नाहन कोठी, पंचकुला शहर में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राचीन ईमारत है। पंचकुला के सैक्टर 12-ए में स्थित है नाहन कोठी, एक रियासतकालीन ईमारत। इसका निर्माण करीब 160 वर्ष से पूर्व किया गया था। लाल रंग की यह कोठी महाराजा सिरमौर फतह प्रकाश के पुत्रों सुरजन सिंह और बीर सिंह द्वारा बनवाई गई थी। यह कोठी पंचकुला के ‘राइल्ली’ नामक गांव में स्थित है जो वर्तमान में पंचकुला के सैक्टर 12-ए में पड़ता है। लंबे समय से इस भवन को हैरिटेज भवन घोषित करने और इसके संरक्षण के प्रयास चले रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को गम्भीर रोग की स्थिति में त्वरित सहायता पंहुचाने के उद्देश्य से ‘सहारा’ योजना आरम्भ हो गई है। योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के रोगियों को शीघ्र सहायता प्रदान की जाएगी। सहारा योजना पूरे प्रदेश में 15 जुलाई, 2019 से आरम्भ कर दी गई है। योजना के तहत कैंसर, पार्किंसनस रोग, लकवा, मस्कुलर डिस्ट्राफी, थैलेसिमिया, हैमोफिलिया, रीनल फेलियर इत्यादि ये ग्रस्त रोगियों को वित्तीय सहायता के रूप में 2000 रुपए प्रतिमाह प्रदान किए जाएंगे। योजना के तहत किसी भी आयुवर्ग का इन रोगों से ग्रस्त रोगी आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है। इस योजना के तहत बीपीएल परिवार से सम्बन्धित रोगियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। रोगी को अपना चिकित्सा सम्बन्धी रिकाॅर्ड, स्थाई निवासी प्रमाण पत्र, फोटोयुक्त पहचान पत्र, बीपीएल प्र्रमाण पत्र अथवा पारिवारिक आय प्रमाण पत्र तथा बैंक शाखा का नाम, अपनी खाता संख्या, आईएफएससी कोड से सम्बन्धित दस्तावेज प्रदान करने होंगे। चलने-फिरने में असमर्थ रोगी के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी जीवित होने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। सहारा योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र रोगी को अपना आवेदन सभी दस्तावेजों सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवाना होगा। आशा कार्यकर्ता व बहुदेशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी रोगी के सभी दस्तावेज खण्ड चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करवा सकते हैं। खण्ड चिकित्सा अधिकारी इन दस्तावेजों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय को प्रेषित करेंगे। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेेदन पत्र जिला स्तर के अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा हेल्थ वेलनेस केन्द्रों में 03 अगस्त, 2019 से उपलब्ध होंगे। जिला चिकित्सा अधिकारी सोलन डाॅ. आर.के. दरोच ने सहारा योजना के विषय में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना से जिला के सभी लोगों को अवगत करवाने के लिए विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर जागरूक बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सहारा योजना के तहत पात्र रोगियों को 2000 रुपए प्रतिमाह की वित्तीय सहायता आरटीजीएस के माध्यम से ही उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि सहारा योजना के विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करें ताकि आवश्यकता के समय विभिन्न गम्भीर रोगों से पीड़ित रोगियों के परिजनोें को जानकारी देकर लाभान्वित किया जा सके। उन्होंने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोलन के कार्यालय के कक्ष संख्या 132 में योजना के सम्बन्ध में सम्पर्क किया जा सकता है। डाॅ. आर.के. दरोच ने कहा कि सहारा योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने एवं उनकी देखभाल की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध होगी।
“Food doesn’t have a religion. It is a religion.” it is a tweet from Zomato’s official Twitter handle. Actually, a customer from Zabalpur wanted food to be delivered by a Hindu rider. Zomato declined to accept his preference based on the religion of the delivery boy, after which the customer asked Zomato to cancel the order and issue a refund. Zomato hadn’t processed a refund after cancelling the order and tweeted. Zomato Founder Deepinder Goyal also tweeted, “We are proud of the idea of India - and the diversity of our esteemed customers and partners. We aren’t sorry to lose any business that comes in the way of our values. ” People from every corner of India are praising the move by Zomato and company is getting huge public support for their stand.
The dead body of Cafe Coffee Day (CCD) Owner VG Siddhartha, was found on the banks of the Netravati river near Mangaluru at 4.30 am on Wednesday. He was first reported missing on Monday by his driver. Siddhartha’s family has confirmed his identity and the cremation is likely to be held on Wednesday after postmortem. Siddhartha is the son-in-law of former Karnataka Chief Minister SM Krishna. Congress accuses govt of tax terrorism, after VG Siddhartha's so called suicide.
बंजार के भाजपा नेता और नेत्री का अश्लील एमएमएस वायरल करने के आरोप में पुलिस ने एक स्थानीय निवासी को गिरफ्तार किया है। जानकारी के नौसार पुलिस ने 28 वर्षीय गुड्डू सेठी को गिरफ्तार किया है । बताया जा रहा है कि सेठी ने ही इस वीडियो को व्हाट्स एप ग्रुप्स में शेयर किया था । एसपी गौरव सिंह ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है । बताया जा रहा है कि पुलिस अभी काफी और लोगों से पूछताछ कर रही है और इस मामले में कई और गिरफ्तारियां भी हो सकती है ।
मृतकों में दो श्रद्धालु दिल्ली के व एक शिमला का श्रीखंड महादेव यात्रा कर रहे तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। फिलहाल आधिकारिक तौर पर मृत्यु के कारणों का पता नहीं चला है , पर बताया जा रहा है कि इन तीन श्रद्धालुओं को सांस लेने में दिक्कत हुई जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई। यात्रा के दौरान भीमवही, नैनसरोवर और कुशां में इनकी मृत्यु हुई है।प्रारंभिक तौर पर हाइपोथर्मिया (शरीर के तापमान में कमी होना) इनकी मौत की वजह माना जा रहा है , किन्तु इसकी पुष्टि पोस्टमॉर्टेम के बाद ही हो पायेगी। मृतकों में से दो श्रद्धालु दिल्ली के और एक शिमला का रहने वाला है।एसडीएम आनी चेत राम ने बताया कि श्रीखंड महादेव की यात्रा के अंतिम पड़ाव में शनिवार देर रात डेढ़ बजे के करीब तीन लोगों की मौत हुई है। इनकी हुई मौत- 40 वर्षीय उपेंद्र सैनी पुत्र जीवन सैनी निवासी खलीणी, शिमला केवल नंद भगत पुत्र गोपाल भगत निवासी ए 577 चोखरी, वेस्ट दिल्ली आत्मा राम पुत्र खाशा राम, निवासी गली चेतराम मोजपुर, दिल्ली जब यात्रा बंद थी तो कैसे पहुंचे श्रद्धालु श्रीखंड महादेव की ऐतिहासिक यात्रा 15 जुलाई से शुरू हुई थी। 25 जुलाई को यात्रियों के अंतिम जत्थे का पंजीकरण किया गया था। उसके बाद यात्रा बंद कर दी गई थी। बावजूद इसके लोग यात्रा करने कैसे पहुंचे ये बड़ा सवाल है।बता दें कि निरमंड के बेस कैंप सिंहगाड़ से यह यात्रा शुरू होती है। 18,570 फीट की ऊंचाई पर श्रीखंड चोटी पर बाबा भोले नाथ के दर्शन के लिए 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यात्रा में आठ ग्लेशियर भी पार करने होते हैं। यात्रा करने वालों का सिंहगाड़ में पंजीकरण और मेडिकल चेकअप किया जाता है जिसके बाद ही श्रद्धालुओं को अनुमति मिलती हैं। तीनों मृतक किस तरह यात्रा करने पहुंचे, ये तफ्तीश का विषय है।
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक नाव पलट गई। हादसा रविवार सवेरे पेश आया। नाव में 20 लोग सवार थे। हादसे में एक की मौत हो गई, जबकि 15 लोग अभी तक लापता हैं। जबकि लोग नाव पलटने के बाद तैरकर सुरक्षित बाहर निकल आए। नाव में सवार सभी 20 लोग किसान बताये जा रहे है और ये सभी किसान धान की रोपाई करनेके लिए सरयू नदी के पार जा रहे थे। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और लापता किसानो को ढूंढने के प्रयास ज़ारी है।
कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। इसमें कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 11, हमीरपुर के सात, बिलासपुर के सात, शिमला से चार, ऊना से दो, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिले से एक-एक जवान शहीद हुआ था। कारगिल युद्ध में पहले शहीद कैप्टेन सौरभ कालिया भी हिमाचल के पालमपुर से ही ताल्लुख रखते थे। हिमाचल प्रदेश के राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। दुश्मन की मशीनगन से ही दुश्मन को भून डाला संजय कुमार ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले संजय कुमार को इसी अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र का सम्मान मिला।प्वाइंट 4875 पर राइफलमैन संजय कुमार की बहादुरी ने भारतीय सेना को आगे बढ़ने का आधार दिया था। एक दिन पूर्व ही इस प्वाइंट पर संजय कुमार की चीते सी फुर्ती से दुश्मन पर कहर बनकर टूटी थी। संजय कुमार प्वाइंट 4875 पर पहुंचे ही थे कि उनका सामना दुश्मन के आटोमैटिक फायर से हो गया। संजय कुमार तीन दुश्मनों के साथ गुत्थमगुत्था हो गए। हैंड टू हैंड फाइट में संजय कुमार ने तीनों को मौत के घाट उतार दिया। दुश्मन टुकड़ी के शेष जवान घबराहट में अपनी यूनिवर्सल मशीन गन छोड़कर भागने लगे। बुरी तरह से घायल संजय कुमार ने उसी यूएमजी से भागते दुश्मनों को भी ढेर कर दिया। कैप्टेन विक्रम बत्रा की शाहदत की कसमें खाते है सैनिक पहली जून 1999 को कैप्टेन विक्रम बत्रा की टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प और राकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने का जिम्मा भी कैप्टन विक्रम बत्रा को दिया गया।विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को अपने कब्जे में ले लिया।विक्रम बत्रा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय ‘यह दिल मांगे मोर’ कहा तो पुरे हिन्दुस्तान में उनका नाम छा गया। इसके बाद सेना ने चोटी 4875 को भी कब्जे में लेने का अभियान शुरू कर दिया, जिसकी बागडोर भी विक्रम को सौंपी गई। उन्होंने जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। कारगिल के युद्ध के दौरान उनका कोड नाम 'शेर शाह' था। पॉइट 5140 चोटी पर हिम्मत की वजह से ये नाम मिला।कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई को शहीद हो गए।शहीद होने के बाद उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया।
सांसदों के भत्ते बढ़ने को लेकर शायद ही कभी सरकार ने सोचा हो। पर देश का नाम रोशन करने वाले वैज्ञानिकों की तनख्वाह सरकार को ज्यादा लगती है। भारत सरकार ने Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग से ठीक पहले ISRO वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती कर दी थी। इसके चलते वैज्ञानिक बेहद हैरत में हैं और दुखी हैं ISRO वैज्ञानिकों के संगठन स्पेस इंजीनियर्स एसोसिएशन (SEA) ने पत्र लिखकर मांग की है कि वे इसरो वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती करने वाले केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने में मदद करें। इनका कहना है कि तनख्वाह में कटौती होने से वैज्ञानिकों के उत्साह में कमी आएगी।
कारगिल युद्ध को 20 वर्ष पुर हो चुके है। वो मई 1999 का वक्त था, जब करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना को जब इस बात का पता चला तो सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। 8 मई से 26 जुलाई 1999 तक चले ऑपरेशन विजय में भारतीय सेना के 527 जवानो ने बलिदान दिया और 1363 जवान जख्मी हुए। तब से हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। पाकिस्तान की नापाक कोशिश पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तानी सेना की शामिल पाकिस्तान आरोप को नकारता रहा और दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, किन्तु युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। कारगिल युद्ध में 2 लाख 50 हजार गोले और रॉकेट दागे गए थे। हिमाचल प्रदेश स्थित पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया ने कारगिल में सबसे पहले गंवाई थी जान। थल सेना के सपोर्ट में भारतीय वायु सेना ने 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़े को अरब सागर में ला खड़ा किया। भारतीय एयरफोर्स ने कारगिल युद्ध के दौरान मिग-27 व मिग -29 का इस्तेमाल किया गया था। परमवीर चक्र : विक्रम बत्रा, मनोज कुमार पांडेय, नायब सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव व राइफलमैन संजय कुमार। सरकार के दामन पर ताबूत घोटाले के लगे दाग कारगिल युद्ध के बाद शहीद भारतीय सैनिकों के शवों को उनके पैतृक आवास पर भेजने की विशेष व्यवस्था की गई। इससे पूर्व ऐसी व्यवस्था नहीं थी। पैतृक आवास पर शहीद सैनिकों का राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया गया। उनके शवों को ले जाने के लिए काफ़ी मंहगे शव बक्सों (कॉफ़िन बॉक्स) का उपयोग किया गया। हालंकि बाद में तत्कालीन सरकार पर ताबूत घोटाले के आरोप भी लगे।
49 celebrities have written letter to PM 49 celebrities have written a letter to Prime Minister Narendra Modi claiming intolerance in the nation is increasing. In the letter dated to 23rd July 2019, the group of celebrities from various professions stated that they are 'deeply concerned' about a number of tragic events that have been happening in the country in recent times. Anurag Kashyap, Shyam Benegal, Ramchandra Guha, Maniratnam, Ketan Mehta are concerned about intolerance The letter claims that 'Jai Sri Ram' has become a provocative 'war-cry', leading to law and order problems. Letter states that the name of Ram is sacred to many majority communities in India.
“No power on earth can stop an idea whose time has come. Let the whole world hear it loud and clear. India is now wide awake. We shall prevail. We shall overcome.” These are the words from first budget speech of Dr Manmohan Singh, who was the Finance Minister in 1991. The Epochal Budget, in 1991, marked the beginning on economic liberalisation. Today, July 24, 2019, marks 28 years of liberalisation. The budget of 1991 was the budget which changed India , after which economic reforms kick-started. After this budget in last 28 years India has turned out to become one of the fastest growing economies in the world. What Dr singh promised, he delivered. In 1991 Indian economy was on the brink of a collapse in 1991 due to the Balance of Payments (BoP) crisis and rising internal public debt.It was Dr Manmohan Singh who fixed the economy and ushered in a new era of economic development. He took strict decisions that were essential for liberating the Indian economy. The budget of FY 1991-92 is the most reformative budget ever and it has changed Indian economy completely . Budget opened floodgates for private sector Dr. Singh was not the first choice India was facing huge economic crisis and Prime Minister PV Narasimha Rao was looking for someone who can take up the charge to bring economic reforms. Rao first offered the job to economist and Singh's friend Dr IG Patel who could not take up the job, it mans Dr. Manmohan Singh was not the first choice to be PM Rao's Finance Minister. Later on the recommendation of Dr PC Alexander, Rao approached Dr. Manmohan Singh.
The Central Board of Direct taxes has extended the deadline for filing income tax return for FY2018-19 by individuals. The last date to file ITR is extended to August 31, 2019 from July 31, 2019. Late ITR Filling Fee: If the ITR is not filed by an individual before August 31, then the individual would have to pay a late filing fee of Rs 5,000, if filed by December 31. But If the ITR is filed between January 1 and March 31, then late filing fees of Rs 10,000 will be levied.
Women are involved at every stage of Solan - Kaithlighat four lane construction Women Empowerment is always top priority for Arief Engineers : Mallick Women Engineers are contributing a significant role in four-lane construction work of the 22.91 kilometre stretch of the National Highway from Solan to Kaithlighat. This work was awarded to Arief Engineers in 598 crores, and it was initiated on November 9, 2018 by the company. In last nine months company has delivered quite satisfactory inspite so many hurdles. The General Manager of Arief Engineers, Amit Mallick is taking care of this project, but the contribution of women is no less. "Our women engineers are involved at every level of construction work in this jumbo project," says Mallick. He further added, “ not only civil engineers but in other departments also, women are playing a vast role.” Five women are deployed in key positions at Kandaghat Site The project office of Arief Engineers is located at Kandaghat. Presently, Arief Engineers has deployed five women in key positions at site office, including three core civil engineers. All these women are from different parts of the country, and they are exception to the myth that women are rare in civil engineering field. It is not at all easy for any civil engineer to work in mountains, but these women are delivering surfeit expectations. Rajendra, Kalpana Gupta and Jyoti Bhatia are the civil engineers who are breaking the barriers and making their contribution at every step of construction, right from planning to the on site execution. Whereas, Disha Sharma is taking care of human resource management and Ekta Sharma is responsible for accounts. Women has significant role to play at every site of Arief Engineers Despite the increased interest in civil engineering among women, there are still a number of challenges that are contributing to the continued gender inequality. One barrier that is often pointed to is the lack of female role models in the field. Because the number of women in the field is low, there are also few female leaders in civil engineering, which can make it difficult for new generations of female engineers to find mentors whom they feel they can relate to. But Arief Engineers is providing the right atmoshphere to young women engineers, so they may learn, grow and contribute the optimum in nation building. General Manager Amit Mallick said “ Kandaghat site is not the exception, at every site of Arief Engineers the role of women is no less."
Chandra Shekhar Azad was born on July 23, 1906, in Bhavra, Madhya Pradesh. Azad was a daring freedom fighter and a fearless revolutionary. In his early age he was the part of non cooperation movement but after suspension of the non-cooperation movement by Gandhi Ji in 1922, Azad became more aggressive. He joined Ram Prasad Bismil who had formed the Hindustan Republican Association (HRA), a revolutionary organisation. Today is the 113th birth aniversary of Indian Freedom Fighter Chandrashekhar Azad. Chandra Shekhar Azad was popularly known as Azad. After the massacre of the Jallianwala Bagh which took place in 1919 , he decided to join the Non-Cooperation movement led by Mahatma Gandhi in 1920. Azad was just 15 years old when he was arrested for the first time for joining Gandhi's Non-Cooperation Movement. When Azad was produced before a judge, he gave his name as 'Azad', father's name as 'Swatantrata' (independence) and residence as 'Jail'. Azad was the chief strategist of the Hindustan Socialist Republican Association (HSRA). He executed Kakori Train robbery in 1925 and the killing of the assistant superintendent Saunders in 1928. Azad had made a pledge that the police will never capture him alive. After the death of Lala Lajpat Rai, Bhagat Singh also joined Azad to fight against British. On February 27, 1931, betrayed by one of the associates, he was besieged by the British police in Alfred Park, Allahabad. He fought valiantly but seeing no other way he shot himself with last bullet left and fulfilled his resolve to die a 'free man'.
An Indian-origin stand-up comedian died on stage due to high level of anxiety while performing his act in front of a packed audience in Dubai. According to information Manjunath Naidu, 36, suffered a cardiac arrest while performing his routine on stage on Friday. Audience thought it was part of the act. They took it as a joke as he was talking about anxiety and then collapsed and passed away.
Delhi Congress President and Ex Chief Minister Sheela Dixit is no more. The three time Delhi Chief Minister, was admitted in Escorts Hospital Delhi after major heart attack. She was 81 years old.
Today is the 192 th birth aniversary of Mangal Pandey, the hero of revolt of 1857. Read to know more about Mangla Pandey and to know how he initiated the flame of Indian freedom struggle. Mangal Pandey was born in the year 1827. Mangal Pandey was born in a Brahmin family in Nagwa, a village of upper Ballia district, Uttar Pradesh. When he was 18, he witnessed a column of sepoy infantry on march, which propelled him to join the company. He joined the East India Company army in 1849. In 1856, greased cartridge production was initiated in Calcutta (Kolkata) Rumours had been taking rounds that the English cartridges were greased with cow fat. This further sparked during a fight, when a low-caste sepoy taunted a high-caste sepoy for 'losing his caste' after biting the cartridge as they were greased with the fat of pigs and cows Mangal Pandey led a group of Indian soldiers to refuse the use of this cartridge. On March 29, 1857, 29-year-old Mangal Pandey declared that he would rebel against his commanders at Calcutta's Barrackpore parade ground. Pandey attacked his British sergeant, Lieutenant Baugh Surrounded by guards and European Officers, he tried to commit suicide by shooting himself and was seriously wounded. He was court-martialled on April 6, and hanged at Barrackpore on April 8, 1857. After this revolt, the East India Company was brought under the direct rule of the British Crown.
The Supreme Court fixed the next hearing of Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land title case on August 2. The court will pass further orders on August 2, the next date of hearing. Meanwhile, the mediation process will continue till July 31. The Supreme court will hear the case in an open court on August 2. Earlier on July 11, the Supreme Court had asked the three-member mediation panel to submit its status report by July 18. The mediation panel comprise former Supreme Court judge FMI Kalifulla, spiritual guru and founder of Art of Living foundation Sri Sri Ravishankar and senior advocate Sriram Panchu, a renowned mediator. They were tasked to find an amicable solution to the Ayodhya Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land title dispute.
A four-storey building on Tuesday collapsed in the Dongri area of Mumbai. According to early reports, 40 people are feared trapped under the debris. Till now 12 people declared dead in the incident. NDRF is taking care of rescue operation. Similar accident took place in Solan on Sunday in which 14 people were killed including 13 Army personnel.
Highlights:- 42 people were trapped. 14 Killed in the incident including 13 Army Personnels. 28 rescued safe or injured. Chief Minister Jayram Thakur ordered enquiry. SDM, Solan to submit report in 15 days. NDRF, Army, Homeguards, Police and local organisations helped in rescue. 20 k Immediate relief to family of dead, 10 k to seriously injured and 5 k to other injured. 4 Lakh compensation to be provided to family of dead by state government.
Rescue efforts to bring out survivors from under the rubble went on all of Sunday night and into Monday morning. Till now six Army personnel and one civilian reported dead in this tragic incident. 28 people rescued till Monday morning including 17 Army Personnel and 11 civilians. As per the information seven Army personnel are still feared trapped Search and rescue operation is expected to be completed by Monday afternoon. FIR has been lodged against building owner.The building was constructed in 2009. Army started the rescue, later it was taken over by National Disasnse Force (NDRF). Building collapsed around 4 PM on Sunday afternoon and NDRF reached around 7 PM. There was a Mock Drill on July 12 , still NDRF took about three hours to reach the collapse venue. It a a big question on state's preparedness to counter such tragic situations. Army rescued more than 20 people before arrival of NDRF otherwise casualties may have been much more.
The countdown for the launch of India's most ambitious space mission, began. Chandrayaan-2 mission aims to place a robotic rover on the moon, near the unexplored south pole as it holds the maximum promise for presence of water as well as of fossil footprints. Chandrayaan 2 will be launched on Monday at 2:51 am from India's only space port at Sriharikota in Andhra Pradesh. The mission is very important for ISRO as after the success of this mission India will become the fourth nation to soft-land a spacecraft on the lunar surface after the US, Russia and China. Earlier in year 2008, with the budget of 450 crores India launched Chandrayaan-1 mission which was an orbiter. President Ram Nath Kovind will himself witness the midnight live launch. ISRO will use its most powerful rocket launcher, GSLV Mk III, to carry the 3.8 tonne Chandrayaan-2 into orbit. The entire mission has a life of one year. Chandrayaan 2 will ultimately head close to the South Pole of the moon for a soft landing after spending nearly two months on its long 3. 84 lakh km journey. One thousand crore Chandrayaan-2 mission will carry a 1.4 tonne lander Vikram. The space agency’s most ambitious mission till date is aimed at landing a rover
Project comprises of 170 steel bridges including Himachal’s First Steel Arch Bridge Till now, Arief Engineers has managed to avoid long traffic jams The four-lane work of the 22.91 kilometre stretch of the National Highway from Solan to Kaithlighat seems on track. This work was awarded to Arief Engineers for 598 crores, who has the reputation of delivering quality work. The work was started on November 9, 2018, and the target is to complete this work within 910 days. In these nine months, the company has delivered quite satisfactorily and unlike Parwanoo-Solan patch, the company managed to avoid long traffic jams and hurdles, in spite of the cutting work going on. Arief Engineers believes that steel is the future and the same is reflected on Solan to Kaithlighat four-lane project. Out of total 22.91 km stretch, 1.610 km area has to be covered by the construction of steel bridges, including Himachal’s first Steel Arch Bridge. While moving from Chambaghat to Kaithlighat, the first steel bridge is proposed at initiation point, i.e., at Chambaghat only. Here one-kilometre long ROB (Railway Over Bridge) is proposed. Approx. ten thousand tons of steel has to be used in constructing this bridge. Next steel bridge is proposed near Mohan Meakin which is 152 meters long. After moving a few kilometres from here, another bridge of 170 metres is proposed near Shivalaya. Here the First Steel Arch bridge of Himachal Pradesh is going to be built. According to Amit Mallick, General Manager at Airef Engineers “This bridge would be a state of the art bridge, not only in Himachal Pradesh but in whole India.” Next steel bridge in proposed to be built near Kandaghat Petrol Pump. It would be a 390-metre long bridge to be built parallel to the existing road. From 240 metres away from the end point of this bridge towards Shimla, 500 meters long tunnel will start. As claimed by the Arief Engineers, 50 meter trench of this tunnel has been already completed. Next major proposed bridges are 40-meter long steel bridge at Kuarag, 20-metre long bridge near Waknaghat and Railway Over Bridge at Kaithlighat. “Overall 170 small steel bridges are going to be constructed between Solan to Kaithlighat,” Amit Mallick shared. The Experience of Mallick is working out… The General Manager of Arief Engineers, Amit Mallick is a highly experienced civil engineer. He contributed in building India’s two prominent steel bridges, 4.93 kilometre long steel bridge on River Brahmaputra in Assam and 4.50 kilometre steel bridge on River Ganga in Patna. The ongoing smooth construction shows that his experience is benefitting the four-lane work of Chambaghat to Kaithlighat patch of Kalka-Shimla NH. In conversation with First Verdict, Mallick shared that till now about 100 crores have been spent on the construction. He said, “The steel is the future of construction, not concrete.” According to him “The cost of constructing steel bridges is about 30 percent more than concrete but the life is also much more than concrete construction.”
State Bank of India, the country’s largest bank has waived charges on immediate payment services and real -time gross settlement (RTGS) transactions through internet and mobile banking. It is applicable with effect from July 1, 2019. This is not all, the bank has also decided not to charge any fee on fund transfer through mobile phones using immediate payment service (IMPS) w.e.f August 1, 2019. With a market share of around 25 percent, SBI is the India’s largest bank. At the end of FY 2018-19, the SBI has customers using internet banking were more than six crore customers and those who were availing mobile banking facility were around 1.41 crores. The bank’s decision to abolish charges on using internet and mobile banking will benefit million of customers. The bank has taken this decision after receiving guidelines from RBI to promote digital transactions.
After the resignation of Rahul Gandhi speculations are on for his successors for the post of Congress supreme. The prominent names in the race are dalit leader Sushil Kumar Shinde, Mallikarjun Kharge, Rajasthan CM Ashok Gehlot, Deputy CM Sachin Pilot, Young leader Jyotiradity Sindhiya and Anand Sharma. Rahul Gandhi resigned on Wednesday, as he failed to perform in Parliament Elections 2019. The question is if performance is really the criteria in Congress then how should a non performer may replace another non performer. If we see the performance of hot prospects for next president of grand old party than we hardly find any one satisfactory. Sushil Kumar Shinde lost 2019 loksabha election from Solapur by margin of 1,58,608 votes. Mallikajun Kharge suffered first electoral defeat in his career and lost by margin of 95,452 votes.Known as the Gandhi of Marwar, Rajasthan CM Ashok Gehlot also failed to perform in loksabha elections. Congress lost all 25 seats including the Jodhpur seat from where son of Ashok Gehlot was the party candidate. The pair of Gehlot and his deputy Pilot failed drastically in loksabha elections. The case of Jyotiradity Sidhia is no differ, he lost his own seat and performed defective. As far as Anand Sharma is concerned as usual he was not the candidate but congress delivered awful in his home state Himachal Pradesh. The point is, CWC will select a president or a representative of Gandhi family? As far as performance is concerned besides Kerala Congress only performed well in Punjab under the leadership of Captain Amrinder Singh. Why not captain can be a captain of congress? It is the point to think.