न कि चल रही योजनाओं को बंद करना या उन्हें जटिल बनना।नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश भर में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी है। बारिश की वजह से नुक़सान न हो इस दिशा में काम करना चाहिए। हर स्तर पर सतर्कता बरती जानी चाहिए। पहली बारिश में ही भारी नुक़सान हुआ। बड़ी संख्या में लोगों के घर नष्ट हो गए या रहने लायक़ नहीं बचे। बहुत घर ख़तरे के दायरे में भी आए हैं। ऐसे लोगों को हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में आपदा प्रभावितों को किसी प्रकार की को समस्या न हो, सरकार यह सुनिश्चित करे।
हिमाचल प्रदेश में 31 जुलाई को आधी रात में आई त्रासदी को 5 दिन बीत गए हैं। मगर इस तबाही में लापता हुई जिंदगियों की तलाश अभी भी जारी है। मंडी के तेरंग से लेकर रामपुर के समेज तक, आज 6ठे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। समेज गांव में 5 दिन बीत जाने के बाद भी लापता लोगों का कोई सुराग नहीं मिला है। समेज में लापता लोगों के परिजनों के डीएनए सैंपल लिए गए हैं, ताकि शव मिलने पर उसकी पहचान की जा सके। वहीं, मंडी के तेरंग में भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। यहां लापता 10 लोगों में से 8 के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि बाकि 2 की तलाश जारी है। मंडी के चौहार घाटी राजबन गांव में सर्च ऑपरेशन के छठे दिन 9वां शव बरामद हुआ है। गौरतलब है कि 31 जुलाई की रात को पद्धर उपमंडल के इस इलाके में बादल फटने के बाद तबाही मच गई थी, जिसमें 10 लोग लापता हो गए थे। मंगलवार को 46 साल की खुडी देवी का शव बरामद हुआ है जबकि 30 वर्षीय हरदेव की तलाश जारी है। सर्च ऑपरेशन में एनडीआरएफ से लेकर एसडीआरएफ, पुलिस और होमगार्ड के 100 जवान लगे हुए हैं। सर्च ऑपरेशन के लिए मशीन भी पहुंच गई है। कुल्लू, रामपुर और मंडी में बादल फटने और फ्लैश फ्लड के बाद मची तबाही के बाद ऑपरेशन लगातार जारी है। छठे दिन भी राहत और बचाव टीमें तीनों स्थानों पर लापता लोगों की तलाश कर रही हैं। मानसून के सीजन में हिमाचल में बारिश हर साल तबाही मचाती है जिसमें जान और माल का काफी नुकसान होता है। हिमाचल प्रदेश में 27 जून से शुरू हुए मानसून में अब तक 37 बादल फटने या फिर फ्लैश फ्लड की घटनाएं हुई हैं, जिसमें 11 लोगों की मौत हुई हैं जबकि 46 लोग लापता हैं। ये सभी लोग 31 जुलाई की रात और एक अगस्त की सुबह कुल्लू, मंडी और शिमला के रामपुर में बादल फटने के बाद से लापता हैं। अब तक के मानसून सीजन में 83 मकान, 14 दुकान और 23 गौशालाएं तबाह हो गई हैं। वहीं 38 घरों को नुकसान पहुंचा है और 56 मवेशियों की भी मौत हुई है। हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक इस बार के मानसून सीजन में 18 लैंडस्लाइड की घटनाएं हुई हैं।
**पोस्टमार्टम के लिए सीएचसी भेजा समेज त्रासदी के बाद से चल रहे सर्च ऑपरेशन के छठे दिन आज सुबह सुन्नी डैम के करीब डोगरी में एक शव बरामद हुआ है। यह शव पुरुष का है। यह जानकारी अतिरित उपायुक्त अभिषेक वर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि पुरुष का शव सही हालात में है। शव को पोस्टमार्टम के लिए सी एच सी सुन्नी के लिए भेज दिया गया है। कुल्लू प्रशासन को भी इसके बारे में सूचना दे दी गई है। उन्होंने कहा सर्च ऑपरेशन तीव्र गति से चला हुआ है। अभी तक छह शव सर्च ऑपरेशन के दौरान बरामद किए जा चुके है।
हिमाचल प्रदेश में 31 जुलाई को आधी रात में आई त्रासदी को 5 दिन बीत गए हैं। मगर इस तबाही में लापता हुई जिंदगियों की तलाश अभी भी जारी है। मंडी के तेरंग से लेकर रामपुर के समेज तक, आज 6ठे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। समेज गांव में 5 दिन बीत जाने के बाद भी लापता लोगों का कोई सुराग नहीं मिला है। समेज में लापता लोगों के परिजनों के डीएनए सैंपल लिए गए हैं, ताकि शव मिलने पर उसकी पहचान की जा सके। हीं, मंडी के तेरंग में भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। यहां लापता 10 लोगों में से 8 के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि बाकि 2 की तलाश जारी है।
हिमाचल प्रदेश में कई दिनों की भारी बारिश के कारण जल प्रलय की स्थिति पैदा हो गई है। प्रदेश में जगह-जगह अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के चलते मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग और 87 अन्य सड़कें बंद हो गई हैं। हिमाचल पुलिस ने बताया कि भारी बारिश के चलते चंद्रभाग नदी का जल स्तर बढ़ गया है। लाहौल और स्पीति जिले में दो जगहों पर अचानक बाढ़ आ गई और जिंग जिंगबार के पास मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग 3 पर पानी और मलबा आ गया। वहीं, अगले तीन दिन मूसलाधार बारिश होने का अनुमान है और मौसम विभाग ने सात और आठ अगस्त के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, उत्तराखंड में केदारनाथ धाम और उसके रास्ते में फंसे लोगों को मौसम साफ होने के बाद सुरक्षित निकालने के काम में तेजी आई है। हिमाचल प्रदेश पुलिस ने बताया कि भारी बारिश के चलते चंद्रभाग नदी का जल स्तर बढ़ गया है। लाहौल और स्पीति जिले में दो जगहों पर अचानक बाढ़ आ गई और जिंग जिंगबार के पास मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग 3 पर पानी और मलबा आ गया। इसके चलते दारचा और सरचू पुलिस चेक पोस्ट पर अगले आदेश तक यातायात रोक दिया गया। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) राजमार्ग से मलबा हटाने में जुटा है। मौसम विभाग ने पूर प्रदेश, विशेषतौर पर कांगड़ा, हमीरपुर और चांबा जिलों में भारी बारिश के चेतावनी दी है और खराब मौसम को लेकर दो दिन के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। राज्य के अन्य भागों के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। केदारनाथ पैदल मार्ग पर अतिवृष्टि के बाद अलग-अलग स्थानों पर फंसे यात्रियों और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू पांचवें दिन भी जारी रहा। सोमवार को 1,401 लोगों का रेस्क्यू किया गया। एमआई-17, चिनूक सहित अन्य हेलिकॉप्टर से 645, पैदल मार्ग से 584, भीमबली-लिनचोली-चौमासी मार्ग से 172 यात्री व स्थानीय लोगों को निकाला गया। पांच दिन में 11,775 यात्रियों का रेस्क्यू किया जा चुका है।
हिमाचल प्रदेश के राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों में लीट और पैट डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में अभ्यर्थी को अब सीधा प्रवेश मिल जाएगा। हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा विभाग जल्द ही राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों में लीट और पैट डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की रिक्त सीटों के लिए सीधा प्रवेश प्रक्रिया शुरू करेगा। इस दौरान अभ्यर्थियों को संबंधित बहुतकनीकी संस्थानों में मौके पर ही फार्म भरकर मेरिट में आने के बाद सीट कंफर्म करवानी होगी। तकनीकी शिक्षा विभाग जल्द ही संस्थान स्तर पर होने वाली इस स्पॉट काउंसलिंग राउंड के लिए शेड्यूल जारी करेगा। जानकारी के अनुसार, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रशिक्षण हिमाचल प्रदेश की ओर से पहले ऑनलाइन और फिर बाद में सेंटरलाइज्ड स्पॉट काउंसलिंग के जरिए तीन वर्षीय डिप्लोमा (पैट) और दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स (लीट) में सीटें भरी गई हैं, लेकिन अभी भी कई राजकीय और निजी बहुतकनीकी संस्थानों में कई कोर्सों में सीटें रिक्त पड़ी हुई हैं। हालांकि, तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स के लिए सेंटरलाइज्ड स्पॉट काउंसलिंग के जरिए 6 अगस्त को सुंदरनगर में काउंसलिंग प्रक्रिया होगी, लेकिन दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स के लिए 3 अगस्त को सेंटरलाइज्ड स्पॉट काउंसलिंग राउंड संपन्न हो चुका है। उसके बाद भी लीट में कई सीटें रिक्त पड़ी हैं। अब इन सीटों को भरने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग स्पॉट काउंसलिंग राउंड को शुरू करेगा। इस राउंड के तहत जिस संस्थान में किसी कोर्स से संबंधित सीटें रिक्त होंगी, तो उन्हें इस स्पॉट राउंड के जरिए भरा जाएगा। दो वर्षीय डिप्लोमा लीट के किस कोर्स में सिविल इंजी. 5 और मैकेनिकल इंजी.14 , ऑटोमोबाइल इंजी 35 और कंप्यूटर इंजी. 3, इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजी. 48,इंस्ट्रुमेंटेशन इजी. 4 और 7 मेकाट्रोनिक्स की। प्रदेश के बहुतकनीकी संस्थानों में विभिन्न कोर्सों की रिक्त सीटें भरने के लिए सुंदरनगर में काउंसलिंग प्रक्रिया हुई थी। अभी भी कुछ कोर्सों में सीटें रिक्त रह गई हैं। इन सीटों को भरने के लिए अब संस्थान स्तर पर काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी।