भाई दूज का त्यौहार हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तारीख को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक भाई दूज हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती है। ऐसे में इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनके हाथ पर मौली बांधती हैं। इसके साथ ही बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए भी कामना करती हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भाई दूज के दिन पर जो भाई अपनी बहन से तिलक लगवाता है उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होती है। आचार्य रमेश कुमार का कहना है कि, 'भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर को मनाया जाएगा और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को रात 8:22 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 3 नवंबर को रात 11:06 पर होगा। भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:10 मिनट से लेकर दोपहर 3:22 तक रहेगा। ऐसे में 2 घंटे 12 मिनट का मुहूर्त तिलक लगाने के लिए काफी शुभ है। आचार्य रमेश कुमार ने कहा कि, 'बहनों को अपने भाई के तिलक और आरती के लिए थाली तैयार करनी चाहिए। तिलक से पहले चावल के मिश्रण से एक चौकी बनानी चाहिए और उस चौकी पर भाई को बैठाकर शुभ मुहूर्त में उसका तिलक करना चाहिए। तिलक के बाद बहन अपने भाई को सुपारी, पान, बताशे फूल आदि देकर उसकी आरती उतारे। तिलक और आरती होने के बाद भाई भी अपनी बहन को उपहार दे और उसकी रक्षा का वचन दे। आचार्य रमेश कुमार शर्मा का कहना है कि, 'भाई दूज को लेकर पौराणिक मान्यता के अनुसार यमुना ने अपने भाई यमराज की लंबी उम्र के लिए व्रत किया था और यमराज ने भी इसी दिन अपनी बहन को दर्शन दिए थे। शास्त्रों के अनुसार यमुना अपने भाई से मिलने के लिए काफी व्याकुल थी और द्वितीय तिथि के दिन ही यमराज अपनी बहन से मिलने आए थे। इसलिए यमुना ने अपने भाई की बहुत आव भगत की थी। वहीं, यमराज ने भी प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि अगर इस दिन कोई भी भाई-बहन एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे, तो उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी। इसके अलावा यमुना ने अपने भाई से वचन लिया था कि आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए. भाई दूज पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनों के द्वारा व्रत भी रखा जाता है। वहीं इसी दिन यमराज के साथ-साथ चित्रगुप्त की भी उपासना की जाती है।
हिमाचल प्रदेश में 123 सालों में तीसरी बार अक्टूबर महीना सबसे सूखा रहा। इस साल अक्टूबर महीने में 97 प्रतिशत कम बारिश दर्ज हुई है। मौसम विभाग शिमला के मुताबिक प्रदेश में सामान्य 25.1 मिमी बारिश के मुकाबले 0.7 मिमी बारिश हुई है। ऐसे में बारिश कम होने के चलते अक्टूबर महीने में प्रदेशभर में सूखा छाया रहा। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर के महीने में हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, कुल्लू और चंबा में 100 प्रतिशत कम बारिश हुई, यानी की यहां पर बारिश हुई ही नहीं है। इसके अलावा अक्टूबर महीने में लाहौल-स्पीति में 99 प्रतिशत, किन्नौर में 98 प्रतिशत, कांगड़ा में 94 प्रतिशत, मंडी में 83 प्रतिशत और ऊना में 54 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मौसम विभाग शिमला के मुताबिक अधिकांश दिनों में कम बारिश के साथ हिमाचल प्रदेश में 1901 के बाद से अक्टूबर के महीने में तीसरी सबसे कम बारिश दर्ज हुई है। अक्टूबर के महीने में सबसे अधिक बारिश 1955 में 413.5 मिमी दर्ज की गई थी। इस बीच, लाहौल-स्पीति के कोकसर में 9 और 10 अक्टूबर को हल्की बर्फबारी हुई। 6 अक्टूबर को प्रदेश के कुछ इलाकों में अच्छी बारिश होने के अलावा ज्यादातर दिनों में प्रदेशभर में मौसम शुष्क रहा। वहीं, मौसम विभाग शिमला ने प्रदेश में अगले सात दिनों तक शुष्क मौसम की भविष्यवाणी की है। यानी की अगले 7 दिनों तक प्रदेश में बारिश नहीं होगी और आसमान साफ रहेगा, जिससे की अधिकतम तापमान में भी वृद्धि हो सकती है।
**बैल पूजन व सास-दामाद दूज भी है परम्परा का अहम हिस्सा सिरमौर जनपद की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परम्पराओं को संजोए रखने के लिए मशहूर गिरिपार क्षेत्र में यूं तो हिंदुओं के कईं त्यौहार अलग अंदाज में मनाए जाते हैं, मगर यहां हफ्ते भर चलने वाली दिवाली और एक दिवाली के एक महीने बाद आने वाली बूढ़ी दिवाली हमेशा चर्चा में रहती है। क्षेत्र में दीपावली से एक दिन पूर्व चौदश से ये त्योहार शुरू होता है और इसके बाद अवांस, पोड़ोई, दूज, तीज व पंचमी आदि नाम से सप्ताह भर चलता है। बीते बुधवार को चौदश से इलाके में त्यौहार शुरू हो चुका है। दीपावली को आज अंवास के नाम से मनाए जाने व लक्ष्मी पूजा के बाद अगले दिन मनाए जाने वाले पोड़ोई पर्व पर क्षेत्र मे बैलों अथवा गोवंश की पूजा कर उन्हें पारम्परिक व्यंजन अथवा पकवान परोसे जाते हैं। इस दौरान इलाके के विभिन्न गांवों में बुड़ेछू लोक नृत्य भी हुआ।
**अक्तूबर माह में दर्ज की 12 फीसदी की वृद्धि ** दिवाली पर हुआ सात हजार करोड़ का कारोबार देवभूमि हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के त्योहारों में खरीदारी को लेकर खूब धनवर्षा हुई है। महापर्व दिवाली के दिन राज्य में लगभग सात हजार करोड़ रुपये कारोबार का अनुमान है, जिससे व्यापारी वर्ग अपनी लागत पर मुनाफा होने से खुशी का अनुभव कर रहे हैं। दिवाली पर व्यापार में आए उछाल का मुख्य कारण राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों को पहले आया वेतन भी बना है। सरकार ने इस बार कर्मचारियों को वेतन 28 और पेंशन 30 अक्तूबर तक बैंक खाते में डाल दी थी। इसके चलते लोगों ने भी दिवाली को खुशी खुशी मनाते हुए बाजार में जमकर खरीदारी की। हिमाचल प्रदेश एक पर्यटन से जुड़ा राज्य है और यहां का अधिकतर व्यापार पर्यटकों की आमद से जुड़ा है, लेकिन त्योहारी पर्व में औद्योगिक हब होने के साथ जिला सोलन बद्दी-बरोटीवाला और ऊना जिला, बड़ा जिला होने के चलते कांगड़ा और राजधानी शिमला अच्छे कारोबार का हब बने हैं। अन्य जिलों में भी दिवाली की रात अच्छे व्यापार की सौगात दुकानदारों को मिली है। बाजार में लोगों ने खरीदारी कर खूब धन वर्षा की। हिमाचल प्रदेश व्यापार मंडल के प्रदेशाध्यक्ष सोमेश शर्मा ने बताया कि दिवाली दो दिन की असमंजस को लेकर इस बार लोगों की खरीदारी दो भागों में विभाजित रही। दिवाली पर्व पर लगभग सात हजार करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है। हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने 30 अक्तूबर को रिकार्ड 2.92 करोड़ कमाई की है। दिवाली के दिन भी निगम ने 2.72 करोड़ रुपये कमाए। सामान्य दिनों में रोजाना एचआरटीसी औसतन 2.3 करोड़ कमाई करता है। 30 अक्तूबर को निगम ने सामान्य के मुकाबले करीब 90 लाख और दिवाली के दिन 31 अक्तूबर को 70 लाख रुपये अधिक कमाई की है। दिवाली पर एचआरटीसी ने यात्रियों की सुविधा के लिए करीब 200 अतिरिक्त बसों का संचालन किया। पूरे अक्तूबर में एचआरटीसी ने कुल 76.53 करोड़ आय अर्जित की है जो बीते साल से 12 फीसदी अधिक है। बीते साल अक्तूबर में निगम ने 68.49 करोड़ कमाए थे। इस वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में एचआरटीसी ने 519 करोड़ कमाई की है जबकि बीते वर्ष पहले सात महीनों में 456 करोड़ आय हुई थी। बीते साल के मुकाबले इस साल पहले सात महीनों में करीब 63 करोड़ अधिक कमाई की है। निगम की कमाई कोविड पूर्व की स्थिति से भी बेहतर है। वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 7 महीनों में निगम ने 503 करोड़ कमाए थे, इस साल 16 लाख अधिक कमाई की है। एचआरटीसी के प्रबंध निदेशक रोहनचंद ठाकुर ने बताया कि कर्मचारियों की मेहनत से निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार हो रहा है। बीते एक साल में निगम की कमाई करीब 14 फीसदी बढ़ी है। दिवाली पर 30 और 31 अक्तूबर को दो दिन में ही निगम ने 5.64 करोड़ रुपये कमाए हैं।
हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग ने शुक्रवार को राज्य में 600 किलोमीटर तक फैली प्रमुख नदियों और उनकी सहायक नदियों में ट्राउट मछली पकड़ने पर चार महीने का प्रतिबंध लगा दिया। प्रदेश में ट्राउट के लिए अनुकूल ठंडे क्षेत्रों की नदियों और उनके सहायक नदी नालों में 1 नवंबर से 28 फरवरी 2025 तक मछली पकड़ने पर प्रतिबंध रहेगा। हालांकि सरकारी ट्राउट मछली फार्म और निजी फार्मों/रेसवेज से ट्राउट मछली की बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। प्रतिबंध केवल ट्राउट जलाशयों, नदियों/नालों में खेल मछली पकड़ने पर लागू होगा। इन चार माह में इन जलाशयों में ट्राउट मछली प्रजनन अच्छे से हो इसके लिए प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें शिमला जिले में गांव महला से गांव हाटकोटी तक पब्बर नदी, ब्यास नदी और इसकी सहायक नदियां, कुल्लू में सरवरी नाला जलधारा सहित इसके स्रोत से सरवरी नाला के साथ इसके संगम तक, कुल्लू में पार्वती, गडसा नदियां, इनकी सहायक नदियां, कुल्लू में सैंज नदी व इसकी सहायक नदियां, कुल्लू, मंडी जिले में ब्यास नदी के साथ इसके संगम के ऊपर तीर्थन नदी व इसकी सहायक नदियां शामिल हैं। बरोट में संतुलित जलाशय, पोषित जलमार्गों सहित मंडी, कांगड़ा जिले में ऊहल नदी और इसकी सहायक नदियां, चंबा में चाकोली पुल के नालों पर सम्पूर्ण भंडाल नाला, इसके सहायक नाले, किन्नौर में सतलुज नदी में बास्पा नदी, भाबा नाले और चिस्सो धाराएं इस प्रतिबंध क्षेत्र में शामिल हैं। कांगड़ा में मैंझा पुल के नालों पर न्यूगल नाला और इसके सहायक नाले, टिक्कर डोली में सस्पेंशन पुल के नाले पर बनेर खड्ड का दस किलोमीटर का विस्तार क्षेत्र, कुल्लू जिले में सतलुज नदी प्रणाली में कुर्पण धारा और इसकी सहायक धाराओं के क्षेत्र पर भी अधिसूचना लागू होगी।उधर, ठंडे जल क्षेत्रों में तैनात मत्स्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के बद्दी शहर में दिवाली की रात एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खराब हो गया। बद्दी का AQI लेवल 316 माइक्रो ग्राम पहुंच गया। बद्दी में इस साल की हवा का यह सबसे दूषित स्तर है। दिवाली के बाद शुक्रवार को दिल्ली से हिमाचल प्रदेश तक हवा की सेहत बेहद खराब रही। दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का प्रतिबंध भी बेअसर रहा। दिल्ली में 362 एक्यूआई के साथ हवा बहुत खराब श्रेणी में रही। यह बीते तीन वर्षों में दिल्ली के लिए सबसे प्रदूषित दिवाली थी। यही नहीं, दिल्ली शुक्रवार को विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर रही। हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी, बरोटीवाला व नालागढ़ से लेकर पहाड़ों की रानी शिमला तक प्रदूषण बढ़ गया है।बद्दी में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 296 तक पहुंच गया। यह खतरनाक श्रेणी में आता है। स्वच्छ आबोहवा के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध राजधानी शिमला में भी एएक्यूआई 92 दर्ज किया गया। 27 अक्तूबर को यह 31 था। शुक्रवार को बिलासपुर में एएक्यूआई 189 रहा। प्रदेश के कई क्षेत्रों में एक नवंबर को भी दिवाली मनाई गई। इससे हिमाचल के विभिन्न इलाकों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है। हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। इसके आधिकारिक आंकड़े शनिवार तक जारी हो सकते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिवाली पर दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 330 दर्ज किया गया, जबकि 2023 में यह 218 और 2022 में 312 था। वहीं, उत्तर प्रदेश के संभल में शुक्रवार को एक्यूआई 318 और मुरादाबाद में 301 दर्ज किया गया। आगरा में भी धुंध छायी रही। दिल्ली के 39 निगरानी स्टेशनों में से 37 केंद्रों ने वायु गुणवत्ता को बहुत खराब श्रेणी में बताया।
हिमाचल के प्लानिंग और स्पेशल एरिया के पहाड़ी क्षेत्रों में अब नेशनल हाईवे से एक मीटर नीचे भवनों का निर्माण होगा। सरकार ने हिमाचल में वैली व्यू को बचाने के लिए यह फैसला लिया है। नियम मैदानी इलाकों में लागू नहीं होंगे। पहाड़ी क्षेत्रों में भी उन जगह पर नियम लागू किया जाएगा, जहां पहाड़ और हर भरे पेड़ होंगे। हिमाचल में देश-विदेश के पर्यटक पहाड़ों और हरी भरी वादियों को निहारने आते हैं, ऐसे में सरकार की ओर से प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। सड़क के ऊपरी किनारे में नियम लागू नहीं होगा। हिमाचल में 60 प्लानिंग और 36 स्पेशल एरिया हैं। सरकार ने एरिया के अधिकारियों को वैली व्यू की पहचान करके सरकार को रिपोर्ट देने को कहा गया है। दिसंबर तक एरिया नोटिफाई हो जाएंगे। इससे पहले नेशनल हाईवे से डेढ़ मीटर ऊंचे मकान बनाने की अनुमति थी। इससे भी वैली व्यू खराब हो रहा है। इसके चलते अब सरकार ने सड़क से एक मीटर नीचे भवन निर्माण के लिए मंजूरी देने का फैसला किया है। वैली व्यू का प्रावधान सुंदर दृश्यों की सुरक्षा और प्राकृतिक परिदृश्य को बनाए रखने के लिए निर्धारित किया गया है, जो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के सौंदर्य और पर्यावरणीय मूल्य में योगदान दे सकता है। हिमाचल में जहां से एनएच गुजरते हैं, वहां नियम लागू होगा। ऐसे एरिया की पहचान की जा रही है।
दिवाली पर्व पर हिमाचल पथ परिवहन निगम(एचआरटीसी) बसों की भारी डिमांड के मद्देनजर एचआरटीसी प्रबंधन ने यात्रियों की सुविधा के लिए ऑन डिमांड अतिरिक्त बसें चलाने का फैसला लिया है। आज यानि 30 अक्तूबर को शिमला, चंडीगढ़ और दिल्ली सहित अन्य बड़े बस अड्डों पर एक रूट पर 40 से अधिक यात्रियों की मांग पर एक स्पेशल बस चलाने का फैसला लिया गया है। यह बसें पूर्व निर्धारित बसों से अतिरिक्त होंगी।दिवाली पर्व के चलते मंगलवार को भी निगम की बसों में भारी भीड़ रही। एचआरटीसी ने विभिन्न रूटों पर करीब 115 अतिरिक्त बसों का संचालन किया। उधर, एचआरटीसी के मंडलीय प्रबंधक यातायात देवासेन नेगी ने बताया कि मंगलवार को करीब 115 अतिरिक्त बसें चलाई गई हैं, बुधवार को 40 से अधिक सवारियों के होने पर ऑन डिमांड स्पेशल बसें चलाई जा रहीं। किसी भी सूरत में दिवाली पर यात्रियों को बसों की किल्लत पेश नहीं आने दी जाएगी। हिमाचल पथ परिवहन निगम दिवाली पर 31 अक्तूबर को शाम 5:00 बजे के बाद स्थानीय बसें संचालित नहीं की करेगा। शाम 5: 00 बजे के बाद प्रस्थान करने वाली बस सेवाओं को इस प्रकार चलाया जाएगा कि अंतिम बस शाम पांच बजे प्रस्थान करे। वहीं, लंबी दूरी की अधिकतर बस सेवाओं को एक साथ जोड़ा जा सकता है। इन लंबे रूटों की सेवाओं को 31 अक्तूबर को इस तरह से चलाया जाएगा कि जनता को सुविधा मिल सके और यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि बसें खाली न चलें। दिल्ली, चंडीगढ़, हरिद्वार और शिमला के लिए कम से कम एक रात्रि सेवा मंडल प्रबंधक यह सुनिश्चित करेंगे कि महत्वपूर्ण स्थानों से दिल्ली, चंडीगढ़, हरिद्वार और शिमला के लिए कम से कम एक रात्रि सेवा उपलब्ध हो। 31 अक्टूबर की शाम से 1 नवंबर की सुबह तक सीमित/संक्षिप्त परिचालन को तत्काल बहाल किया जाएगा। इस संबंध में एचआरटीसी के महाप्रबंधक पंकज सिंघल की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में 4 दिसंबर को निजी और सरकारी स्कूलों में परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण सर्वे होगा। इसके लिए जिला स्तर पर मास्टर ट्रेनर तैयार कर दिए हैं। इसमें प्रदेश भर के सभी डाइट प्रधानाचार्य और उपनिदेशक गुणवत्ता नियंत्रण को शामिल किया गया। संबंधित मास्टर ट्रेनर को लिए एससीईआरटी सोलन में सोमवार को कार्यशाला हुई। इसमें प्रदेश भर से 52 मास्टर ट्रेनर ने भाग लिया। कार्यशाला का शुभारंभ एससीईआरटी प्रिसिंपल हेमंत कुमार ने किया। परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण सर्वे की प्रदेश समन्वयक सुनिता कुमारी ने बताया कि कार्यशाला में एनसीईआरटी से डॉ. गुलफाम ने प्रदेश भर से आए डाइट प्रधानाचार्य और उपनिदेशक गुणवत्ता नियंत्रण को सर्वे के संबंध में प्रशिक्षण दिया। यह मास्टर ट्रेनर अपने जिलों में जिला की एक टीम गठित करेंगे। जिसमें जेबीटी और बीएड प्रशिक्षुओं को भी निरीक्षण के लिए शामिल किया जाएगा। इस निरीक्षण से पहले संबंधित प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। यह फील्ड टीमें चयनित स्कूलों में जाकर एनसीईआरटी और परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण सर्वे की ओर से जारी पाठ्य सामग्री के संबंध में गणित और भाषा विषय का सर्वे करेगी। इस परीक्षा के परिणाम के आधार पर परख उसे अपनी शिक्षा नीतियों में शामिल करेंगी। राष्ट्र स्तर पर एनसीईआरटी और प्रदेश स्तर पर इसे एससीईआरटी की ओर से समन्वयक किया जा रहा है। जबकि जिला स्तर पर इसे डाइट, शिक्षा उपनिदेशक को शामिल किया गया है। जबकि खंड स्तर पर इसकी निगरानी खंड शिक्षा अधिकारी भी करेंगे।
हिमाचल बागवानी विभाग में बागवानी विकास परियोजना के तहत कार्यरत 500 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों का रोजगार छिनने की कगार पर पहुंच गया है। विश्व बैंक की 1134 करोड़ से वित्त पोषित परियोजना-2016 में सूबे के विभिन्न जिलों से सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता, ड्राफ्ट्समैन, सर्वेयर, फैसिलिटेटर, तकनीकी फैसलिटेटर, फार्म प्रबंधक, सहायक फार्म प्रबंधक, प्रबंधन सहायक लेखाकार और अन्य कर्मचारी कार्यरत हैं। इनका करार 31 अक्तूबर को समाप्त हो जाएगा। ऐसे में 500 से अधिक कर्मचारी आठ साल की सेवाओं के बाद बेरोजगार हो जाएंगे। इन कर्मचारियों की नियुुक्ति बागवानी विकास सोसायटी के तहत हुई थी। हिमाचल बागवानी विकास परियोजना कर्मचारी संघ के सदस्य कार्तिक, पंकज, अनिल, कमल, विनीत शर्मा, विनोद, अमित ने कहा कि संघ लगातार प्रदेश सरकार और विभाग से विश्व बैंक की वित्त पोषित परियोजना में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थायी रोजगार के लिए नीति बनाने की मांग कर रहा है। बागवानी विकास परियोजना का करार समाप्त होने से कार्यरत 260 अनुबंध आधार, 230 आउटसोर्स और 22 से अधिक पुनर्नियुक्ति पर सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों का रोजगार छिन जाएगा। उन्होंने सरकार और विभाग से स्थायी नीति बनाने की मांग करते हुए रोजगार को सुरक्षित करने की मांग उठाई है। इस संबंध में बागवानी विकास परियोजना के परियोजना निदेशक सुदेश कुमार मोख्टा ने कहा कि विश्व बैंक की ओर से 1134 करोड़ से वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना-2016 के सभी कार्य पूर्ण हो गए हैं। अब इसके लिए कोई बजट नहीं आएगा। कहा कि 31 अक्तूबर को बागवानी विकास परियोजना का करार समाप्त हो जाएगा।
हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रतिनिधियों की बैठक हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला के सचिव डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में परिषद की ओर से शिक्षा एवं गुणवत्ता पर विभिन्न विषयों पर सार्थक चर्चा हुई। संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. मनोज शैल ने बताया कि परिषद ने 21 सूत्रीय मांगपत्र शिक्षा बोर्ड को दिया था। इसमें एक-एक विषय पर विमर्श के साथ चर्चा की गई। कक्षा छठी से संस्कृत की नवीन पुस्तक को नए सत्र से शुरू करने पर सचिव ने कहा कि एनसीईआरटी की ओर से निर्मित नवीन पाठ्यपुस्तक कक्षा छठी से वर्ष 2026 से आरंभ की जाएगी। बोर्ड सचिव ने बताया कि कक्षा छठी के लिए कुछ विषयों की पुस्तकें तैयार कर ली गई हैं, जबकि कुछ पुस्तकें तैयार हो रही हैं। इन पुस्तकों को 2026 से ही पढ़ाया जाएगा। कक्षा छठी से आठवीं तक संस्कृत व्याकरण की पुस्तक लगाने के लिए शिक्षा बोर्ड सचिव ने स्वीकृति प्रदान की। उन्होंने कहा कि यद्यपि एनसीईआरटी की तरफ से पुस्तक निर्धारित नहीं है लेकिन विद्यार्थियों को इसकी आवश्यकता है। इसको देखते हुए बोर्ड इसे अपने स्तर पर तैयार करेगा। इसके लिए सचिव ने परिषद को जल्द प्रारूप बनाकर भेजने को कहा। परिषद ने आग्रह किया कि विभिन्न कक्षाओं में प्रश्नपत्रों में अनुवाद के कुछ व्यवहारिक वाक्य शामिल किए जाएं ताकि छात्र भाषा के व्यवहारिक पक्ष में भी निपुण बन सकें। इसके लिए भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की। परिषद ने सचिव से पुस्तकों की पाठन शैली के प्रशिक्षण के संदर्भ में पाठ्यक्रम विभाजन एवं प्रश्नपत्र निर्माण पर शिक्षकों का प्रशिक्षण करवाने का प्रस्ताव रखा। इस पर भी सचिव ने सभी शिक्षकों का ऑनलाइन प्रशिक्षण भी करवाने की स्वीकृति प्रदान की। परिषद ने प्रस्ताव रखा कि कक्षा 11वीं व 12वीं के पाठ्यक्रम विभाजन व उसमें व्याकरण का समरूप समायोजन किया जाना भी आवश्यक है। इसकी स्वीकृति भी बोर्ड सचिव ने प्रदान की। बैठक में परिषद ने मांग रखी कि कक्षा छठी से अष्टमी तक हिन्दी व्याकरण की एक पुस्तक है। लेकिन उसमें कक्षानुसार पाठ्यक्रम विभाजन नहीं है। इसे देखते हुए आवश्यक संशोधन कर कक्षानुसार छठी, सातवीं, आठवीं के लिए अलग-अगल निर्धारण किया जाए। जैसा कि अंग्रेजी के व्याकरण की पुस्तक में निर्धारित है। इसके साथ कक्षा नाैवीं व 10वीं तक हिंदी व्याकरण की एक पुस्तक है। लेकिन उसमें कक्षानुसार पाठ्यक्रम विभाजन नहीं है। इसमें भी आवश्यक संशोधन कर कक्षानुसार अलग-अलग निर्धारण किया जाए। इस पर भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की। परिषद ने कहा कि कक्षा छठी से आठवीं तक हिमाचल की लोक संस्कृति और योग पुस्तक में बहुत संशोधन की आवश्यकता है। इसमें दी गई सामग्री में हिमाचल के इतिहास एवं संस्कृति की वास्तविकता अनुसार जानकारी को समायोजित किया जाना आवश्यक है। शीर्षक के अनुसार विषयों का सही समावेश तथा उचित अभ्यास कार्य जोड़ने की आवश्यकता है। इसके साथ योग विषय को उसमें दिए गए मंत्रों को शुद्ध रूप से जोड़ने तथा उनके वास्तविक अर्थ तथा भाव को समायोजित करने की आवश्यकता है। इस विषय पर भी सचिव ने स्वीकृति प्रदान की और यथाशीघ्र आवश्यक संशोधन बोर्ड को देने के लिए कहा। बैठक में परिषद ने प्रस्ताव रखा कि कक्षा नाैवीं व दसवीं के प्रश्नपत्र में आवश्यक संशोधन किया जाए। प्रश्नपत्र में पाठ्य-पुस्तकों को भी महत्त्व दिया जाए। क्योंकि प्रश्नपत्र में पाठ्यपुस्तक से समावेश कम हो रहा है। न्यूनतम 40 प्रतिशत पाठ्यपुस्तक से 40 प्रतिशत व्याकरण भाग एवं 20 प्रतिशत अपठित भाग का समावेश प्रश्नपत्र में हो। इस पर भी सचिव ने समीक्षा करने के बाद निर्णय लेने का आश्वासन दिया। पाठ्यपुस्तकों में द्रष्टव्य अशुद्धियों के संदर्भ में बोर्ड सचिव ने बताया कि यह कार्य एनसीईआरटी के अधिकार क्षेत्र में है। एक बार उनकी वेबसाइट पर प्राप्त पुस्तक को देखें। यदि वहां भी अशुद्धि है तब इस विषय में उनसे बात की जाएगी। यदि बोर्ड स्तर पर ही अशुद्धि है तब उसे ठीक कर लिया जाएगा। बैठक में अकादमी अधिकारी शालिनी, सहायक सचिव, अनुभाग अधिकारी एवं अन्य अधिकारियों के साथ परिषद् के महासचिव डॉ. अमित शर्मा, उपाध्यक्ष राकेश शर्मा, आईटी सचिव डॉ. विवेक शर्मा, कांगड़ा के अध्यक्ष डॉ. अमनदीप शर्मा, मंडी अध्यक्ष लोकपाल, बिलासपुर के महासचिव डॉ. जितेंद्र कुमार सहित 15 प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
हिमाचल प्रदेश के बाजारों में धनतेरस पर खरीदारी के लिए लोग उमड़ पड़े हैं। राजधानी शिमला सहित अन्य बाजारों में लोगों की भीड़ है। कुल्लू के ढालपुर मैदान में सजी अस्थायी मार्केट में धनतेरस के मौके पर मंगलवार को खरीदारी के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। बाजार में लोगों ने गर्म कपड़ों के साथ अन्य सामान की खरीदारी की। इस बार अस्थायी बाजार के व्यापारियों को 7 नवंबर तक के व्यापार करने के लिए समय दिया गया है, ऐसे में व्यापारियों को बेहतर कारोबार होने की उम्मीद है। दुकानदार रवि ने कहा कि आधा स्टॉक बचने के चलते अब सामान भी सस्ता कर दिया गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार धनतेरस पर खरीदारी बेहद शुभ होने वाली है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि मंगलवार को धनतेरस के रूप में मनाई जाएगी। धन त्रयोदश के दिन प्रदोष काल यानि सूर्य अस्त और रात्रि की संधि के समय त्रिपुष्कर योग बन रहा है। ऐसे में प्रदोष काल शाम 6:38 बजे से 8:24 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी और कुबेर का पूजन करने से शुभ फल मिलेगा। धनतेरस पर बर्तन, सोना, चांदी, वाहन, तांबे के बर्तन की खरीदारी करना शुभ रहेगा। खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त सुबह 10:32 से दोपहर 1:30 बजे तक रहेगा। दोपहर 2:51 से शाम 4:14 बजे तक रहेगा राहुकाल। राहुकाल के बाद खरीदारी करना शुभ है। त्रयोदशी तिथि बुधवार दोपहर 1:14 बजे तक रहने पर खरीदारी की जा सकती है।
हिमाचल प्रदेश में विंटर सीजन के लिए सैलानियों की आवभगत की तैयारियां शुरू हो गई हैं। समर सीजन के बाद होटल कारोबार को पटरी पर लाने के लिए राज्य पर्यटन विकास निगम ने अपने होटलों में ठहरने पर 10 से 40 फीसदी तक डिस्काउंट देने का फैसला लिया है। इसमें काजा के स्पीति, सुंदरनगर के सुकेत और शिमला के विल्ली पार्क होटल को छोड़कर निगम के सभी होटलों में यह सुविधा दी गई है। पर्यटकों के लिए होटलों में यह छूट 1 नवंबर से 20 दिसंबर तक रहेगी। अक्तूबर में निगम के होटलों में ऑक्यूपेंसी 25 फीसदी से बढ़कर 35 फीसदी तक हो गई है। पर्यटन निगम ने प्रदेश के करीब 53 होटलों में छूट देने का फैसला लिया है। शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी, कसौली और चंबा सहित प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में स्थित निगम के होटलों में छूट की सुविधा मिलेगी। कमरों की बुकिंग करवाने के लिए सैलानियों को पर्यटन निगम की वेबसाइट पर सभी होटलों की रेट लिस्ट के साथ जानकारी मिलेगी। निगम ने इस बाबत वेबसाइट को अपडेट कर दिया है। उधर, निगम के महाप्रबंधक अनिल तनेजा ने बताया कि पर्यटकों को 20 दिसंबर तक कमरों की बुकिंग पर 10 से 40 फीसदी छूट दी जा रही है। 11 से 15 नवंबर तक लवी और रेणुका मेले के दौरान होटल बुशैहर रिजेंसी और रेणुकाजी होटल में कोई छूट नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कसौली के रोस कॉमन, होटल नूरपुर, चिंदी के होटल ममलेश्वर, नगर में होटल कुंजम, कुल्लू के सिल्वरमून, नारकंडा के होटल हाटू, डलहौजी के मणिमहेश और गीतांजलि, नालदेहरा के गोल्फ ग्लेड होटल, मनाली के होटल हडिंबा कॉटेज और फागू के एप्पल ब्लॉसम में 30 फीसदी और मनाली के होटल लॉग हट्स में 40 फीसदी तक की छूट दी गई है। इसके अलावा शिमला में होलीडे होम में 25 फीसदी की छूट दी गई है।पर्यटन निगम के होटल हमीर, रोहड़ू के चांशल, चंबा के होटल इरावती, चिंतपूर्णी हाइटस, होटल बघाल, होटल ज्वालाजी, स्वारघाट के हिल टॉप, रामपुर के बुशैहर रिजेंसी, धर्मशाला के कुणाल, होटल शिवालिक, पांवटा साहिब के होटल यमुना, पालमपुर के द न्यूगल होटल, पोंग बांध में कैपिंग स्थल, होटल चंपक, खड़ापत्थर में होटल गिरीगंगा, पालमपुर में होटल टी-बड, चामुंडाजी में यात्री निवास, कसौली में होटल रोमन, धर्मशाला में होटल धौलाधार और कश्मीर हाउस, सराहन में होटल श्रीखंड, जोगिंदरनगर में होटल उहल, खज्जियार के होटल देवधर, बरोग में होटल पाइनवुड, शिमला में होटल पीटरहॉफ, होटल रेणुकाजी, मैक्डोलगंज में होटल क्लब हाउस, राजगढ़ टूरिस्ट इन, भरमौर के होटल गौरीकुंड, केलांग के होटल चंद्रभागा, क्यारीघाट के मेघदूत, चायल के होटल पैलेस, मनाली के होटल रोहतांग मनालसू और कल्पा के किन्नर कैलाश में 20 फीसदी और मैक्लोडगंज में होटल भागसू में 10 फीसदी की छूट दी गई है।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों की अनुबंध सेवाओं को मान्यता देने का निर्णय लिया गया है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कार्यरत याचिकाकर्ता जेबीटी, टीजीटी और सीएंडवी शिक्षकों द्वारा दी गईं अनुबंध सेवाओं को उनके नियमितीकरण के बाद वरिष्ठता और परिणामी लाभों के उद्देश्य में गिना जाएगा। सोमवार को इस बाबत अतिरिक्त सचिव शिक्षा ने निदेशालय को पत्र जारी किया है। शिक्षकों को वरिष्ठता मिलने के बाद वित्तीय लाभ देने को लेकर वित्त विभाग की ओर से अलग से निर्देश जारी किए जाएंगे। ताज मोहम्मद एवं अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य के मामले में उच्च न्यायालय के निर्णय के कार्यान्वयन के संबंध में शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है। राज्य सरकार ने वरिष्ठता और नियमितीकरण पर अन्य लाभों के उद्देश्य से प्रारंभिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों की संविदा सेवाओं को मान्यता देने का निर्णय लिया है। यह निर्णय जेबीटी, टीजीटी और सीएंडवी सहित शिक्षकों की विभिन्न श्रेणियों के लिए हुआ है। हालांकि, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) के परिणाम के साथ-साथ उपलब्ध किसी भी अन्य कानूनी उपाय पर भी यह निर्णय निर्भर करेगा। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं के लिए कोई भी मौद्रिक लाभ हिमाचल प्रदेश वित्त विभाग के निर्देशों की ओर से शासित होगा, जो समान स्थिति वाले कर्मियों के लिए मौजूदा नियमों के साथ संगतता सुनिश्चित करता है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने जून-जुलाई में करवाई गई स्नातकोत्तर कोर्स में 16 पीजी कोर्स के परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए है। विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. श्याम लाल कौशल ने बताया कि घोषित किए गए परिणाम में एमएससी केमिस्ट्री फिजिक्स, बॉटनी, जियोलॉजी, ईवीएस, एमएससी भूगोल, बायो टेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, के दूसरे और चौथे सेमेस्टर के परिणाम घोषित किए है। इसके अलावा एमसीए दूसरे सेमेस्टर, एमएससी मैथ के दूसरे और चौथे सेमेस्टर, एमए हिंदी और संस्कृत दूसरे सेमेस्टर, एमबीए दूसरे सेमेस्टर, एमटीटीएम के दूसरे और चौथे सेमेस्टर, एमबीए आरडी के दूसरे और बैचलर डिग्री बीएचएम के दूसरे और चौथे सेमेस्टर के परिणाम घोषित किए है। परिणाम ऑनलाइन अपलोड कर दिए गए है। इसे छात्र अपने लॉग इन आईडी के माध्यम से देख और डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा इन डिग्री कोर्स के पहले और तीसरे सेमेस्टर की री अपीयर परीक्षा के परिणाम भी घोषित किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश विवि ने बीएफए डिग्री के ऑड सेमेस्टर की परीक्षा के शेड्यूल को जारी कर दिया है। ये परीक्षाएं 6 नवंबर से शुरू होंगी, जो 2 दिसंबर तक संचालित की जाएगी। विवि के परीक्षा नियंत्रक ने इन पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें सेमेस्टर की परीक्षा का विस्तृत शेड्यूल जारी कर विवि की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। छात्र इसे वहां देख सकते है। विश्वविद्यालय के दूरवर्ती शिक्षण संस्थान इक्डोल/ सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजूकेशन ने बीएड जुलाई-2024 के बैच के ऑनलाइन और ऑफलाइन पर्सनल कांटेक्ट प्रोग्राम का शेड्यूल जारी कर दिया है। इसे छात्रों की सुविधा के लिए विवि की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इसमें कोआर्डिनेटर के नाम सहित पीसीपी का ब्यौरा जारी किया गया है।
** शिक्षा विभाग तैयार कर रहा प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में अब सरकार सेवानिवृत्त शिक्षकों की सेवा लेगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देश पर शिक्षा विभाग प्रस्ताव बनाने में जुट गया है। सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति, वेतन, सेवा अवधि को लेकर अधिकारी मंथन कर रहे हैं। दूरदराज स्कूलों में जाने से नियमित शिक्षक गुरेज करते हैं। इस कारण इन क्षेत्रों के अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों के काफी पद रिक्त चल रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई शिक्षकों की कमी के चलते प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार सेवानिवृत्त शिक्षकों को फिर से स्कूलों में पढ़ाने का अवसर देने जा रही है। सूत्रों के अनुसार सेवानिवृत्त शिक्षकों को अनुबंध के तौर पर नियुक्ति दी जाएगी। अनुबंध कब तक रहेगा, इन्हें वेतन कितना मिलेगा, इसको लेकर विधि, कार्मिक और वित्त विभाग के साथ चर्चा चल रही है। नए सत्र से सेवानिवृत्त शिक्षकों को नियुक्तियां दी जा सकती है। नवंबर में शिक्षा विभाग इस बाबत प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजेगा। विभाग के अधिकारियों के अनुसार दूरदराज क्षेत्रों में नियुक्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे जा सकते हैं। स्थानीय सेवानिवृत्त शिक्षकों को नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी। विषय विशेष के शिक्षक अगर अन्य क्षेत्रों में भी सेवाएं देने को तैयार होंंगे, तो उन्हें ऐसे स्कूलों में भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने बीते दिनों डोडरा क्वार के प्रवास में अधिकारियों को प्रस्ताव बनाने को कहा है। हिमाचल में स्कूलों को गोद लेने वाली योजना के तहत सेवानिवृत्त शिक्षक अभी भी इच्छा अनुसार बिना वेतन सेवाएं दे सकते हैं। योजना में विभाग ने यह विशेष प्रावधान किया है। सरकारी स्कूलों में सुधार लाने को स्कूल एडॉप्शन कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसके तहत सभी मंत्री, विधायक, सांसद और अफसर सरकारी स्कूल गोद लेंगे। गोद लेने वालों को मेंटर बनाकर स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं जुटाने और गुणात्मक शिक्षा के लिए भी सहयोग करना होगा। श्रेणी-1 व 2 के राजपत्रित अधिकारी जैसे उपायुक्त, एसपी, वन मंडलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उपमंडलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी व पुलिस उपाधीक्षकों को कम से कम एक स्कूल गोद लेकर उसका संरक्षक बनने को कहा गया है।
** अब तक 1 हजार से अधिक कार्ड हो चुके हैं बंद हिमाचल प्रदेश में डिपुओं के माध्यम से दिए जा रही सस्ते राशन की सुविधा का लाभ न उठाना उपभोक्ताओं को अब भारी पड़ सकता है। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने सभी जिला खाद्य नियंत्रकों को उचित मूल्य की दुकानों से लगातार तीन महीने तक सस्ते राशन का कोटा न उठाने वाले उपभोक्ताओं के राशन कार्ड को बंद करने का आदेश जारी कर दिए हैं, जिसके तहत अब तक प्रदेश भर में 1 हजार से अधिक कार्ड बंद किए जा चुके हैं , जिन्हें अब डिपुओं के माध्यम से सस्ते राशन की सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। विभाग के मुताबिक ऐसे राशन कार्ड को इसलिए ब्लॉक किया गया है, जो तीन महीने से लगातार राशन का कोटा नहीं ले रहे थे। ऐसे में शायद इन्हें सस्ते राशन की जरूरत नहीं होगी। इसलिए प्रदेश में तीन महीने तक राशन का कोटा न उठाने वाले के कार्ड ब्लॉक किए जा रहे हैं, ताकि इस राशन को जरूरतमंद उपभोक्ताओं को दिया जा सके। वहीं, इस बारे में जिला खाद्य नियंत्रकों को तीन महीने से राशन न लेने वाले उपभोक्ताओं के कार्ड ब्लॉक कर मुख्यालय को सूचित करने के निर्देश जारी किए दिए हैं। हिमाचल में डिपुओं के माध्यम से सस्ते राशन के वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए राशन कार्ड धारकों की ई-केवाईसी करवाई भी जा रही है, जिसके लिए पिछले कई महीनों से प्रक्रिया चल रही है। लेकिन बार-बार मौका देने पर भी बहुत से राशन कार्ड धारकों ने ई-केवाईसी नहीं की है। 22 जुलाई 2024 के आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में राशन कार्ड में दर्ज 16,35,735 सदस्यों ने ई-केवाईसी नहीं कराई थी। हालांकि, इसके बाद आंकड़े में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन अभी भी लाखों सदस्यों की ई-केवाईसी होना बाकी है। अब भी अगर राशन कार्ड धारक ई-केवाईसी नहीं कराते हैं तो ऐसे उपभोक्ताओं को सस्ते राशन की सुविधा से हाथ धोना पड़ सकता है। बता दें कि प्रदेश में राशन कार्ड में दर्ज कुल सदस्यों की संख्या 73,32,413 है। इसमें 22 जुलाई तक 56,85,157 लोगों की ई-केवाईसी हुई थी। ई-केवाईसी का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही राशन मिले। ये देखा गया है कि कई राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड में शामिल सदस्यों की स्थिति विवाह होने और किसी सदस्य का निधन होने से बदल चुकी है। इसलिए ई-केवाईसी काफी आवश्यक है, ताकि राशन कार्ड से ऐसे सदस्यों के नामों को हटाए जा सके और वास्तविक लाभार्थियों को ही राशन उपलब्ध हो सके। अगर कोई भी राशन कार्ड में इन सदस्यों की जानकारी को अपडेट करवाना चाहते हैं तो उनको ई-केवाईसी करवानी पड़ेगी।
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी-इंजीनियर के संयुक्त मोर्चा ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सुक्खू सरकार से आर या पार की लड़ाई का मन बना लिया है। बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ ने सरकार पर बोर्ड की दशा को सुधारने के बजाए बोर्ड को खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार ने बिजली बोर्ड में 51 इंजीनियर के पद खत्म करने के साथ ही आउटसोर्स पर रखे गए 81 ड्राइवरों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं, जिससे बिजली बोर्ड के कर्मचारी सरकार के इस फैसले से भड़क गए हैं। ऐसे में हिमाचल बिजली बोर्ड कर्मचारी-इंजीनियर संयुक्त मोर्चा ने सरकार के फैसले के खिलाफ आज दोपहर बाद 1.30 बजे प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन करेंगे। इस दौरान सरकार के खिलाफ आंदोलन को और उग्र करने की रणनीति भी तैयार की जाएगी, जिसमें कर्मचारी राज्य में ब्लैक आउट करने का भी फैसला ले सकते हैं। संयुक्त मोर्चा का आरोप है कि सरकार की ओर से बिजली बोर्ड की स्थिति को ठीक करने के लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी बिजली बोर्ड को तीन हिस्सों ट्रांसमिशन, जेनरेशन और डिस्ट्रीब्यूशन में बांट कर इसका निजीकरण करने की कोशिश कर रही है। इसके बाद भी सरकार ने अगर सभी फैसलों को वापस नहीं लिया तो बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारी सरकार से आर पार की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो जाएंगे। बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ के नेताओं का कहना है कि सरकार बिजली बोर्ड के खिलाफ हिडन एजेंडे पर काम कर रही है। उन्होंने सरकार की ओर से बोर्ड के पुनर्गठन किए जाने का आरोप लगाया है। संघ ने सरकार को इस बारे में पुनर्विचार करने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर इसके बाद भी सरकार ने संघ की मांगों को हल्के से लेने का प्रयास किया तो प्रदेश भर में आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। यही नहीं बिजली बोर्ड के संयुक्त मोर्चा ने सरकार को ब्लैक आउट की भी चेतावनी दे दी है। हिमाचल बिजली बोर्ड कर्मचारी-इंजीनियर संयुक्त मोर्चा के अनुसार सरकार बिजली बोर्ड और कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है, जिससे बिजली बोर्ड के कर्मचारियों में रोष है। ऐसे में अब कर्मचारी और इंजीनियरों ने सरकार को इसका कड़ा जवाब देने का मन बना लिया है। हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी और इंजीनियर विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के साथ संघर्ष कर रहे हैं। इसमें 16 अक्टूबर, 2024 को जारी अधिसूचना के तहत समाप्त किए गए इंजीनियरिंग कैडर के 51 पदों को बहाल करना। हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में आउटसोर्स पर सेवाएं दे रहे 81 ड्राइवरों को नौकरी से निकालने के आदेश वापस लेना। बिजली बोर्ड में भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करना। बिजली बोर्ड में टी-मेट के 1030 पदों को जल्द भरना। वेतन आयोग का कर्मचारियों/पेंशनभोगियों को पेंशन और वेतन का बकाया जारी करना। कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के सभी लंबित टर्मिनल लाभ का भुगतान आदि प्रमुख मांगे हैं।
हिमाचल प्रदेश में दिवाली तक मौसम साफ रहेगा। मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान धूप खिलने से अधिकतम पारा और चढऩे के आसार हैं। प्रदेश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में सुबह और शाम के समय मौसम में ठंडक बढ़ गई है। ताबो में न्यूनतम पारा माइनस दो डिग्री तक पहुंच गया है। मैदानी जिलों के मौसम में भी अब ठंडक बढऩा शुरू हो गई है। ऊना, कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर और हमीरपुर का न्यूनतम तापमान शिमला से भी कम रहा। प्रदेश में पहली नवंबर तक मौसम साफ बना रहने की आशंका जताई है। इस दौरान अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी और न्यूनतम तापमान में कमी आने का पूर्वानुमान है। हालांकि, 29 अक्तूबर को कुछ स्थानों पर बारिश हो सकती है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार दिन में पहाड़ी क्षेत्रों में धूप खिलने से रात को इन क्षेत्रों से गर्म हवाएं मैदानों में पहुंचते हुए ठंडी होंगी।
**क्वार से ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम का किया शुभारंभ मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने डोडरा-क्वार में रात्रि विश्राम करने वाले हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया है। शिमला जिला के डोडरा-क्वार को यहां की दुर्गम और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण ‘काला पानी’ के रूप में जाना जाता है। राज्य के गठन के बाद से कई मुख्यमंत्री डोडरा-क्वार क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं, लेकिन अब तक किसी भी मुख्यमंत्री ने यहां रात्रि विश्राम नहीं किया था। मुख्यमंत्री ने डोडरा-क्वार से ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया और सेवानिवृत्त शिक्षक हरदयाल खेपन के घर पर रात्रि विश्राम किया। शनिवार शाम करीब 7.45 बजे उनके घर पहुंचने पर मुख्यमंत्री का हरदयाल के परिवार ने गर्मजोशी से स्वागत किया। सभी औपचारिकताओं से दूर मुख्यमंत्री ने आग के पास बैठकर परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत की और उनकी स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘आप आंगन में आग कब जलाते हैं? हमारी स्थानीय बोली में हम इसे घ्याना कहते हैं और इसे अक्सर सर्दियों के मौसम में होने वाली शादियों के दौरान लगाया जाता है। मुख्यमंत्री ने स्थानीय निवासियों से बातचीत कर उनके दैनिक जीवन, भोजन और स्थानीय रीति-रिवाजों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। समुदाय की महिलाओं ने उनके स्वागत में स्थानीय देवता क्वार जाखा को समर्पित गीत ‘लामण’ से शुरुआत करते हुए पारंपरिक गीत गाए। रात के खाने में उन्होंने लगभग आठ ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार किए गए पारंपरिक भोजन का आनंद लिया। मुख्यमंत्री को बेटू, कोदा और फाफरे की रोटी के साथ-साथ स्थानीय व्यंजन जैसे सिड्डू, ओगला, चेंऊं और स्थानीय राजमाह की दाल परोसी गई। मीठे में लिमडी नामक एक स्थानीय व्यंजन भी परोसा गया। महिलाओं ने मुख्यमंत्री के आगमन पर अपनी खुशी जाहिर की। जयप्रदा, हेमलता और प्रतिभा ने बताया कि उनके द्वारा तैयार किए गए भोजन का मुख्यमंत्री ने आनन्द लिया और सराहना की, जिससे वे सम्मानित महसूस कर रही हैं। हरदयाल की बेटी और प्रशिक्षित जेबीटी शिक्षिका पल्लवी ने मुख्यमंत्री की मेजबानी के बारे में अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘उनका हमारे घर में रहना हमारे परिवार के लिए गर्व का विषय है। इस यादगार क्षण को जीवन भर के लिए संजोए रखने के लिए हमने मुख्यमंत्री के साथ तस्वीरें भी ली।’’ हरदयाल मुख्यमंत्री के सादगी भरे और विनम्र व्यक्तित्व के कायल हो गए और सभी ग्रामीणों ने उनके विनम्र स्वभाव की सराहना की। रविवार की सुबह मुख्यमंत्री ने ढांडरवाड़ी-2 महिला मंडल की महिलाओं के साथ नाश्ता किया। स्थानीय स्वयं सहायता समूह की सदस्य भारता देवी और अनीता भेटन ने कहा, ‘‘हमने मुख्यमंत्री को शहद के साथ घर का बना सिड्डू परोसा और उन्होंने इसका भरपूर आनंद लिया। हमने उन्हें अन्य स्थानीय व्यंजन भी परोसे। उनकी मेजबानी करना हमारे लिए गर्व की बात है, क्योंकि हमें अपने जीवनकाल में ऐसा अवसर पहले कभी नहीं मिला।
हिमाचल को मानसून सीजन में इस साल भी करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है। प्रदेश को इस साल लैंडस्लाइड की 46, बादल फटने की 12 और बाढ़ जैसी 39 घटनाओं का सामना करना पड़ा है, जिससे प्रदेश को 1613 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। ये जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा ने शिमला में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) के साथ एक डीब्रीफिंग बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। ये टीम मानसून के दौरान प्रदेश में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंची थी। मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा ने कहा, "राज्य सरकार ने प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान पर केंद्र सरकार को एक व्यापक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें बताया गया है कि प्रदेश में अनुमानित नुकसान लगभग 1,613.50 करोड़ रुपए का हुआ है। मानसून सीजन में राज्य को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इस दौरान लैंडस्लाइड, बादल फटने और बाढ़ से सड़कें, सिंचाई योजनाएं और आवासीय क्षेत्र व्यापक स्तर पर प्रभावित हुए हैं। राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में लैंडस्लाइड की 46, बादल फटने की 12 और 39 बाढ़ जैसी घटनाओं का सामना किया, जिससे जान-माल को बहुत नुकसान हुआ। ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि मानसून सीजन में 174 लोगों की जान गई है। वहीं, 144 लोगों ने बारिश के कारण अपनी जान गंवाई है। इसके अलावा करीब 206 लोग घायल हुए हैं. 31 लोग लापता हुए हैं और 222 पशुधन हताहत हुए हैं। इस दौरान 1405 घरों और पशु आश्रय भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की बहाली के लिए अनुमानित 621.77 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि इस दौरान जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे को भी नुकसान हुआ। 5505 जल आपूर्ति योजनाएं, 1213 सिंचाई परियोजनाएं, 99 मल निकासी परियोजनाएं, 69 बाढ़ सुरक्षा कार्य और 57 हैंडपंप क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिससे प्रदेश को 540.88 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधनों का आग्रह किया गया है। भौगोलिक स्थलाकृति के कारण राज्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बहुत संवेदनशील है। आपदा-ग्रस्त क्षेत्रों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, डॉपलर रडार और आपातकालीन कर्मियों को तैनात करने के हर संभव प्रयासों के बावजूद प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए केंद्रीय सहायता की जरूरत है। ओंकार चंद शर्मा ने हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों की आवश्यकताओं के दृष्टिगत राहत मैनुअल में सुधार करने का आग्रह किया है, ताकि प्रभावित लोगों को समय पर राहत पहुंचाने और पुनर्निर्माण में सहायता मिल सके। वहीं, आपदा प्रबंधन निदेशक एवं विशेष सचिव डीसी राणा ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों के मौके पर मूल्यांकन के लिए आईएमसीटी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने टीम को प्रदेश में आपदा से हुए नुकसान की विस्तृत जानकारी दी और राज्य की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए उदार केंद्रीय सहायता का आग्रह किया।
** कोर्ट के आदेश न माने तो विभागों पर लगेगा जुर्माना हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी विभागों को अदालत के आदेशों की अनुपालना करने से संबंधित निर्देश जारी करने को कहा है। कई विभाग अदालत में जवाब दायर करने में आनाकानी कर रहे हैं और कुछ बहुत देरी से दे रहे हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए विभागों को चेतावनी जारी करते कहा कि अगर आदेशों की अनुपालना नहीं की गई तो संबंधित विभाग पर जुर्माना लगाया जाएगा। एक अन्य मामले में न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने शिक्षा विभाग को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर आदेशों की अनुपालना नहीं की गई तो उसे कॉस्ट लगाई जाएगी। दुआ की अदालत ने शिक्षा विभाग पर 5 मामलों में बीस-बीस हजार रुपये कॉस्ट लगाई है। जुर्माने की राशि को याचिकाकर्ता को देने को कहा है। प्रार्थियों ने अदालत से ताज मोहम्मद के मामले में पारित निर्णय के आधार पर उनकी अनुबंध की तिथि से वरिष्ठता व अन्य लाभ देने की गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट ने मामले में शिक्षा विभाग को आदेश पारित कर दिए थे। विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की ओर से नाम की सिफारिश भेजने के बाद कर्मचारियों की पदोन्नति रोकना आसान नहीं होगा। हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज होने के बाद निलंबित जिला अग्निशमन अधिकारी (डीएफओ) को पदोन्नति के साथ बहाल करने का फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता को विभाग में डीएफओ के पद पर पदोन्नत किया गया था। 28 सितंबर 2022 को डीपीसी की सिफारिश के बाद याचिकाकर्ता को डीएफओ के पद पर पदोन्नत किया गया। उसके अगले ही दिन 29 सितंबर को रिश्वत मांगने के मामले में विभाग को उपकरण सप्लाई करने वाले एक व्यक्ति ने उन पर एफआईआर दर्ज करवाई। 30 को विभाग ने याचिकाकर्ता की पदोन्नति रोक दी और उसे सेवाओं से भी निलंबित कर दिया। इसी फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर शिमला-कालका के बीच हो रहे अवैध अतिक्रमण को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। जनहित याचिका का निपटारा कर करते हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि इस मार्ग पर दोबारा अतिक्रमण न हो। अगर संबंधित अधिकारी को सूचना मिले कि फिर से किसी भी व्यक्ति ने अनाधिकृत निर्माण और अतिक्रमण किया है तो उसके खिलाफ वह तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करें। सूचना मिलने के बाद अधिकारी अगर समय पर कार्रवाई नहीं करेंगे तो उनको बर्खास्त किया जाएगा और उनके खिलाफ विभागीय करवाई के साथ-साथ आपराधिक मामला भी दायर होगा। जनहित याचिका का निपटारा न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश राकेश कैथला की खंडपीठ ने किया। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के निदेशक ने अदालत के 22 दिसंबर 2023 और 26 मार्च 2024 के आदेशों का अनुपालन करने पर 17 मई 2024 को हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया है। इसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर जो भी अवैध निर्माण और अतिक्रमण किया गया है, उसे हटा दिया गया है। अदालत ने कहा कि ऐसे सभी मामलों को 31 मार्च 2025 तक समाप्त करने के आदेशों का अनुपालन करने को कहा है। बता दें कि वर्ष 2014 में राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़क पर गैर तरीके से अतिक्रमण, अवैध निर्माण और अनाधिकृत पार्किंग के कारण यातायात में बाधा उत्पन्न हो रही थी। हाईकोर्ट ने इस पर कड़ा संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट ने संबंधित विभागों को प्रतिवादी बनाया था। जनहित याचिका के लंबित रहने के दौरान कुछ अन्य निजी व्यक्तियों को भी पार्टी बनाया गया था। संबंधित विभागों की ओर से पहले दायर हलफनामों में कहा गया था कि शिमला कालका राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे अतिक्रमण, बडोग कसौली सड़क के किनारो पर अवैध निर्माण और जाबली में भी अवैध निर्माण पाया गया था।
हिमाचल में सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों में दो या इससे अधिक साल से खाली पड़े पदों को खत्म करने को लेकर जारी अधिसूचना के बाद सियासी भूचाल मच गया है, जिसको लेकर अब सोशल मीडिया में सरकार की खूब किरकिरी हो रही है। वहीं, विपक्ष ने भी पदों को समाप्त करने को लेकर सरकार को घेरा है, जिस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। वहीं, सुक्खू सरकार के कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी पदों को समाप्त किए जाने को लेकर कहा कि हिमाचल में कांग्रेस की सरकार ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि ये सही है कि हमारी वित्तीय स्थिति अनुकूल नहीं है। फिर भी हमारी सरकार विकास के कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने दो साल में 25 से 30 हजार नौकरियां पैदा की हैं। उन्होंने कहा कि हम आंकड़ों के साथ इसे विधानसभा में रखेंगे की किस-किस क्षेत्र में नौकरियां प्रदेश में दी गई हैं। कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा, "रोजगार के अवसर पैदा करना सरकार की जिम्मेवारी हैं। इसकी गंभीरता को समझते हुए हर कैबिनेट की मीटिंग में नए पद सृजित करना हमारी प्राथमिकता रहती है। उन्होंने कहा कि सरकारी सेक्टर के अलावा हम निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं। इसके लिए हम नई होम स्टे पॉलिसी भी ला रहे हैं, जिसे अगली कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा, जिसका प्रदेश के युवाओं को लाभ होगा। हमारी सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के लिए लंबित रिजल्टों को भी समय-समय पर घोषित किया है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि कहा कि जयराम ठाकुर जो कहते हैं कि कैबिनेट सब कमेटियां समय खरीदने को बनती है, तो वे अपनी सोच को हमारे ऊपर थोपने का प्रयास न करें। उन्होंने कहा कि हाल ही में जो नया बवाल पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। इस बारे में बताना चाहता हूं कि वित्त विभाग ने कहा है कि जो पद बहुत समय से नहीं भरे गए हैं, उनको कन्वर्ट किया जा रहा है। ऐसे 15 साल पहले सृजित किए गए पदों का आज के दौर में कोई औचित्य नहीं है। ऐसे ने इन पदों को नई पोस्टों में कन्वर्ट किया जा रहा है। इसको जयराम ठाकुर राजनीतिक रंग देने का असफल प्रयास कर रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर खुद मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री रहे हैं, जिसकी उनको पूरी जानकारी होनी चाहिए। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वित्त विभाग का प्रयास रहता है कि सरकार की बचत हो सके, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि प्रदेश में रोजगार के अवसर को कम करना है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी इसको लेकर स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि अगर इसमें कोई कमी है, जिससे युवाओं के हित प्रभावित हो रहे हैं तो हम इस विषय को अगली कैबिनेट में उठाएंगे, ताकि युवाओं के हितों की रक्षा हो। उन्होंने कहा कि सरकार कोई ऐसा फैसला नहीं लेगी, जिससे युवाओं का भविष्य अंधकार में जाए। मुख्यमंत्री ने इस पर स्थिति स्पष्ट की है, जो उन्होंने बात रखी है हम उससे सहमत हैं।
** सुक्खू सरकार को दी चेतावनी हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही है। अब संयुक्त कर्मचारी महासंघ भी हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारियों के समर्थन में उतर गया है। संघ ने सुक्खू सरकार को चेताते हुए कहा है कि सरकार वार्तालाप करके बिजली बोर्ड में चल रहे गतिरोध को तोड़ें, वरना प्रदेश में हालात बिगड़ जाएंगे। संयुक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि सरकार ने बिजली बोर्ड में 51 पदों को समाप्त कर दिया, 81 ड्राइवरों को नौकरी से निकाल दिया है, ये फैसला दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने सरकार को अपनी मांगों को लेकर मेमोरेंडम दिया है। सरकार वार्तालाप करके उनकी मांगों पर विचार करे और नौकरियों को बहाल करें। वीरेंद्र चौहान ने कहा कि कर्मचारियों ने 28 तारीख को सांकेतिक प्रदर्शन का आह्वान किया है। सरकार अगर उनकी मांगों को नहीं मानती है तो बिजली बोर्ड के कर्मचारियों के समर्थन में संयुक्त कर्मचारी महासंघ को भी मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा। वहीं, संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश सरकार के दो साल या इससे अधिक समय से खाली चल रहे सभी पदों को समाप्त करने वाली नोटिफिकेशन पर हैरानी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस नोटिफिकेशन के बाद प्रदेश में खाली चल रहे हजारों पद समाप्त हो जाएंगे। वीरेंद्र चौहान ने कहा कि सीएम सूक्खु को अपने आस-पास अच्छे सलाहकारों की टीम रखनी चाहिए और कर्मचारी नेताओं से भी वार्तालाप करना चाहिए, ताकि इस तरह की अधिसूचना करने के बाद सीएम को स्वयं स्पष्टीकरण के लिए न आना पड़े।
हिमाचल प्रदेश में राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी योजना हांफ गई है। लोगों को इस योजना के तहत डिपो में राशन नहीं मिल रहा है। इस योजना के तहत उपभोक्ता हिमाचल में कहीं भी किसी भी डिपो से राशन ले सकते हैं। लेकिन डिपो में लगी पॉश मशीनों में राशनकार्ड की एंट्री ही नहीं हो रही है। ऐसे में उपभोक्ताओं को दिक्कतें पेश आ रही हैं। शुरुआत में इस योजना के तहत लोगों को राशन मिलना शुरू हो गया था। इसके बाद साफ्टवेयर में बार-बार खराबी आने से योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है। अब खाद्य नागरिक एवं उपभोक्ता मामले विभाग एनआईसी के तहत इस योजना को सिरे चढ़ाने के प्रयास में है। हिमाचल में इस योजना को लागू हुए करीब तीन साल हो चुके हैं। चार जिलों में यह योजना शुरू की गई। लेकिन अब सिस्टम ठप पड़ गया है। हिमाचल के कई डिपो में ट्रायल पर इस योजना को शुरू किया गया था। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से कई परिवारों के ऐसे सदस्य पाए गए, जिनके दो-दो जगह पर राशन कार्ड में नाम है। ऐसे में विभाग की ओर से इन्हें राशन नहीं दिया गया। खाद्य नागरिक एवं उपभोक्ता मामले विभाग के निदेशक राम कुमार गौतम ने बताया कि एक सप्ताह के बाद सिस्टम ठीक हो जाएगा। एनआईसी से बातचीत करके इस योजना को शुरू किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में साढ़े 19 लाख राशनकार्ड उपभोक्ता हैं। प्रदेश सरकार की ओर से प्रति राशनकार्ड उपभोक्ताओं को सब्सिडी पर तीन दालें (मलका, माश, दाल चना), दो लीटर तेल (रिफाइंड और सरसों), 500 ग्राम प्रति व्यक्ति चीनी और एक किलो नमक दिया जा रहा है। इसके अलावा आटा और चावल केंद्र सरकार सब्सिडी पर उपलब्ध करा रही है। तीन महीने तक डिपो से सस्ता राशन न लेने पर लोगों के राशनकार्ड ब्लॉक हो रहे हैं। दिक्कतें उन लोगों को आ रही है जो गांव से आकर शहर में रह रहे हैं। ऐसे में लोगों को घर जाकर राशन लेना पड़ रहा है।
जन शिकायत निवारण के लिए मुख्यमंत्री की अनूठी पहल, लोगों के साथ डिनर भी करेंगे सुखविंदर सुक्खू दिल्ली दौरे से लौटते ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 26 अक्तूबर को शिमला जिला के दूरदराज क्षेत्र डोडरा-क्वार की महिलाओं को ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना’ से लाभान्वित करेंगे। इसके अलावा, मुख्यमंत्री रात्रि विश्राम डोडरा में करेंगे और देर शाम तक लोगों की समस्याएं सुनेंगे। वह क्वार में गांव के लोगों के साथ डिनर भी करेंगे। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सरकार का लक्ष्य दूरदराज के गांवों में जाकर लोगों की शिकायतों का उनके घर द्वार पर निवारण करना है और इसी तरह के निर्देश मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी जारी किए गए हैं, ताकि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपनी छोटी-छोटी शिकायतों के समाधान के लिए जिला मुख्यालयों में न जाना पड़े। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन की पहल और राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने गांवों की ओर रुख करने का निर्णय लिया है, ताकि विकास कार्यों के माध्यम से उन्हें मुख्य धारा में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि गांव के लोग भोले-भाले तथा मेहनती हैं, जो रोजमर्रा की कठिनाइयों का डटकर सामना करते हैं तथा वर्तमान सरकार उनकी कठिनाइयों को बेहतर ढंग से समझने के लिए उनके घर द्वार पर जाकर उनसे संवाद करेगी और जन समस्याओं का मौके पर निपटारा सुनिश्चित किया जाएगा। मुख्यमंत्री डोडरा-क्वार दौरे के दौरान जनसमूह को संबोधित करने के अलावा उनसे व्यक्तिगत रूप से भी मिलेंगे तथा अधिकारियों को लोगों की शिकायतों का तत्काल निवारण करने के निर्देश देंगे। एसडीएम डोडरा-क्वार धर्मेश ने कहा कि क्षेत्र के लोग मुख्यमंत्री की इस पहल से काफी उत्साहित हैं। राज्य सरकार और मुख्यमंत्री की इस पहल के बाद कैबिनेट मंत्री भी नवंबर के महीने से इस तरह के दौरे शुरू करेंगे। मुख्यमंत्री सुक्खू शनिवार 26 अक्तूबर को प्रात: 11:20 बजे चैधार मैदान में गसांगो से जिसकुन तक संपर्क सडक़ का उद्घाटन करेंगे और डोडरा से चमधार तक सडक़ और गांव पुजारली (डोडरा क्वार) से टाल पुल होते हुए उत्तराखंड सीमा तक संपर्क मार्ग का शिलान्यास करेंगे। इसके उपरांत वह जनता को संबोधित कर उनकी समस्याएं सुनेंगे। मुख्यमंत्री दोपहर बाद 2:10 बजे आईपीएच निरीक्षण हट क्वार में लोगों की समस्याएं सुनेंगे और क्वार में विभिन्न संस्थानों और अस्पतालों का दौरा करेंगे।
नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री का मीडिया स्पष्टीकरण आज थोड़ी देरी से हुआ क्योंकि उनके पास बैक डेट की अधिसूचना हाथ नहीं आई थी। शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में जयराम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विचित्र परिस्थितियां चल रही हैं। व्यवस्था परिवर्तन के बजाय व्यवस्था पतन का कार्य चल रहा है। ऐसा हिमाचल के इतिहास में पहली बार हुआ है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेश में एक अधिसूचना जारी होती है, फिर उसके ऊपर प्रतिक्रिया आती है और उसके बाद उसे बैक डेट में बदल दिया जाता है। ऐसी ही अधिसूचना हिमाचल प्रदेश में नौकरियां समाप्ति की भी हुई। वैसे तो नोटिफिकेशन 26 अक्तूबर की है पर इसे 23 अक्तूबर की डेट में बनाया गया। जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पल-पल पलटूराम की सरकार चल रही है। अधिसूचनाओं पर लीपापोती कर ठीक करने का प्रयास लगातार बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जब चुनाव आए थे तो कांग्रेस पार्टी झूठी गारंटियों का प्रचार कर रही थी, उनके नेताओं ने कहा था कि हिमाचल में 5 लाख नौकरियां, एक साल में एक लाख नौकरियां और 65,000 खाली पदों को भरा जाएगा। लेकिन दो साल का कार्यकाल समाप्त हो गया है। यह जीरो परफॉर्मेंस वाली सरकार है, कांग्रेस सरकार ने जो वादे किए थे उसके विपरीत ही काम चल रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मीडिया को पूरी बातें पढ़कर आने को समझते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि हिमाचल प्रदेश में दो ही लोग ज्ञान के भंडार हैं और कोई और बुद्धिजीवी इन अधिसूचनाओं को नहीं समझ सकता और विपक्ष तो बिल्कुल भी नहीं। हम निवेदन करेंगे कि मुख्यमंत्री जी आप पढ़कर आएं, पढ़ने का ज्ञान ना दें। जयराम ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में अधिकारियों का तांडव मचा हुआ है। इसीलिए बार-बार हर बात का स्पष्टीकरण देना पड़ता है। नौकरी समाप्ति को लेकर अधिसूचना का प्रदेश में व्यापक असर होगा। इसके मुताबिक आपने प्रदेश में 1.50 लाख नौकरियां को समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रो. प्रेम कुमार धूमल की भाजपा सरकार के समय जो अधिसूचना हुई थी उसमें किसी भी पद को समाप्त करने की बात नहीं थी, उल्टा पदों को नियमित करने की बात की गई थी। उसमें नौकरियों को बढ़ावा देने की बात की गई थी। साथ ही नौकरियां को पक्की बनाने की बात की गई थी। जयराम ने कहा कि यह सरकार अधिसूचना की सरकार बन कर रह गई है, टॉयलेट टैक्स अभी तक वापस नहीं लिया गया है पर उसकी अनेकों अधिसूचनाएं निकल गई हैं।
हिमाचल में दूर दराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर शिमला न आना पड़े, इसके लिए सुक्खू सरकार ने खुद घरद्वार पर जाकर लोगों की समस्याओं को सुनने और उनका समाधान करने के लिए अनूठी पहल की है। इसके तहत मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू आज शिमला जिले के दूरदराज क्षेत्र डोडरा-क्वार की महिलाओं को ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना’ से लाभान्वित करेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री रात्रि विश्राम डोडरा-क्वार में करेंगे। ऐसे में सीएम सुक्खू देर शाम तक लोगों की समस्याएं सुनेंगे और उनका मौके पर समाधान करने की भी कोशिश करेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार का लक्ष्य दूरदराज के गांवों में जाकर लोगों की शिकायतों का उनके घरद्वार पर निवारण करना है। इसी तरह के निर्देश मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी जारी किए गए हैं। जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की समस्याओं का समाधान करेंगे, ताकि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपनी छोटी-छोटी शिकायतों के समाधान के लिए जिला मुख्यालयों में न जाना पड़े। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन की पहल और राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने गांवों की ओर रुख करने का फैसला लिया है, ताकि विकास कार्यों के जरिए उन्हें मुख्य धारा में लाया जा सके। उन्होंने कहा कि गांव के लोग भोले-भाले और मेहनती होते हैं। जो रोजमर्रा की कठिनाइयों का डटकर सामना करते हैं। ऐसे में वर्तमान सरकार उनकी कठिनाइयों को बेहतर ढंग से समझने के लिए उनके घरद्वार पर जाकर उनसे संवाद करेगी और जन समस्याओं का मौके पर निपटारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री डोडरा-क्वार दौरे के दौरान जनसमूह को संबोधित करने के अलावा उनसे व्यक्तिगत रूप से भी मिलेंगे और अधिकारियों को लोगों की शिकायतों का तत्काल समाधान करने के निर्देश देंगे ।
हिमाचल प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की अन्य विभागों के कामों में तैनाती पर रोक लगा दी गई है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला उपनिदेशकों को निर्देशों का पालन करने के लिए पत्र जारी किया है। पत्र में स्पष्ट किया है कि चुनाव और जनगणना के कार्यों के अलावा किसी अन्य विभाग के काम के लिए शिक्षक नहीं जाएंगे। प्रशिक्षण और सेमीनार में जाने के लिए भी निदेशालय की मंजूरी लेनी होगी। शिक्षकों की गैरहाजिरी के चलते स्कूलों में प्रभावित हो रही पढ़ाई व्यवस्था का इसके लिए हवाला दिया गया है। सरकारी स्कूलों में गिरते शैक्षिक मानकों के मद्देनजर प्राइमरी कक्षाओं में शिक्षकों की मौजूदगी के महत्व पर जोर देते हुए यह निर्देश जारी किए हैं। हाल ही में किए गए निरीक्षणों में चिंताजनक परिणाम सामने आए हैं, जिसमें राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) में राज्य की रैंकिंग 2021 में 13 से गिरकर 21 हो गई है। इसको देखते हुए कक्षा 1 से 5 तक के लिए अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देना शुरू किया गया है, लेकिन छात्रों की शिक्षा पर बाहरी गतिविधियों के लिए शिक्षकों की तैनाती के नकारात्मक प्रभाव सामने आ रहे हैं। कई प्राथमिक विद्यालय केवल एक या दो शिक्षकों के साथ संचालित होते हैं, जिससे उनकी अनुपस्थिति विशेष रूप से पढ़ाई का नुकसान कर रही है। ऐसे में निदेशालय ने अनिवार्य किया है कि चुनाव या जनगणना कर्तव्यों से संबंधित गतिविधियों के लिए शिक्षकों को निदेशालय से पूर्व अनुमति के बिना अनुपस्थित नहीं रहना चाहिए। शिक्षकों की अनधिकृत तैनाती के लिए जिला उपनिदेशकों को उत्तरदायी ठहराया जाएगा। पत्र में कहा है कि छात्रों के शैक्षिक अनुभवों की सुरक्षा के लिए इन दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है। राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सभी हितधारकों से सामूहिक प्रयासों का आह्वान भी किया है। इन आदेशों का पालन नहीं होने की स्थिति में संबंधित शिक्षक के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई भी की जाएगी।
**रेस्क्यू के लिए मंगवाया हेलीकॉप्टर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के बीड़ बिलिंग से उड़े तीन विदेशी पैराग्लाइडर कुल्लू जिला की ऊंची पहाड़ियों में फंसे गए हैं, जिनको रेस्क्यू करने के लिए कुल्लू जिला प्रशासन द्वारा सरकार से हेलीकॉप्टर की मांग की गई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए कल्लू के एसडीएम विकास शुक्ला ने बताया कि बीड़ बिलिंग से तीन विदेशी पैराग्लाइडरों ने उड़ान भरी थी। जो दिशा भटक कर कुल्लू जिला में फोजल की ऊंची पहाड़ियों के बीच में फंस गए हैं, जिनमें एक पैराग्लाइडर यूके दूसरा न्यूजीलैंड तथा तीसरा ऑस्ट्रेलिया का बताया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इनमें उड़ान भरने वाला एक पैराग्लाइडर चालक घायल हो गया है। बताया कि तीनों विदेशी पैराग्लाइडर जिला की लगभग 4 से 5000 फीट की ऊंचाई पर फोजल की पहाड़ियों के बीच में फंसे हुए हैं, जिनको रेस्क्यू करने के लिए गई टीम ने हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू करने का आग्रह किया है। विकास शुक्ला के मुताबिक प्रशासन द्वारा तीनो पेराग्लाइडरों को रेस्क्यू करने के लिए हेलीकॉप्टर मंगवाया गया है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
**निर्माण कार्य को समयबद्ध पूर्ण करने के दिए निर्देश मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वीरवार सांय नई दिल्ली के द्वारका में निर्माणाधीन हिमाचल निकेतन का दौरा कर निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को इसका निर्माण कार्य समयबद्ध पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल निकेतन के निर्माण से हिमाचलवासियों को विभिन्न कार्यों के लिए राजधानी में ठहरने की सुविधा मिलेगी। इसकेे बनने से विशेषकर विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। इस पांच मंजिला भवन का निर्माण 57.72 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
शिमला: पुलिस भर्ती की इच्छुक लड़कियां हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की वेबसाइट पर जाकर जल्द से जल्द ऑनलाइन आवेदन करें।आयोग की वेबसाइट पर ये आवेदन 31 अक्टूबर रात 11.59 बजे तक किया जा सकेगा। उसके बाद आवेदन की प्रक्रिया क्लोज कर दी जाएगी। इस तरह हिमाचल की बेटियों के पास अब सिर्फ छह दिन का समय बचा है। पुलिस में लड़कियों के 380 पद भरे जाने हैं । ये नियमित भर्ती है और इसमें लेवल-3 का पे-बैंड मिलेगा। यानी पे-स्केल 20200-64000 होगा। बड़ी बात है कि लड़कियों से आवेदन शुल्क नहीं लिया जा रहा है। ये भर्ती नशे के खिलाफ विशेष कमांडो फोर्स के रूप में होगी। यदि किसी बेटी ने स्कूल में या कॉलेज में एनसीसी लिया होगा तो उसे चार अंक मिलेंगे। इसके अलावा हाइट के अंक भी मिलेंगे। इनमें से सामान्य वर्ग के लिए अनारक्षित 104 पद, स्वतंत्रता सेनानी परिवार वर्ग के 9, एक्स सर्विसमैन परिवार के लिए 31, होमगार्ड के 24 पद होंगे । इसके अलावा एससी वर्ग के लिए अनारक्षित पद 46, इसी वर्ग के स्वतंत्रता सेनानी परिवार के सदस्यों के लिए 5, बीपीएल के लिए 10, इसी वर्ग में एक्स सर्विस मैन वर्ग के लिए 11 पद हैं कुल पद 168 बनते हैं. एससी वर्ग में होम गार्ड के लिए 13 पद रखे गए हैं । इसमें कुल पद 85 बनते हैं । इसी तरह एसटी वर्ग के लिए अनारक्षित पद 13, इसी वर्ग के बीपीएल के लिए 3, वार्ड ऑफ एक्ससर्विस मैन कैटेगरी में 4 पदों को मिलाकर कुल 20 पद भरे जाने हैं । आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बेटियों के लिए अनारक्षित पद 32 हैं । इसके अलावा तीन पद होम गार्ड के लिए हैं । ओबीसी में अनारक्षित वर्ग के लिए 38, वार्ड ऑफ फ्रीडम फाइटर्स के लिए 5, बीपीएल के लिए 11, व वार्ड ऑफ एक्स सर्विसमैन के लिए 7 पद रखे गए हैं । सभी वर्गों में ये कुल 380 पद बनते हैं ।
दिवाली से पहले हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने राज्य के डॉक्टरों को बड़ी सौगात दी है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू के निर्देशों पर राज्य सरकार ने पीजी कोर्स, सीनियर रेजीडेंसी (एसआरशिप) या डीएम स्तर की पढ़ाई करने वाले चिकित्सकों को अध्ययन अवकाश के दायरे से बाहर करने का निर्णय लिया है। इससे पहले मंत्रिमंडल के एक निर्णय में अध्ययन अवकाश पर जाने वालों का वेतन 40 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया था। इससे आगे की पढ़ाई करने वाले चिकित्सकों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से अब पीजी कोर्स करने वाले चिकित्सकों को उनका पूरा वेतन मिलेगा और उनकी पढ़ाई को ऑन ड्यूटी माना जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्नातकोत्तर चिकित्सा प्रशिक्षुओं को अब अपने कोर्स के दौरान पूरा वेतन मिलेगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सक अपनी शैक्षणिक प्रतिबद्धताओं के साथ मरीजों की स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जिम्मेदारियों का निर्वहन भी करते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में उनके व्यावसायिक विकास और राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए दोनों के मध्य सामंजस्य महत्वपूर्ण है। प्रदेश सरकार की ओर से चिकित्सकों को पूरा वेतन प्रदान करने का उद्देश्य उनके समर्पण भाव को प्रोत्साहित करने के साथ उनके प्रशिक्षण तथा लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में वृद्धि करना है। इससे मरीजों के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित होगी और प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सुदृढ़ होगी, जिससे प्रदेश के लोग लाभान्वित होंगे। मुख्यमंत्री ने चिकित्सा अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ हाल ही में हुई बैठक में इनसे संबंधित मामलों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर त्वरित निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संबंधित मामलों का निवारण करने के निर्देश दिए थे जिसके बाद यह निर्णय लिया गया। स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करते हुए राज्य सरकार ने अब पीजी पाठ्यक्रम करने वाले चिकित्सकों के लिए पूर्ण वेतन देने को स्वीकृति प्रदान की है। हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम करने वाले चिकित्सकों को पूर्ण वेतन प्रदान करने के राज्य सरकार के निर्णय का स्वागत किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेश ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस निर्णय से चिकित्सकों की एक बड़ी चिंता का समाधान हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता के साथ मामले पर विचार-विमर्श किया और चिकित्सकों के हित में त्वरित समाधान किया है। मुख्यमंत्री के इस निर्णय के लिए चिकित्सकों का आभार व्यक्त किया।इस निर्णय से चिकित्सकों का मनोबल और अधिक बढ़ा है। यह निर्णय मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को सुदृढ़ करने के दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है, जिससे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक सुदृढ़ होगी। इसके अतिरिक्त यह निर्णय राज्य भर में मजबूत स्वास्थ्य सेवाओं के विकास में योगदान देगा क्योंकि चिकित्सक अपनी पीजी पढ़ाई पूरी करने के बाद राज्य के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर प्रदेश के समग्र स्वास्थ्य अधोसंरचना को मजबूत करेंगे।
दिवाली पर शिमला से प्रदेश भर के रूटों पर 37 अतिरिक्त बसें चलाई जाएंगी। शिमला आईएसबीटी स्थित एचआरटीसी कंट्रोल रूम में आई डिमांड के आधार पर 29 और 30 अक्तूबर को अतिरिक्त बसें चलाने के निर्देश जारी किए गए हैं। मंडलीय प्रबंधक एचआरटीसी शिमला की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार 29 और 30 अक्तूबर को शिमला से रिकांगपिओ के लिए 2, शिमला से कांगड़ा 3, शिमला से रामपुर 3, शिमला से रोहड़ू 3, शिमला से कुल्लू 3, शिमला से मंडी 2, शिमला से सरकाघाट 2, शिमला से पालमपुर 2, शिमला से धर्मशाला 3, शिमला से चंंडीगढ़ 5, शिमला से दिल्ली 4 अतिरिक्त बसें चलाई जाएंगी। निगम प्रबंधन ने अतिरिक्त बसें उपलब्ध करवाने का जिम्मा रिकांगपिओ, तारादेवी, रामपुर, रोहड़ू, शिमला ग्रामीण, शिमला लोकल, सोलन और करसोग डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधकों को सौंपा गया है। 30 अक्तूबर के लिए निगम को गुरुवार दोपहर तक मिली बसों की अतिरिक्त डिमांड के चलते शिमला से चौपाल रूट पर 1, शिमला से हमीरपुर के लिए 2 और शिमला से मंडी के लिए 2 अतिरिक्त बसें चलाई जाएंगी। दिवाली पर्व के मद्देनजर लोगों को आवाजाही में किसी प्रकार की परेशानी न झेलनी पड़े, इसके लिए एचआरटीसी अतिरिक्त बसों का संचालन कर रहा है। शिमला से प्रदेश के विभिन्न जिलों और शिमला जिले के अलग अलग क्षेत्रों के लिए बसों की डिमांड के चलते 37 अतिरिक्त बसें चलाई जाएंगी। यदि बसों की और अधिक मांग आती है तो उसे भी पूरा किया जाएगा।
** प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने शिक्षा बोर्ड को लिखा पत्र माचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में भर्ती किए जाने वाले 245 स्पेशल एजुकेटर का टीचर एलीजिबिलिटी टेस्ट (टेट) होगा। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने टेट करवाने के लिए शिक्षा बोर्ड को पत्र लिख दिया है। परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम भी स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला ही तैयार करेगा। टेट पास को ही भर्ती में शामिल किया जाएगा। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए यह शिक्षक नियुक्त किए जाए रहे हैं। 21 वर्ष बाद इस श्रेणी में नियमित भर्ती होने जा रही है। शिक्षा विभाग में स्पेशल एजुकेटर के 245 पद भरे जाएंगे। शिक्षा विभाग ने भर्ती से संबंधित नियम अधिसूचित कर दिए हैं। प्राइमरी में 138 और अपर प्राइमरी में 107 एजुकेटर रखे जाएंगे। राज्य चयन आयोग हमीरपुर भर्ती करेगा। 18 से 45 वर्ष की आयु वाले भर्ती के लिए पात्र होंगे। हिमाचल में वर्ष 2003 के बाद पहली बार तृतीय श्रेणी यानी ग्रुप-सी के पदों पर नियमित आधार पर भर्ती होने जा रही है। 21 साल से आयोग के माध्यम से अनुबंध पर ही भर्तियां हो रही हैं। अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद होने जा रही स्पेशल एजुकेटर की भर्ती में पुरानी व्यवस्था बदल दी गई है। भविष्य में भर्ती नियमों में अनुबंध आधार पर नियुक्तियां करने का प्रावधान रखा गया है। पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाने वाले 138 स्पेशल एजुकेटरों के लिए 12वीं कक्षा में 50 फीसदी अंक की शैक्षणिक योग्यता रखी गई है। स्पेशल एजुकेटर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को पढ़ाने का काम करेंगे। हिमाचल में विशेष आवश्यकता वाले 5,000 से ज्यादा बच्चे पंजीकृत हैं। इन्हें स्पेशल एजुकेटर न होने के कारण सामान्य स्कूलों में ही पढ़ाना पड़ रहा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की तरफ से इनके लिए अलग से सुंदरनगर में एक सेंटर बनाया गया है।
हिमाचल प्रदेश में बनीं हार्ट अटैक, ब्लड शुगर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों समेत कुल 23 दवाएं मानकों पर सही नहीं पाई गई हैं, जबकि देशभर में कुल 67 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और स्टेट ड्रग कंट्रोलर की ओर से दवाओं के सैंपल लिए गए थे। सीडीएससीओ के 49 में से 20 और ड्रग कंट्रोलर के 18 में से 3 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। 23 में से 12 सोलन, 10 सिरमौर और एक दवा कांगड़ा में बनी हैं। दवाएं मानकों पर सही न पाए जाने पर ड्रग कंट्रोलर की ओर से कंपनियों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही इन दवाओं को बनाने के लाइसेंस भी रद्द कर दिए हैं। ड्रग कंट्रोलर ने कंपनियों को दवाओं का स्टॉक भी वापस मंगवाने के निर्देश दिए हैं। सितंबर के ड्रग अलर्ट में दवाओं के सैंपल फेल होने का खुलासा हुआ है। सिरमौर की पुष्कर फार्मा कंपनी की प्रसव में काम आने वाली ऑक्सीटोसिन और बद्दी की मर्टिन एवं ब्राउन कंपनी में बनी हार्ट अटैक की दवा कैल्शियम ग्लूकोनेट, पांवटा साहिब की जी लेबोट्री कंपनी में बनी निमोनिया की सेफ्ट्रिएक्सोन, संक्रमण की जेंटामाइसिन और ब्लड शुगर की दवा जेनरिकार्ट के सैंपल फेल हुए हैं। झाड़माजरी की इनोवो केपटेप कंपनी की निमेसुलाइड, सेलीब्रेटी बायोटेक कंपनी की सिप्रोविन, मखून माजरा की ऐरिसो फार्मास्युटिकल कंपनी की मोटोसेप के दो सैंपल फेल हुए हैं। कालाअंब के नितिन लाइफ साइंस की प्रोमेथाजिन, क्वालिटी फार्मास्युटिकल कंपनी की कैंसर की दवा इफोस्फामाईड, कालाअंब की डिजिटल विजन कंपनी की बुप्रोन एसआर, बद्दी की सेफोपेराजोन, पाइपेरासिलिन के सैंपल फेल हुए हैं। साइसरोज रेमडीज कंपनी की विटामिन-बी की न्यूरोपाइन दवा, सोलन स्थित जेएम लैब की ब्लड प्रेशर की दवा टोर्सेमि, बद्दी स्थित क्लस्टा फार्मास्युटिकल कंपनी में मधुमेह की दवा न्यूरोकेम, झाड़माजरी वेडस्प फार्मास्युटिकल कंपनी की संक्रमण की दवा इंडक्लेव और बद्दी की ट्रिविजन हेल्थ केयर कंपनी का दर्द की दवा स्टे हैप्पी ट्रिपसिन भी मानकों पर सही नहीं पाई गई है।
प्रदेश में 23 दिनों से बारिश नहीं हो रही है बारिश पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश से बादल और बारिश इन दिनों गायब नजर आ रहे हैं। लंबे वक्त से बारिश न होने की वजह से मौसम शुष्क बना हुआ है । राज्य में रेनफॉल एक्टिविटी में भारी गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, दो अक्टूबर मानसून के विदाई के साथ ही राज्य में रेनफॉल एक्टिविटी में जमी आई है। इसकी वजह से राज्य में ड्राई स्पेल देखा जा रहा है. ने वाले दिनों में भी मौसम साफ बने रहने का अनुमान है। हिमाचल प्रदेश में अक्टूबर महीने के अंत तक मौसम साफ रहेगा। प्रदेश भर में दोपहर के बाद धूप खिल रही है, लेकिन सुबह और शाम के वक्त ठंड महसूस की जा रही है । हिमाचल प्रदेश के छह जिले ऐसे हैं, जहां 100 फ़ीसदी तक कम बारिश हुई. यहां बीते 23 दिनों में शून्य मिलीमीटर बारिश हुई है । राज्य के बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कुल्लू, सिरमौर और सोलन जिला में शून्य मिलीमीटर बारिश हुई है। बात अगर अन्य छह जिलों की करें, तो बीते 23 दिनों में कांगड़ा में 1.5, किन्नौर में 0.4, लाहौल स्पीति में 0.1, मंडी में 3.4, शिमला में 0.2 और ऊना में 8.6 मिलीमीटर ही बारिश हुई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, अक्टूबर महीने में अमूमन कम ही बारिश होती है। राज्य में सामान्य तौर पर 22.3 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार अक्टूबर महीने में सिर्फ 0.7 मिलीमीटर ही बारिश हुई. आने वाले दिनों में भी मौसम साफ बने रहने का ही अनुमान है ।
हिमाचल प्रदेश में अब नदी में आपदा के समय रात के समय भी रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा सकेगा। रिवर राफ्टिंग के माध्यम से युवा रात के समय रेस्क्यू कर सकेंगे और नदी में कोई शख्स फंस गया होगा तो उसे भी बचाया जा सकेगा । इसी विषय को लेकर जिला कुल्लू के मुख्यालय के साथ लगते पीरडी में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान 18 युवाओं को रिवर राफ्टिंग गाइड का कोर्स करवाया जा रहा है। इसमें नाइट रेस्क्यू का विषय भी विशेष रूप से शामिल है। नाइट रेस्क्यू के तहत युवाओं को इस बात का प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि नदी में किस तरह से रात के समय आपदा में बचाव कार्य किया जा सके और किस तरह से रात को रेस्क्यू करने में उन्हें आसानी हो सके। रिवर राफ्टिंग गाइड कोर्स के इंस्ट्रक्टर विक्की ने बताया "राफ्टिंग सेंटर पीरडी कुल्लू में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के माध्यम से एडवांस राफ्टिंग गाइड कोर्स कुल्लू घाटी के स्थानीय रिवर गाइड्स के लिए चलाया जा रहा है। इनको राफ्ट रेस्क्यू, नाइट नेविगेशन मार्च, कैजुअल्टी, इवैक्यूएशन आदि ड्रिल्स सिखाई जा रही है। इसी विषय के तहत प्रतिभागियों को आधी रात को ब्यास नदी में उतारा गया, जिसके चलते नदी में पूरी रात यह प्रतिभागी नाइट सर्च ऑपरेशन करते रहे । इंस्ट्रक्टर विक्की ने कहा एडवांस कोर्स में सर्वाइवल नाइट और नाइट सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन इस कोर्स का पार्ट है जो हर एक गाइड को करना अनिवार्य है । इसके अलावा रिवर राफ्टिंग के माध्यम से युवा अपने लिए रोजगार भी स्थापित कर रहे हैं और पर्यटक भी ब्यास नदी में रिवर राफ्टिंग का मजा ले रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में अब उच्च पदों पर युक्तिकरण होगा। जरूरत के हिसाब से अधिकारियों की नियुक्तियां की जाएंगी। सचिवालय में तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया। पड़ोसी राज्यों से भी अधिक प्रदेश की सप्लाई कॉस्ट को भी कम करने के लिए योजना बनाने पर सहमति बनी। कमेटी ने विभिन्न कर्मचारी यूनियनों से भी चर्चा की। अगली बैठक में कैबिनेट को सौंपने के लिए रिपोर्ट तैयार हो सकती है। बोर्ड को आर्थिक तौर पर मजबूती के लिए मंत्री धर्माणी की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी बनाई गई है। मीडिया से मंत्री धर्माणी ने कहा कि बोर्ड के 261 अफसर पावर कॉरपोरेशन व ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन में सेवाएं दे रहे हैं। इन पदों की पदोन्नितयां बिना पद सृजित कर दी गईं। इसका असर फील्ड स्टाफ पर पड़ा। इसे चलाए रखने के लिए मेंटनेंस गैंग और आउटसोर्स पर भर्तियां करनी पड़ीं। काॅस्ट कटिंग के लिए फील्ड स्टाफ पर कट लगा। अब उच्च पदों पर युक्तिकरण का फैसला लिया गया है। विद्युत विनियामक आयोग ने बोर्ड को वित्तीय स्थिति में सुधार, कर्मचारी लागत कम करने के निर्देश दिए हैं। आयोग विद्युत क्षेत्र में सुधार और विद्युत दरें निर्धारित करता है। वर्तमान में बिजली की खरीद लागत 3.50 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि आपूर्ति की वास्तविक लागत 6.79 रुपये प्रति यूनिट हैै। देश में सबसे कम खरीद लागत के बावजूद उच्च कर्मी लागत के कारण उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली नहीं मिलती। जो सुधार के कदम उठाए जा रहे हैं, उनका असर पांच-छह वर्ष बाद दिखेगा। पूर्व सरकार की नीतियों के चलते बोर्ड में 11,500 पद रिक्त हैं।
जलवायु परिवर्तन के चलते हिमालयी क्षेत्रों में स्नो लाइन की तरह अब कई प्रजातियों के पेड़ भी ऊपर की तरफ खिसक रहे हैं। बढ़ते तापमान के कारण कई प्रजातियां निचले क्षेत्रों में खत्म हो रही हैं। कई पेड़ अब ऊंचे क्षेत्रों में ही दिख रहे हैं। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला के हालिया अध्ययनों में सामने आया है कि कई पेड़ अब पहले के बजाय 100 से 300 और कुछ 1000 मीटर तक ऊंचाई की ओर बढ़ गए हैं। देवदार जो पहले 1,500 से 2,500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता था अब 3,000 मीटर के करीब ही देखा जा रहा है। हर दशक में पेड़ औसतन 20 से 25 मीटर ऊपर खिसक रहे हैं। अध्ययनों से पता चला है कि समग्र वृक्ष रेखा विशेष रूप से अल्पाइन क्षेत्रों में हर दशक में औसतन 20 से 25 मीटर ऊपर खिसक रही है। कम ऊंचाई की प्रजातियां जैसे बान ओक और चीड़ मध्य ऊंचाई के जंगलों में प्रवेश कर रही हैं। ऊंचाई की प्रजातियां सीमित होती जा रही अल्पाइन क्षेत्रों में सिमट रही हैं। हालांकि, बदलाव समान रूप से नहीं हो रहा है। कुछ प्रजातियां तेजी से प्रतिक्रिया कर रही हैं। अन्य धीमी गति से ऊपर बढ़ रही हैं। हिमालयी फर करीब 200–250 मीटर तक ऊपर खिसक चुका है। बर्च पहले से ही वृक्ष रेखा के निकट था, इसमें करीब 100–150 मीटर तक का बदलाव दिखा है। हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक विनीत जिस्टू ने माना कि जलवायु परिवर्तन से लगातार वनस्पति की ऊंचाई में बढ़ोतरी हो रही है। कुछ प्रजातियों पर बहुत बुरा असर हो रहा है और वे विलुप्त होने के कगार पर हैं। जलवायु परिवर्तन से वनस्पति पर हो रहे बदलाव को समझने के लिए वन विभाग और हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान वर्ष 2010 से शोध कर रहा है। शोध में कल्पा के चौरा कंडा, किन्नौर के नरदा कंडा और ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में उग रही वनस्पति की ऊंचाई को दर्ज किया जा रहा है। शोध के प्रारंभिक नतीजों में भी प्रजातियों की ऊंचाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सनातन धर्म के अनुसार इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा । यह त्योहार भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और यक्षराज कुबेर की कृपा पाने के लिए मनाया जाता है और इस दिन खरीदारी करने का भी शास्त्रों में विधान लिखा गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो खरीदारी की जाती है, उसका तीन गुना अधिक फल मिलता है । धनतेरस के साथ दीवाली त्योहार का भी शुभारंभ हो जाता है। आचार्य विजय कुमार ने कहा, "कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि भी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिस कारण इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से जाना जाता है। इस साल त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर होगा । इसके अलावा इस दिन गोधूलि काल शाम 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. ऐसे में भक्तों के लिए धनतेरस की पूजा के लिए 1 घंटा 42 मिनट का समय मिलेगा । आचार्य विजय कुमार ने कहा, "धनतेरस की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है और इसी भगवान धन्वंतरि की पूजा करने के साथ साथ दीपदान भी किया जाता है। भक्त अपने घर के मेन गेट, या पानी के पास एक एक दीपक भी जलाए । शास्त्रों में मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। आचार्य विजय कुमार ने बताया कि धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है । इस योग में खरीदारी करना बहुत शुभ होता है। यह योग सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर अगले दिन तक 10 बजकर 31 मिनट पर रहेगा. इस योग में की गई खरीदारी करने से चीजों में तीन गुणा वृद्धि होती है । धनतेरस के दिन अभिजीत मुहूर्त बन रहा है। इस योग में खरीदारी करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी । 29 अक्टूबर के दिन 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट के बीच लोग जरूर खरीदारी करें। धनतेरस के दिन सुबह भक्त स्नान करने के बाद भगवान गणेश, लक्ष्मी और कुबेर देव की स्थापना करें। उसके बाद इन सभी देवी देवताओं को मोली अर्पित करें । फिर पूजा में रोली अक्षत, पान का पत्ता, मिठाई, फल, फूल आदि चीजें भी अर्पित करें। साथ ही कुबेर देव को अपनी श्रद्धा के अनुसार चीजें अर्पित करें। इसके बाद भगवान धन्वंतरि और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और घी के दीपक से आरती उतारें। पूजा के बाद प्रसाद को सभी में बांट दें और रात्रि जागरण भी करें। शाम के समय मेन गेट और आंगन में दीपक भी जलाएं। क्योंकि दीपावली के पर्व की शुरुआत होती है ।
प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया है। अंबोटा ऊना के कुलदीप कुमार धीमान को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। कुलदीप कुमार पूर्व में उद्योग मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। वह विधानसभा उपाध्यक्ष व अध्यक्ष वित्त आयोग भी रहे। वहीं जवाली कांगड़ा के दिग्विजय मल्होत्रा को आयोग का सदस्य बनाया गया है। इस संबंध में सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है।
** संयुक्त मोर्चा ने किया विरोध हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में आउटसोर्स से लगे 81 चालकों की सेवाएं समाप्त करने की तैयारी है। इसका हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी एवं इंजीनियर संयुक्त मोर्चा ने विरोध किया है। संयोजक लोकेश ठाकुर और सह संयोजक हीरालाल वर्मा ने कहा कि संयुक्त मोर्चा इस विषय को सरकार के समक्ष उठाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस बारे बोर्ड की ओर से जारी किए गए निर्देश को तुरंत वापस लिया जाए। नेताओं ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि जिन आउटसोर्स कर्मियों ने 10-12 वर्ष बिजली बोर्ड में अपने उज्ज्वल भविष्य का सपना देखकर कम वेतन पर लंबे समय तक अपनी सेवाएं दीं और आज उनकी सेवाएं समाप्त करना दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं, बल्कि उनके साथ बहुत बड़ा धोखा है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुखद है कि प्रदेश सरकार यदि आउटसोर्स कर्मियों के हित मे कोई नीति नहीं बना सकती है तो कम से कम उनको नौकरी से तो नहीं निकाला जाना चाहिए। यह लोकतांत्रिक सरकार की सामाजिक उत्थान की जिम्मेवारियों के अनुरूप नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस महंगाई के दौर मे यह कर्मी जहां मुश्किल से अपना गुजारा कर रहे हैं, वहीं अपनी अगली पीढ़ी को बेहतर स्वास्थ्य व शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं। मोर्चा ने बिजली बोर्ड मैनेजमेंट से आग्रह किया कि छंटनी के इन आदेशों को तुरंत रद्द किया जाए और आउटसोर्स कर्मियों को स्थायी नीति बनाई जाए। फ्रंट ने मांग की है कि बिजली बोर्ड में समाप्त किए गए 51 पदों को तुरंत बहाल किया जाए। आउटसोर्स पर रखे गए यह चालक बिजली बोर्ड के नहीं, बल्कि कंपनी के थे। बोर्ड इनकी सेवाएं ले रहा था। अब बिजली बोर्ड में स्क्रैप पॉलिसी में वाहनों को हटा दिया गया है तो अब इनसे काम नहीं लिया जा रहा था। इन्हें कंपनी ने ही वापस बुलाया है।
** सोलन डाइट ने की पहल जेबीटी प्रशिक्षुओं को निजी शिक्षण संस्थानों में भी नौकरी मिल सकेगी। इसके लिए डाइट सोलन ने पहल की है। इसमें डाइट की ओर से निजी शिक्षण संस्थानों के लिए कैंपस इंटरव्यू आयोजित कर प्रशिक्षुओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। अब तक प्रशिक्षु जेबीटी करने के बाद कई वर्षों तक सरकारी नौकरी को लेकर घर पर बैठ जाते थे। अब उनके इस इंतजार के बीच में उन्हें रोजगार से भी जोड़ा जा रहा है। हाल में डाइट सोलन के आठ प्रशिक्षुओं का चयन सोलन समेत शिमला के निजी शिक्षण संस्थानों के लिए हुआ है। इसमें कुछ प्रशिक्षुओं को आउटऑफ स्कूल के लिए एक निजी संस्था ने चयनित किया है। इसमें उन्हें संस्था और विभाग की ओर से भी अच्छा पैकेज दिया गया है। डाइट सोलन के प्रिसिंपल डॉ. शिव कुमार शर्मा ने बताया कि प्रशिक्षु अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी नौकरी पाने के लिए बारी के इंतजार में कई वर्ष घर पर ही लगा देते हैं। इस बीच न तो उनकी पाठन प्रक्रिया का विकास होता है, और नहीं उनके पास कोई अपना अनुभव रहता है। नई मुहिम के तहत वह कैंपस इंटरव्यू में भाग लेकर निजी शिक्षण संस्थानों में भी बच्चों को पढ़ा सकते हैं। इससे उनका अनुभव भी बढ़ेगा। हाल ही में डाइट सोलन के आठ प्रशिक्षुओं का चयन निजी शिक्षण संस्थानों के लिए हुआ है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय फागू में आयोजित राजगढ़ खंड की बाल विज्ञान कांग्रेस में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय छोग टाली की आरुषि तथा लवीश की टीम ने वरिष्ठ वर्ग की विज्ञान प्रश्नोत्तरी में प्रथम स्थान प्राप्त किया,जबकि इसी विद्यालय के अभय ने कनिष्ठ वर्ग की गणित ओलंपियाड में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। बाल वैज्ञानिकों के इस उत्कृष्ट प्रदर्शन पर गणित शिक्षक सुरेश ठाकुर तथा विज्ञान शिक्षिका अलका भलेइक की प्रशंसा करते हुए विद्यालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष मनोज ठाकुर, पंचायत प्रधान अंजना ठाकुर प्रधानाचार्य सुरेंद्र पुंडीर ,प्रवक्ता भूपेंद्र चौहान , रामानंद सागर, राजू राम शर्मा, प्रोमिला कुमारी, रामलाल ठाकुर, ललिता कुमारी, रामलाल सूर्या, प्राची पंवार ,मीरा वर्मा, राजेंद्र चौहान गैर शिक्षक कौशल्या देवी तथा सुभाष चंद ने आशा व्यक्त की कि जिला स्तर पर भी यह विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन करेंगे।
सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनरों को दिवाली से पहले कई तोहफे दिए हैं। सरकार ने 75 साल से अधिक उम्र के पेंशनरों को नए संशोधित वेतनमान के बाद पेंशन का बकाया 22.50 प्रतिशत बचा एरियर देने के आदेश जारी किए हैं। कुल 45 प्रतिशत एरियर में से आधा यानी कि 22.50 फीसदी सरकार 9 अक्तूबर को पेंशन के साथ दे चुकी है। सरकार ने 75 साल से अधिक उम्र के करीब तीस हजार पेंशनरों को एक माह के अंदर ही पूरा एरियर दे दिया है। बताया जा रहा है कि 22.50 प्रतिशत एरियर पेंशनरों को 28 अक्तूबर को पेंशन के साथ ही जारी किया जा सकता है। सरकार ने हिमाचल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी नए वेतनमान का एरियर जारी करने के आदेश दिए हैं। इनकी संख्या करीब 25 हजार के आसपास बताई जा रही है। ग्रुप डी यानी चतुर्थ श्रेणी के हर कर्मी को नए वेतनमान के बकाया एरियर के 20 हजार रुपये जारी करने के सरकार के आदेश हैं। कर्मचारियों को एरियर अक्तूबर में ही देने के आदेश दिए गए हैं। एक जनवरी 2016 से नया वेतनमान लागू होने के बाद से इनका एरियर देय है। प्रधान सचिव वित्त ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, हिमाचल हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, मंडलीय आयुक्तों, उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में एक चिट्ठी भेजी है। बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने एरियर देने की घोषणा पहले ही की थी। एरियर हिमाचल प्रदेश सिविल सर्विसेज संशोधित वेतनमान नियम 2022 के तहत देय होगा। इससे पहले चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को 60-60 हजार दिए गए थे और अब 20-20 हजार रुपये और दिए जाएंगे। हिमाचल सरकार के वित्त विभाग ने राज्य के करीब पौने दो लाख पेंशनरों को चार फीसदी महंगाई भत्ता जारी करने के भी आदेश जारी किए हैं। इसी माह पेंशन के साथ भत्ता दिया जाएगा। डीए की किस्त एक अक्तूबर 2024 से 38 से बढ़ाकर 42 प्रतिशत की गई है। एक जनवरी 2023 से लेकर 30 सितंबर 2024 तक के डीए के एरियर का भुगतान अलग आदेश के तहत किया जाएगा।
** लाखों परिवारों की दिवाली में घुलेगी मिठास हिमाचल में फेस्टिव सीजन में महंगाई के बढ़ते बोझ ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है। दिवाली के पहले ही बाजार में महंगाई ने एक तरह से आग लगा दी है। प्रदेश भर के बाजारों में रोज़मर्रा की ज़रूरतों की चीजों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। त्योहारी सीजन में प्याज के दाम बढ़कर 60 रुपए तक पहुंच गए हैं। टमाटर पहले ही 100 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। वहीं, खाद्य तेल की कीमतें 200 प्रति लीटर तक के आंकड़े को छू रही हैं। आटा-दाल चावल और चीनी के भाव भी सातवें आसमान पर हैं इससे त्योहारी सीजन में बाजार से राशन खरीदना लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है ।खासकर आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने से गरीब और निम्न वर्ग के लोगों को जीवन यापन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रदेश के लाखों परिवारों के लिए राहत की खबर ये है कि डिपुओं के जरिए सरकार 100 ग्राम प्रति व्यक्ति अतिरिक्त चीनी का फेस्टिवल कोटा दे सकती है । इसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने एक प्रस्ताव सरकार को भेजा है। यहां से मंजूरी मिलते ही 19 लाख से अधिक राशन कार्ड धारकों को चीनी का फेस्टिवल कोटा जारी किया जाएगा। त्योहारी सीजन में मिठाइयों की अधिक डिमांड रहती है, जिससे इन दिनों बाजारों में चीनी की खपत भी ज्यादा रहती है। ऐसे में चीनी का रिटेल भाव भी 48 रुपए किलो तक पहुंच गया है। वहीं, डिपुओं के जरिए लोगों को यही चीनी बाजार से सस्ते रेट पर उपलब्ध कराई जाती है। प्रदेश में 5200 से अधिक डिपुओं के माध्यम से बीपीएल परिवारों को 13 रुपये प्रति किलो के हिसाब से चीनी दी जा रही है। इसी तरह से नॉन टैक्स पेयर एपीएल परिवारों को यही चीनी 33 रुपए प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध हो रही है। वहीं, टैक्स पेयर उपभोक्ताओं को डिपुओं में चीनी प्रति किलो के हिसाब से 44 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। उचित मूल्य की दुकानों के जरिए सरकार प्रति व्यक्ति 500 ग्राम चीनी का कोटा देती है, लेकिन फेस्टिवल सीजन में 100 ग्राम अतिरिक्त चीनी का कोटा मिलने से प्रति व्यक्ति 600 ग्राम चीनी मिलेगी ।
उप मंडल मुख्यालय संग्रह के बाल विद्या निकेतन पब्लिक स्कूल प्रांगण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जिला इकाई हरिपुरधार द्वारा गुरुवार को वार्षिक पथ संचलन किया गया। इस अवसर पर सोलन विभाग संघ चालक चंदशेखर ने संघ के भगवां ध्वज के समक्ष नतमस्तक होकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम में योगेंद्र कपिल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र के 100 के करीब स्वयं सेवको ने भाग लिया। इसके बाद सभी स्वयंसेवकों ने संघ गणवेश में बाल विद्या निकेतन पब्लिक स्कूल प्रांगण से संघ के बेंड के साथ बस अड्डा बाजार से वन परिक्षेत्राधिकारी कार्यालय होते हुए वापस कार्यक्रम स्थल तक पथ संचलन किया। इस दौरान विभाग संघ चालक चंद्रशेखर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा कैशव बलिराम हेडगेवार के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए संघ द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने की सलाह दी। खंड कार्यवाह सतपाल शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि विजय दशमी से दीपावली तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा वार्षिक पथ संचलन किया जाता है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संगड़ाह के विद्यार्थियों ने हरिपुरधार के निकट मानव हिल रिसॉर्ट में दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान टूरिज्म व्यवसाय के विभिन्न पहलुओं का प्रशिक्षण प्राप्त किया। विद्यालय के जमा एक और जमा दो कक्षा के 50 छात्र छात्राओं ने टूरिज्म व्यवसाय के अंतर्गत कुकिंग, कैटरिंग, हाउसकीपिंग और होटल मैनेजमेंट की अनेक विधाओं का व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस दो दिवसीय व्यावसायिक कार्यशाला के दौरान विद्यालय के 50 छात्र छात्राओं ने मानव हिल रिसोर्ट में पहुंच कर ट्रैकिंग, कैम्पिग के अलावा गीत संगीत और क्विज प्रतियोगिता सहित अनेक कार्यक्रमों में भाग लेने के साथ साथ मानव हिल रिसोर्ट में एक शाम गुजार कर पर्यटन व्यवसाय के विभिन्न पहलुओं का बारीकी से अध्ययन किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए मानव रिजॉर्ट के प्रबंध निदेशक मेला राम शर्मा ने बताया की पर्यटन व्यवसाय एक उत्तम रोजगारमूलक व्यवसाय हैं और सिरमौर जिला के हरिपुरधार क्षेत्र में यहां के नैसर्गिक सौंदर्य के कारण पर्यटन विकास की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि पर्यटन के क्षेत्र में स्वरोजगार और दूसरों को रोजगार देने की संभावनाओं के कारण हिमाचल में यह व्यवसाय बहुत विस्तृत तौर पर फल फूल रहा है । पाठशाला क व्यवसायिक अध्यापक रिशव शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में स्वच्छ आवोहवा और अद्भुत प्राकृतिक नजारों के कारण हर साल देश विदेश से लाखों सैलानी हिमाचल भ्रमण पर आते हैं। उन्होने कहा कि हिमाचल में पर्यटन व्यवसाय युवाओं के उज्जवल भविष्य का आधार बन सकता है। उन्होंने अधिक से अधिक युवाओं को इस पर्यटन व्यवसाय से को अपने का आवाहन किया ताकि स्वरोजगार के साथ-साथ हुए दूसरों को भी रोजगार के साधन मुहैया करवा सके। इस दौरान मानव हिल रिजॉर्ट में विद्यार्थियों को सैलानियों के लिए भोजन तैयार करने, खाना परोसने, सफाई व्यवस्था बनाए रखने, हाउसकीपिंग के साथ-साथ कैंपिंग टेंट तैयार करने इत्यादि होटल मैनेजमेंट विधाओं का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर हरिपुरधार से ट्रैक ट्रेकिंग के एक्सपर्ट अनिल राणा और प्रवीण ठाकुर ने विद्यार्थियों को कैंपिंग टेंट लगाने और ट्रैकिंग की अनेक रोमांचक विधाओं का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। विद्यार्थियों ने इस दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान मानव हिल रिसॉर्ट में झूले झूलने के साथ साथ सिरमौर नाटिया लगाकर खूब मौज मस्ती की और अपने जीवन की एक शाम को यादगार बनाया । इस अवसर पर पाठशाला के अध्यापकों ओमप्रकाश पुंडीर, रजनीश कोंडल और पूनम ने मानव हिल रिजॉर्ट मैं भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों मैं अनुशासन व्यवस्था बनाए रखने में अपना अमूल्य सहयोग दिया।
** अनुबंध और एसएमसी शिक्षकों की दिवाली फीकी हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने सरकारी कर्मचारीयों को 4% डीए देकर जहां एक अहम मुद्दे को शांत कर दिया है, वहीं शिक्षकों के कुछ तबके ऐसे भी हैं जो सरकार पर राहत के लिए निगाहें गढ़ाए बैठे हैं। हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारीयों ने एकजुट होकर एक उम्मीद से सुक्खू सरकार को भरपूर समर्थन दिया था कि उनके सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुक्खू सरकार सहानुभूति पूर्वक निर्णय लेगी लेकिन दो वर्ष पूर्ण होने पर भी कर्मचारीयों की आकांक्षाएं ज्यों की त्यों बरकरार है। जहां अनुबंध कर्मचारियों को वर्ष में दो बार नियमित किया जाना था, सुक्खू सरकार ने उन्हें वर्ष में एक बार ही नियमित करने का निर्णय लिया है, जिससे अनुबंध शिक्षकों को खासी निराशा हाथ लगी है और दो साल पूर्ण होने पर भी प्रदेश सरकार पर राहत के लिए नजरें गढ़ाए बैठे हैं ।वहीं एसएमसी शिक्षकों के लिए भी कोई ठोस नीति नहीं बन पाई है। प्रदेश के अति दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे बहुत से एसएमसी शिक्षक लगभग 12 वर्षों की लंबी अवधि पूर्ण करने पर भी कोई नीति न बनने से हताश बैठें हैं। इन वर्गों को तो अपने भविष्य की ही चिंता सताए जा रही है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जिला सिरमौर ईकाई के अध्यक्ष कपिल मोहन ठाकुर, जिला महामंत्री दीपक त्रिपाठी, ज़िला संगठन मंत्री श्यामलाल भटनागर, प्रदेश उपाध्यक्ष विजय कंवर, ऋषिपाल शर्मा, मामराज चौधरी, शिवानी शर्मा, राधेश्याम शास्त्री, बलदेव सिंह आदि ने एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारीयों को 4% डीए देकर इस महंगाई के दौर में एक राहत प्रदान की है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसका 21 माह का 1-1-2023 से लंबित एरियर भी इस माह के वेतन के साथ ही एकमुश्त दे देना चाहिए। नियमित शिक्षकों के साथ - साथ शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो अभाव और असुरक्षा में अपनी गुजर वसर कर रहा है। दिवाली और त्योहारों पर दिए जाने वाले भत्ते और आर्थिक लाभों से कोसों दूर है। अनुबंध शिक्षक जो 2 वर्ष पूर्ण कर नियमितीकरण की आस में बैठे हैं, उन्हें पहले की भांति ही वर्ष में दो बार नियमित करने पर सरकार सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए एसएमसी शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग प्रदेश सरकार से नियमितीकरण की आस लगाए बैठा है,अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ जिला सिरमौर हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार से निवदेन करता है, कि शिक्षा प्रदेश की बुनियाद है और समाज के सशक्तिकरण में अहम भूमिका अदा करती है।अतः सरकार को प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को दुरस्त और मजबूत करने के लिए प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को आर्थिक और समाजिक सुरक्षा प्रदान करनी होगी।