दो बच्चो व तीन अध्यापको के साथ शुरू हुआ था विद्यालय, आज है करीब 900 छात्र कठोर परिश्रम करना एक ऐसा जज्बा है जिसके आधार पर मनुष्य मनचाही सफलता प्राप्त कर सकता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अंतरनिर्भर होने के साथ साथ अगर उसमे सामाजिक कल्याण की भावना निहित हो तो निश्चित वह एक असाधारण व्यक्तित्व का स्वामी होता है। ऐसे ही धेर्यवान व विवेकी व्यक्तित्व की अनकही गाथा ब्यान कर रहा है कुनिहार क्षेत्र के अंतर्गत स्थित बी एल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कुनिहार जो अपने स्थापना वर्ष 1995 से लेकर अब तक निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। इस विद्यालय की शुरुआत प्रबन्धक गोपाल शर्मा द्वारा महज दो बच्चो व तीन अध्यापको के साथ की गई। आज आलम यह है कि विद्यालय ही हर राह मंजिल पाने को आतुर है। 250 की फीस आधी तो 25 को निशुल्क शिक्षा: समाज के हर तबके का ध्यान रखते हुए ही विद्यालय में लगभग 250 विद्यार्थियों की फीस आधी और 25 से अधिक को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है जो प्रधानमंत्री के विचार “सब पढ़े सब बढ़े “ को प्रतिपादित करता है। इतना ही नही ग्रामीण क्षेत्रो के बच्चो को घर द्वार पर बस सेवा कम दरो पर उपलब्ध कराई जाती है ताकि उन्हें भी अच्छी शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिले। यहाँ के छात्र हर क्षेत्र में अव्वल: इस विद्यालय के विद्यार्थियो को शैक्षणिक गुणों के विकास के साथ साथ बहुमुखी प्रतिभा निखारने के अवसर प्रदान किए जाते है। पूरी तरह से आधुनिक तकनीक से लेकर यह स्कूल नैतिक मूल्यों के विकास, अनुशाशन और कर्मठता जैसे गुणों के विकास पर भी ध्यान देता है। व्यवहार वह दर्पण है जिसमे मनुष्य अपना अक्श झलकाता है। अतः इस का उद्देश्य एक ऐसी शिक्षा प्रदान करना है जो विद्यार्थियों का सर्वागीण विकास करें और जीवन की व्यवहारिकता पर भी खरी उतरें। वरन यह उसी का परिणाम है की यहाँ पढ़ चुके विद्यार्थी डॉक्टर, वकील, इंजिनियर, आर्मी व नेवी अफसरों जैसे उच्च पदों पर आसीन होकर न सिर्फ विद्यालय व अभिभावकों का नाम रोशन कर रहे हैं, बल्कि एक अच्छे नागरिक व प्रशासक के रूप में समाज के कल्याण में अपनी सहभागिता निभा रहे है।
प्रदेश के सबसे शिक्षित जिला हमीरपुर का 1 सितंबर 1972 में गठन हुआ था जिसके बाद इस जिले ने शिक्षा के क्षेत्र के साथ-साथ राजनीतिक रूप से भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है। 1972 से लेकर 2019 तक के सफर की बात करें तो इस दौरान हमीरपुर के लोगों ने यहां बहुत बड़ा बदलाव देखा। वहीं एक छोटा सा कस्बा देखते ही देखते शिक्षा का हब के रूप में पूरे प्रदेश में मशहूर हो गया। इसके साथ ही जब एनआईटी हमीरपुर में आया तो शिक्षा के जगत में एक बहुत बड़ा मुकाम हमीरपुर को हासिल हुआ। 1998 के बाद हमीरपुर में विकास की रफ्तार तो बढ़ी ही वहीं इसके साथ हमीरपुर में कई तरह के नए शिक्षा संस्थान खुले जिससे स्वरोज़गार और रोज़गार दोनों तरह के कई नए दरवाजे़ भी हमीरपुर के लिए खुल गए। आज की बात करें तो हमीरपुर जिला में इस समय मेडिकल कॉलेज, होटल मैनेजमेंट कॉलेज, एनआईटी टेक्निकल यूनिवर्सिटी, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अलावा शिक्षा से जुड़ी कई ऐसी एकेडमी चल रही हैं जिनका नाम पूरे प्रदेश में जाना जाता है। इसके साथ ही खेलों में विजय कुमार के रूप में ओलंपियन फौज में बड़ी संख्या में हीरो, चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टर डीएस राणा, शिक्षा के क्षेत्र में हिम एकैडमी, फिल्म इंडस्ट्री में हमीरपुर के लोगों का नाम और राजनीतिक के क्षेत्र में काफी जाना जाता है।
कलराज मिश्र के स्थान पर बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक रविवार को पांच राज्यपालों की नियुक्ति और तबादले किए गए हैं। राष्ट्रपति भवन कार्यालय द्वारा रविवार को जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र का तबादला कर उन्हें राजस्थान की कमान सौंपी गयी है। इसी के साथ भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र के राज्यपाल, आरिफ मोहम्मद खान केरल के राज्यपाल, और डा . तमिलिसाई सुंदरराजन तेलंगाना के राज्यपाल के पद की जिम्मेदारी संभालेंगे । बता दें कि अभी कुछ ही समय पहले कलराज मिश्र को हिमाचल का राज्यपाल बनाया गया था और अब फिर उन्हें बदल दिया गया है।
किसी महानुभव ने कहा है कि विपक्ष को नसीहत देना सत्ता पक्ष का जन्मजात गुण होता हो और उसे न मानना ही विपक्ष को विपक्ष बनाता है। सही या गलत, पर भई हिंदुस्तान की राजनीति तो ऐसे ही चलती है। यहाँ विपक्ष का काम विरोध करना है और ये विरोध सिर्फ विरोध करने के लिए ही होता है, और सत्ता पक्ष अक्सर उन्हें बेवजह विरोध न करने की नसीहत देता है। पर बेचारा विपक्ष भी क्या करें, आखिर धरना-प्रदर्शन और सत्ता विरोधी स्वर उठाकर ही नेता का पोर्टफोलियो मजबूत जो होता है। पर लगता है अपनी दुर्गति से तंग आ चुकी कांग्रेस अब इस परिपाटी को बदलना चाहती है। पार्टी की हालत वैसे भी डायनासौर की आखिर पीढ़ी जैसी है, ऐसे में कोंग्रेसियों ने निर्णय लिया है कि विकास के लिए वे सत्ता के कंधे से कन्धा मिलाकर आगे बढ़ेंगे। देर आयद दुरुस्त आयद ! इस बदलाव के नायक हिमाचल के कांग्रेसी विधायक है और दिलचस्प बात ये है इसकी शुरुआत भी उन्होंने अपने घर से की है। जब जयराम सरकार विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन संशोधन विधेयक, विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष वेतन संशोधन विधेयक और मंत्रियों के वेतन और भत्ता संशोधन विधेयक सदन में लाई, तो बेवजह गरजने वाले कांग्रेसी शेरों ने चू तक नहीं की।आवाज निकली जरूर पर ध्वनि मत से बिल पास करने के लिए और विधानसभा में मंत्रियों, विधायकों और पूर्व विधायकों के यात्रा भत्ता बढ़ाने को लेकर तीनों बिल फटाक से पास हो गए। पर एक आदमी इस बात को नहीं समझ रहा, पता नहीं क्यों हल्ला मचाया हुआ है ? ठियोग के विधायक राकेश सिंघा ने को पता नहीं आपत्ति क्यों है ? सिंघा को समझना चाहिए कि भई जनता के टैक्स से इन जनता के सेवकों के लिए इतना तो किया ही जा सकता है। खेर राकेश सिंघा कर भी क्या लेंगे ! अकेला चना भाड़ नहीं भोड़ता। कितना भी चिल्ला लो सिंघा महोदय पर अब इन जनसेवकों का यात्रा भत्ता मौजूदा 2.50 लाख रुपये वार्षिक से बढ़ाकर 4 लाख होने जा रहा है। इस व्यवस्था से राजकोष पर वार्षिक 2.20 करोड़ का अतिरिक्त भार जरूर पड़ेगा, पर आखिर जनता भी कोई फर्ज होता है !
सोलन ज़िला के अंतर्गत परवाणु पुलिस ने चिट्टे सहित तीन व्यक्तियों को कब्ज़े में लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार की सुबह परवाणु पुलिस ने राष्ट्रीय उच्च मार्ग 05 के नज़दीक, पंचकूला की तरफ से धर्मपुर की और जा रही करेटा कार न. HP 74- 9869 से चेकिंग के दौरान 27.23 ग्राम चिट्टा बरामद किया गया। आरोपियों की पहचान संजीव भारद्वाज पुत्र प्यारे लाल निवासी गांव सूजी डाकखाना जावली तहसील कसौली जिला सोलन आयु करीब 40 वर्ष, सुरिंद्र कुमार पुत्र राम चंद निवासी गांव वझोडू डाकखाना जोवडी तहसील अर्की जिला सोलन आयु करीब 33 वर्ष तथा रवि कुमार पुत्र राजिन्द्र कुमार निवासी मकान न० 03 गली न० 01 अरमान नगर डकोआ जालंधर कैंट पंजाब आयु करीब 32 वर्ष के तौर पर हुई है। परवाणु पुलिस द्वारा आगामी कार्यवाही की जा रही है।
तहसील जुब्बल कोटखाई में मां हाटेश्वरी का प्राचीन मंदिर है। यह शिमला से लगभग 110 किमी की दूरी पर समुद्रतल से 1370 मीटर की ऊंचाई पर पब्बर नदी के किनारे समतल स्थान पर है। मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 700-800 वर्ष पहले हुआ था। मंदिर के साथ लगते सुनपुर के टीले पर कभी विराट नगरी थी, जहां पर पांडवों ने अपने गुप्त वास के कई वर्ष व्यतीत किए। माता हाटेश्वरी का मंदिर विशकुल्टी,राईनाला और पब्बर नदी के संगम पर सोनपुरी पहाड़ी पर स्थित है । मूलरूप से यह मंदिर शिखराकार नागर शैली में बना हुआ था,बाद में एक श्रद्धालु ने इसकी मरम्मत कर इसे पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया। मंदिर के दक्षिण पश्चिम में चार छोटे शिखर शैली के मंदिर देखने को मिलते हैं। यह मुख्य अर्धनारिश्वरी मंदिर के अंग माने जाते हैं। मां हाटकोटी के मंदिर में एक गर्भगृह है जिसमं मां की विशाल मूर्ति विद्यमान है। यह मूर्ति महिषासुर मर्दिनी की है। इतनी विशाल प्रतिमा न केवल हिमाचल में ही बल्कि भारत के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भी देखने को नहीं मिलती। प्रतिमा किस धातु की है इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। यहां के स्थायी पुजारी ही गर्भगृह में जाकर मां की पूजा कर सकते हैं। कहा जाता है की यहाँ आने पर माता बीमारियों को दूर करती है। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के बाई ओर एक ताम्र कलश लोहे की जंजीर से बंधा है जिसे स्थानीय भाषा में चरू कहा जाता है। चरू के गले में लोहे की जंजीर बंधी है। यहां की मान्यता है कि सावन भादों में जब पब्बर नदी अत्यधिक बाढ़ से ग्रसित होती है, तब हाटेश्वरी मां का यह चरू सीटियां भरता है और भागने का प्रयास करता है। मंदिर के दूसरी ओर बंधा चरू नदी के वेग से भाग गया था, जबकि पहले को मंदिर पुजारी ने पकड़ लिया था। चरू पहाड़ी मंदिरों में कई जगह देखने को मिलते हैं। इनमें यज्ञ में ब्रह्मा भोज के लिए बनाया गया हलवा रखा जाता है। एक लोकगाथा के अनुसार इस देवी के संबंध में मान्यता है कि बहुत वर्षो पहले एक ब्राह्माण परिवार में दो सगी बहनें थीं उन्होंने अल्प आयु में ही सन्यास ले लिया और घर से भ्रमण के लिए निकल पड़ी। उन्होंने संकल्प लिया कि वे गांव-गांव जाकर लोगों के दुख दर्द सुनेंगी और उसके निवारण के लिए उपाय बताएंगी। दूसरी बहन हाटकोटी गांव पहुंची जहां मंदिर स्थित है। उसने यहां एक खेत में आसन लगाकर ईश्वरीय ध्यान किया और ध्यान करते हुए वह लुप्त हो गई। वो जिस स्थान पर वह बैठी थी वहां एक पत्थर की प्रतिमा निकल पड़ी। इस आलौकिक चमत्कार से लोगों की उस कन्या के प्रति श्रद्धा बढ़ी और उन्होंने इस घटना की पूरी जानकारी तत्कालीन जुब्बबल रियासत के राजा को दी। जब राजा ने इस घटना को सुना तो वह तत्काल पैदल चलकर यहां पहुंचा और इच्छा प्रकट की कि वह प्रतिमा के चरणों में सोना चढ़ाएगा जैसे ही सोने के लिए प्रतिमा के आगे कुछ खुदाई की तो वह दूध से भर गया। उसके उपरांत खोदने पर राजा ने यहां पर मंदिर बनाने का निश्चय लिया। लोगों ने उस कन्या को देवी रूप माना और गांव के नाम से इसे 'हाटेश्वरी देवी' कहा जाने लगा।
अंबुजा सीमेन्ट फाउंडेशन प्राईवट आईटीआई दाड़लाघाट ने दावटी गांव में एक स्पोर्ट कैम्प का आयोजन किया। इसमें सिलाई मशीन की जानी मानी कम्पनी सिंगर के मैकेनिक्स ने आकर गांव के लोगो की खराब पड़ी मशीनों को निःशुल्क ठीक किया।साथ ही संस्थान के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा मनीष कुमार के निर्देशन में गांव के लोगों की खराब पड़ी मशीनों को भी ठीक किया।इस कैम्प के दौरान पंचायत प्रधान दावटी रीता देवी,महिला मण्डल प्रधान निशा देवी,महिला मण्डल सचिव गीता देवी एवं लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की प्रधान प्रेमलता उपस्थित रहे।इस कैम्प से गांव के लगभग 53 परिवार लाभान्वित हुए।इस कैम्प की महता को देखते हुए पंचायत प्रधान रीता देवी ने कहा कि इस तरह के कैम्प का आयोजन इस पंचायत के दूसरे वार्ड में भी किया जाए ताकि लोगों को अधिकत फायदा मिल सके।इस कैम्प में दलीप शर्मा,चन्द्रकान्ता एवं मोनिका चन्देल ने संस्थान में चल रहे विभिन्न व्यवसायों की जानकारी स्थानीय लोगो को दी।
बीडीसी सदस्य राकेश कुमार ने कहा विधायकों के वेतन वृद्धि से प्रदेश पर पड़ रहा आर्थिक बोझ कुनिहार-विकास खण्ड कुनिहार के समिति सभागार में पंचायत समिति कुनिहार की विशेष बैठक आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष प्रेम चन्द चोपड़ा ने की। वहीँ बैठक में बीडीओ कुनिहार विवेक पॉल विशेष रूप से उपस्थित रहे।बैठक में गत बैठक की आय व्यय की अभिपुष्टि की। इसके साथ ही बैठक में लोक निर्माण विभाग,सिंचाई एवम जन स्वास्थ्य विभाग,वन विभाग व स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों से सम्बंधित मदों पर विचार विमर्श किया गया। इनमे से लोक निर्माण विभाग से सम्बंधित अधिकतर मदों पर कार्य होने से उन्हें बन्द कर दिया गया। इसके साथ ही बैठक में पंचायत समिति सदस्य जमना दास ने सरकारी व निजी हेंडपप्प को न लगवाने के लिए अपने सुझाव दिया वही उन्होंने समिति की तरफ से प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजने को कहा। उन्होंने कहा कि निजी व सरकारी हैडपम्प व ट्यूवेल लगाने से प्राकृतिक जल स्त्रोत सुख रहे है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में हेंडपप्प लगाने से मालिक पानी को बेच रहे है, जो कि सरासर गलत है। समिति सदस्य राकेश कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मंत्रियों व विधायकों का वेतन बढ़ाया जाना प्रदेश की जनता पर बोझ है। उन्होंने कहा कि सरकार विधायकों के वेतन-भते बढ़ाने के बजाय जनहित के लिए कोई कल्याणकारी योजनाएं बनाकर उस पर यह राशि खर्च करे, ताकि आम लोगों को कुछ फायदा हो सके। इसको लेकर समिति प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजे। राकेश कुमार के इस प्रस्ताव का अन्य सदस्यों ने भी पुरजोर समर्थन किया । बैठक में पथ परिवहन निगम के अधिकारी नदारद रहे जिसको लेकर समिति सदस्यों ने रोष व्यक्त किया । इस मौके उपाध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा,पंचायत इंस्पेक्टर रतन कुमार,पंचायत समिति सदस्य राकेश कुमार,हीरा पाल,जगदीश ठाकुर,सुरेश कुमार,पवन,बिमला ठाकुर,नीलम रघुवंशी,सावित्री देवी,जमना दास, हीरालाल,सतु देवी,बिमला वर्मा,हरीश कुमार, कांता वर्धन सहित पदाधिकारी मौजूद रहे ।
हिमाचल गृहणी सुविधा योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत दाड़लाघाट में 16 पंचायतों के 212 लाभार्थियों को मुफ्त गैस कनेक्शन वितरित किये गए।इंडेन गैस एजेंसी के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में तहसीलदार अर्की संतराम शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।इस मौके पर खाद्य आपूर्ति विभाग के निरीक्षक सुनील कुमार गुंटा ने सर्वप्रथम मुख्यातिथि एवं विशेष अतिथियों और उपस्थित लोगों का इस कार्यक्रम में स्वागत किया।उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा गरीब परिवारों के लिये इस योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन देने का निर्णय पिछले वर्ष लिया गया था और इस योजना से गरीब परिवार लाभान्वित हो रहे है।इसके बाद तहसीलदार संत राम शर्मा द्वारा सभी लाभार्थियों को गैस कनेक्शन वितरित किये गए।इस अवसर पर उन्होनें उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गृहणी सुविधा योजना प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा गरीब लोगों के लिये वरदान साबित हो रही हैं। इस दौरान ग्राम पंचायत दाड़लाघाट के प्रधान सुरेन्द्र शुक्ला व प्रदेश भाजयुमो कार्यकारिणी सदस्य राकेश गौतम ने भी उपस्थित लोगों को सम्बोधित किया।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बधाई के पात्र है जिन्होंने ये कल्याणकारी योजना गरीब परिवारों के लिये शुरू की।उन्होंने आगे कहा कि इस योजना से जहां गृहणियों को रसोई घर मे धुंए से निजात मिलेगी वहीं उस धुंए से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से भी निजात मिलेगी।इस अवसर पर तहसीलदार अर्की संतराम शर्मा,खाद्य आपूर्ति विभाग के निरीक्षक सुनील कुमार गुंटा,इंडेन गैस एजेंसी के प्रभारी हरीश शर्मा,दाड़लाघाट पंचायत के प्रधान सुरेन्द्र शुक्ला,ओबीसी के जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह चौधरी,भाजपा नेता राकेश गौतम,जगदीश्वर शुक्ला,नवगांव पंचायत की प्रधान सुनंदा गौतम,बेरल पंचायत के प्रधान श्याम लाल,पंचायत सचिव धनी राम,पुष्पेंद्र शर्मा,पवन शर्मा सहित अन्य पंचायतों के प्रतिनिधि व सभी लाभार्थी परिवार भी उपस्थित रहे ।
शनिवार को कुनिहार में आरम्भ हुई जिला स्तरीय अंडर 19 छात्रा खेलकूद प्रतियोगिता में पहले दिन हॉकी के मुकाबले हुए जिसमे पहला मुकाबला सोलन व धर्मपुर के मध्य खेला गया। इसमें सोलन ने धर्मपुर को 2 - 0 से हराया। दूसरे मुकाबले में कुनिहार स्कूल (छात्रा) को कसौली ने 4- 0 से मात दी। तीसरा मुकाबला छात्र स्कूल कुनिहार व कण्डाघाट स्कूल की टीमो के मध्य खेला गया इस रोमांचक मैच में कण्डाघाट की टीम ने बाजी मारी व 3- 0 से इस मुकाबले को जीतकर अगले दौर में प्रवेश किया। प्रतियोगिता का पहला सेमीफाइनल जगातखाना व कसौली के मध्य हुआ। इस शानदार मुलाबले में जगातखाना की टीम ने कसौली को 4 - 0 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। प्रतियोगिता का दूसरा सेमीफाइनल सोलन व कण्डाघाट के मध्य खेला गया जिसमे सोलन की टीम ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए कण्डाघाट की टीम को 6 -0 के बड़े अंतर से हराकर फाइनल में जगह बनाई।
बिलासपुर के घुमारवी मे हर साल की भांति मनाया जाने वाला गणेश उत्सव 2 तारीख को मूर्ति की स्थापना के साथ ही शुरू होगा। इस बार यह विशाल गणेश उत्सव अपना दसवा वार्षिक उत्सव मनाएगा। घुमारवी बस स्टैंड, सैनिक विश्राम गृह के साथ ही यह उत्सव मनाया जा रहा है। उत्सव को लेकर इस बार भी भक्तो का खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। यह गणेश उत्सव सभी लोगो के सहयोग से मनाया जाता है। इस उत्सव को ऊं साईं ज्यूलर्ज के मालिक विशाल सोनी के द्वारा लोगो की सहायता के साथ मनाया जाता है। जानकारी देते हुए विशाल सोनी ने बताया कि गणेश उत्सव की तैयारियों को लेकर लोगो से चर्चा की गई तो हर कोई अपनी इच्छा अनुसार,कोई टैंट का खर्चा दे रहा है ,कोई भण्डारे मे सहयोग करेगा ,तो कोई बैंड बाजे का खर्चा दे रहा है। इस बार उत्सव की खास बात यह रहेगी कि बैंड पार्टी मुम्बई से आएगी। जो नृत्य का प्रदर्शन कर लोगो को मंत्रमुग्ध करेगी। उत्सव मे सुबह और शाम प्रतिदिन आरती व भजन कीर्तन किए जाएंगे तथा 7 तारीख को विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा ,तथा मूर्ति विसर्जन 10 तारीख को किया जाएगा। 10 तारीख को शोभा यात्रा घुमारवीं से भगेड़,कंदरौ,चांदपुर से होते हुए लुहणू मैदान तक जाएगी और तत्पशचात विसर्जन किया जाएगा।
Work towards becoming job providers: ICAR ADG Dr PS Pandey, Assistant Director-General of the Education Planning and Home Science division of the Indian Council of Agricultural Research urged the students to become job providers instead of job seekers. He was addressing the new students during the orientation programme held at Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni. The students also got a chance to listen to the views of Yogacharya Sri Nivas Murthy, coordinator of Yog Bharti, Solan, who gave tips on improving fitness and food habits. Speaking on occasion, Dr Pandey gave an overview of the accreditation process of ICAR. He praised the university for securing 12th rank among all agricultural universities in the country. Dr Pandey exhorted that quality faculty was important for rankings. He suggested that the course curriculum should be made more vibrant so that it fits the needs of the industry and should promote entrepreneurship among students. Dr Pandey called for designing one-week duration orientation programmes where new students not only get a chance to listen and interact with young entrepreneurs and gurus from the industry but are also engaged in social activities like plantation drives.Stressing the importance of Experiential Learning Programme (ELP), Dr Pandey said that it was an important component of agricultural education where students not only ‘earn and learn’ but also ‘learn and return’ to the society. He suggested that the university should expand its ELP on quality planting material. During the function, Yogacharya Sri Niwas Murthy addressed the students on the topic of Yoga and health. He explained several yoga exercises and health tips with the staff and students and urged them to adopt yoga for a happy and disease-free life. Addressing the gathering, Vice-Chancellor Dr Parvinder Kaushal thanked the ICAR and Dr Pandey for supporting the university in providing a stimulating educational environment to the students. He said it was a matter of great privilege that the ADG of Education Planning division chose UHF to address the new students. Dr Kaushal sought the support of ICAR in improving the infrastructure and educational facilities to make the university a world-class institution. Natraj Boys Hostel Inaugurated Dr PS Pandey, inaugurated the ‘Natraj Boys Hostel’ built at the University on Friday evening. The four-storeyed building has been constructed at a cost of Rs 2.5 crore. The ICAR has provided financial support for the construction of the hostel which will house 98 students. Dr Pandey also visited the various experimental farms of the university and appreciated the work of the university scientists and students.
तीन दिवसीय योग शिविर संपन्न पुलिस अधीक्षक सोलन मधुसूदन शर्मा ने कहा कि योग एवं व्यायाम निरोग रहने का बेहतरीन माध्यम है तथा आज की इस तनावपूर्ण जीवनशैली में प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन योग नियमित रूप से करना चाहिए। मधुसूदन शर्मा आज यहां पुलिस ग्राउंड सोलन में जिला आयुर्वेद विभाग सोलन द्वारा ‘योग एवं जीवन शैली’ विषय पर आयोजित जागरूकता शिविर के समापन अवसर पर उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे।इस तीन दिवसीय शिविर में 80 पुलिस जवानों व उनके परिजनों ने हिस्सा लिया। मधुसूदन शर्मा ने कहा कि युवा पीढ़ी को नियमित रूप से योग क्रियाएं करनी चाहिएं तभी वे मानसिक व शारीरिक रूप से सुदृढ़ बन सकते हैं। उन्हांेने कहा कि विभिन्न प्रकार के योगासनों का शरीर के प्रत्येक अंग से किसी न किसी तरह से संबंध होता है तथा योग के माध्यम से शरीर को हृष्ट-पुष्ट किया जा सकता है। उन्होंने विशेष रूप से पुलिस कर्मियों एवं उनके परिजनों से आग्रह किया कि वे अपनी कार्यशैली को देखते हुए नियमित रूप से योग करें। उन्होंने कहा कि योगाभ्यास अनेक बीमारियों का समूल नाश करता है। कार्यक्रम में जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा ने कहा कि सोलन जिला के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, विद्यालयों के साथ-साथ पंचायत स्तर पर इस प्रकार के योग शिविरों का आयोजन समय-समय पर किया जाएगा ताकि एक स्वस्थ व नशामुक्त समाज के निर्माण के लिए नागरिकों को तैयार किया जा सके। आयुर्वेदिक विभाग की वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक एवं योगगुरू डॉ. अनीता गौतम, डॉ. मंजेश शर्मा, प्रशिक्षित योग शिक्षिका आशा रानी द्वारा प्रतिभागियों को योग की विभिन्न मुद्राओं, आसनों एवं आवाहर-विहार की जानकारी प्रदान की गई। इस अवसर पुलिस उपाधीक्षक परवाणू योगेश रोल्टा, पुलिस उपाधीक्षक सोलन (एलआर) रमेश शर्मा, अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं बड़ी संख्या में प्रतिभागी उपस्थित थे। .0.
पोषण अभियान के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में आयोजित किया जाएगा। यह जानकारी आज यहां अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सोलन विवेक चंदेल ने दी। उन्होंने कहा कि इस वर्ष पोषण माह का उद्देश्य ‘चलो अपनाएं पोषण व्यवहार’ निर्धारित किया गया है। इसके माध्यम से जन-जन को पोषण के महत्व के विषय में अवगत करवाना है। उन्होंने कहा कि पोषण माह-2019 पांच मुख्य घटकों पर आधारित है। इसके तहत शिशु के प्रथम एक हजार दिवस, रक्तालपता, डायरिया, हाथ धोना एवं स्वच्छता तथा पौष्टिक आहार पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। अभियान के तहत पोषण के विषय में सभी की भागीदारी बढ़ाना, पोषण पर चर्चा तथा पोषण चौपाल को प्रोत्साहित करना उद्देश्य रहेगा। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने कहा कि पोषण भागीदारी को प्रोत्साहित कर समाज के प्रत्येक वर्ग को इस विषय में जागरूक किया जाएगा और यह प्रयास किया जाएगा कि सभी पोषण को भलीभांति समझें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए चिन्हित दिवस पर आंगनबाड़ी केंद्रों में गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि पोषण पर चर्चा के तहत ‘चलो अपनाएं पोषण व्यवहार’ को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्राम सभा बैठकों, जनमंच, जागरूकता अभियानों इत्यादि में पोषण पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में लोगों को जागरूक बनाने के लिए पोषण चौपाल आयोजित की जाएगी। विवेक चंदेल ने कहा कि 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के पोषण स्तर को सुधारने के उद्देश्य से 8 मार्च 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के झूंझुनु से पोषाहार कार्यक्रम का शुभारंभ किया था। कार्यक्रम का उद्देश्य कम भार वाले शिशुओं के जन्म में कमी लाना, पोषण की कमी तथा खून की कमी जैसी गंभीर बीमारी को दूर करना है। इस उद्देश्य को 3 वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने जिले के सभी उपमंडलाधिकारियों, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक, जिला आयुर्वेद अधिकारी, उपनिदेशक उच्च एवं प्रारंभिक शिक्षा, जिला पंचायत अधिकारी, जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति नियंत्रक, जिला कार्यक्रम अधिकारी तथा नगर परिषद सोलन, परवाणू, बद्दी, नालागढ़ एवं नगर पंचायत अर्की के कार्यकारी अधिकारियों, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज सहित सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपसी समन्वय के साथ राष्ट्रीय पोषाहार माह को सफल बनाएं। भारतीय प्रशासनिक सेवा की परिवीक्षाधीन अधिकारी डॉ. निधि पटेल, जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक मनोज चौहान, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. राजेंद्र शर्मा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनके गुप्ता, जिला कार्यक्रम अधिकारी वंदना चौहान सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सरकार के महत्वकांक्षी कार्यक्रम जनमंच का लाभ सभी वर्गों को मिल रहा है। अपनी समस्याओं के समाधान के लिए लोगों को सरकारी दफतरों के चक्कर न लगाने पडें इसके लिए सरकार और प्रशासन के द्वारा लोगों के घर पर पंहुचकर उनकी समस्याओं और शिकायतों को सुन रही है तथा उनका निवारण कर रही है। यह बात एडीएम विनय धीमान ने कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि प्रचार वाहन चिन्हित पंचायतों में प्रदेश सरकार की कल्याणकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के बारे में जागरूक करेगा,तथा लोगों को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित भी करेगा। विनय धीमान ने चिन्हित पंचायतों के लोगों से आग्रह किया है कि प्री-जनमंच शिविरों में उपस्थित होकर अपनी समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करके प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम का लाभ उठाएं।
भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशानुसार प्रथम सितंबर, 2019 से 30 सितंबर 2019 तक कार्यान्वित किए जा रहे ‘मतदाता सत्यापन कार्यक्रम’ (ईवीपी) के संबंध में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सोलन विवेक चंदेल की अध्यक्षता में जिला के विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की गई। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे 1 से 30 सितंबर तक इस संबंध में लोगों को जागरूक करें ताकि त्रुटि रहित मतदाता सूचियां तैयार की जा सके। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों एवं आमजन के सहयोग से जिला प्रशासन इस कार्य को पूर्ण रूप से निश्चित समय में पूरा करेगा। इस अवसर पर भाजपा के चंद्रकांत शर्मा, कांग्रेस के शिवदत्त ठाकुर, तहसीलदार निर्वाचन राजेंद्र शर्मा, नायब तहसीलदार निर्वाचन महेंद्र ठाकुर उपस्थित थे।
भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशानुसार सोलन जिला के पांचों विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों 50-अर्की,51-नालागढ़,52-दून,53-सोलन (अनूसूचित जाति) तथा 54-कसौली (अनुसूचित जाति) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के सभी मतदान केन्द्र प्रथम सितंबर को खुले रहेंगे। यह जानकारी आज यहां इस संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सोलन विवेक चंदेल ने दी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय ‘मतदाता सत्यापन कार्यक्रम’ (ईवीपी) के दृष्टिगत लिया गया है। निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार प्रथम सितंबर, 2019 से 30 सितंबर 2019 तक मतदाता सत्यापन कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। विवेक चंदेल ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शत-प्रतिशत त्रुटिरहित मतदाता सूचियां तैयार करने में मतदाताओं की अधिक से अधिक सहभागिता सुनिश्चित बनाना है। कार्यक्रम के तहत वर्ष 2020 तक मतदाता सूची एवं पंजीकरण में सुधार लाना तथा सभी पात्र मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ना और मतदाता सूची में किसी भी प्रकार के त्रुटि को सही करना है। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने कहा कि जिला के पांचों निर्वाचन क्षेत्रों के सभी मतदान केन्द्र इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रथम सितंबर, 2019 को खुले रहेंगे। इस दिन सभी बूथ लेवल अधिकारी अपने-अपने मतदान केन्द्रों पर उपस्थित होकर ‘मतदाता सत्यापन कार्यक्रम’ के तहत मतदाताओं की सहायता करेंगे। विवेक चंदेल ने कहा कि मतदाता नैशनल वोटर्ज सर्विस पोर्टल (एनवीएसपी) पर ऑनलाइन अपने वोट से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मतदाताओं की सुविधा के लिए निर्वाचन आयोग ने एनवीएसपी का मोबाइल वर्जन ऐप भी आरंभ किया है। विवेक चंदेल ने आग्रह किया कि सभी इस मोबाइल वर्जन को ऑनलाइन डाउनलोड करें और इसका लाभ उठाएं। उन्होंने जिला के सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे मतदाता सत्यापन कार्यक्रम के लिए ऐप के माध्यम से अपने कार्यालय तथा अपने परिवार के सदस्यों की मतदाता सूची का सत्यापन करें ताकि कार्यक्रम के लक्ष्य को शत-प्रतिशत हासिल किया जा सके।कार्यक्रम के तहत,संबंधित बूथ स्तर के अधिकारी द्वारा मतदाताओं के घर-घर जाकर मतदाता सूची का सत्यापन किया जाएगा। प्रथम जनवरी,2020 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए मतदाताओं को मतदाता सूची में सम्मिलत किए जाने के लिए पत्र -6 भरा जाएगा। जो मतदाता, मतदाता सूची में पंजीकृत नहीं है उन्हें भी मतदाता सूची में पंजीकृत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इस अवधि में मतदाता सूची की अन्य त्रुटियों को दूर किया जाएगा एवं आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। विवेक चंदेल ने सभी नागरिकों तथा पंजीकृत मतदाताओं से आग्रह किया कि इस कार्यक्रम के दौरान संबंधित बूथ लेवल अधिकारी को अपना भारतीय पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार, राशन कार्ड, सरकारी या अर्ध सरकारी कर्मचारियों का पहचान पत्र, बैंक पासबुक, किसान पहचान पत्र की छाया प्रति उपलब्ध करवाएं ताकि बूथ स्तर के अधिकारी सभी मतदाताओं का सत्यापन करना सुनिश्चित कर सकें। मतदाता, निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (उपमंडलाधिकारी) कार्यालय में जाकर भी उपरोक्त दस्तावेजों को जमा करवा कर मतदाता सूची में विद्यमान अपनी तथा अपने परिवार की जानकारी सत्यापित कर सकता है। इस अवसर पर जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक मनोज चौहान, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनके गुप्ता, तहसीलदार निर्वाचन राजेंद्र शर्मा, खंड विकास अधिकारी सोलन ललित दुल्टा, नायब तहसीलदार निर्वाचन महेंद्र ठाकुर सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
पूर्व मंत्री व विधायक श्री नैना देवी जी विधानसभा क्षेत्र रामलाल ठाकुर ने शनिवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहां की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में नेशनल हाईवे बनाने के कार्य को बंद करने के आदेश नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दे रहे हैं। वही सदन में मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि हिमाचल में नेशनल हाईवे बनाने का कार्य जोरों पर चला है। उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री को याद दिलाना चाहते हैं कि विधानसभा व देश की संसद लोकतंत्र का मंदिर होते है, तो कम से कम मंदिर में झूठ नहीं बोला जाता है। उन्होंने कहा जितने भी फोरलेन का काम हिमाचल प्रदेश में चल रहे है उनमें सेंट्रल डेविएशन की भारी कमी पाई जा रही है और जब भूमि अधिग्रहण हुआ तब भी यह अटैंडीफाई नहीं किया गया की रोड की सेंट्रल लाइन कौन होगी और कहां से होगी। इतने बड़े पैमाने पर किसानों की जमीनों को लेकर जो धांधलिया भूमि अधिग्रहण कार्यालय के माध्यम से की गई है उनकी भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। रामलाल ठाकुर ने कहा कि जो कंपनियां फोरलेन का कार्य पूर्व में छोड़कर गई है उन्होंने पुराने ठेकेदारों के भुगतान नहीं किए। सिर्फ बिलासपुर में 40 से 42 करोड़ की देनदारी संभावित मानी जा रही है। अब जो नई कंपनी काम करने आ रही है वह पैसा कहां से लाएगी? इसका नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने अभी तक कोई प्रावधान नहीं किया है।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग सोलन द्वारा सैनिकों के,आश्रितों के, उम्मीदवारों के लिए भाषा अध्यापकों के 7 पद भरे जाएंगे। यह जानकारी आज यहां उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा,सोलन श्रवण कुमार ने दी। उन्होंने कहा कि इस भर्ती के लिए काउंसलिंग 17 सितंबर को उनके कार्यालय में आयोजित की जाएगी। इनमें से 2 पद सामान्य वर्ग, 2 पद अनुसूचित जाति एवं 3 पद अनुसूचित जनजाति के लिए है। इन पदों के लिए सोलन जिला के विभिन्न रोजगार कार्यालयों से नाम प्राप्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी पात्र उम्मीदवारों को काउंसलिंग के लिए पत्र भेज दिए गए हैं। यदि किसी पात्र उम्मीदवार का नाम रोजगार कार्यालय द्वारा छूट गया है तो ऐसे उम्मीदवार अपने समीप के रोजगार कार्यालय से 15 सितंबर, 2019 तक अपना नाम उपनिदेशक, प्रारंभिक शिक्षा सोलन को भिजवा सकते हैं। जो उम्मीदवार निर्धारित तिथि व समय पर उपस्थित नहीं होंगे तो वे भविष्य में इन पदों के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत नहीं कर सकेंगे।उपनिदेशक ने कहा कि काउंसलिंग में उम्मीदवारों को अपने साथ आवश्यक योग्यता प्रमाण पत्र, अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण प्रमाण पत्र, रोजगार कार्यालय प्रमाण पत्र, सक्षम अधिकारी द्वारा जारी हिमाचली प्रमाण पत्र, चरित्र प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, सैनिकों के आश्रित प्रमाण पत्र, संबंधित श्रेणी का प्रमाण पत्र एवं नवीनतम सत्यापित फोटो साथ लाना जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि अधिक जानकारी के लिए उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा सोलन के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग सोलन द्वारा शास्त्री अध्यापकों की बैचवाईज भर्ती के लिए काउंसलिंग 18 सितंबर, 2019 को की जाएगी। यह जानकारी एक सरकारी प्रवक्ता ने दी। उन्होंने कहा कि शास्त्री अध्यापकों के 13 पदों के लिए यह काउंसलिंग उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा सोलन के कार्यालय में की जाएगी।काउंसलिंग में उम्मीदवारों को अपने साथ शैक्षणिक व व्यवसायिक योग्यता के मूल प्रमाण पत्र,अध्यापक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण प्रमाण पत्र,रोजगार कार्यालय प्रमाण पत्र,हिमाचली प्रमाण पत्र,चरित्र प्रमाण पत्र,जाति प्रमाण पत्र,संबंधित श्रेणी का प्रमाण पत्र एवं नवीनतम सत्यापित फोटो साथ लाना जरूरी होगा। उमीदवारो की सूची सोलन जिला के विभिन्न रोजगार कार्यालयों से प्राप्त की गई है। सभी पात्र उम्मीदवारों को काउंसलिंग के लिए पत्र भेज दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी पात्र उम्मीदवार का नाम रोजगार कार्यालय द्वारा छूट गया है तो ऐसे उम्मीदवार अपने समीप के रोजगार कार्यालय से 16 सितंबर, 2019 तक अपना नाम उपनिदेशक,प्रारंभिक शिक्षा सोलन को भिजवा सकते हैं।और अधिक जानकारी के लिए उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा सोलन के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।
प्राचीन शिवमंदिर दाड़लाघाट में 1 सितंबर से 11 सितंबर तक शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा में आचार्य भगत राम नड्डा शिव महापुराण की अमृतमयी कथा का गुणगान एवं व्याख्यान करेंगे। बाबा महन्त श्री जयदेव गिरी जी महाराज ने बताया कि शिव मंदिर में आयोजित हो रही शिवकथा के महायज्ञ में अपनी आहुति डालने एवं पुण्य के भागी बनने हेतु दाड़लाघाट व आसपास के सभी क्षेत्र के श्रद्धालु सादर आमंत्रित हैं।
बी एल सेंट्रल पब्लिक स्कूल कुनिहार में बड़ी धूमधाम से छोटे बच्चो का 24वां वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह मनाया गया I अमर सिंह ठाकुर निर्देशक HPMC ने इस समारोह में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की I इस मौके पर सोनिया ठाकुर मेम्बर महिला मोर्चा हिमाचल प्रदेश, सुनीता ठाकुर प्रधान ग्राम पंचायत हाटकोट, कौशल्या कँवर अध्यक्ष सम्भव समिति कुनिहार विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकित की I मंच का संचालन करते हुए शिवानी शर्मा ने सर्वप्रथम अतिथि महोदय का भव्य स्वागत किया, और कार्यक्रम की शुरुवात माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई I उसके बाद एन एस एस की छात्राओं ने स्वागत गीत पेश किया I नर्सरी से दूसरी कक्षा के बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया I इसमें मुख्य रूप से हिमाचल दर्शन, देश भक्ति, हिमाचली नाटी, नृत्य आदि आकर्षण का केंद्र रहे I स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष गोपाल शर्मा ने मुख्यअतिथि, विशिष्ट अतिथियों और अभिभावकों का स्वागत किया और समृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया I मुख्यातिथि ने अपने संबोधन में विद्यालय को इस वार्षिक समरोह के लिए बधाई दी और कहा की ये शिक्षण संस्थान एक मंदिर है I उन्होंने विद्यालय के सभी बच्चों को शुभकामनाये दी व उज्जवल भविष्य की कामना की I मुख्यातिथि ने नर्सरी से दूसरी कक्षा तक के छात्रों को, पिछले सत्र में A ग्रेड प्राप्त करने वाले सभी बच्चों को और सांकृतिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी छात्रों को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया I कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य पदम् नाभम ,मुख्याध्यापिका सुषमा शर्मा ने मुख्यातिथि ,विशिष्ट अतिथियों, सभी अभिभावकों का इस समारोह में आने के लिए धन्यवाद व्यक्त किया I इस अवसर पर उप प्रधानाचार्य किरण जोशी, पीटीए अध्यक्ष रंत्तन तंवर, जय पाल, पीटीए सदस्य रंजना , भीमा, तेग राम, कनिष्ट अभियन्ता बिजली विभाग विकास ठाकुर, प्रोफ़ेसर नूतन कँवर, प्रतिभा कँवर, विद्यालय मुख्य सलाहकार रोशन लाल, अमर सिंह परिहार, हंस राज ठाकुर, सुरेश जोशी, राजेंद्र जोशी ,ओम प्रकाश भारद्वाज ,विद्यालय का समस्त अध्यापक वर्ग व् सभी बच्चे मौजूद रहे I
पंजाबी महासभा सोलन ने बैठक का आयोजन किया I संस्था के अध्यक्ष विजय पूरी ने बैठक की अध्यक्षता की I इस मौके पर संस्था द्वारा निकट भविष्य में आयोजित किए जाने वाले समाजिक कार्यों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई | वहीँ संस्था के विस्तार के लिए कई नए सदस्यों को संस्था के साथ जोड़ा गया I नए सदस्यों में ग्रीन हिल्स इंजिनीयरिंग कॉलेज के चेयरमैन किरपाल सिंह पसरीचा ,डा अशोक हांडा,रमिंदर बावा,अनिल बाली,इंदु साहनी,राजेश स्तेजा,गौरव साहनी और अमित आनंद को पुष्प कर संस्था में शामिल किया गया I सभी नए सदस्यों ने संस्था का सदस्य बनने पर ख़ुशी जताई और आश्वासन दिया कि वह भविष्य में संस्था द्वारा समाज की भलाई के लिए किए जा रहे कार्यों में बढ़ चढ़ कर भाग लेंगे I इस मौके पर संस्था के चेयरमैन मनोज साहनी,महासचिव विकास जेठी,भरत साहनी,अमन सेठी,विक्रम बेदी,जतिन साहनी,शोभित बहल कमल विग,जय नंदा,शोभित बहल,गगन सूरी,अनुज सूरी,कीर्ति कौशल और नितिन भसीन मौके पर मौजूद रहे | .
हिडिम्बा देवी मंदिर उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश राज्य के मनाली में स्थित है। यह एक प्राचीन गुफा मंदिर है, जो भारतीय महाकाव्य महाभारत के भीम की पत्नी हिडिम्बी देवी को समर्पित है। यह मनाली में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। इसे ढुंगरी मंदिर (Dhungiri Temple) के नाम से भी जाना जाता है। मनाली घूमने आने वाले सैलानी इस मंदिर को देखने जरूर आते हैं। यह मंदिर एक चार मंजिला संरचना है जो जंगल के बीच में स्थित है। स्थानीय लोगों ने मंदिर का नाम आसपास के वन क्षेत्र के नाम पर रखा है। हिल स्टेशन में स्थित होने के कारण बर्फबारी के दौरान इस मंदिर को देखने के लिए भारी संख्या में सैलानी यहां जुटते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है बल्कि हिडिम्बा देवी मंदिर में हिडिम्बा देवी के पदचिह्नों की पूजा की जाती है।’हिडिम्बा देवी मंदिर का निर्माण हिमालय पर्वतों के कगार पर डुंगरी शहर के पास एक पवित्र देवदार के जंगल के बीच में कराया गया है। माना जाता है कि भीम और पांडव मनाली से चले जाने के बाद हिडिम्बा राज्य की देखभाल के लिए वापस आ गए थे। ऐसा कहा जाता है कि हिडिम्बा बहुत दयालु और न्यायप्रिय शासिका थी। जब उसका बेटा घटोत्कच बड़ा हुआ तो हिडिम्बा ने उसे सिंहासन पर बैठा दिया और अपना शेष जीवन बिताने के लिए ध्यान करने जंगल में चली गयी। हिडिम्बा अपनी दानवता या राक्षसी पहचान मिटाने के लिए एक चट्टान पर बैठकर कठिन तपस्या करती रही। कई वर्षों के ध्यान के बाद उसकी प्रार्थना सफल हुई और उसे देवी होने का गौरव प्राप्त हुआ। हिडिम्बा देवी की तपस्या और उसके ध्यान के सम्मान में इसी चट्टान के ऊपर इस मंदिर का निर्माण 1553 में महाराजा बहादुर सिंह ने करवाया था। मंदिर एक गुफा के चारों ओर बनाया गया है। मंदिर बनने के बाद यहां श्रद्धालु हिडिम्बा देवी के दर्शन पूजन के लिए आने लगे। हिडिम्बा मंदिर पांडवों के दूसरे भाई भीम की पत्नी हिडिम्बा को समर्पित है। हिडिम्बा एक राक्षसी थी जो अपने भाई हिडिम्ब के साथ इस क्षेत्र में रहती थी। उसने कसम खाई थी कि जो कोई उसके भाई हिडिम्ब को लड़ाई में हरा देगा, वह उसी के साथ अपना विवाह करेगी। उस दौरान जब पांडव निर्वासन में थे, तब पांडवों के दूसरे भाई भीम ने हिडिम्ब की यातनाओं और अत्याचारों से ग्रामीणों को बचाने के लिए उसे मार डाला और इस तरह महाबली भीम के साथ हिडिम्बा का विवाह हो गया। भीम और हिडिम्बा का एक पुत्र घटोत्कच हुआ, जो कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के लिए लड़ते हुए मारा गया था। देवी हिडिम्बा को समर्पित यह मंदिर हडिम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है। हिडिम्बा देवी मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर का निर्माण पगोडा शैली (Pagoda Style) में कराया गया है जिसके कारण यह सामान्य मंदिर के काफी अलग और लोगों के आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर लकड़ी से बनाया गया है और इसमें चार छतें हैं। मंदिर के नीचे की तीन छतें देवदार की लकड़ी के तख्तों से बनी हैं और चौथी या सबसे ऊपर की छत का निर्माण तांबे एवं पीतल से किया गया है। मंदिर के नीचे की छत यानि पहली छत सबसे बड़ी, उसके ऊपर यानि दूसरी छत पहले से छोटी, तीसरी छत दूसरे छत से छोटी और चौथी या ऊपरी छत सबसे छोटी है, जो कि दूर से देखने पर एक कलश के आकार की नजर आती है। हिडिम्बा देवी मंदिर 40 मीटर ऊंचे शंकु के आकार का है और मंदिर की दीवारें पत्थरों की बनी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार और दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर में एक लकड़ी का दरवाजा लगा है जिसके ऊपर देवी, जानवरों आदि की छोटी-छोटी पेंटिंग हैं। चौखट के बीम में भगवान कृष्ण की एक कहानी के नवग्रह और महिला नर्तक हैं। मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं है लेकिन उनके पदचिन्ह पर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है जिसे देवी का विग्रह रूप मानकर पूजा की जाती है। मंदिर से लगभग सत्तर मीटर की दूरी पर देवी हिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच को समर्पित एक मंदिर है।हर साल श्रावण के महीने में मंदिर में हिडिम्बा देवी मंदिर में एक उत्सव का आयोजन किया जाता है। माना जाता है कि यह उत्सव राजा बहादुर सिंह की याद में मनाया जाता है जिसने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इसलिए स्थानीय लोगों ने इस मेले का नाम रखा है- बहादुर सिंह रे जातर (Bahadur Singh Re Jatar)। इसके अलावा यहां 14 मई को हिडिम्बा देवी के जन्मदिन के अवसर पर एक अन्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान स्थानीय महिलाएं डूंगरी वन क्षेत्र में संगीत और नृत्य के साथ जश्न मनाती हैं। कहा जाता है कि मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। श्रावण मास में आयोजित होने वाले मेले को सरोहनी मेला (Sarrohni Mela) के नाम से जाना जाता है। यह मेला धान की रोपाई पूरा होने के बाद आयोजित होता है। इसके अलावा नवरात्र के दौरान भी मंदिर में दशहरा महोत्सव का आयोजन होता है जिसमें दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगती है।
वो 1 सितम्बर 1972 का दिन था। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार उस दिन सोलन में मौजूद थे। डॉ परमार ओल्ड डीसी ऑफिस चौक या क्रांति चौक पर जैसे ही पहुंचे तो उपस्थित लोगों ने जबरदस्त नारेबाजी और तालियां बजाकर डॉ परमार का अभिनन्दन किया। तब डॉ परमार ने कहा था 'ये स्वागत मेरा है या नए ज़िले का।' जी हाँ उस दिन सोलन को ज़िले का दर्जा दिया गया था और आज सोलन 47 वर्ष का हो चूका है। 47 वर्षों के इस सफर में सोलन ने बहुत कुछ हासिल किया है तो बहुत लम्बा सफर तय करना फिलहाल शेष है। जानते है सोलन के इस सफर के बारे में : मशरूम सिटी ऑफ़ इंडिया: जिला मुख्यालय सोलन को मशरूम सिटी ऑफ़ इंडिया का तमगा भी प्राप्त है। सोलन में मशरूम अनुसन्धान निदेशालय भी जहाँ मशरूम पर शोध होता है। बीत कुछ दशकों में मशरूम उत्पादन से यहाँ के किसानो की तकद्दीर बदल गई है। सिटी ऑफ़ रेड गोल्ड: हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष लगभग डेढ़ लाख मेट्रिक टन टमाटर का उत्पादन होता है। इसका करीब 40 फीसदी उत्पादन सिर्फ सोलन में होता है। सोएं में उगने वाला हिम सोना टमाटर न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी एक्सपोर्ट होता है। एजुकेशन हब ऑफ़ हिमाचल: सोलन की पहचान प्रदेश के एजुकेशन हब के तौर पर होती है। यहाँ 9 विवि है। देश के जाने माने स्कूल लॉरेंस सनावर और पाइनग्रोव भी सोलन में ही स्थित है। इसके अतिरक्त यहाँ प्रदेश की इकलौती सेंट्रल स्टेट लाइब्रेरी और उर्दू भाषा एवं प्रशिक्षण संस्थान भी है। इसके अतिरक्त जिला में 9 विवि, 769 प्राथमिक विधालय, 142 माध्यमिक विधालय, 60 उच्च विधालय व 127 वरिष्ठ माध्यमिक विधालय है। देश का फार्मा हब है सोलन: हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया बीबीएन सोलन में आता है। इस क्षेत्र में छोटे बड़े करीब ढाई हज़ार उद्योग है। इसके अलावा परवाणू में भी करीब 500 उद्योग है। कुल जीडीपी में एक चौथाई योगदान सोलन का: प्रदेश की कुल जीडीपी में सोलन का योगदान 25 प्रतिशत से भी अधिक है। सोलन का पर कैपिटा इनकम भी तीन लाख 90 हज़ार से अधिक है, जो प्रदेश में अव्वल है। अनुसूचित जाति / जनजाति का प्रदेश स्तरीय कार्यालय सोलन में स्थित है। वादे, जिन्हें पूरा होने का इंतज़ार है ... जिला मुख्यालय सोलन प्रदेश की सबसे बड़ी नगर परिषद् है। अब तक सरकार ने इसे नगर निगम बनाने की जहमत नहीं उठाई। इससे पहले स्मार्ट सिटी के चयन में भी सोलन को तरजीह नहीं दी गई थी। टमाटर आधारित फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट और कोल्ड स्टोरेज की मांग कई दशकों से लंबित है। परवाणू और बीबीएन क्षेत्र को रेलमार्ग से जोड़ने का वादा किसी भी सरकार ने पूरा नहीं किया। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कभी भी जरूरी कदम नहीं उठाये गए। जिला सोलन में पर्यटन सिर्फ कसौली और चायल तक ही सिमट कर रह गया है। जबकि अन्य क्षेत्रों में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं है। जिला सोलन का क्षेत्रफल 1935 वर्ग किलोमीटर है। सोलन में 4 मंडल, 5 तहसीलें व 211 पंचायतें है। 2011 सेन्सस के अनुसार सोलन की आबादी 5 लाख 77 हज़ार है।
-अब तक 6 नेता बने है हिमाचल के मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ने अब तक के अपने सफर में 6 मुख्यमंत्री देखे है। वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जहाँ पहली दफा मुख्यमंत्री बने है तो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 6 बार ये पद संभाल चुके है। जो 6 नेता अब तक मुख्यमंत्री बने है उनमें से तीन कांग्रेस से तो दो भजपा से रहे। जबकि शांता कुमार एक मर्तबा जनता पार्टी से मुख्यमंत्री बने तो दूसरी मर्तबा भारतीय जनता पार्टी से। एक और इत्तेफ़ाक़ है कि जहाँ कांग्रेस के तीनों मुख्यमंत्रियों का ताल्लुख ऊपरी हिमाचल से रहा है तो भाजपा के तीन मुख्यमंत्री निचले हिमाचल से चुनकर आये। एक और दिलचस्प बात है।प्रदेश के तीन मुख्यमंत्री ऐसे है जो मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा का चुनाव हारे है। 1990 के चुनाव में वीरभद्र सिंह ने जुब्बल कोटखाई और रामपुर सीटों से चुनाव लड़ा था। वीरभद्र रामपुर से तो जीत गए पर जुब्बल कोटखाई में उनसे पहले सीएम रहे ठाकुर रामलाल ने उन्हें पटखनी दे दी। इस बाद 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में तब के मुख्यमंत्री शांता कुमार को भी जनता ने नकार दिया। वहीँ 2017 में दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रो प्रेम कुमार धूमल सीएम कैंडिडेट होने के बावजूद चुनाव नहीं जीत सके। सुजानपुर की जनता ने सीएम प्रत्याशी को ही घर बैठा दिया। पहले आम चुनाव से लेकर 1977 तक प्रदेश निर्माता डॉ यशवंत सिंह परमार सीएम रहे। उनके बाद ठाकुर रामलाल मुख्यमंत्री बने। रामलाल सरकार सिर्फ तीन माह में बर्खास्त कर दी गई और इसके बाद शांता कुमार के रूप में प्रदेश को पहला गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री मिला।1980 में तिगड़मबाज़ी के बुते ठाकुर रामलाल फिर मुख्यमंत्री बने। पर 1983 आते- आते भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे ठाकुर रामलाल को इस्तीफा देना पड़ा और हिमाचल की सियासत में एंट्री हुई वीरभद्र सिंह की। तब से अब तक जब भी कांग्रेस को सत्ता मिली सीएम वीरभद्र ही बने। इस दरमियान 1990 में एक बार फिर शांता कुमार सीएम बने। पर 1998 में जब भाजपा सत्ता में आई तो चेहरा शांता नहीं प्रो प्रेम कुमार धूमल थे। इसके बाद धूमल 2007 से 2012 तक भी सीएम रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भजपाईयों की बरात के दूल्हे धूमल ही थे, पर जनता ने उन्हें जीत का नेक नहीं दिया। भाजपा तो चुनाव जीत गई पर धूमल हार गए। इसके बाद एंट्री हुई वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की। ये सभी नेता जो हिमाचल का मुख्यमंत्री बन सके, इनके राजनैतिक सफर के बारे में रोचक पहलु जानने के लिए पढ़ते रहे हमारी ख़ास श्रंखला हिमाचल के मुख्यमंत्री।
सरकार ने पब्लिक सेक्टर 10 बैंकों के विलय की घोषणा की है। इन 10 बैंको के विलय से 4 बैंक बनेंगे। साथ ही सरकार ने इन सभी 10 बैंकों को 55,250 करोड़ रुपये दिये जाने की भी घोषणा की है , जिसमे से अकेले पंजाब नेशनल बैंक को 16,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। जिन बैंकों का विलय हो रहा है, वे समान तकनीकी प्लेटफॉर्म पर ऑपरेट होंगे। पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का एक में विलय होगा। इस तरह ये बैंक मिलकर देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनाएंगे और इनका बिजनेस 17.95 लाख करोड़ होगा। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक मिलकर एक बैंक का गठन होगा, जो देश का पांचवां सबसे बड़ा पीएसयू बैंक होगा। इसका बिजनेस 14.59 लाख करोड़ होगा। इंडियन बैंक का विलय इलाहाबाद बैंक के साथ किया जाएगा और इस तरह यह देश का सातवां सबसे बड़ा पीएसयू बैंक बन जाएगा। इसका बिजनेस 8.08 लाख करोड़ होगा। केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का भी विलय किया जाएगा, जो देश का चौथा सबसे बड़ा पीएसयू बैंक होगा। इसका बिजनेस 15.20 लाख करोड़ होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन दस बैंकों के कर्मचारियों को आश्वस्त किया है कि विलय के कारण उनकी नौकरी नहीं जाएगी। इस तरह बंटेगा 10 बैंकों में कुल 55,250 करोड़ : पंजाब नेशनल बैंक- 16,000 करोड़ रुपये यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- 11,700 करोड़ रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा- 7,000 करोड़ रुपये केनरा बैंक- 6,500 करोड़ रुपये इंडियन बैंक- 2,500 करोड़ रुपये इंडियन ओवरसीज बैंक- 3,800 करोड़ रुपये सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया- 3,300 करोड़ रुपये यूको बैंक- 2,100 करोड़ रुपये यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया- 1,600 करोड़ रुपये पंजाब एंड सिंध बैंक- 750 करोड़ रुपये
भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशानुसार जिला की 53-सोलन (अनूसूचित जाति) तथा 54-कसौली (अनुसूचित जाति) विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के सभी मतदान केन्द्रों में ‘मतदाता सत्यापन कार्यक्रम’ प्रथम सितंबर, 2019 से से 30 सितंबर 2019 तक चलाया जाएगा। यह जानकारी निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी एवं उपमंडलाधिकारी सोलन रोहित राठौर ने दी। उन्होंन कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2020 तक मतदाता सूची एवं पंजीकरण में सुधार लाना तथा सभी पात्र मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ना है। उन्होंने कहा निर्वाचन क्षेत्रों के सभी मतदान केन्द्र प्रथम सितंबर, 2019 को खुले रहेंगे इस दिन सभी बूथ लेवल अधिकारी अपने-अपने मतदान केन्द्रों पर उपस्थित होकर ‘मतदाता सत्यापन कार्यक्रम’ का शुभारम्भ करेंगे। उन्होंने कहा कि इन 30 दिनों कि अवधि में बूथ स्तर के अधिकारी अपने मतदान केन्द्र की मतदाता सूची में पंजीकृत सभी मतदाताओं से संबंधित प्रविष्टियों का सत्यापन करने के साथ-साथ अपात्र मतदाताओं का अपमार्जन, छूटे हुए पात्र मतदाताओं का पंजीकरण तथा भावी मतदाताओं के सम्बन्ध में भी जानकारी एकत्र करेंगे। निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी ने सभी नागरिकों तथा पंजीकृत मतदाताओं से आग्रह किया जाता है कि इस कार्यक्रम के दौरान संबंधित बूथ लेवल अधिकारी को भारतीय पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार, राशन कार्ड, सरकारी या अर्ध सरकारी कर्मचारियों का पहचान पत्र, बैंक पासबुक, किसान पहचान पत्र की छाया प्रति उपलब्ध करवाएं ताकि बूथ स्तर के अधिकारी सभी मतदाताओं का सत्यापन करना सुनिश्चित कर सकें। मतदाता निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (उपमंडलाधिकारी) कार्यालय में जाकर भी उपरोक्त दस्तावेजों को जमा करवा कर मतदाता सूची में विद्यमान अपनी तथा अपने परिवार की जानकारी सत्यापित कर सकता है।
यद्यपि...! कुछ बातें तार्किक न लगे लेकिन आस्था और लोकगाथाओं को चुनौती नहीं दी जाती। ऐसी ही एक लोककथा है नाहन के आम बागों की। संत-महात्माओं की तपोस्थली रहा नाहन शहर ‘आम’ के लिए मशहूर है। पर यहाँ स्थित आम के बागीचों के पीछे भी एक रहस्य है, एक किद्वंतीके अनुसार कालिस्थान मंदिर में तपस्या करने वाले एक महान तपस्वी ने नाहन के आसपास नौ लाख आम के वृक्षों की उत्पति अपने कमंडल के जल छिड़काव से कर दी थी। एक लोकगाथा के अनुसार नाहन स्थित कालिस्थान मंदिर के एक तपस्वी आम के आचार के बड़े शौकीन थे। अनुयायी महाराज के लिए शहर में जाकर भिक्षा में आचार की मांग करते थे। इसी दौरान एक दिन अनुयायी, एक घर में आचार की मांग करने पहुंचा। इस पर उस घर में मौजूद महिला ने गुस्से में आकर कहा कि ‘रोज आचार मांगने आ जाते हो। इतना आचार कहां से लाएं। यदि तुम्हारे महाराज को आम के आचार का इतना ही शौक है, तो क्यों नहीं वे अपने आम के पेड़ उगा लेते ?’’ अनुयायियों ने घटना का वृतांत अपने गुरू महाराज को सुनाया। इस पर गुरू महाराज ने प्रण किया कि वे अपने आम के पेड़ों का ही आचार खाएंगे। उन्होंने अपनी तपस्या के बल पर कमंडल से जल छिड़क दिया और जहाँ- जहाँ तक जल की बूंदे गिरी वहां पर आम के वृक्ष उग आए। कहा जाता है पूरे नौ लाख आम के वृक्ष उग गए। नाहन के आसपास कई आम के बाग हैं, जैसे जाबल का बाग, विक्रम बाग, खद्दर का बाग इत्यादि। अब इनकी उत्पति कैसे हुई ये तो अतीत में छिपा है, वर्तमान है तो बस इन वृक्षों पर लगे मीठे आम।
पुलिस अधीक्षक साक्षी वर्मा ने बिलासपुर जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय उच्च मार्ग-205 तथा साथ लगते कुछ अन्य राज्य मार्ग पर जाम की समस्या का मिनटों में हल करने का ऐलान किया है। एसपी साक्षी वर्मा द्वारा तैयार किए गए खाके के अनुसार कैंचीमोड़ से लेकर सलापड़ पुल तक नेशनल हाईवे को छह बीटस में बांटा गया है तथा इसमें पुलिस विभाग के कर्मचारी मोटर साइकिलों पर सदा तैयार रहेंगे। यदि किसी भी वजह से सड़क बाधित होती है या जाम की समस्या उत्पन्न होती है तो सूचना मिलते ही पुलिस कर्मचारी मौके पर पहुंचेगे तथा समस्या का निदान करेंगे। ऐसे में यातायात में फंसे लोगों को कुछ ही क्षणों में राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग द्वारा इसी मार्ग में विभिन्न जगह पर स्थानीय फोन नंबरों का डिस्पले ,बोर्डों के माध्यम से किया जाएगा। जिससे पर्यटक या अन्य बाहरी राज्यों से आने वाले लोग भी सड़क की समस्या को तुरंत पुलिस विभाग के नियंत्रण कक्ष तक पहुंचा सकेंगे। और गरामोड़ा से सलापड़ तक बीटस के हिसाब से पुलिस कर्मियों की तैनाती की जाएगी। इन बीटस में नौणी से ब्रम्हपुखर,सलापड़ से घागस, घागस से नौणी, नौणी से कल्लर, कल्लर से गंभर और गंभर से कैंची मोड़ शामिल है। नौणी से लेकर कल्लर तक दुर्घटनाओं के मामले में यह मार्ग संवेदनशील है। लिहाजा यहां पर विभाग का विशेष फोक्स रहेगा। मौके पर पुलिस कर्मी त्वरित प्रभाव से पहुंचे, इसके लिए विभाग की ओर से नई मोटर साईकिल खरीदी जाएंगी। . .
नाहन कोठी, पंचकुला शहर में स्थित एक ऐतिहासिक और प्राचीन ईमारत है। पंचकुला के सैक्टर 12-ए में स्थित है नाहन कोठी, एक रियासतकालीन ईमारत। इसका निर्माण करीब 160 वर्ष से पूर्व किया गया था। लाल रंग की यह कोठी महाराजा सिरमौर फतह प्रकाश के पुत्रों सुरजन सिंह और बीर सिंह द्वारा बनवाई गई थी। यह कोठी पंचकुला के ‘राइल्ली’ नामक गांव में स्थित है जो वर्तमान में पंचकुला के सैक्टर 12-ए में पड़ता है। लंबे समय से इस भवन को हैरिटेज भवन घोषित करने और इसके संरक्षण के प्रयास चले रहे हैं।
जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त राजेश्वर गोयल ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मतदाता सूचियों का विशेष पुनरीक्षण किया जा रहा है। उन्होने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत 1 सितम्बर से 30 सितम्बर तक बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जाकर बीएलओ. एप्प के माध्यम से प्रत्येक मतदाता की प्रिविष्टियो की जांच-पडताल करेंगे। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के अन्तर्गत कोई भी नागरिक भारतीय पासपोर्ट/ड्राइविंग लाइसेंस/आधार/राशन कार्ड/सरकारी/अर्ध-सरकारी पहचान पत्र/बैंक पासबुक/ किसान पहचान पत्र की प्रति सम्बन्धित निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (एसडीएम.) कार्यालय में जमा करवा कर मतदाता सूची में विद्यमान विंसगतियों को ठीक करवा सकता है। और ये भी बताया कि इस कार्यक्रम के दौरान नागरिक स्वंय भी मतदाता हेल्पलाइन मोबाईल एप्प/एनवीएसपी. पोर्टल/ लोकमित्र केन्द्र पर जाकर प्रविष्टियों को सत्यापित कर सकता है। जिला के सभी बूथ लेवल अधिकारी 1 सितम्बर को अपने-अपने मतदान केन्द्रों पर उपस्थित रहेंगे तथा बीएलओ. मोबाईल एप्प के माध्यम से मतदाताओं के नामों की प्रविष्टियों को सत्यापित करेंगें। उन्होने बताया कि सभी विभागों, जिनके भवनों में मतदान केन्द्र स्थापित हैं, को 1 सितम्बर को कार्यालय/पाठशाला खुली रखने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। जिला के सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे मतदाता सूची में अपना विवरण जैसे फोटो, पता व जन्म तिथि जरूर दर्ज़ करवाए । उन्होने सभी राजनैतिक दलों/पंचायत प्रतिनिधियों/महिला/युवक मण्डलों से भी आग्रह किया कि इस कार्यक्रम की जानकारी समस्त मतदाताओं तक पहुंचाने में अपना सहयोग दें।
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत डाहड के गांव वाला मे जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में विषय वाद विशेषज्ञ अशोक चंदेल ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना में किसानों को 60 साल की आयु पूरी करने पर 3 हजार रुपए मासिक पेंशन मिलेगी। उन्होंने बताया कि किसान की मृत्यु होने की स्थिति में उसकी पत्नी को 15 सौ रुपए की मासिक पेंशन मिलेगी और जिस किसान के पास दो हेक्टेयर तक कृषि भूमि होगी वे इस योजना के पात्र होंगे। उन्होंने कहा कि 18 से 40 वर्ष की आयु के किसानों के लिए यह एक स्वैच्छिक और योगदान आधारित पेंशन योजना है। इस योजना को छोटे किसानों के लिए बनाया गया है । इसलिए इसमें जमीन की सीमा है। उन्होंने किसानों से आवेदन किया कि इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना का नामांकन लोकमित्र केंद्रों के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 18 वर्ष की आयु से योजना में शामिल होने वाले किसान को 55 रुपए और 40 वर्ष की उम्र में योजना में आने वाले किसान को 200 रुपए की मासिक किस्त देनी होगी। इस योजना में तिमाही या छमाही किस्त देने का भी प्रावधान है। उन्होने बताया कि किसान के योगदान के बराबर ही सरकार भी अपनी ओर से योगदान देगी। उन्होंने इस योजना की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसान की 60 वर्ष की आयु के बाद मृत्यु हो जाती है, तो पति या पत्नी को पारिवारिक पेंशन के रूप में 50 प्रतिशत यानी 1,500 रुपए की मासिक पेंशन मिलेगी। इस योजना में जो किसान किसी प्रकार की पेंशन ले रहे है या अन्य किसी प्रकार की पेंशन से जुड़े हुए है। वह यह योजना के लिए पात्र नही है। इस शिविर में सौ किसानों के अतिरिक्त पंचायत प्रतिनिधि भी उपस्थिति रहे। .
वो 14 फरवरी 1980 का दिन था। तब तक शांता कुमार के 22 विधायक ठाकुर रामलाल के खेमे में जा चुके थे और शांता कुमार समझ चुके थे कि अब हाथ पैर मारने का फायदा नहीं है। सो उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। अपने कार्यालय से उन्होंने अपनी पत्नी को फ़ोन किया, उन्हें बुलाया और दोनों सिनेमा देखने चले गए। फिल्म थी जुगनू। इस्तीफा देकर फिल्म देखने जाने वाला मुख्यमंत्री हिन्दुस्तान के इतिहास में शायद ही दूसरा कोई हो। दूसरा कोई हो भी नहीं सकता, शांता सिर्फ एक ही हो सकते है। शांता के राजनैतिक करीयर का आगाज़ वर्ष 1964 में हुआ। शांता ने पंचायत चुनाव लड़ा और पंच बन गए। ये बस शुरुआत थी। वर्ष 1967 आया और शांता ने जिला कांगड़ा के पालमपुर से अपना पहला चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव हार गए। पर इसके बाद धीरे धीरे शांता विपक्ष का चेहरा बनते गए। 1972 का साल आया और शांता एक बार फिर विधानसभा चुनाव के रण में उतरे। इस बार क्षेत्र था जिला कांगड़ा का खेरा। इस मर्तबा शांता चुनाव जीत गए और विधानसभा में विपक्ष की आवाज़ के तौर पर उन्हकी पहचान स्थापित हो गई। कुछ समय बाद देश में इमरजेंसी लगी और राजनैतिक हालात बदल गए। शांता कुमार को भी नाहन जेल में बंद कर दिया गया जहाँ उनका साहित्यकार अवतार देखने को मिला। जेल में रहते हुए शांता कुमार ने कई उपन्यास लिखे, जिसका श्रेय वे कांग्रेस को देते है। 1977 का साल आया और हिमाचल में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हुए। जनता पार्टी को 53 सीटों पर प्रचंड जीत मिली और शांता कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने। इस मर्तबा वे जिला कांगड़ा की सुलह सीट से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे। बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल में शांता कुमार ने कई महत्वपूर्ण कार्य किये। अंत्रोदय योजना के जरिये उन्होंने गरीबों के बीच अपनी पैठ बनाई। गांव- गांव तक पानी के हैंडपंप पहुंचाए और पानी वाला मुख्यमंत्री कहलाये। सब कुछ ठीक चल रहा था, पर पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल भला चुप बैठने वाले कहाँ थे। रामलाल की तिगड़मबाज़ी रंग लाई और फरवरी 1980 में शांता के 22 विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया। अतः शांता कुमार को इस्तीफा देना पड़ा। वर्ष 1980 में ही भारतीय जनता पार्टी का गठन भी हुआ। अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, भैरों सिंह शेखावत के साथ शांता कुमार ने उस दौर में पार्टी में मुख्य चेहरों में शुमार थे। इसके बाद 10 वर्षों तक शांता कुमार ने भाजपा को हिमाचल में खड़ा करने का काम किया। 1989 में वे संसद भी पहुंचे और उसके बाद 1990 के विधानसभा चुनाव में भजपा का सीएम फेस रहे। चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत मिली और शांता एक बार फिर मुख्यमंत्री शांता हो गए। दिसंबर 1992 में बावरी काण्ड के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव ने शांता की सरकार को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद 1993 में फिर चुनाव हुए। 1990 में जिस भाजपा को प्रचंड जीत मिली थो वो 1993 में मजह 8 सीटों पर सिमट कर रह गई। खुद शांता कुमार भी चुनाव हार गए। हार का कारण ये नहीं था कि उन्होंने काम नहीं किया, बल्कि शांता अपने काम की वजह से ही हारे। कांग्रेस के रोटी-कपडा- मकान के घिसे पीटे नारे को लोगों ने शांता के आत्मनिर्भर हिमाचल के नारे पर तरजीह दी। इसका कारण था कर्मचारियों की नाराज़गी। हिमाचल में आज भी सत्ता का रास्ता कर्मचारियों के वोट तय करते है। शांता कुमार ने बतौर मुख्यमंत्री निजी क्षेत्र को प्रदेश में हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने की अनुमति दी थी। तब किन्नौर के बापसा में एक हाइड्रो प्लांट लगा था। इसी के विरोध में सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। शांता भी उसूलों के पक्के थे सो नो वर्क नो पे का फ़रमार जारी कर दिया। 29 दिन चली इस हड़ताल का पैसा कर्मचारियों को नहीं दिया गया। साथ ही इस दौरान करीब 350 कर्मचारियों को उन्होंने बर्खास्त कर दिया। सो जब अगला चुनाव आया तो कर्मचारियों ने भी शांता कुमार से बराबर बदला लिया। हिमाचल प्रदेश को हर वर्ष करीब दो हज़ार करोड़ रुपये पानी की रॉयल्टी से मिलते है। ये शांता कुमार की ही देन है। जब पहली बार उन्होंने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था तो विपक्ष ने जमकर खिल्ली उड़ाई थी। पर कांग्रेस की केंद्र सरकार को ये बात समझ आ गई और हिमचाल को उसका हक़ मिला। मोदी की पसंद नहीं थे शांता 1993 चुनाव की हार के बाद शांता कुमार प्रदेश की सियासत में वापसी नहीं कर सके।1998 चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी हिमाचल के प्रभारी थे जिनसे शांता की बनती नहीं थी। मोदी की पसंद प्रो प्रेम कुमार धूमल थे और चुनाव से पहले भाजपा ने धूमल को सीएम फेस घोषित कर दिया। इसके बाद पंडित सुखराम के समर्थन से धूमल ने पांच वर्ष सत्ता सुख भोगा। शांता कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच हमेशा एक लकीर रही है। गोधरा दंगों के बाद शांता कुमार ने नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था कि अगर मैं गुजरात का मुख्यमंत्री होता तो त्यागपत्र दे देता।
डीएवी अंबुजा विद्या निकेतन दाड़लाघाट में राष्ट्रीय खेल दिवस बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया। इस दौरान बच्चों के लिए विभिन्न खेलों का आयोजन किया गया। बच्चों ने खेल दिवस के मौके पर विभिन्न खेलों में अपने हुनर को दिखाया। इन खेलों में हर्डल रेस आकर्षण का केंद्र रही। इसके साथ ही स्कूल में चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस 2019 में ऑनलाइन पंजीकरण हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिला सोलन के 72 से अधिक स्कूलों के शिक्षकों ने भाग लिया।इस में मुख्य रूप से राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल मंजयाट के प्रधानाचार्य डॉक्टर हेतराम वर्मा व दाड़लाघाट सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रधानाचार्य इंदु शर्मा तथा डीएवी अंबुजा के प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर और सोलन जिला के विज्ञान समन्वयक अमरीश उपस्थित रहे। अन्य गतिविधियों में स्कूल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिट इंडिया मूवमेंट का लाइव टेलीकास्ट सुबह 10:00 बजे से विभिन्न कक्षा के विद्यार्थियों को दिखाया गया। स्कूल प्रबंधन समिति के चेयरमैन अनुपम अग्रवाल तथा प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर ने विभिन्न गतिविधियों के सफलतापूर्वक संचालन हेतु विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को शुभकामनाएं दी।
राजकीय महाविद्यालय दाड़लाघाट में एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा एचआईवी और एड्स पर एक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। रैली को प्रधानाचार्य जनेश कपूर, ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान रैली में छात्रों ने एचआईवी जागरूकता के बारे में नारे लगाए और लोगों को एचआईवी एड्स के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न पोस्टर प्रदर्शित किए। रैली की अगुवाई एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी मनीला गुप्ता और संदीप कुमार की देखरेख में आयोजित की गई। इसके अलावा,छात्रों को आशा कार्यकर्ता अनीता कुमारी और रीना ठाकुर द्वारा एचआईवी,व्यक्तिगत स्वच्छता और सहरसा योजना के बारे में बताया गया। इस मोके पर महाविद्यालय के समस्त स्टाफ सदस्यों सहित बच्चे उपस्थित रहे।
राज्य गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा की अध्यक्षता में आज उपमंडलाधिकारी कार्यालय नालागढ़ में गौवंश संवर्धन तथा बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़(बीबीएन) क्षेत्र को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने के लिए बैठक आयोजित की गई। उपमंडलाधिकारी नालागढ़ प्रशांत देष्टा इस बैठक में विशेष रूप से उपस्थित रहे। अशोक शर्मा ने कहा कि बीबीएन क्षेत्र को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने के लिए पशुपालन विभाग सहित अन्य विभागों का सहयोग अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी विभागों को उचित दायित्व सौंपे गए हैं। उन्होंने कहा कि बेसहारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए आम लोगों को भी प्रशासन को सहयोग प्रदान करना होगा। उन्होंने स्थानीय प्रशासन व निकायों को निर्देश दिए कि विभिन्न मार्गों पर लावारिस अवस्था में प्राप्त पशुओं को गौशालाओं में पहुंचाना सुनिश्चित करें।उन्होंने कहा कि गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए गौशाला संचालक गौवंश के गोबर, मूत्र एवं दूध से बनने वाले उत्पादों को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है तथा पहाड़ी गाय का इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने बैठक में हांडाकुंडी में एचपीएसआईडीसी द्वारा 114 बीघा भूमि पर निर्मित की जा रही गौशाला परियोजना की भी समीक्षा की। उपमंडलाधिकारी प्रशांत देष्टा ने सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह हांडाकुंडी में बनने वाली गौशाला और बीबीएन को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने के लिए समर्पित होकर कार्य करें ताकि लक्षित कार्य को तय समय के भीतर पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि बेसहारा पशु सभ्य समाज की पहचान नहीं है। इनसे जहां सड़क दुर्घटनाएं हो रही है वहीं ये पशु किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हांडाकुंडी में फेसिंग का कार्य शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा। बैठक में तहसीलदार नालागढ़ ऋषभ शर्मा, खंड विकास अधिकारी राजकुमार, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजय पाठक, डॉ. राजीव वालिया, पुलिस उप निरीक्षक शिवराम किशन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, गौशालाओं के संचालक उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश पुलिस का नशा तस्करों के खिलाफ अभियान लगातार जारी है। वहीं वीरवार रात को लगभग 3 बजे के करीब पुलिस ने जिला सोलन के कुठाड़ में 16.6 ग्राम चिट्टा व इलेक्ट्रॉनिक तराजू बरामद किया है। मामले की पुष्टि करते हुए परवाणू के डीएसपी योगेश रोल्टा ने बताया कि आरोपी की पहचान 29 वर्षीय कनैता के रहने वाले विक्रम सिंह के तौर पर की गई है। अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि युवक के पास इतना चिट्टा कहां से पहुंचा।
हिप्र पुलिस पेंशनर्ज वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान धनीराम तनवर,सन्तराम चन्देल,रूपराम ठाकुर,पतराम पंवर,केदारनाथ ठाकुर,जगदीश चौहान,रतीराम शर्मा,दीपराम ठाकुर,राजेन्द्र शर्मा,अमरचन्द पाल इत्यादि पेंशनरों ने अपने संयुक्त बयान में कहा है कि प्रदेश सरकार वर्ष 2003 के बाद के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने में आर्थिक कारणों से असमर्थ है। तो इंसानियत का तकाजा है कि देश व प्रदेश के मन्त्रीगण, एम पी व विधायकों चाहे वह किसी भी पार्टी का हो प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए स्वेच्छा से अपनी पेंशन बन्द करवानी चाहिए।उन्होंने कहा कि जब सभी विभागों के कर्मचारियों को 35- 40 साल नौकरी करने के बाद भी पेंशन नही मिलेगी, तो शपथ ग्रहण करने के बाद या अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा होने पर भी यह माननीय पेंशन के कैसे हकदार हुए। पेंशनर्ज ने कहा कि जब इन्हें अपने वेतन भत्ते बढ़ाने होते हैं तो तब इन्हें देश व प्रदेश की आर्थिक स्थिति नजर नही आती। व सभी पार्टियों के नेतागण एक स्वर में भेजे थपथपा कर बिल पास कर देते हैं। पेंशनरों के लिए कई सालों से 5,10, व 15 प्रतिशत का भत्ता मूल वेतन में नही दे रहे हैं जबकि प्रत्येक पेंशनर ने अपनी जवानी के 35,40 साल देश के विकास के लिए अपना योगदान दिया है। इसी तरह पुलिस पेंशनरों की 4 साल से किसी भी मांग पर सरकार व पुलिस विभाग विचार नही कर रहा है और न लम्बे समय से पेंशनरों के मैडिकल बिलों का भुगतान हो रहा है। पेंशनरों ने कहा है कि सरकार को समझना चाहिए कि पेंशनर भी इसी देश की जनसंख्या का हिस्सा है जो सरकार बनाने में अहम रोल अदा करता है। उन्होंने सरकार से उपरोक्त मांगों को पूरा करने की दरख्वास्त की है ।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दाड़लाघाट ने ममलीग मे सम्पन्न हुई जिला स्तरीय अंडर-19 सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के अंतर्गत सुगम संगीत प्रतियोगिता में विद्यालय के होनहार छात्र पीयूष ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। तथा इसी प्रकार वाद्य वृंद संगीत में भी इस विद्यालय के बच्चों ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराते हुए दूसरा स्थान प्राप्त किया है। सुगम संगीत में विजेता रहे पीयूष का साथ हारमोनियम और तबले मैं रवीन्द्र और राहुल ने बखूबी दिया। जबकि वाद्य वृंद प्रतियोगिता में रवींद्र व साथियों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर पहाड़ी धुनों की मधुर तानों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इस प्रकार विद्यालय के छात्र पीयूष का राज्य स्तरीय प्रतियोगिता हेतु चयन हुआ है। विद्यालय की प्रधानाचार्य इंदु शर्मा ने बच्चों की उपलब्धि पर उन्हें और उनका मार्गदर्शन करने के लिए भोपाल सिंह डीपीई तथा अनिल शर्मा व कमलेश को बधाई दी है।उन्होंने बच्चों से राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में भी इसी प्रकार विजयी रहने की अपेक्षा की है।
हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड सोलन से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रथम सितंबर, 2019 को 132 केवी गिरी-सोलन सर्किट से संबद्ध विभिन्न विद्युत लाईनों का आवश्यक मुरमम्मत व रखरखाव कार्य किया जाना है। यह जानकारी विद्युत बोर्ड के वरिष्ठ अधिशाषी अभियंता केसी रघु ने आज यहां दी। उन्होंने कहा कि इसके लिए देहूंघाट, रबौण, हाउसिंग बोर्ड, नेगी कॉलोनी, वशिष्ठ कॉलोनी, राधास्वामी सत्संग व इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रथम सितंबर, 2019 को प्रातः 9.00 बजे से सांय 6.00 बजे तक विद्युत आपूर्ति बाधित रहेगी। उन्होंने इस दौरान लोगों से सहयोग की अपील की है।
प्रदेश सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग निदेशालय द्वारा विभिन्न कंप्यूटर प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए पात्र उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित करने की तिथि 5 सितंबर, 2019 तक बढ़ा दी है। यह जानकारी आज यहां जिला कल्याण अधिकारी सोलन बीएस ठाकुर ने दी। उन्होंने कहा कि यह आवेदन पोस्ट ग्रेजुऐट डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन्स (पीजीडीसीए) तथा डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन्स एवं डेस्क टॉप पब्लिशिंग (डीसीए-डीटीपी) के एक वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए आमंत्रित किए गए हैं। पीजीडीसीए पाठ्यक्रम के लिए योग्यता स्नातक तथा डीसीए-डीटीपी पाठ्यक्रम के लिए योग्यता दस जमा दो निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा कि इन पाठ्यक्रमों के लिए प्रदेश के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित एवं विधवा, एकल नारी व विशेष रूप से सक्षम उम्मीदवार पात्र हैं। उम्मीदवार की आयु 18 से 35 वर्ष के मध्य होनी चाहिए तथा उम्मीदवार बीपीएल परिवार से संबंधित होना चाहिए अथवा परिवार की वार्षिक आय दो लाख रुपये से कम होनी चाहिए। प्रशिक्षण के इच्छुक उम्मीदवार सादे कागज पर जिला कल्याण अधिकारी सोलन अथवा संबंधित तहसील कल्याण अधिकारी कार्यालय में 5 सितंबर, 2019 तक आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के साथ दसवीं, 12वीं, स्नातक उतीर्ण प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, बीपीएल प्रमाण पत्र, तहसीलदार द्वारा जारी प्रार्थी के माता-पिता की वार्षिक आय प्रमाण पत्र तथा हिमाचली प्रमाण पत्र की सत्यापित प्रतियां संलग्न करनी होंगी।उन्होंने कहा कि उतीर्ण प्रशिक्षणार्थियों को 6 माह के लिए सरकारी अथवा गैर सरकारी सस्थानो में कंप्यूटर एप्लीकेशन में प्रवीणता प्राप्त करने के लिए रखा जाएगा। यह अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान विभाग द्वारा 1000 रुपये प्रति माह छात्रवृति भी प्रदान की जाएगी। विशेष रूप से सक्षम को 1200 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाएगी। अधिक जानकारी के लिए जिला कल्याण अधिकारी सोलन के दूरभाष नंबर 01792-223742 अथवा संबंधित तहसील कल्याण अधिकारी के कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।
राजकीय छात्रा वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सोलन के ‘युवा संसद’ में भाग लेने पहुंचे विद्यार्थियों ने शिमला स्थित विधानसभा का अवलोकन किया। यह जानकारी विद्यालय के अंग्रेजी विषय के प्रवक्ता अनिल कुमार वर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि विद्यालय की 10वीं, 11वीं तथा 12वीं कक्षा की छात्राओं ने प्रदेश विधानसभा की दर्शक दीर्घा में बैठकर विधानसभा की कार्यवाही देखी। उन्होंने कहा कि छात्राओं ने व्यवहारिक रूप से पूरी प्रक्रिया का अवलोकन किया और यह जाना कि किस प्रकार प्रदेश विधानसभा में राज्यहित के मामलों पर सारगर्भित चर्चा की जाती है। इस दौरान छात्राओं को प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल सहित वरिष्ठ मंत्रियों एवं विधायकों से मिलने का अवसर भी प्राप्त हुआ।मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस अवसर पर छात्राओं का विधानसभा परिसर में स्वागत किया और उनसे आग्रह किया कि अपने छात्र जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ें। उन्होंने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए छात्राओं को एकाग्रता के साथ कठिन परिश्रम करने की सलाह दी। उन्होंने छात्राओं का आह्वान किया कि वे अपने क्षेत्र में स्वच्छता के दूत बनें और लोगों को स्वच्छ रहने के लिए जागरूक बनाएं। उन्होंने छात्राओं से आग्रह किया कि नशे जैसे अभिशाप को हराने के लिए एकजुट होकर कार्य करें। उन्होंने विद्यालय के अध्यापकों से आग्रह किया कि वे छात्राओं को केंद्र व प्रदेश सरकार की कल्याणकारी नीतियों की जानकारी दे ,ताकि छात्राएं अपने घर एवं आसपास के क्षेत्रों में लोगों को इनसे अवगत करवा सकें। प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने इस अवसर पर छात्राओं को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के गौरवमयी इतिहास एवं परम्पराओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा को अपनी कार्यप्रणाली के लिए पूरे देश में जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ई-विधान प्रणाली को लागू करने वाली पहली अत्याधुनिक कागज रहित विधानसभा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विधायकों के लिए ई-निर्वाचन क्षेत्र प्रबंधन भी आरंभ किया गया है। इस प्रणाली के लागू होने से विधायकों, अधिकारियों व जनता के मध्य बेहतर संवाद कायम करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि लड़कियां आज विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही है और केंद्र व प्रदेश सरकार के विभिन्न कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण की दिशा में कारगर सिद्ध हो रहे हैं।छात्राओं ने विधानसभा में अपने अनुभव के विषय में जानकारी दी विधानसभा के भीतर नेताओं की चर्चा उन्होंने पहली बार देखी। छात्राओं के इस समूह के साथ राजनीति शास्त्र की प्रवक्ता रेणुका मेहता, जीव विज्ञान की प्रवक्ता हितैषी शर्मा एवं प्रवक्ता सीताराम ठाकुर भी उपस्थित थे।
इन्नर व्हील क्लब सोलन मिड्टाउन की सदस्यों ने वीरवार को चम्बाघाट में स्थित झुग्गी झोपड़ियों के लोगों और बच्चों को कपड़े,जूते,रोज़ मर्रा की ज़रूरत का सामान और खाने की चीज़ें बाँटी। क्लब के प्रधान सविता भल्ला ने बताया कि संस्था ज़रूरतमंदों की मदद करती है। क्लब के इस साल के मुहिम मिशन ममता-ओरफ़न फ़्री इंडिया को मद्देनज़र रखते क्लब ने ऑटो रिक्शायों पर जागरूकता बैनर लगाए ताकी लोग अनाथ बच्चों की किसी भी प्राकार से मदद करें। इस कार्यक्रम में सविता भल्ला,शैली पहुजा,रेणु शर्मा,रैना गुप्ता,मोनिका बंसल,अंजू पब्याल,सुनीता अग्रवाल और अलका वर्मा शामिल रही।
कुनिहार लोक निर्माण विभाग सब डिवीजन के तहत कुनिहार नालागढ़ मार्ग पर बने कुणी व गम्बर पूल की भार क्षमता की जांच शुक्रवार को होनी थी।परन्तु कुणी पुल पर ही जांच मशीनरी में खराबी आ गई। उक्त मशीनरी से युक्त ट्राला पुल पर एक ओर झुक गया व टायर हवा में उठ गए जिसके चलते जांच नहीं हो सकी। विदित रहे कि इस मार्ग पर बने पुलों की कंडीशन काफी दयनीय है व कुछ वर्ष पूर्व विभाग ने अपने कर्मचारी को यंहा नियुक्त करके पुल पर से एक समय मे एक वाहन निकालने की हिदायत जारी की थी।हैदराबाद के इंजीनियर इन पुलों की जांच के लिए सुबह 10 बजे कुणी पुल पहुंचे ।आठ सदस्यीय दल अपने उपकरणों को पुल पर निरीक्षण के लिए अभी लगा ही रहे थे कि उपकरणों से लैस गाड़ी एक ओर झुक गई व गाड़ी के अगले टायर हवा में उठ गए।हालांकि 10 बजे से पुल की जांच कर रही इंजीनियरों ने काफी जद्दोजहद के बाद करीब 2 बजे मशीनरी को पुल से हटाया, पर जांच अधूरी रह गई। सब डिवीजन कुनिहार के सहायक अभियंता राज कुमार शर्मा ने बातचीत में बताया कि भार क्षमता जांचने वाली मशीनरी के सेंसर्स में जांच के दौरान खराबी आ गई व पुलों का निरीक्षण नही हो पाया।गाड़ी को फिलहाल सड़क के साथ खड़ा कर दिया है व चंडीगढ़ या दिल्ली से एक्सपर्ट टीम आ कर मशीनरी को ठीक करेगी व पुलों की जांच की जाएगी।
University’s team meets delegation from 17 African Nations The Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni has set sights on achieving working international collaborations in the field of horticulture, forestry and allied disciplines to broaden the learning environment of students and faculty working in the university. The move is part of the university’s initiative to strengthen its global linkages and partnership in order to achieve its goal of competing with the leading institutions of repute in the field. As part of this initiative towards forging new partnerships, a three-member team of the university lead by Vice-Chancellor Dr Parvinder Kaushal attended the India Africa Higher Education and Skill Development Summit held at New Delhi earlier this week. The summit was organized by Confederation of Indian Industry (CII), and was attended by over 75 delegates from 17 African countries. Several university and institutes from India also took part in the event. Besides Dr Kaushal, the UHF team also included Dr Rajesh Bhalla and Dr Kulwant Rai, who held discussions with the delegates from several African countries and discussed the possibility of a formal tie-up for collaborative research, student and faculty exchange. Several countries including Ghana, Ethiopia, Nigeria, Kenya and Sudan showed keen interest in developing an alliance with the university for agri-horticulture, forestry and allied disciplines. “International linkages are key to the development of any institution and the university has decided to strengthen this area and forge new international partnership. The major areas for collaboration will be in the area of academic and research and students and faculty exchange,” said Dr Kaushal. He added that UHF received a very positive response in the summit with representatives from most countries showing keen interest to collaborate with the university. “The university will soon be getting in touch with the embassies of these countries in India for signing Memorandum of Understanding for collaborating in our many areas of expertise. The university will welcome any foreign partnership as it not only allows us to showcase our skills and expertise but also gives valuable exposure to our scientists and students. Further, to usher in a new era in international academic and research collaboration, the university will look to start certificate, diploma and degree level vocational courses and need-based region-specific international programmes to cater to the specific needs of any foreign partner” said Dr Kaushal. The university delegation also met the representatives from the National Skill Development Council and discussed the possibility of funding support for vocational courses. The NSDC members were of the view that funding support can be provided for trainer’s training with scope for introducing subjects of Horticulture and Forestry as skill development ventures
विकास खंड कुनिहार की ग्राम पंचायत दानोघाट के प्रधान,उपप्रधान व समस्त पंचायत सदस्यों ने उपायुक्त सोलन को त्यागपत्र देकर खलबली मचा दी है। ग्राम पंचायत प्रधान,उपप्रधान व सात पंचायत सदस्यों का आरोप है कि पंचायत सचिव दानोघाट तेजेन्द्र वर्मा की कार्य प्रणाली संतोष जनक नहीं है। तेजेन्द्र वर्मा पिछले एक वर्ष से पंचायत के विकास कार्य में बाधा पहुंचाते आ रहे है और हमें समय पर कार्य की अदायगी नहीं की जाती जिसके कारण हम कोई भी कार्य पूर्ण नहीं कर पा रहे है। पिछले छ माह से पंचायत बैठक कभी भी समय पर नहीं हुई है सचिव अपनी मर्जी से बैठक की तिथि से आगे पीछे करते है। दिनांक 27 अगस्त 2019 को भी पंचायत बैठक थी लेकिन सचिव ने कार्यवाही में सभी वार्ड सदस्य के हस्ताक्षर करवाए और 12 बजे से पहले बैठक छोड़ कर चले गए। जिसके कारण पंचायत के सभी प्रस्ताव नहीं लिखे गये इसके व्यवहार से दुखी होकर सभी पंचायत प्रतिनिधि उपायुक्त सोलन को अपना त्याग पत्र दे रहे है। पंचायत सचिव द्वारा ग्राम पंचायत दानोघाट में गांवों में विकास कार्य कराने मेें स्थानीय लोगों व पंचायत प्रतिनिधियों का सहयोग नहीं किया जा रहा है।उच्चाधिकारियों से कई बार शिकायत करने के बाद पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई न होेने का आरोप लगाया।पंचायत प्रतिनिधि सदस्यों ने त्यागपत्र की कापी डीपीओ सोलन व बीडीओ कुनिहार को भेज दी है। ग्राम पंचायत दानोघाट में प्रधान,उपप्रधान समेत 7 सदस्य है, जिसमें पूरी कार्यकारणी ने पंचायत सचिव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।उपायुक्त सोलन में त्यागपत्र के साथ पहुंचे समस्त पंचायत कार्यकरणी का कहना है कि पंचायत सचिव तेजेन्द्र वर्मा की कार्य प्रणाली संतोष जनक नहीं है ओर मनमर्जी व अपने रवैये से विवश होकर दानोघाट पंचायत के प्रधान,उपप्रधान व समस्त 7 सदस्यों ने अपने अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ रहा है।त्यागपत्र देने वालों में पंचायत प्रधान रामदेई,उपप्रधान राजेश कुमार,पंचायत सदस्य मस्तराम,निर्मला देवी,नर्वदा देवी,बिमला देवी,नर्वदा देवी,देवेंद्र कुमार,लता शामिल हैं। बॉक्स.... जब इस बारे विकास खंड अधिकारी कुनिहार विवेक पॉल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस तरह की कोई भी शिकायत मेरे पास नही आई है।इस बारे जिला पंचायत अधिकारी सोलन से बात करे। जब इस बारे जिला पंचायत अधिकारी सोलन सुभाष अत्रि से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे पास इस तरह का एक दानोघाट पंचायत की ओर से शिकायत पत्र आया है,जिसे उपायुक्त सोलन को प्रेषित कर दिया है जैसे ही वहाँ से जो आदेश आता है वैसे ही कार्यवाही की जाएगी।
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिन्हें देखकर हमें ऐसा महसूस होता है कि बस अब यहीं रुक जाएं, इसके आगे कोई सुकून ही नहीं है। यहां आकर आपके मन को शांति मिलती है और हर तनाव को भूल जाते हैं। बस हमारा मन कहता है कि यह ऐसी जगह है जहां आपको सबसे ज्यादा सुकून मिलेगी। कई चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें देखकर हमारी पूरी थकान उतर जाती है। ऐसा ही एक मंदिर है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे है। जी हां उत्तर भारत में एक ऐसा मंदिर है जो 15 चट्टानों को काटकर बना हुआ है। जिसे देखकर आप इस बात पर विश्वास नहीं कर पाएंगे कि क्या वास्तव में ऐसा हो सकता है। आखिर इतनी अच्छी नक्काशी भी कहीं हो सकती है। हम बात कर रहे है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मसरूर गांव में स्थित रॉक कट टेम्पल हैं। इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह चट्टानों को काटकर बनाया गया है। आठवीं शताब्दी में बना ये मंदिर महाभारत के पांडवों का रहस्यमयी इतिहास भी अपने अंदर संजोये हुए है। हिमालयन पिरामिड के नाम से मशहूर ये रॉक कट टेम्पल अपने आप में एक अनोखा इतिहास समेटे हुए है। मसरूर का यह मंदिर कुरुद्वारा के नाम से पूजनीय है। वास्तव में यह भगवान् श्री राम को समर्पित है और वैष्णव धर्म का द्योतक है। मुख्य मंदिर के भीतर भगवान राम , लक्ष्मण और सीता की प्रतिमाएं स्थापित है जो पत्थर को नक्काश कर बनाई गई है। मूलतः ऐसा प्रतीत होता है कि यह भगवान् शिव को समर्पित था लेकिन समय के उतार चढ़ाव के साथ साथ बाद में यहाँ वैष्णव धर्म का प्रादुर्भाव होने से इसे विष्णु भगवान को समर्पित कर दिया गया। आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि ऐसी नक्काशी पत्थरों में करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। इसे करने के लिए दूर से करीगर लाए गए थे लेकिन वास्तव वे कारीगरी किसने की इस बारे में आजतक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। इस मंदिर के सामने ही मसरूर झील है जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है। सदियों से चली आ रही दन्त कथाओं के मुताबिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था और मंदिर के सामने खूबसूरत झील को पांडवों ने अपनी पत्नी द्रौपदी के लिए बनवाया गया था। काँगड़ा घाटी के हरिपुर कसबे से लगभग 3 किलोमीटर की दुरी पर और समुद्रतल से 2500 फुट कि ऊँचाई पर एक रेतीली पहाड़ी पर स्थित है। गग्गल हवाई पट्टी स यहाँ तक की दुरी 20 किलोमीटर है। इसकी लम्बाई 106 फुट के करीब और चोडाई 105 फुट है। इस तरह का विशाल पत्थर को कार कर बनाया मंदिर भारत में शायद ही कहीं हो। वास्तुकला की अद्भुत अविस्मरनीय पत्थर का यह स्तंभ सपाट और शिखर शैली में बनाया गया है । पुरातात्विक विभाग के संरक्षण में यह प्राचीन कला और इतिहास का मूक साक्षी है । इसके बाहर भीतर जिस तरह की मूर्तियाँ पत्थर पर तराशी गई है वह महाबलीपुरम में छठी और इलोरा के मंदिरों में दसवीं सदी की याद दिला देती है। बहुत कुछ इन प्राचीन मंदिरों की कला से मिलता जुलता है ।इस मंदिर के मूल मंदिर के साथ कुल 15 के करीब छोटे बड़े शिखराकार मंदिर है । इनमें से कुछ मंदिरों के भाग टूट चुके है। काँगड़ा में 1905 को आये भूकंप के कारण भी इन मंदिरों को काफी क्षति पहुंची थी। मंदिर के सन्दर्भ में कोई प्रमाणिक ऐसा दस्तावेज उपलब्ध नही है जिस से इसके निर्माण काल का सही अनुमान लगाया जा सके । यह बताया जाता है कि इसका निर्माण पांडवों द्वारा ही किया गया है। आश्चर्य है कि यहाँ प्राचीन काल में कोई यात्री भी नहीं पहुंचा जिसने इस मंदिर का उलेख किया हो । कहा जाता है कि केवल सन 1913 में पुरातात्विक विभाग ने इसकी वास्तुकला का गहरायी से निरिक्षण किया।
लाखों लोगों की आस्था के केंद्र सुबाथू में बने श्री गुग्गा माड़ी मंदिर की कहानी चौकाने वाली है।करीब पौने दो सौ साल पहले वाल्मीकि परिवार से संबंध रखने वाले सुबाथू के दो व्यक्तियों को स्वपन में एक अद्भुत शक्ति ने गुग्गा माड़ी की स्थापना करने को कहा। इसके बाद इन लोगों ने मंदिर बनाने की योजना बनाई लेकिन यह बनेगा कहां, इसे लेकर जगह तय करना आसान नहीं था। सुबाथू में श्रीगुग्गामाड़ी मंदिर की स्थापना के विषय में मंदिर के वयोवृद्ध पुजारी पंडित टीका राम बताते हैं कि लगभग 170 वर्ष पूर्व बाल्मिकी परिवार से संबंध रखने वाले छित्तर व गुज्जर नामक व्यक्तियों को सपने में एक अद्भुत शक्ति ने माड़ी की स्थापना करने को कहा। गुग्गा जी के परम भक्त डींगा की इसमें अहम भूमिका रही और उन्होंने एक काले बकरे के गले में लाल डोर बांध कर खुला छोड़ दिया। पूरे सुबाथू का भ्रमण करने के बाद जहां बकरे ने घुटने टेके, वहीं माड़ी का स्थान निश्चित कर लिया गया। छित्तर व गुज्जर ने राजस्थान के हनुमानगढ़ में बनी श्री गुग्गामाड़ी से मिट्टी व ईंटें ला कर इस माड़ी की आधारशिला रखी। धीरे-धीरे इस पवित्र स्थान में लोगों की आस्था व श्रद्धा बढ़ती गई और वर्तमान में यहां श्री गुग्गा जी का भव्य मंदिर स्थापित है। गुग्गा जी के आशीर्वाद से सुबाथू में सर्पदंश से आज तक किसी की मृत्यु नहीं हुई गुग्गाजी के संबंध में अनेक दंत कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन गुग्गा जी के गीतों से पता चलता है कि उनका जन्म बीकानेर के ददरेड़ा नामक स्थान पर जेवर सिंह चौहान के घर हुआ था। उनकी माता बाच्छल सिरसा के राजा कंवरपाल की पुत्री थी। बाच्छल की बड़ी बहन काच्छल भी इसी परिवार में ब्याही गई थी। दोनों बहनें संतानहीन थीं और उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए अनेक देवी-देवताओं की स्तुति की, लेकिन उनकी गोद नहीं भरी। उन्हीं दिनों संत गुरु गोरखनाथ मारू देश पधारे हुए थे। उन्होंने बाच्छल को सोमवृक्ष की जड़ें देते हुए उसके चूर्ण का सेवन करने को कहा, जिससे बाच्छल को गुग्गा के रूप में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। शिला पर बचे चूर्ण को बाच्छल की तीन अन्य सखियों ने भी खा लिया और उन्हें भी एक-एक पुत्र प्राप्त हुआ, जिनके नाम नरसिंह पांडे, भजनू व रतनू रखे गए। कुछ चूर्ण बाच्छल की घोड़ी ने भी चाट लिया और उसने भी एक नीले रंग के घोड़े को जन्म दिया। गुग्गा के मंदिरों में इन सभी की पूजा की जाती है और इनके समूह को पंचवीर कहा जाता है। कई स्थानों पर गुग्गा जी को सर्प देवता के रूप में भी पूजा जाता है। गुग्गा के भक्त 'गारड़ू तांत्रिक विधि से सर्पदंश का निवारण भी करते हैं। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि गुग्गा जी के आशीर्वाद के कारण ही सुबाथू या आसपास के क्षेत्र में सर्पदंश से आज तक किसी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई है। किसान अर्पण करते है नई फसल जिस प्रकार गेहूं की फसल आने पर पंजाब में बैसाखी का पर्व मनाया जाता है, उसी प्रकार क्षेत्र के किसान मक्की की नई फसल को सर्वप्रथम गुग्गा जी के मंदिर में चढ़ा कर धनधान्य की कामना करते हैं। धर्मनिरपेक्षता इस मेले का आदर्श है। हिंदू-मुस्लिम एकता की प्रतीक गुग्गा की छड़ी में नीचे की ओर नारियल और शीर्ष पर विराजमान ताजिया इसका उदाहरण है। लोक मान्यता है कि श्री गुग्गा जाहरवीर नवमी की रात को माड़ी में प्रकट हो कर लोगों के दुखों का निवारण करते हैं। टमक पूजन के साथ आरम्भ होता है मेला सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक सुबाथू का ऐतिहासिक श्री गुग्गामाड़ी मेला प्रतिवर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद सेना के लोअर कैंप स्थित मैदान में लगता आ रहा है। इन चार दिनों के दौरान गुग्गा जाहरवीर के मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु मन्नतें मांगने और मन्नतें पूरी होने के बाद शीश नवाने आते हैं। मेले में रात्रि के समय 'गुग्गा के गीत, नाटक व अन्य रंगारंग कार्यक्रमों के अलावा अंतिम दो दिन दंगल लोगों के विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। गुग्गा माड़ी मेले का टमक पूजन के साथ शुभारम्भ होता है। सैकड़ों वर्षों से चली रही परंपरा अनुसार ढोल नगाड़े बजाकर भक्तजन देवी-देवताओं को मेले में आने का आमंत्रण देते हैं। इस वर्ष मेला 5 से 8 सितम्बर तक इस वर्ष श्री गुग्गा माड़ी मेले का आयोजन 5 से 8 सितम्बर तक किया जा रहा है। मेले का शुभारम्भ डीसी सोलन केसी चमन करेंगे। दूसरे दिन एडीएम विवेक चंदेल मुख्य अतिथि होंगे। 7 तारीख को सामजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री डॉ राजीव सैजल बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। जबकि मेले के आखरी दिन ब्रिगेडियर एचएस संधू, कमांडेंट 14 जीटीसी सुबाथू मुख्य अतिथि होंगे ।
ग्राम पंचायत मांगल के गांव हवानी में एक दिवसीय स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता बीडीसी सदस्य सुरेश ठाकुर तथा वार्ड सदस्य हवानी जयराम ठाकुर ने की। बीडीसी सदस्य सुरेश कुमार ने कहा कि लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी मिल सके इसके लिए चिकित्सकों द्वारा लोगों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की जाती है।उन्होंने कहा कि ऐसे स्वास्थ्य शिविर मांगल पंचायत के हर गांव में लगवाये जा रहे है। उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ अल्ट्राटेक कंपनी के सहयोग से भी हर गांव को छोटी-छोटी स्कीमों से जोड़ा जा रहा है,जैसे गांव में सिलाई कढ़ाई,महिला मंडल को सहयोग करवाना तथा गांव में सीएसआर के अंदर काम करवाना इत्यादि है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अल्ट्राटेक कंपनी के सहयोग से गांव पडयार में श्मशान घाट,भलग गांव में रेन शेल्टर बाथरूम,गांव बागा में रेन शेल्टर बाथरूम तथा शालूघाट में भी रेन शेल्टर का काम किया जा रहा है। इसके अलावा मांगल पंचायत में सड़क की रिपेयर का काम करवाना तथा हर स्कूल में बच्चों के लिए अलमारी,दरिया,वॉलीबॉल,डेस्क आदि दिलवाना भी उनकी प्राथमिकता में है। बीडीसी सदस्य सुरेश ठाकुर ने कहा मांगल पंचायत के अंदर लगभग 40 लाख से ऊपर बीडीसी के माध्यम से अल्ट्राटेक कंपनी से काम लिया जा रहा है।सुरेश ठाकुर ने कहा कि अभी कंपनी में और भी कई मुद्दों पर बात हो रही है इसके साथ-साथ मांगल व बैरल पंचायत में बेरोजगारी की समस्या बहुत ज्यादा है तथा रोजगार को लेकर आज भी मांगल की तरफ से बीडीसी के द्वारा लगभग 1 साल पहले रोजगार का मुद्दा हाईकोर्ट शिमला में डाला गया है।