मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। जिन लोगों को अदालत ने दोषमुक्त किया है, उनमें भाजपा की सांसद और आरोपी नंबर-1 रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय प्रमुख हैं। यह विस्फोट 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव शहर में रमजान के महीने के दौरान हुआ था। एक मोटरसाइकिल में रखे गए बम से हुए धमाके में 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। जांच एजेंसियों ने इस घटना के बाद सात लोगों को आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया था। एनआईए अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जा सके है, और महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई शुरुआती जांच में कई खामियां थीं। गवाहों के बयान बदलने, सबूतों की प्रमाणिकता पर संदेह और जांच प्रक्रिया में विसंगतियों के चलते अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। प्रमुख आरोपी और उनके खिलाफ आरोप क्या थे? 1. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर प्रज्ञा ठाकुर पर आरोप था कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल उन्हीं के नाम पर थी। एटीएस का दावा था कि उन्होंने ब्लास्ट की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाई और इससे संबंधित कई बैठकों में हिस्सा लिया। हालांकि, 2016 में एनआईए की चार्जशीट में यह कहा गया कि वह बाइक लंबे समय से उनके पास नहीं थी और कई गवाहों ने अपने बयान बदल दिए थे। 2017 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। 2. प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सेना के अधिकारी रहे पुरोहित पर आरोप था कि उन्होंने 'अभिनव भारत' संगठन के जरिए फंडिंग की व्यवस्था की और एक वैकल्पिक राष्ट्र व संविधान की बात की। उन्होंने कोर्ट में कहा कि वे इन बैठकों में सेना के खुफिया अधिकारी के रूप में शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में उन्हें जमानत दी थी। 3. रमेश उपाध्याय रिटायर्ड मेजर उपाध्याय पर आरोप था कि उन्होंने धमाके की साजिश से जुड़ी बैठकों में हिस्सा लिया और 'अभिनव भारत' के कार्यकारी अध्यक्ष बने। उन्होंने एटीएस पर फोन टैपिंग और सबूतों को गढ़ने के आरोप लगाए थे। 4. अजय राहिरकर पुणे निवासी व्यापारी अजय राहिरकर को धमाके की फंडिंग और संगठन की बैठकों में शामिल होने का आरोपी बनाया गया। उन्हें सबसे पहले 2011 में बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। 5. सुधाकर चतुर्वेदी सेना के खुफिया विभाग से जुड़े चतुर्वेदी के किराए के घर से विस्फोटक के सैंपल मिलने का दावा किया गया था। लेकिन कोर्ट में गवाहों ने अपने बयान बदल लिए और सबूतों की वैधता पर सवाल उठे। 6. सुधाकर द्विवेदी द्विवेदी के लैपटॉप से कथित तौर पर कई रिकॉर्डिंग्स मिली थीं, जिन्हें सबूत बताया गया था। उन्होंने दलील दी कि लैपटॉप को जब्त करने के बाद सील नहीं किया गया था, जिससे उसमें छेड़छाड़ की संभावना थी। 7. समीर कुलकर्णी समीर कुलकर्णी पर हिंदू प्रतिशोध की बैठकों में हिस्सा लेने का आरोप था। उन्होंने अदालत में दावा किया कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया और उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं थे। दो आरोपी आज भी फरार इस केस में दो और आरोपियों, रामचंद्र कालसांगरा (रामजी) और संदीप दांगे को चार्जशीट में शामिल किया गया था, लेकिन उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका। कालसांगरा पर आरोप था कि उसने विस्फोट वाली मोटरसाइकिल चलाई थी और वह भी प्रज्ञा ठाकुर के संपर्क में था।
बिहार के गया जिले में होमगार्ड भर्ती के लिए आई 26 वर्षीय युवती के साथ चलती एंबुलेंस में गैंगरेप का शर्मनाक मामला सामने आया है। पुलिस ने घटना के बाद आरोपी एंबुलेंस ड्राइवर और टेक्नीशियन को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने पीड़िता को चुप रहने की धमकी भी दी थी। घटना 24 जुलाई (गुरुवार) की है, जिसका खुलासा शुक्रवार देर रात हुआ। भर्ती के दौरान फिजिकल टेस्ट देते वक्त दौड़ते हुए युवती बेहोश होकर गिर गई। उसे एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में टेक्नीशियन ने पहले उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद गाड़ी सुनसान जगह पर रोककर ड्राइवर ने भी दरिंदगी की। पीड़िता ने अस्पताल पहुंचकर महिला डॉक्टर को पूरी घटना बताई, जिसके बाद पुलिस ने मामले में कार्रवाई शुरू की। पीड़िता ने बताया कि टेक्नीशियन ने उसके चेहरे पर स्प्रे किया जिससे वह बेहोश हो गई। दौड़ती एंबुलेंस में ही दोनों आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। सिकरिया मोड़ पर दुष्कर्म के बाद आरोपियों ने पीड़िता को मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया। इमरजेंसी वार्ड में प्राथमिक इलाज के दौरान युवती को होश आया और उसने पुलिस को सारी सच्चाई बताई। पुलिस ने घटनास्थल और आसपास के CCTV फुटेज खंगाले। फुटेज में एंबुलेंस मुख्य रास्ते से हटती और फिर लौटती हुई दिखाई दी। मेडिकल जांच और पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी की गई। एंबुलेंस ड्राइवर की पहचान गया जिले के उतरेन निवासी विनय कुमार के रूप में हुई है, जबकि टेक्नीशियन अजीत कुमार नालंदा के चांदपुर गांव का निवासी है। दोनों के कपड़े और एंबुलेंस से साक्ष्य जुटाए गए हैं। बोधगया थाना पुलिस ने केस दर्ज कर जांच जारी रखी है।
लोकसभा में उत्कृष्ट और लगातार प्रभावशाली प्रदर्शन के लिए इस साल 17 सांसदों को संसद रत्न पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है। इनमें प्रमुख नाम हैं, एनसीपी शरद गुट की सुप्रिया सुले, भाजपा के रवि किशन और निशिकांत दुबे, तथा शिवसेना UBT के अरविंद सावंत। इन सांसदों में से सबसे अधिक, सात सांसद महाराष्ट्र से हैं। इसके अलावा, चार सांसदों को स्पेशल जूरी अवॉर्ड भी दिए गए हैं। इस सूची में भाजपा के भर्तृहरि महताब, क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी के एनके प्रेमचंद्रन, एनसीपी शरद गुट की सुप्रिया सुले और शिवसेना के श्रीरंग अप्पा बार्ने शामिल हैं। ये सभी सांसद 16वीं लोकसभा के बाद से लगातार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। गोरखपुर से सांसद और अभिनेता रवि किशन संसद रत्न पुरस्कार पाने वाले चर्चित एक्टर-सांसदों में से एक हैं। वहीं, जालंधर से कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी को कृषि समिति के उत्कृष्ट योगदान के लिए स्पेशल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। अन्य सांसदों में भाजपा की स्मिता उदय वाघ, शिवसेना के नरेश म्हस्के, कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़, भाजपा की मेधा कुलकर्णी, प्रवीण पटेल, विद्युत बरन महतो और दिलीप सैकिया भी शामिल हैं। खास बात यह है कि सांसद एनके प्रेमचंद्रन को यह पुरस्कार पांचवीं बार मिला है। कमेटी कैटेगरी में, वित्त संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब और कृषि संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉ. चरणजीत सिंह चन्नी को उनकी रिपोर्टों की गुणवत्ता और विधायी निगरानी में योगदान के लिए विशेष सम्मान दिया गया। संसद रत्न पुरस्कार के बारे में खास बातें संसद रत्न पुरस्कार की शुरुआत 2010 में प्राइम पॉइंट फाउंडेशन और डिजिटल मैग्जीन प्रेजेंस ने की थी। इस पुरस्कार की प्रेरणा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने दी थी। पहला समारोह चेन्नई में आयोजित किया गया था। यह पुरस्कार सांसदों के सवाल पूछने की संख्या, अध्यादेश या निजी विधेयक प्रस्तुत करने, बैठकों और चर्चा में भागीदारी जैसे मापदंडों के आधार पर दिया जाता है। इस वर्ष निर्णायक समिति के अध्यक्ष NCBC चेयरमैन हंसराज गंगाराम अहीर थे।
राजनीति की गाड़ी में कोई ब्रेक नहीं होता। कल तक जो कुर्सी पर था, आज इस्तीफा दे चुका है। और अब सबकी नजर इसी पर है कि इस कुर्सी पर अगला कौन होगा? हम बात कर रहे हैं देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद की। उपराष्ट्रपति के पद की। जगदीप धनखड़ ने सेहत का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया। अब कुर्सी खाली है और जल्द चुनाव होंगे। जाहिर है कि इस चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे, लेकिन चूंकि इस वक्त संसद में एनडीए का संख्याबल अधिक है, इसलिए स्वाभाविक रूप से सभी की निगाहें एनडीए के संभावित उम्मीदवारों पर टिकी हैं। सवाल यह है कि एनडीए किसे अपना प्रत्याशी बनाएगा? कोई कह रहा है कि इस पद पर नीतीश कुमार को सेटल कर दिया जाएगा, तो कोई कहता है कि यह पद तो शशि थरूर को मिलना चाहिए। नाम हरिवंश नारायण सिंह का भी आ रहा है और रामनाथ ठाकुर का भी। चर्चा तो जगत प्रकाश नड्डा के नाम की भी खूब है। संभावित नामों की सूची लंबी है और हर नाम के पीछे अपनी राजनीतिक रणनीति और समीकरण छिपे हैं। क्या हैं ये रणनीतियां, क्या हैं ये समीकरण और इस संभावित सूची में किस किस का नाम शामिल है आइए विस्तार से आपको बताते हैं। एनडीए खेमे में सबसे चर्चित नाम है जनता दल (यूनाइटेड) के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह का। वे 2020 से राज्यसभा के उपसभापति हैं और फिलहाल नए उपराष्ट्रपति के चुनाव तक राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति की भूमिका निभा रहे हैं। 2020 में हुए राज्यसभा उपसभापति चुनाव में हरिवंश ने विपक्षी उम्मीदवार और राजद नेता मनोज झा को हराया था। संसदीय कार्यवाही के संचालन में उनकी दक्षता और साफ छवि उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है। जेडीयू के ही एक और बड़े नेता, रामनाथ ठाकुर, जो पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं, भी उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित नामों में शामिल हैं। ये जेडीयू कोटे से राज्यसभा सांसद हैं और केंद्र सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। इनकी छवि ईमानदार नेता की है और ये अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इस सामाजिक पृष्ठभूमि के कारण ये भी एक सर्वमान्य और राजनीतिक दृष्टिकोण से रणनीतिक उम्मीदवार हो सकते हैं। हाल ही में जेपी नड्डा के साथ इनकी मुलाकात ने अटकलों को और बल दिया है। यह मुलाकात भले ही बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर हुई हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे उपराष्ट्रपति चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। सबसे चौंकाने वाला नाम जो इस रेस में चर्चा में आया है, वह है खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। हालांकि उनका इस पद के लिए उम्मीदवार बनना व्यावहारिक रूप से कठिन माना जा रहा है, क्योंकि उन्हें चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा। फिर भी, एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने यह सुझाव जरूर दिया है कि नीतीश कुमार को अगली पीढ़ी के लिए रास्ता बनाना चाहिए और इस्तीफा देकर उपराष्ट्रपति बनने का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। एक अन्य संभावित नाम है जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का। वे इस अगस्त में अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर लेंगे, जिससे उनकी उम्मीदवारी की संभावना प्रबल हो जाती है। सिन्हा पूर्व सांसद, केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र से भाजपा के पुराने वफादार नेता रहे हैं। जम्मू कश्मीर में उनके प्रशासनिक अनुभव और राजनीतिक संतुलन को देखते हुए, वे एक सशक्त नाम के रूप में देखे जा सकते हैं। भाजपा के भीतर भी दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों के नाम चर्चा में हैं, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह। दोनों ही नेता राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण चेहरा हैं और उनके अनुभव, समर्पण और नेतृत्व क्षमताएं उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती हैं। हालांकि अभी तक भाजपा की ओर से इस पर कोई आधिकारिक संकेत नहीं आया है। विपक्ष खेमे से भी एक चौंकाने वाला नाम सामने आ रहा है, कांग्रेस नेता शशि थरूर। कुछ वर्गों में उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए एक संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि थरूर को यह पद स्वीकार करने के लिए अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़नी होगी। इसके अलावा, कांग्रेस के साथ उनके संबंधों में आई तल्खी इस संभावना को जटिल बना देती है। एक अन्य नाम है बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का। वे पूर्व सांसद रह चुके हैं और अतीत में कांग्रेस और जनता दल दोनों से जुड़े रहे हैं। 1986 में शाह बानो मामले को लेकर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। राजनीतिक दृष्टिकोण से उनका अनुभव, वैचारिक स्पष्टता और अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध उन्हें एक रणनीतिक दावेदार बना सकते हैं। राष्ट्रपति के मामले में संविधान कहता है कि कुर्सी खाली होने पर छह महीने के भीतर चुनाव करा दो, लेकिन उपराष्ट्रपति के लिए कोई तय समयसीमा नहीं है। बस इतना लिखा है कि पद खाली होते ही चुनाव जल्द से जल्द कराया जाए। इसकी पूरी जिम्मेदारी होती है चुनाव आयोग की। जब चुनाव कराने की बारी आती है तो परंपरा के अनुसार संसद के किसी एक सदन, लोकसभा या राज्यसभा, के महासचिव को चुनाव अधिकारी बना दिया जाता है। चुनाव होता है ‘राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952’ के तहत। अब चूंकि जगदीप धनखड़ का इस्तीफा उनके कार्यकाल के बीच में आया है, तो जो नया उपराष्ट्रपति चुना जाएगा, वह पूरे पांच साल के लिए होगा, ना कि सिर्फ बचे हुए समय के लिए। अब आते हैं सबसे अहम हिस्से पर, वोट कौन देता है? तो बता दें कि उपराष्ट्रपति को सिर्फ संसद के सदस्य चुनते हैं। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी चुने हुए सांसद शामिल होते हैं। इतना ही नहीं, राज्यसभा और लोकसभा के नामित सदस्य भी वोट करते हैं। लेकिन ध्यान दीजिए, इसमें राज्य विधानसभाओं के विधायक शामिल नहीं होते। जबकि राष्ट्रपति चुनाव में विधायक भी वोट डालते हैं। अब जानते हैं कि वोटिंग होती कैसे है। इसमें 'गुप्त मतदान' होता है यानी किसने किसे वोट दिया, यह बाहर नहीं आता। और तरीका होता है, सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम। मतलब सांसदों को मतपत्र पर उम्मीदवारों की पसंद का क्रम लिखना होता है, पहला नंबर किसे देना है, दूसरा किसे, और आगे किसे। अगर किसी को कुल वैध मतों के आधे से एक ज्यादा वोट मिल जाते हैं, तो वही उपराष्ट्रपति बन जाता है। अगर पहले राउंड में कोई भी उम्मीदवार जरूरी कोटा पार नहीं कर पाता, तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है। फिर उसके वोट दूसरी पसंद के हिसाब से बाकी बचे उम्मीदवारों में बांटे जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक कोई उम्मीदवार तय सीमा पार नहीं कर लेता। अब अगर आप सोच रहे हैं कि उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता क्या चाहिए, तो सुनिए। सबसे पहले, वह भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए। वह राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ने के काबिल होना चाहिए। उसका नाम किसी भी संसदीय क्षेत्र की वोटर लिस्ट में होना चाहिए। और हां, वह केंद्र या राज्य सरकार के किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए, सिवाय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल या मंत्री के पद को छोड़कर। तो बात सीधी है, रेस लंबी है, नाम कई हैं, समीकरण पेचीदा हैं। बीजेपी अतीत में ऐसे नाम सामने ला चुकी है जो ऐन वक्त पर सबको चौंका देते हैं। इस बार भी हो सकता है वैसा ही कोई सरप्राइज। लेकिन जब तक चुनाव नहीं हो जाता, चर्चाएं गर्म रहेंगी, नए नाम तैरते रहेंगे और सियासी गलियारे में हलचल बनी रहेगी।
Cuttack: Ravenshaw University, one of Odisha’s oldest and most prestigious institutions, has withdrawn a controversial directive that prohibited women faculty, staff, and students from remaining on campus after 5:30 pm. The decision came after widespread criticism and intervention by the state’s higher education department. The now-withdrawn order, issued earlier in the day by the university registrar, had stated: “No female faculty, staff and students are permitted to remain in the workplace or on campus after 5.30 pm. This decision will remain in place until a formal Standard Operating Procedure (SoP) is issued, which will outline the necessary guidelines and protocols for work hours and safety measures.” The directive sparked immediate outrage for being discriminatory and regressive, effectively restricting women's freedom on campus under the guise of safety. It was officially revoked through a subsequent order issued later the same day. Background and Possible Trigger According to sources, the order may have been a knee-jerk response to growing concerns over campus safety, following the recent suicide of a student who had allegedly faced sexual harassment at a college in Odisha. However, instead of addressing systemic issues or ensuring better safeguards, the university’s decision to impose restrictions on women drew sharp criticism from students, faculty, and rights activists. “The higher education department stepped in, stating that such an order sends the wrong message and contradicts the principles of gender equality,” said a senior government official. When contacted, the university registrar declined to elaborate on the rationale behind the directive and only confirmed that the order had been rescinded.
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम ने चैतन्य को रायपुर की अदालत में पेश किया। गिरफ्तारी की खबर के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक, नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और स्वयं भूपेश बघेल, रायपुर जिला न्यायालय पहुंचे। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र का आज अंतिम दिन था। ईडी की छापेमारी और गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। 'साहब ने भेज दी ईडी': भूपेश बघेल का तंज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी की छापेमारी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सुबह भिलाई स्थित अपने निवास पर ईडी के छापे की जानकारी देते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा: "ED आ गई। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा उठाना था। भिलाई निवास में ‘साहेब’ ने ED भेज दी है।" बघेल ने यह भी याद दिलाया कि आज उनके बेटे चैतन्य का जन्मदिन है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा: "जन्मदिन का जैसा तोहफ़ा मोदी और शाह जी देते हैं, वैसा दुनिया के किसी लोकतंत्र में और कोई नहीं दे सकता। मेरे जन्मदिन पर मेरे सलाहकार और ओएसडी के घरों पर ईडी भेजी गई थी, और आज मेरे बेटे के जन्मदिन पर मेरे घर पर रेड डाली गई है। इन तोहफों का धन्यवाद, ताउम्र याद रहेगा।" क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला? ईडी की जांच के मुताबिक, यह कथित घोटाला फरवरी 2019 में शुरू हुआ। आरोप है कि शराब डिस्टिलरियों से हर महीने 800 पेटी शराब अवैध रूप से भेजी जाती थी। समय के साथ यह संख्या 400 ट्रकों और 60 लाख पेटियों तक पहुंच गई। जांच में सामने आया कि इन तीन वर्षों में करीब 2,174.60 करोड़ रुपये का अवैध राजस्व अर्जित किया गया। प्रति पेटी की कीमत पहले 2,840 रुपये, बाद में बढ़कर 3,880 रुपये हो गई। ईडी का दावा है कि इस पूरे नेटवर्क में कई अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक हस्तियां शामिल हैं।
गरीब की थाली में पुलाव आ गया, लगता है चुनाव आ गया। यह पुरानी कहावत इस समय बिहार की राजनीतिक सियासत पर पूरी तरह सटीक बैठती है। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनाव से ठीक पहले सरकार की ओर से जनता को लुभाने के ऐसे प्रयास शुरू हो गए हैं, जो आम दिनों में देखने को नहीं मिलते। राज्य में मुफ्त की रेवड़ियाँ बांटने की शुरुआत हो चुकी है और इसका आगाज़ खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है। 1 अगस्त 2025 से बिहार के घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का ऐलान किया गया है, जिससे करोड़ों परिवारों को सीधा लाभ मिलने वाला है। इस योजना से लगभग 1 करोड़ 67 लाख परिवार सीधे लाभान्वित होंगे। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि उनकी सरकार शुरू से ही सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराती रही है, और अब इसे और आगे बढ़ाते हुए बिजली को कुछ हद तक मुफ्त कर दिया गया है। नीतीश कुमार ने यह भी बताया कि अगले तीन वर्षों में सरकार घरेलू उपभोक्ताओं की सहमति लेकर उनके घरों की छतों या नजदीकी सार्वजनिक स्थलों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएगी। अत्यंत निर्धन परिवारों के लिए यह संयंत्र पूरी तरह से सरकार के खर्च पर लगाए जाएंगे, जबकि अन्य उपभोक्ताओं को भी सरकारी सहायता मिलेगी। उनका मानना है कि इन प्रयासों से बिहार में आने वाले वर्षों में 10,000 मेगावाट तक सौर ऊर्जा उत्पादन संभव होगा, जिससे राज्य ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह योजना चुनावी रणनीति का हिस्सा है, ताकि चुनाव से पहले जनता के बीच सरकार की लोकप्रियता बढ़ाई जा सके। बिहार की सियासत में इस तरह की मुफ्त रेवड़ी वितरण की परंपरा पुरानी है, लेकिन इस बार बिजली जैसी अहम और जरूरी सुविधा को मुफ्त देना इसे और भी विशेष बना देता है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग में भी बड़े बदलावों का ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की रिक्तियों की त्वरित गणना की जाए और TRE-4 परीक्षा के जरिए नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए। इसके साथ ही 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ केवल बिहार की निवासी महिलाओं को ही दिया जाएगा, जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ऐसे फैसले और घोषणाएं बिहार की सियासी तस्वीर को और रोचक बना रही हैं। जनता की उम्मीदें बढ़ रही हैं, जबकि विपक्ष भी सरकार के इन कदमों पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहा है। अब देखना यह होगा कि चुनावी बहसों में ये मुफ्त बिजली और सौर ऊर्जा योजनाएं किस तरह जगह बनाएंगी और जनता पर क्या असर डालेंगी।
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अब बढ़ने लगी है और चुनावी समीकरण दिन प्रति दिन आकार ले रहे है। माना जा रहा है कि बिहार का चुनाव इस बार कई मायनों में बहुत अलग होने जा रहा है। बीजेपी ने फ़िलहाल राज्य में नीतीश की जनता दल यूनाइटेड के नेतृत्व में चुनाव लड़ना स्वीकार कर लिया है। वहीं तेजस्वी यादव उनके विरोधी दल के नेता के रूप में मुखर रहेंगे। मगर इनके अलावा नज़रें उस पार्टी पर अधिक रहेंगी जो लगातार बिहार की राजनीति को बदलने का दावा कर रही है। ये पार्टी है पूर्व में अन्य दलों को चुनाव लड़वाने के बाद खुद राजनीति का स्वाद लेने मैदान में उतरे प्रशांत किशोर की नवगठित पार्टी ........जनसुराज। प्रशांत किशोर, जो अब तक चुनावी रणनीतिकार के रूप में कांग्रेस, भाजपा, टीएमसी जैसी बड़ी पार्टियों के लिए रणनीति बनाते रहे, अब खुद बिहार की राजनीति में एक वैकल्पिक ताकत बनने का दावा कर रहे हैं। जनसुराज को लेकर वे लगातार यह कहते आए हैं कि बिहार की राजनीति को विचार, नीति और पारदर्शिता पर आधारित बनाया जाएगा। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या जनसुराज वास्तव में बिहार की राजनीति में कोई ठोस बदलाव ला पाएगी या यह सिर्फ एक और प्रयोग बनकर रह जाएगी? जनसुराज ने 2024 में चार विधानसभा उपचुनावों, इमामगंज, बेलागंज, टरारी और रामगढ़ .. में अपने उम्मीदवार उतारे। हालांकि, पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई। इन उपचुनावों में जनसुराज का औसत वोट शेयर लगभग 10% रहा। इमामगंज सीट पर पार्टी के उम्मीदवार को करीब 37,000 वोट मिले, जो एक शुरुआती प्रयास के लिहाज से कम नहीं कहा जा सकता। हालांकि इस प्रदर्शन से पार्टी को "वोट कटवा" करार दिया गया, क्योंकि कुछ सीटों पर उसने आरजेडी गठबंधन के वोटों में सेंध लगाई। जनसुराज ना एनडीए का हिस्सा है, ना ही इंडिया गठबंधन का। पार्टी ने स्पष्ट रूप से एलान किया है कि वह 243 में से सभी विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। यह अपने आप में एक साहसिक निर्णय है, खासकर तब, जब पार्टी का संगठनात्मक ढांचा पारंपरिक दलों की तुलना में अभी भी कमजोर है। बता दें कि बिहार में पार्टी ने चुनावी ज़मीन तैयार करने के लिए एक बड़ा जनसंपर्क अभियान चलाया था । प्रशांत किशोर ने पूरे बिहार में 3,500 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की, जिसमें उन्होंने गांवों और छोटे कस्बों में जाकर सीधे लोगों से संवाद किया। इस पदयात्रा के ज़रिए पार्टी ने ‘जनसुनवाई’ और ‘नीतिगत संवाद’ पर ज़ोर दिया। अप्रैल 2025 में पटना के गांधी मैदान में पार्टी ने एक बड़ी रैली की, जिसे ‘बिहार बदलाव रैली’ नाम दिया गया। इस दौरान जनसुराज ने अपने 10 साल के विज़न डॉक्युमेंट का ऐलान किया और राज्य के विकास के लिए रोडमैप पेश किया। लेकिन जनसुराज को लेकर आलोचनाएं भी कम नहीं हैं। पार्टी के कई प्रत्याशियों पर अपराधिक पृष्ठभूमि या कम शैक्षणिक योग्यता के आरोप लगे हैं, जिससे पार्टी के “साफ-सुथरी राजनीति” के दावे पर सवाल उठे हैं। इसके अलावा, बूथ स्तर पर पार्टी की पकड़ अभी काफी सीमित है और बड़े दलों के मुकाबले जनसुराज का संसाधन तंत्र भी कमज़ोर दिखता है। बावजूद इसके, यह कहना गलत नहीं होगा कि जनसुराज ने बिहार में एक नई राजनीतिक चर्चा शुरू की है। लोगों के बीच यह विचार बनने लगा है कि पारंपरिक जातीय समीकरणों और गठबंधन राजनीति से हटकर कोई तीसरी ताक़त भी उभर सकती है। हालांकि, मौजूदा आंकड़ों और हालिया उपचुनाव नतीजों के आधार पर देखें तो जनसुराज का प्रदर्शन प्रभावशाली भले ही न हो, लेकिन प्रतीकात्मक जरूर है। अंततः, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जनसुराज के लिए सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता और उपस्थिति दर्ज कराने की परीक्षा होगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई पार्टी जनता की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है ......और क्या यह बदलाव सिर्फ भाषणों तक सीमित रहेगा, या वाकई सियासत की ज़मीन पर कुछ नया अंकुरित होगा।
अमेरिका की जानी-मानी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने अब आखिरकार भारत में एंट्री कर ली है। कंपनी ने 15 जुलाई 2025 को मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में अपना पहला स्टोर खोल दिया है। इसके साथ ही Tesla ने मॉडल Y कार भी लॉन्च कर दी है। Model Y RWD की ऑन-रोड शुरुआती कीमत 61.07 लाख रुपये रखी गई है, तो वहीं इसके लॉन्ग रेंज RWD वेरिएंट की कीमत की बात करें तो ये 69.15 लाख रुपये है। यह टेस्ला की सबसे ज्यादा बिकने वाली SUV है और भारत में इलेक्ट्रिक SUV सेगमेंट के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। कैसा है Tesla Model Y का डिजाइन Tesla Model Y, कंपनी की लोकप्रिय Model 3 कार के प्लेटफॉर्म पर बनी एक SUV है। यह कार थोड़ी ऊंची होती है, जिससे इसमें ज्यादा जगह और आरामदायक सफर का अनुभव मिलता है। इसका डिजाइन साधारण, लेकिन बहुत ही मॉडर्न है, जो इसे देखने में स्टाइलिश और भविष्य की टेक्नोलॉजी से लैस बनाता है। कार में पैनोरामिक ग्लास रूफ, स्पोर्टी कूप जैसी शेप, स्मार्ट फ्लश डोर हैंडल्स, और पतले एलईडी हेडलैम्प्स दिए गए हैं। इसकी एयरोडायनामिक बॉडी भारत की सड़कों पर चलाने पर एक बिल्कुल नया और प्रीमियम अनुभव देने वाली है। Model Y में मिलेंगे हाई-टेक और स्मार्ट फीचर्स टेस्ला की सभी कारें टेक्नोलॉजी के मामले में हमेशा आगे रही हैं और Model Y भी इसी पर बेस्ड है. इसमें 15 इंच की बड़ी टचस्क्रीन डिस्प्ले दी गई है, जो टेस्ला के अपने ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करती है। इसके अलावा, इसमें ओवर-द-एयर सॉफ़्टवेयर अपडेट्स, प्रीमियम साउंड सिस्टम, मल्टी-जोन क्लाइमेट कंट्रोल और Tesla मोबाइल ऐप से रियल-टाइम कंट्रोल जैसी मॉडर्न सुविधाएं भी मौजूद हैं। भारत के नियमों के अनुसार इसमें सीमित रूप में ऑटोपायलट ड्राइवर-असिस्ट सिस्टम भी मिल सकता है। इन सभी एडवांस फीचर्स के साथ Model Y भारतीय बाजार में पहले से मौजूद लग्जरी इलेक्ट्रिक SUVs की तुलना में खुद को कहीं ज्यादा मॉडर्न और बेहतर साबित करती है। Tesla Model Y के वेरिएंट्स ग्लोबल मार्केट में Model Y दो प्रमुख वेरिएंट्स (Long Range AWD और Performance Model) में उपलब्ध है। Long Range वेरिएंट में डुअल मोटर ऑल-व्हील ड्राइव सिस्टम के साथ 530 किलोमीटर तक की रेंज मिलती है. यह SUV मात्र 5 सेकंड से भी कम समय में 0 से 100 किलोमीटर/घंटा की रफ्तार पकड़ सकती है। इसके अलावा इसमें फास्ट चार्जिंग और रीजनरेटिव ब्रेकिंग जैसी एडवांस तकनीकें भी मिलती हैं। यदि यह वेरिएंट भारत में लॉन्च होता है, तो यह परफॉर्मेंस और रेंज दोनों के मामले में अन्य कारों से कहीं आगे होगी। भारत में कितनी होगी Tesla Model Y की कीमत ? भारत में टेस्ला की जो शुरुआती कारें आएंगी, वे CBU (Completely Built Unit) के रूप में बाहर से पूरी तरह बनी हुई इम्पोर्ट की जाएंगी। इसका मतलब है कि ये कारें सीधे विदेश से बनकर भारत लाई जाएंगी, जिससे इनकी कीमतें थोड़ी ज्यादा होंगी। संभावना है कि टेस्ला की पहली कार Model Y SUV होगी। इसकी अनुमानित एक्स-शोरूम कीमत 75 लाख से 90 लाख रुपये के बीच हो सकती है। कंपनी 15 जुलाई को भारत में अपने लॉन्ग-टर्म प्लान की जानकारी देगी। इसी दिन यह भी बताया जाएगा कि Model Y के कितने वेरिएंट्स होंगे, उनकी उपलब्धता क्या होगी और फाइनल कीमतें क्या रहेंगी।
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, कलराज मिश्र ....ये भाजपा के कुछ ऐसे चेहरे है जो 75 पार हुए तो चाहते न चाहते सक्रीय राजनीति से भी बाहर हो गए। साल 2019 का लोकसभा चुनाव था। भाजपा ने एक फैसला लिया। फैसला ये था कि जो भी नेता 75 की आयु का आकड़ा पार कर चुके है उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। मसलन इन नेताओं को भी टिकट नहीं मिला। समय आगे बढ़ा और अब इस बात को लगभग 7 साल हो गए। ख़ास बात ये है कि 7 साल बाद इस साल, यानी 2025 के सितम्बर में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 75 के आकड़े तक पहुँच जाएंगे, जो नियम बाकी नेताओं पर लागू हुए वो उनपर लागू होंगे या नहीं, सवाल बस यही है। दरअसल देश में इन दिनों प्रधानमंत्री की रिटायरमेंट एज को लेकर फिर से बहस शुरू हो गई है। बहस का कारण है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का हाल ही में आया एक बयान, जिसने देश कि सियासत में हलचल तेज़ कर दी। मोहन भागवत कहते हैं, "75 वर्ष की शॉल जब ओढ़ी जाती है तो इसका अर्थ होता है आपका समय अब हो गया ... बाजू हटो ... दूसरों को करने दो। भागवत हाल ही में रामजन्मभूमि आंदोलन के प्रेरक दिवंगत मोरोपंत पिंगले पर लिखी पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शामिल हुए थे जहाँ उन्होंने ये बात कही। भागवत का ये बयान आया और मानों विपक्ष में नई ऊर्जा का प्रवाह कर गया। बयान आते ही विपक्ष ने इसे प्रधानमंत्री की आयु पर संघ प्रमुख का तंज समझना शुरू कर दिया। इसे प्रधानमंत्री की नज़दीक आती रिटायरमेंट एज पर एक व्यंग्य बताया गया। इस वाक्य पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर एक पोस्ट में कहा, 'बेचारे पुरस्कार जीवी प्रधानमंत्री! यह कैसी घर वापसी है। लौटते ही सरसंघचालक ने उन्हें याद दिलाया कि 17 सितंबर, 2025 को वे 75 साल के हो जाएंगे।' जयराम रमेश ने आगे लिखा, 'प्रधानमंत्री भी सरसंघचालक से कह सकते हैं कि वे भी 11 सितंबर, 2025 को 75 साल के हो जाएंगे! एक तीर, दो निशाने!' शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक साफ संदेश है और बीजेपी और आरएसएस के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उनके बयान से साफ नजर आ रहा है। हालांकि, विपक्ष के आक्रामक होते ही आरएसएस भी डिफेंसिव मोड पर आ गया। संघ ने कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान संघ विचारक मोरोपंत पिंगले के 75वें जन्मदिन पर दिए गए उनके भाषण का संदर्भ था, लेकिन कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना (UBT) इसका अधूरा मतलब निकालकर राजनीतिक खिचड़ी पका रही है। भले ही संघ प्रमुख का बयान पीएम को लक्षित था या नहीं, लेकिन सवाल अब ज़ेहन में बस चुका है .... क्या 75 की उम्र में 'बाजू हटने' की बारी अब प्रधानमंत्री की है? अब सबकी नजर इस बात पर है कि जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे, तो क्या वही नियम उन पर भी लागू होंगे? या भाजपा इस पर कोई “अपवाद का सिद्धांत” गढ़ेगी? क्या पार्टी उस नीति से पीछे हटेगी जिसे उसने खुद गढ़ा है? बता दें, भाजपा के भीतर एक निश्चित उम्र तक पद पर बने रहने को लेकर कोई आधिकारिक नियम नहीं है। हालांकि, कुछ स्तरों पर उम्र सीमाएं लागू की गई हैं। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ भाजपा ने मंडल अध्यक्ष पद के लिए 35 से 45 साल और जिला अध्यक्ष पद के लिए 45 से 60 साल की उम्र सीमा निर्धारित की है। वहीं भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 75 साल से अधिक उम्र के कई वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं देने के बारे तो हम आपको बता ही चुके है। आपको ये भी याद दिला दें कि भाजपा ने 75 साल की उम्र पर कई नेता रिटायर किए है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा में 75 साल की उम्र से ज्यादा के नेताओं को रिटायर करने का ट्रेंड शुरू हुआ था । पहली बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में इससे कम उम्र के नेताओं को ही जगह दी थी। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक मंडल में शामिल किया गया। 2016 में जब गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने इस्तीफा दिया तो उस समय उनकी उम्र भी 75 साल थी। उसी साल नजमा हेपतुल्लाह ने भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दिया, जिनकी उम्र 76 साल थी। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले तब के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा- 75 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं दिया गया है। यह पार्टी का फैसला है। उस चुनाव में सुमित्रा महाजन और हुकुमदेव नारायण यादव जैसे नेताओं को टिकट नहीं दिया गया। इसी तरह 2024 लोकसभा चुनाव में राजेंद्र अग्रवाल, संतोष गंगवार, सत्यदेव पचौरी, रीता बहुगुणा जोशी का टिकट 75 साल से ज्यादा उम्र की वजह से काट दिया गया। अब प्रधानमन्त्री के मसले पर भाजपा क्या करती है ये देखना दिलचस्प होगा।
हाल ही में अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे के ठीक बाद, एअर इंडिया को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा जब फुकेट से दिल्ली आ रही उसकी एक फ्लाइट (AI-379) में बम होने की सूचना के बाद फुकेट इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग कराई गई। विमान में सवार सभी 156 यात्री और चालक दल के सदस्य सुरक्षित बताए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने फ्लाइट ट्रैकर 'फ्लाइट्रेडर24' के हवाले से बताया कि एअर इंडिया की इस फ्लाइट ने फुकेट एयरपोर्ट से भारतीय समयानुसार सुबह 9.30 बजे (स्थानीय समयानुसार दोपहर 2.30 बजे) उड़ान भरी थी। हालांकि, बम की धमकी मिलने के बाद विमान ने अंडमान सागर के ऊपर एक बड़ा चक्कर लगाया और लगभग 20 मिनट बाद सुरक्षित रूप से फुकेट में ही आपात लैंडिंग कर ली। सभी यात्रियों और क्रू सदस्यों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 'नेशन थाईलैंड' की रिपोर्ट के अनुसार, बम की धमकी मिलते ही फुकेट एयरपोर्ट ने तुरंत अपना एयरपोर्ट कंटिन्जेंसी प्लान (ACP) सक्रिय कर दिया। एयरपोर्ट अधिकारियों ने कहा कि धमकी को लेकर सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और विस्तृत जानकारी मिलने पर अपडेट दिया जाएगा। यह घटना ऐसे समय में हुई है जब एअर इंडिया पहले से ही अहमदाबाद में हुए दुखद विमान हादसे के बाद सुर्खियों में है। कल अहमदाबाद विमान हुआ था हादसा यह उल्लेखनीय है कि एयर इंडिया का विमान AI-171, जो 12 जून को अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भर रहा था, टेक-ऑफ के दो मिनट बाद ही क्रैश हो गया था। यह विमान अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल पर गिरा था, जहां उस समय 50 से अधिक लोग मौजूद थे। इस भीषण हादसे में अब तक 265 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इनमें से 241 मृतक विमान में सवार यात्री और क्रू मेंबर्स थे, जबकि 5 शव उस मेडिकल हॉस्टल से मिले हैं जिस पर विमान गिरा था। हॉस्टल में मारे गए लोगों में 4 एमबीबीएस छात्र और एक डॉक्टर की पत्नी शामिल हैं। दुर्घटनाग्रस्त हुए बोइंग 787 ड्रीमलाइनर फ्लाइट AI-171 में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक सहित कुल 230 यात्री सवार थे। इनमें 103 पुरुष, 114 महिलाएं, 11 बच्चे और 2 नवजात शामिल थे, जबकि 12 क्रू मेंबर्स थे। दुखद रूप से, इस हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे, जबकि चमत्कारिक रूप से केवल एक यात्री की जान बच पाई थी।
अहमदाबाद: अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 बुधवार, 12 जून को उड़ान भरने के चंद मिनटों बाद ही मेघाणी नगर इलाके में क्रैश हो गई। इस भीषण हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों और क्रू सदस्यों में से केवल एक ब्रिटिश नागरिक रमेश विश्वास कुमार ही जीवित बच पाए हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस त्रासदी के बाद देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अहमदाबाद पहुंचकर दुर्घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने तबाही के मंजर को 'दुखद' बताया और अधिकारियों व बचाव कार्यों में जुटी टीमों से मुलाकात कर स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद पीएम मोदी सिविल अस्पताल भी गए, जहां उन्होंने हादसे में जीवित बचे रमेश विश्वास कुमार से मुलाकात कर उनका हाल जाना। रमेश ने पीएम को बताया कि उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ही एक जोरदार आवाज आई और उसके बाद प्लेन क्रैश हो गया। प्रधानमंत्री ने हादसे में घायल हुए अन्य लोगों से भी मुलाकात कर उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। प्रधानमंत्री ने जताया गहरा दुख: इस अकल्पनीय त्रासदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा, "अहमदाबाद में हुए हवाई हादसे से हम सभी स्तब्ध हैं। इतने सारे लोगों की अचानक और दिल दहला देने वाली मौत को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सभी शोक संतप्त परिवारों के प्रति हमारी संवेदना। हम उनके दर्द को समझते हैं और यह भी जानते हैं कि उनके पीछे जो खालीपन रह गया है, उसे आने वाले कई सालों तक महसूस किया जाएगा। ओम शांति।" उन्होंने तबाही के मंजर को दुखद बताते हुए कहा कि उनकी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने इस अकल्पनीय त्रासदी में अपने प्रियजनों को खो दिया है। एयर इंडिया की AI-171 फ्लाइट ने बुधवार दोपहर 1.38 बजे सरदार वल्लभ भाई पटेल एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भरी थी। टेक-ऑफ के बाद विमान केवल 625 फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच पाया था कि अचानक उसका संतुलन बिगड़ने लगा। एक जोरदार आवाज के साथ विमान तेजी से नीचे आया और दोपहर 1.40 बजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराकर क्रैश हो गया, जिससे एक भीषण धमाका हुआ। इस हादसे में अब तक 265 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। मृतकों में भारतीय, ब्रिटिश, कनाडाई और पुर्तगाली नागरिक शामिल थे, जिसने इस त्रासदी के वैश्विक प्रभाव को उजागर किया है।
देश में कोरोना वायरस ने एक बार फिर तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है। पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के कारण 5 लोगों की मौत हुई है, जबकि नए मामलों की संख्या 4,000 के पार पहुंच गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल 4,026 एक्टिव कोरोना केस दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में सबसे ज्यादा संख्या केरल में है, जहां 1,416 एक्टिव केस मौजूद हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 494 और गुजरात में 397 एक्टिव केस दर्ज किए गए हैं। राजधानी दिल्ली भी कोरोना संक्रमण की चपेट में है, जहां 393 एक्टिव मामले पाए गए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना की बढ़ती रफ्तार चिंता का विषय बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सतर्क रहने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है।
हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की छोंज़िन एंगमो ने इतिहास रच दिया है। वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली और दुनिया की पांचवीं नेत्रहीन महिला बन गई हैं। उन्होंने सबसे ऊंचे पर्वत पर तिरंगा फहराया। एंग्मो, हेलेन केलर को अपना आदर्श मानती हैं। उनकी यह असाधारण उपलब्धि अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प की एक जीवंत मिसाल है। छोंजिन अंगमो के लिए एवरेस्ट पर चढ़ना बचपन का सपना था। उन्होंने बताया कि इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने कई दरवाज़े खटखटाए, लेकिन हर जगह निराशा ही मिली। हालांकि, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया उनके लिए उम्मीद की किरण बना और उनके इस सपने को पूरा करने में आर्थिक मदद की। वर्तमान में, अंगमो दिल्ली में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ग्राहक सेवा सहयोगी के पद पर कार्यरत हैं। 2016 में, उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण लिया और अपनी कड़ी मेहनत के लिए 'सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षु' का पुरस्कार भी जीता। यह उनकी पर्वतारोहण यात्रा का पहला महत्वपूर्ण कदम था। जिसने उनके भीतर छुपी अदम्य शक्ति को पहचान दिलाई। छोंजिन अंगमो का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। जब वह तीसरी कक्षा में थीं, तब आठ साल की उम्र में एक दवा से एलर्जी के कारण उनकी आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन इस शारीरिक बाधा ने उनके जज्बे को कभी कम नहीं किया। उनके माता-पिता, अमर चंद और सोनम छोमो, ने 2006 में उन्हें लेह के महाबोधि स्कूल और दृष्टिबाधित बच्चों के छात्रावास में दाखिला दिलाया, जहां से उनकी शिक्षा और जीवन को एक नई दिशा मिली। चंडीगढ़ से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा के साथ-साथ अपने पर्वतारोहण के जुनून को भी जारी रखा। उन्होंने लद्दाख की कई चोटियों पर चढ़ाई की और 2021 में, सशस्त्र बलों के दिग्गजों के समूह, टीम क्लॉ के नेतृत्व में सियाचिन ग्लेशियर में एक विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों के अभियान 'ऑपरेशन ब्लू फ्रीडम' का भी हिस्सा बनीं। 28 वर्षीय अंगमो पहले भी कई चुनौतीपूर्ण चोटियों को फतह कर चुकी हैं, जिनमें सियाचिन कुमार पोस्ट (15632 फीट) और लद्दाख की एक अज्ञात चोटी (19717 फीट) शामिल हैं। उनकी असाधारण उपलब्धियों को देखते हुए, 2024 में भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें 'सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन' के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमय मौत के मामले में बुधवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में चौंकाने वाले खुलासे हुए। सुनवाई के दौरान बिलासपुर पुलिस की शुरुआती जांच पर गंभीर सवाल खड़े हो गए, क्योंकि खुद राज्य सरकार ने कोर्ट के सामने यह स्वीकार किया कि बिलासपुर पुलिस ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है। याचिकाकर्ता ने इस मामले में शिमला पुलिस की SIT जांच पर भी सवाल उठाए हैं। डीजीपी द्वारा फाइल किए गए एफिडेविट के आधार पर शिमला पुलिस की जांच की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। कोर्ट ने इस मामले में अहम टिप्पणी करते हुए सरकार से सीधा सवाल किया कि इस मामले की सीबीआई जांच करवाने में उन्हें क्या परेशानी है। यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि हाईकोर्ट वर्तमान जांच की दिशा से संतुष्ट नहीं है। अदालत में हिमाचल प्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि डीजीपी द्वारा पहली SIT का गठन 15 मार्च को किया गया था, लेकिन इसके बावजूद 18 मार्च को बिलासपुर में ASI पंकज ने विमल नेगी के पास मौजूद एक पेन ड्राइव छुपाई। सरकार ने जांच पूरी करने के लिए और समय की मांग की है। इसके अलावा, सुनवाई के दौरान डीजीपी और एसपी के बीच टकराव की बात भी सामने आई, जिससे मामले की जटिलता और बढ़ गई है। बुधवार को लगभग 2 घंटे 16 मिनट तक चली इस महत्वपूर्ण सुनवाई के बाद, मामले पर अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बुधवार को बड़ा हादसा सामने आया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बलूचिस्तान प्रांत में सुबह एक स्कूल बस ब्लास्ट की चपेट में आ गई, इस हादसे में 4 बच्चों की मौत हो गई और 38 बच्चे घायल हो गए। एसोसिएटेड प्रेस ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह आत्मघाती हमला दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के खुजदार जिले में उस समय हुआ जब बस बच्चों को स्कूल ले जा रही थी। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्थानीय डिप्टी कमिश्नर यासिर इकबाल ने पुष्टि की है कि खुजदार में जीरो पॉइंट के पास एक स्कूल बस को निशाना बनाकर एक शक्तिशाली धमाका किया गया। अधिकारियों ने बताया कि इस धमाके में चार बच्चों की मौत हो गई और दर्जनों अन्य घायल हो गए। बचाव और जांच कार्य जारी हमले के तुरंत बाद, घायलों को इलाज के लिए सीएमएच खुजदार ले जाया गया है। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि घटनास्थल से सबूत जुटाने के लिए पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने इस नृशंस हमले की कड़ी निंदा की है और निर्दोष लोगों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
प्रसिद्ध पार्श्व गायक, संगीतकार और आईईसी विश्वविद्यालय के ब्रैंड एम्बेसडर मिकी सिंह नरूला को जलोटा वेलफेयर फाउंडेशन ने भारतीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया है। मुंबई में आयोजित एक गरिमामय समारोह में पद्म श्री से सम्मानित अनुप जलोटा ने मिकी नरूला को यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी प्रदान की। समारोह में अनुप जलोटा ने मिकी नरूला के संगीत के प्रति समर्पण और उनकी संगीत यात्रा की सराहना की। मिकी नरूला ने इस सम्मान को प्राप्त कर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनके लिए बहुत मायने रखता है और वे अनुप जलोटा द्वारा सम्मानित होकर हृदय से आभारी हैं। आईईसी विश्वविद्यालय के प्रबंधन ने मिकी नरूला की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं। विश्वविद्यालय ने कहा कि यह सम्मान उनके संगीतमय करियर में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है और मिकी नरूला का विश्वविद्यालय का ब्रैंड एम्बेसडर होना उनके लिए गर्व की बात है।
कर्नल सोफिया पर ब्यान देने वाले बीजेपी के मंत्री को सुप्रीम कोर्ट से पड़ी फटकार, FIR पर रोक से इनकार
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने विजय शाह को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें विजय शाह ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने विजय शाह के वकील से पूछा कि उनके मुवक्किल ने किस तरह का बयान दिया है? उन्होंने कहा कि देश के मौजूदा हालात को देखते हुए एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को अधिक जिम्मेदार होना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह की एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार करते हुए मामले की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी है। दरअसल, विजय शाह ने इंदौर जिले के एक ग्रामीण क्षेत्र में सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। विजय शाह ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी भी मांगी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया। सुप्रीम कोर्ट में विजय शाह के वकील ने कहा कि उनके बयान को गलत समझा गया और उन्होंने इसके लिए माफी भी मांग ली है। उन्होंने मीडिया पर मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि एक मंत्री को संवेदनशील समय में सोच-समझकर बोलना चाहिए। मानपुर पुलिस थाने में विजय शाह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196 (1) (बी) और 197 (1) (सी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी हाई कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। क्या था मंत्री विजय शाह का बयान शाह ने यह भी कहा कि उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा। अब मोदी जी कपड़े तो उतार नहीं सकते इसलिए उनकी समाज की बहन को भेजा कि तुमने हमारी बहनों को विधवा किया है तो तुम्हारे समाज की बहन आकर तुम्हें नंगा करके छोड़ेगी। देश का सम्मान और मान-सम्मान और हमारी बहनों के सुहाग का बदला तुम्हारी जाति, समाज की बहनों को पाकिस्तान भेजकर बदला ले सकते हैं। शाह बोले- मोदी जी ने कहा था कि घर में घुसकर मारूंगा। जमीन के अंदर द दूंगा। आतंकवादी तीन मंजिला घर में बैठे थे। बड़े बम से छत उड़ाई, फिर बीच की छत उड़ाई और अंदर जाकर उनके परिवार की ऐसी की तैसी कर दी। यह 56 इंच का सीना वाला ही कर सकता है।
**कांग्रेस का सवाल : क्या टूट गया शिमला समझौता? भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीज़फायर की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा किए जाने पर देश में सियासत तेज़ है। इस घोषणा के बाद कांग्रेस केंद्र सरकार से कई सवाल पूछ रही है। पूछा जा रहा है कि क्या अमेरिका के दबाव में सरकार ने अपनी नीति में बदलाव किया? क्या अमेरिका की मध्यस्थता की वजह से सीज़फायर हुआ? क्या केंद्र सरकार ने कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष के दखल को स्वीकार कर लिया? क्या शिमला समझौता अब रद्द हो गया? ये सवाल कांग्रेस के बड़े नेता लगातार सरकार से पूछ रहे हैं। बीते रोज़ कांग्रेस नेता सचिन पायलट और आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और के.सी. वेणुगोपाल ने सवाल खड़े किए कि आखिर अमेरिका के राष्ट्रपति ने अचानक सीज़फायर की घोषणा क्यों की? क्या यह भारत सरकार की कूटनीतिक नाकामी नहीं है? कांग्रेस का कहना है कि वह देश की सेना के साथ है और उन पर गर्व महसूस कर रही है, लेकिन देश के लोगों को भी यह जानने का हक़ है कि हमने सीज़फायर में पाकिस्तान से क्या वादे लिए हैं। क्या गारंटी है कि पाकिस्तान फिर से कोई हमला नहीं करेगा? कांग्रेस दलील दे रही है कि 1971 में जब युद्ध छिड़ा, तब भी अमेरिका ने कहा था कि हम बंगाल की खाड़ी में अपना सातवां बेड़ा भेज रहे हैं। लेकिन तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमेरिका के दबाव के बावजूद पाकिस्तान के दो टुकड़े किए। कांग्रेस का कहना है कि अगर सरकार कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार करती है, तो यह शिमला समझौते का उल्लंघन होगा। बता दें कि शिमला समझौते में यह स्पष्ट किया गया था कि भारत और पाकिस्तान किसी भी मुद्दे को, ख़ासकर कश्मीर को लेकर, तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना, केवल आपसी बातचीत और शांतिपूर्ण साधनों से सुलझाएंगे। हालाँकि ट्रम्प द्वारा सीज़फायर की घोषणा को लेकर जो ट्वीट किया गया, उसमें यह लिखा गया है कि USA द्वारा मीडिएट की गई बातचीत के बाद यह सीज़फायर हुआ है। इतना ही नहीं, इस पोस्ट के ठीक 16 घंटे बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे का समाधान खोजने में मदद करने की पेशकश भी की। ट्रम्प ने लिखा कि भारत और पाकिस्तान — के साथ व्यापार बढ़ाऊँगा। साथ ही, मैं इस दिशा में भी काम करूँगा कि क्या "हज़ार सालों" से चले आ रहे कश्मीर मुद्दे का कोई समाधान निकाला जाए। कांग्रेस केंद्र सरकार से इस मसले पर पारदर्शिता की मांग कर रही है। मांग की जा रही है कि संसद का एक विशेष सत्र बुलाया जाए, जिसमें सभी सवालों के जवाब दिए जाएं और यह स्पष्ट किया जाए कि क्या केंद्र सरकार कश्मीर मसले पर अमेरिका के हस्तक्षेप को स्वीकार करेगी या नहीं।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 2025 के लिए कक्षा 12 के परिणाम घोषित कर दिए हैं। 17,04,367 पंजीकृत छात्रों में से 16,92,794 परीक्षा में शामिल हुए और 14,96,307 उत्तीर्ण हुए, जिससे कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 88.39% रहा। यह पिछले साल के 87.98% उत्तीर्ण प्रतिशत की तुलना में 0.41 प्रतिशत अंकों की वृद्धि दर्शाता है। छात्र अपना परिणाम आधिकारिक CBSE वेबसाइट cbse.gov.in पर या DigiLocker और UMANG जैसे प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से देख सकते हैं। लड़कियों ने 91.64 प्रतिशत अंक प्राप्त करके लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया है। लड़कों का उत्तीर्ण प्रतिशत 85.70 प्रतिशत है। ट्रांसजेंडर्स का उत्तीर्ण प्रतिशत 100 प्रतिशत है। 2025 में सीबीएसई कक्षा 12 की परीक्षा के लिए स्कूलों और परीक्षा केंद्रों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ गई है। स्कूलों की संख्या 2024 में 18,417 से बढ़कर 2025 में 19,299 हो गई, जबकि परीक्षा केंद्र 7,126 से बढ़कर 7,330 हो गए। क्षेत्रीय स्तर पर, विजयवाड़ा 99.60% के प्रभावशाली उत्तीर्ण प्रतिशत के साथ सबसे आगे रहा, उसके बाद त्रिवेंद्रम 99.32% और चेन्नई 98.47% के साथ दूसरे स्थान पर रहा। दिल्ली के दो क्षेत्रों ने भी शानदार प्रदर्शन किया, दिल्ली पश्चिम ने 95.34% और दिल्ली पूर्व ने 95.06% की उत्तीर्ण दर हासिल की। इसके विपरीत, प्रयागराज ने सबसे कम 79.53% उत्तीर्ण प्रतिशत दर्ज किया, जबकि नोएडा (81.29%), भोपाल (82.46%) और पटना (82.86%) ने भी अपेक्षाकृत कम सफलता दर दर्ज की। दिल्ली पूर्व क्षेत्र में, 1,80,162 छात्रों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 1,79,422 परीक्षा में शामिल हुए और 1,79,551 उत्तीर्ण हुए, जिसके परिणामस्वरूप 95.06% का सराहनीय उत्तीर्ण प्रतिशत रहा। CBSE कक्षा 12वीं का रिजल्ट 2025 कैसे डाउनलोड करें? - CBSE की आधिकारिक वेबसाइट cbse.nic.in पर जाएं। - होमपेज पर दिख रहे CBSE 12वीं रिजल्ट 2025 लिंक पर क्लिक करें। - रोल नंबर, स्कूल नंबर, जन्म तिथि और एडमिट कार्ड आईडी दर्ज करें। - विवरण सत्यापित करें और सबमिट करें। - CBSE कक्षा 12वीं का रिजल्ट 2025 स्क्रीन पर दिखाई देगा। - CBSE कक्षा 12वीं का रिजल्ट डाउनलोड करें और भविष्य के संदर्भ के लिए सेव करें।
हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसानों को सिंचाई के लिए बिजली अब मात्र एक रुपये प्रति यूनिट की दर से ही मिलेगी। किसानों को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए सरकार प्रति यूनिट 4.04 रुपये की भारी सब्सिडी स्वयं वहन करेगी, जिसकी विधिवत अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि अधिसूचना जारी होने में थोड़ी देरी के कारण कुछ किसानों को अस्थायी तौर पर बढ़े हुए बिजली बिल प्राप्त हुए हैं। हालांकि, उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि उनसे अतिरिक्त रूप से वसूली गई राशि को उनके आगामी बिजली बिलों में समायोजित कर उन्हें पूरी राहत प्रदान की जाएगी। राज्य सरकार के इस स्पष्टीकरण और सब्सिडी की अधिसूचना के बाद किसानों को निश्चित रूप से राहत मिलेगी।
भारतीय क्रिकेट टीम को एक हफ्ते में दो बड़े नुकसान हुए हैं। पहले कप्तान रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया, और अब विराट कोहली ने भी यही फैसला किया है। कोहली ने सोमवार को इंस्टाग्राम पर यह जानकारी दी। खबरें थीं कि उन्होंने बीसीसीआई को पहले ही बता दिया था, लेकिन बोर्ड चाहता था कि वे इंग्लैंड सीरीज तक रुकें। हालांकि, कोहली ने टेस्ट क्रिकेट छोड़ने का ही फैसला किया। बुधवार को रोहित के संन्यास के बाद, कोहली का यह कदम भारत के लिए एक और बड़ा झटका है। फैंस इन दो बड़े खिलाड़ियों के संन्यास से दुखी हैं। अगले महीने भारत को इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज खेलनी है। कोहली ने अपने पोस्ट में क्या लिखा? विराट ने अपने पोस्ट में लिखा, 'टेस्ट क्रिकेट में पहली बार मैंने बैगी ब्लू जर्सी 14 साल पहले पहनी थी। ईमानदारी से कहूं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह प्रारूप मुझे इस तरह के सफर पर ले जाएगा। इसने मेरी परीक्षा ली, मुझे पहचान दिया और मुझे ऐसे सबक सिखाए जिन्हें मैं जीवन भर साथ रखूंगा। सफेद जर्सी में खेलना मेरे लिए बहुत ही खास और निजी अनुभव है। परिश्रम, लंबे दिन, छोटे-छोटे पल जिन्हें कोई नहीं देखता, लेकिन यह हमेशा आपके साथ रहते हैं। जब मैं इस प्रारूप से दूर जा रहा हूं, तो यह आसान नहीं है, लेकिन यह फिलहाल सही लगता है। मैंने इसमें अपना सबकुछ दिया है और इसने मुझे मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा दिया है। मैं खेल के लिए, मैदान पर खेलने वाले लोगों के लिए और हर उस व्यक्ति के लिए आभारी हूं, जिसने मुझे इस सफर में आगे बढ़ाया। मैं हमेशा अपने टेस्ट करियर को मुस्कुराते हुए देखूंगा।' उन्होंने आगे अपनी टेस्ट कैप नंबर '269' लिखा और लिखा 'साइनिंग ऑफ'। विराट अब सिर्फ वनडे में खेलेंगे विराट अब सिर्फ वनडे में खेलते दिखाई पड़ेंगे। वह पिछले साल टीम इंडिया के टी20 विश्व कप जीतने के बाद टी20 अंतरराष्ट्रीय से संन्यास ले चुके हैं। कोहली ने कुल मिलाकर 123 टेस्ट खेले और इसकी 210 पारियों में 46.85 की औसत से 9230 रन बनाए। इसमें 30 शतक और 31 अर्धशतक शामिल हैं। टेस्ट करियर में कोहली ने कुल 1027 चौके और 30 छक्के लगाए। इसके अलावा टी20 अंतरराष्ट्रीय में उन्होंने 125 मैचों में 48.7 की औसत और 137.05 के स्ट्राइक रेट से 4188 रन बनाए। इसमें एक शतक और 38 अर्धशतक भी शामिल हैं। वनडे में कोहली 302 मैचों में 57.88 की औसत और 93.35 के स्ट्राइक रेट से 14181 रन बना चुके हैं। इसमें 51 शतक और 74 अर्धशतक शामिल हैं। कोहली तीनों प्रारूप में रह चुके हैं कप्तान कोहली तीनों प्रारूप में टीम इंडिया की कमान भी संभाल चुके हैं। वह 2014 में धोनी के संन्यास के बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहली बार कप्तान बने थे। तब से लेकर 2022 में दक्षिण अफ्रीका दौरे तक टेस्ट में कप्तान रहे। वहीं, 2021 में उनसे टी20 और वनडे की कप्तानी छीन ली गई थी। कोहली ने अपना टेस्ट डेब्यू में 20 जून 2011 को सबिना पार्क में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। वहीं, आखिरी टेस्ट उन्होंने इसी साल सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था।
नई दिल्ली: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और संबद्ध विमानन प्राधिकरणों ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए उत्तरी और पश्चिमी भारत के 32 हवाई अड्डों पर सभी प्रकार की नागरिक उड़ान संचालन शुरू कर दिया गया है। अस्थाई रूप से बंद था इन 32 हवाई अड्डों का संचालन आदमपुर,अम्बाला,अमृतसर,अवंतीपुर,बठिंडा,भुज,बीकानेर,चंडीगढ़,हलवारा,हिंडन,जैसलमेर,जम्मू,जामनगर,जोधपुर,कांडला,कांगड़ा (गग्गल),केशोद,किशनगढ़,कुल्लूमनाली(भुंतर),लेह,लुधियाना,मुंद्रा,नलिया,पठानकोट,पटियाला,पोरबंदर,राजकोट(हीरासर), सरसावा,शिमला,श्रीनगर,थोइस, उत्तरलाई की हवाई सेवा अब शुरू हो गई है।कॉर्पोरेट संचार निदेशालय, एएआई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में यात्रियों से अनुरोध किया गया है कि वे अपनी उड़ान की स्थिति और शेड्यूल की नवीनतम जानकारी के लिए संबंधित एयरलाइंस से सीधे संपर्क करें। इसके अलावा, यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे नियमित अपडेट्स के लिए एयरलाइंस की आधिकारिक वेबसाइट या ग्राहक सेवा केंद्रों पर नजर रखें, ताकि किसी भी तरह की असुविधा से बचा जा सके। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया है कि देश के 32 हवाई अड्डों पर नागरिक विमान परिचालन तत्काल प्रभाव से फिर से शुरू कर दिया गया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सीजफायर के बाद भारतीय वायुसेना (IAF) ने रविवार को एक अहम बयान जारी करते हुए बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी क्रियान्वयन में है। वायुसेना के अनुसार, इस अभियान के तहत निर्धारित सभी लक्ष्यों को बेहद सटीकता और पूर्ण जिम्मेदारी के साथ पूरा कर लिया गया है। वायुसेना ने यह भी स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन पूरी रणनीतिक सोच और देशहित को ध्यान में रखते हुए संचालित किया गया। भारतीय वायुसेना ने जनता से अफवाहों पर ध्यान न देने और किसी भी अपुष्ट जानकारी को साझा करने से बचने की अपील की है। साथ ही यह आश्वासन भी दिया गया कि अभियान से जुड़ी विस्तृत जानकारी जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी।
नई दिल्ली: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और संबद्ध विमानन प्राधिकरणों ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए उत्तरी और पश्चिमी भारत के 32 हवाई अड्डों पर सभी प्रकार की नागरिक उड़ान संचालन को अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है। यह बंदी 9 मई 2025 से लेकर 14 मई 2025 तक प्रभावी रहेगी, जिसकी समयावधि 15 मई 2025 को 0529 बजे (भारतीय मानक समय - आईएसटी) समाप्त होगी। यह निर्णय परिचालन संबंधी कारणों से लिया गया है। इस अस्थायी बंदी से निम्नलिखित 32 हवाई अड्डे प्रभावित होंगे: आदमपुर,अम्बाला,अमृतसर,अवंतीपुर, बठिंडा, भुज, बीकानेर,चंडीगढ़, हलवारा, हिंडन,जैसलमेर,जम्मू,जामनगर,जोधपुर,कांडला,कांगड़ा (गग्गल),केशोद,किशनगढ़, कुल्लूमनाली(भुंतर),लेह,लुधियाना,मुंद्रा,नलिया,पठानकोट,पटियाला,पोरबंदर,राजकोट(हीरासर), सरसावा,शिमला,श्रीनगर,थोइस, उत्तरलाई की हवाई सेवा बंद रहेगी। इस अवधि के दौरान, इन सभी सूचीबद्ध हवाई अड्डों पर किसी भी प्रकार की नागरिक उड़ान गतिविधि (यात्री उड़ानें, कार्गो उड़ानें आदि) संचालित नहीं की जाएगी। इसके अतिरिक्त, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने दिल्ली और मुंबई उड़ान सूचना क्षेत्रों (एफआईआर) के भीतर 25 हवाई यातायात सेवा (एटीएस) मार्गों के अस्थायी रूप से बंद रहने की अवधि को भी बढ़ा दिया है। यह बंदी 14 मई 2025 को 2359 यूटीसी (Coordinated Universal Time) तक लागू रहेगी, जो 15 मई 2025 को 0529 आईएसटी के समतुल्य है। इसका अर्थ है कि इस अवधि तक ये 25 विशिष्ट हवाई मार्ग जमीनी स्तर से लेकर असीमित ऊंचाई तक सभी विमानों के लिए अनुपलब्ध रहेंगे। यह विस्तार नोटम जी0555/25 के तहत किया गया है, जो पहले जारी किए गए नोटम जी0525/25 की जगह लेता है। एएआई ने सभी एयरलाइंस और फ्लाइट ऑपरेटरों को सलाह दी है कि वे वर्तमान हवाई यातायात परामर्श को ध्यान में रखते हुए अपनी उड़ानों के लिए वैकल्पिक मार्गों की योजना बनाएं। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि यात्रियों को कम से कम असुविधा हो और हवाई यात्रा सुरक्षित बनी रहे। इस अस्थायी बंदी का प्रबंधन संबंधित हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) इकाइयों के समन्वय में किया जा रहा है।
भारत के हाथों मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान अब पूरी दुनिया के सामने गिड़गिड़ा रहा है। हालांकि, इस बीच एक नया मोड़ आ गया है। पाकिस्तान ने दावा किया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उसके आर्थिक मामलों के विभाग का अकाउंट हैक हो गया है। इस अकाउंट से शुक्रवार सुबह अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से और ज़्यादा कर्ज़ की गुहार लगाई गई थी। एक्स पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के फैक्ट चेकर ने उस पोस्ट की एक तस्वीर शेयर करते हुए उसे फर्जी बताया है। अपने पोस्ट में (कथित रूप से हैक हुए अकाउंट से), पाकिस्तान सरकार ने दावा किया था कि भारतीय हमले में उसे भारी नुकसान हुआ है। बढ़ते तनाव और शेयर बाज़ार में गिरावट का हवाला देते हुए पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की थी और शांति बनाए रखने का आग्रह किया था। पाकिस्तान ने इस पोस्ट में वर्ल्ड बैंक को भी टैग किया था। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने हाल ही में भारत के कई शहरों को रात में निशाना बनाने की कोशिश की थी, जिसके बाद सीमावर्ती इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। भारत ने भी पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए उसके तीन लड़ाकू विमानों को मार गिराया है और एक पायलट को गिरफ्तार कर लिया है। पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया है।
पाकिस्तान द्वारा कश्मीर से लेकर राजस्थान तक हमलों की कोशिशों के बाद धर्मशाला में चल रहा आईपीएल मैच सुरक्षा कारणों से बीच में रोक दिया गया। यह मैच पंजाब किंग्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच खेला जा रहा था।सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मैच को रोका गया और फ्लड लाइट्स बंद करवा दी गईं। इसके बाद, दर्शकों को स्टेडियम से सुरक्षित बाहर निकाला गया और कुछ ही मिनटों में पूरा स्टेडियम खाली करवा लिया गया। पंजाब किंग्स की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 10.1 ओवर में एक विकेट खोकर 122 रन बनाए थे। पाकिस्तान की ओर से देश के 15 शहरों में हमले की कोशिशों के बाद हिमाचल प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है। खासकर राज्य के पर्यटन स्थलों, शक्तिपीठों, जल विद्युत परियोजनाओं और सीमावर्ती क्षेत्रों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं, और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की लंबी छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अधिकारियों से फीडबैक लिया और इसे और सख्त बनाने के निर्देश दिए हैं।
चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ को एक बार फिर से दहलाने की साजिश का बड़ा खुलासा हुआ है। आतंकी संगठन के दो बदमाश चंडीगढ़ में भारी मात्रा में आरडीएक्स और टाइम बम लेकर पहुंचे थे, लेकिन पुलिस की मुस्तैदी के कारण एक बड़ी वारदात टल गई। चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच ने आतंकी हैप्पी पसिया के दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से भारी मात्रा में हथियार, टाइम बम और आरडीएक्स बरामद हुआ है। इस ऑपरेशन का नेतृत्व क्राइम ब्रांच के एसपी जसबीर सिंह ने किया। इंस्पेक्टर सतविंदर सिंह की अगुवाई में टीम ने दोनों बदमाशों को वारदात से पहले ही दबोच लिया। पुलिस ने इन्हें सेक्टर-39 स्थित जीरी मंडी के पास जंगल इलाके से गिरफ्तार किया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी चंडीगढ़ में बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। हाल ही में, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने चंडीगढ़ पुलिस को सूचना दी थी कि हैप्पी पसिया चंडीगढ़ के साउथ एरिया में स्थित एक थाने को उड़ाने की साजिश रच रहा है। इसके बाद, पुलिस ने थानों की सुरक्षा बढ़ा दी थी। गौरतलब है कि अमेरिका में रह रहे मोस्ट वांटेड गैंगस्टर हैप्पी पसिया को अप्रैल में एफबीआई और अमेरिकी इमीग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट ने गिरफ्तार किया था।
उत्तरकाशी जिले में आज सुबह एक हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई। पुलिस, प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम मौके पर पहुंच चुकी है और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। गुरुवार सुबह करीब पौने नौ बजे गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनानी के पास हेलिकॉप्टर क्रैश होने की सूचना मिली। इसके बाद पुलिस, एसडीआरएफ, फायर, मेडिकल और अन्य आपदा राहत दल घटनास्थल पर पहुंच गए और राहत एवं बचाव कार्य में जुट गए। जानकारी के मुताबिक, हेलिकॉप्टर एयरोट्रांस कंपनी का था, जो आज सुबह सहस्त्रधारा हेलीपैड से हर्षिल के लिए उड़ान भरा था। हेलिकॉप्टर में पायलट सहित सात लोग सवार थे, जिनमें से छह यात्रियों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। एक यात्री घायल है, जिसे अस्पताल भेजा गया है। बताया जा रहा है कि सवार चार यात्री मुंबई और दो आंध्रप्रदेश के निवासी थे। इस हादसे के बाद उत्तराखंड में मौसम को लेकर चेतावनी भी जारी की गई है, क्योंकि इस समय राज्य में चारधाम यात्रा चल रही है। केदारनाथ, बदरीनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री जाने के लिए बड़ी संख्या में यात्री पहुंच रहे हैं, जिनमें कुछ पैदल यात्रा पर निकले हैं और कई हेली सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सरकार और सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सशस्त्र बलों की स्ट्राइक 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह मौजूद थीं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में संसद हमले, मुंबई हमले, पुलवामा हमले और पहलगाम हमले के दृश्य दिखाए गए। सबसे पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इसके बाद कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की पूरी जानकारी साझा की। उन्होंने बतायास कि ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए वीभत्स आतंकी हमले के शिकार नागरिकों और उनके परिवारों को न्याय देने के लिए किया गया। नौ ठिकानों की पहचान कर उन्हें बर्बाद किया गया। इन ठिकानों में आतंकियों को प्रशिक्षित किया जाता था। ये आतंकियों के लॉन्च पैड थे। ऑपरेशन सिंदूर के लिए इन लक्ष्यों का चयन विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं के आधार पर हुआ। इसमें यह ध्यान रखा गया कि रिहाइशी इलाकों और आम नागरिकों को नुकसान न पहुंचे। विक्रम मिस्री ने कहा, '22 अप्रैल 2025 को लश्कर-ए-तैयबा से पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंकियों ने कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर बर्बरतापूर्ण हमला किया। 25 भारतीयों और एक विदेशी नागरिक को कायरतापूर्ण तरीके से मार दिया गया। यह मुंबई हमले के बाद आतंकी हमलों में आम नागरिकों के मारे जाने की सबसे गंभीर घटना रही। इस हमले में वहां मौजूद लोगों को करीब से और उनके परिवार के सामने सिर पर गोली मारी गई। परिवार के सदस्यों को जानबूझकर आघात पहुंचाया गया। यह नसीहत भी दी गई कि वे हमले का संदेश पहुंचाएं। यह जम्मू-कश्मीर में बहाल हो रही सामान्य स्थिति को बाधित करने के लिए हुआ। इस हमले का उद्देश्य पर्यटन को प्रतिकूल रूप से नुकसान पहुंचाना था। पिछले साल यहां पौने करोड़ पर्यटक आए थे। आतंकियों का यह मकसद था कि इस इलाके को पिछड़ा रखा जाए। हमले का यह तरीका जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने के उद्देश्य से भी था। हमने प्रयासों को विफल कर दिया। एक समूह ने खुद को रजिस्टेंस फ्रंट कहते हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। यह प्रतिबंधित समूह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष रिपोर्ट में इस संगठन के बारे में इनपुट दिए थे। इससे पाकिस्तान के आतंकी समूहों के मुखौटे के रूप में टीआरएफ की भूमिका सामने आई थी।'
'मन की बात' में बोले प्रधानमंत्री ,पहलगाम हमले के दोषियों को बख्शेंगे नहीं, पीड़ितों को मिलेगा न्याय
रविवार को मन की बात' कार्यक्रम में पीएम मोदी ने एक बार फिर से पहलगाम हमले को लेकर दुख जताया और साथ ही पहलगाम के दोषियों को कड़ी सजा देने की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि 'पहलगाम की घटना ने देशवासियों को पीड़ा पहुंचाई है और इसे लेकर देशवासियों के मन में गहरी पीड़ा है। लोग पीड़ित परिजनों के दर्द को महसूस कर सकता है। हर भारतीय का खून आतंक की तस्वीरों को देखकर खौल रहा है। ऐसे समय में जब कश्मीर में शांति लौट रही थी और लोकतंत्र मजबूत हो रहा था। पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हो रही थी और लोगों की कमाई बढ़ रही थी, लेकिन देश के दुश्मनों को और जम्मू कश्मीर के दुश्मनों को ये रास नहीं आया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें इस चुनौती का सामना करने के लिए अपने संकल्पों को मजबूत करना है। हमें एक दृढ़ राष्ट्र के रूप में अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करना है। भारत के लोगों में जो आक्रोश है, वो पूरी दुनिया में हैं। उन्होंने कहा कि मैं पीड़ित परिवारों को भरोसा देता हूं उन्हें न्याय मिलेगा...और न्याय मिलकर रहेगा। इस हमले के दोषियों को कठोरतम जवाब दिया जाएगा।'
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए नागरिकों के परिजनों के साथ-साथ पूरे देश में गहरी नाराजगी और आक्रोश का माहौल है। इस हमले में कई निर्दोष लोग मारे गए, जिससे देशभर में शोक और ग़ुस्से की लहर है। केंद्र सरकार ने इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कड़ा संदेश देने की अपील की जाएगी। राज्य सरकारें मृतकों की पार्थिव देह उनके पैतृक गांवों तक भेज रही हैं, और वहां उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इस दर्दनाक घटना के बाद सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की घोषणा की है। समाज के विभिन्न हिस्सों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है, और सभी राजनीतिक दल आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर इसे समाप्त करने के लिए आवाज उठा रहे हैं।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने राज्य में रोहित वेमुला अधिनियम** को लागू करने की अपील की है। राहुल गांधी ने पत्र में कहा कि इस अधिनियम के लागू होने से प्रदेश में जातिवाद के कारण उत्पीड़ित छात्रों को न्याय मिलेगा और उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा। राहुल गांधी ने पत्र में उल्लेख किया कि रोहित वेमुला, पायल तड़वी, और दर्शन सोलंकी जैसे छात्रों की दुखद मौतें जातिवाद और भेदभाव का परिणाम थीं, जो स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने कहा, मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव का यह सिलसिला अब खत्म होना चाहिए, ताकि कोई और छात्र भविष्य में ऐसी यातनाओं से न गुजरे। राहुल गांधी ने पत्र में यह भी जिक्र किया कि कांग्रेस पार्टी ने रायपुर अधिवेशन में निर्णय लिया था, जिसमें यह वचन दिया गया था कि सत्ता में आने पर रोहित वेमुला अधिनियम को पारित किया जाएगा। इस अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक वर्गों के छात्रों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री सुक्खू से जल्द ही इस प्रस्ताव को लागू करने की अपील की, ताकि राज्य में कोई भी छात्र जातिवाद या भेदभाव का शिकार न हो और हर छात्र को समान अवसर मिले। राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय लेने का आग्रह किया है।
कनाडा से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है, जहाँ एक 21 वर्षीय भारतीय छात्रा हरसिमरत रंधावा एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना का शिकार हो गईं। ओंटारियो के हैमिल्टन स्थित मोहॉक कॉलेज में पढ़ाई कर रहीं हरसिमरत गोलीबारी का शिकार तब हुई जब वह काम पर जाने के लिए एक बस स्टॉप पर खड़ी होकर बस का इंतजार कर रही थीं। पुलिस के अनुसार, पास ही दो कारों में सवार लोगों के बीच गोलीबारी हो रही थी, और इसी दौरान चली एक गोली हरसिमरत के सीने में जा लगी, जिससे उनकी जान चली गई। टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने इस हृदयविदारक घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट में उन्होंने हरसिमरत को एक निर्दोष पीड़िता बताया, जो बस स्टॉप पर हुई गोलीबारी के बीच फंस गईं। महावाणिज्य दूतावास ने यह भी जानकारी दी कि स्थानीय पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और वे पीड़ित परिवार के साथ लगातार संपर्क में हैं, उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। इस मुश्किल घड़ी में दूतावास ने हरसिमरत के परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पुलिस ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें शाम करीब 7:30 बजे हैमिल्टन के अपर जेम्स इलाके में गोलीबारी की सूचना मिली थी। मौके पर पहुंचने पर उन्होंने हरसिमरत को गंभीर रूप से घायल पाया, जिनके सीने में गोली लगी थी। तत्काल उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें बचाया नहीं जा सका। सीसीटीवी फुटेज की जांच से पता चला है कि एक काले रंग की कार में सवार लोगों ने एक सफेद रंग की कार पर गोलियां चलाई थीं, जिसके बाद हमलावर फरार हो गए। इस गोलीबारी की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पास के एक घर में भी गोली खिड़की तोड़कर अंदर तक चली गई, जिससे घर में मौजूद लोग बाल-बाल बचे। फिलहाल, पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।
पांगी - हिमाचल की सबसे खतरनाक सड़क से जुड़ा गांव **सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा - यहाँ हर व्यवस्था बेहाल **आरोप : HRTC बस ड्राइवर करते है मनमर्ज़ी, डिपू से नहीं मिलता पूरा राशन **सड़क बंद हो तो कंधे पर उठा कर ले जाते है मरीज़ **मुख्यमंत्री के दौरे के बाद जगी उम्मीद
पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर पति को मौत के घाट उतारा, सांप से 10 बार डसवाया, पोस्टमार्टम में हुआ खुलासा
मेरठ में एक व्यक्ति की मौत, जिसे शुरू में सांप के काटने से हुई माना जा रहा था, ये हत्या का मामला निकला। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के भैंसूमा थाना क्षेत्र के अकबरपुर सादात गांव में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने रिश्तों की जटिलता और अपराध की क्रूरता को उजागर किया है। शुरू में सांप के काटने से हुई एक व्यक्ति की मौत, जांच के बाद हत्या का मामला निकली। मृतक की पहचान अमित के रूप में हुई, जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि उसकी मौत गला घोंटने से हुई थी, न कि सांप के जहर से। इस रहस्यमय मौत की कहानी तब शुरू हुई, जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि अमित, जो चारपाई पर सो रहा था, को एक सांप ने दस बार डस लिया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस को सूचित किया गया और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। प्रारंभिक जांच में अमित के शरीर के नीचे एक सांप पाया गया, जिसने ग्रामीणों के दावे को और मजबूत किया कि उसकी मौत सांप के काटने से हुई है। हालांकि, बुधवार शाम को जारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस कहानी को पूरी तरह से पलट दिया। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि अमित की मौत गला घोंटने के कारण हुई थी, न कि जहर से। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सांप को उसके शरीर पर रखने से पहले ही उसकी मृत्यु हो चुकी थी, इसलिए जहर फैलने का कोई सवाल ही नहीं था - जिससे यह साबित हो गया कि सांप ने उसे काटा जरूर था, लेकिन वह उसकी मौत का कारण नहीं बना। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इस सनसनीखेज खुलासे के बाद पुलिस ने अपनी जांच की दिशा बदल दी। अमित की पत्नी रविता और उसके प्रेमी अमरजीत को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में दोनों ने चौंकाने वाला कबूलनामा किया। उन्होंने बताया कि वे पिछले एक साल से प्रेम संबंध में थे और अमित को इस बारे में पता चल गया था, जिसके चलते उनके बीच अक्सर झगड़े होते थे। पुलिस का मानना है कि इसी वजह से दोनों ने मिलकर अमित की हत्या की साजिश रची। पुलिस के अनुसार, रविता और अमरजीत ने मिलकर अमित का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद, उन्होंने इस हत्या को सांप के काटने से हुई मौत का रूप देने का फैसला किया। एसपी राकेश कुमार ने बताया कि आरोपियों ने पास के इलाके से 1,000 रुपये में एक सांप खरीदा था। हमारी जांच के अनुसार, उन्होंने उस व्यक्ति की हत्या कर दी और उसके शरीर के नीचे सांप रख दिया, ताकि ऐसा लगे कि उसे काटा गया है। अगली सुबह एक सपेरे को बुलाया गया, जिसने उस सांप को पकड़ा, जिसका इस्तेमाल बाद में मामले को छिपाने के प्रयास में किया गया था। दिहाड़ी मजदूर अमित अपनी चारपाई पर मृत पाया गया था, और उसकी लाश के नीचे सांप का मिलना शुरुआती रिपोर्टों और वायरल वीडियो में ग्रामीणों के दावों का आधार बना था। लेकिन पुलिस का कहना है कि यह सब उसकी पत्नी और उसके प्रेमी द्वारा रची गई एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। पुलिस अब इस प्रेमी युगल के रिश्ते की गहराई, हत्या में अमरजीत की भूमिका और इस जघन्य अपराध को अंजाम देने में गांव के किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता की गहन जांच कर रही है, ताकि सच्चाई पूरी तरह से सामने आ सके।
अब जल्द ही पूरे देश से टोल प्लाजा हटाए जाएंगे। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि इसके लिए एक नई टोल नीति पर काम चल रहा है, जिसकी घोषणा अगले 15 दिनों में की जाएगी। उन्होंने कहा कि नई नीति लागू होने के बाद टोल से संबंधित शिकायतों का अंत हो जाएगा। इसके अतिरिक्त, गडकरी ने मुंबई-गोवा राजमार्ग के निर्माण में हो रही प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्य जून 2025 तक पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे दैनिक यात्रियों और कोंकण क्षेत्र में जाने वाले लोगों को गड्ढों वाली सड़कों से मुक्ति मिलेगी। भारतीय बुनियादी ढांचे के विकास पर विश्वास व्यक्त करते हुए, गडकरी ने कहा कि अगले दो वर्षों में भारत का सड़क बुनियादी ढांचा अमेरिका से भी बेहतर हो जाएगा। मुंबई-गोवा राजमार्ग के निर्माण में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, उन्होंने भूमि अधिग्रहण में देरी के लिए कानूनी विवादों और आंतरिक संघर्षों को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि अब सभी मामले सुलझा लिए गए हैं और राजमार्ग का काम तेजी से चल रहा है, जिसे जून 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
मेरठ के सौरभ हत्याकांड को लोग भूले भी नहीं थे कि अब हरियाणा से यूट्यूबर महिला के प्रेमी संग पति की हत्या करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिसमें पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या कर दी। 19 दिन की जांच के बाद पुलिस ने रवीना राव और उसके प्रेमी, यूट्यूबर सुरेश को गिरफ्तार किया है। यह मामला मेरठ के सौरभ हत्याकांड की याद दिलाता है। रवीना यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर रील बनाने का शौक रखती थी। इसी शौक ने उसे सुरेश के करीब लाया। दोनों ने साथ में वीडियो और रील्स बनाने शुरू किए और उनका रिश्ता प्रेम में बदल गया। प्रवीण को इस रिश्ते की जानकारी हो गई। 25 मार्च को, जब प्रवीण ने रवीना और सुरेश को आपत्तिजनक स्थिति में देखा, तो उनके बीच झगड़ा हुआ। रवीना और सुरेश ने मिलकर प्रवीण का गला घोंट दिया। हत्या के बाद, दोनों ने रात होने का इंतजार किया और रात ढाई बजे शव को बाइक पर रखकर छह किलोमीटर दूर एक नाले में फेंक दिया। 28 मार्च को शव मिलने पर पुलिस को शक हुआ। सीसीटीवी फुटेज में रवीना और सुरेश शव को ले जाते दिखे। 12 अप्रैल को पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। प्रवीण और रवीना की शादी छह साल पहले हुई थी और उनका एक बेटा है। प्रवीण की हत्या के बाद, मुकुल के सिर से पिता का साया उठ गया है। रवीना भी जेल में है और मुकुल अपने दादा और चाचा के साथ रह रहा है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को आज राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किया जा सकता है। लोकसभा में बुधवार को 12 घंटे से अधिक चली बहस के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया गया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला ने सभी सांसदों को विधेयक पर बोलने का अवसर दिया, जिसके बाद चर्चा पूरी होने पर वोटिंग कराई गई। इस दौरान विधेयक के पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े। सत्तारूढ़ एनडीए ने विधेयक के समर्थन में इसे अल्पसंख्यकों के लिए लाभकारी बताते हुए जोरदार बचाव किया, जबकि विपक्ष ने इसे 'मुस्लिम विरोधी' करार देते हुए आलोचना की। विपक्षी सदस्यों द्वारा प्रस्तुत सभी संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया, और इसके बाद विधेयक पारित हो गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बहस के दौरान कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों के लिए दुनिया में सबसे सुरक्षित कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा, "भारत का बहुसंख्यक समाज पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष है, और इसलिए यहां के अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं।" रिजिजू ने यह भी कहा कि भारत में शरण लेने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को उत्पीड़न से बचने का ठिकाना मिलता है, जैसा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार और श्रीलंका के अल्पसंख्यक समुदायों ने अनुभव किया। विधेयक के माध्यम से एनडीए सरकार का उद्देश्य सभी अल्पसंख्यकों को एकजुट करना है, और वक्फ न्यायाधिकरणों में लंबित विवादों के शीघ्र समाधान के लिए कदम उठाना है। रिजिजू ने यह भी कहा कि न्याय में देरी, न्याय से वंचित करने के समान है, और इस विधेयक के जरिए इस समस्या का समाधान किया जाएगा। सरकार ने यह स्पष्ट किया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और विवादों के त्वरित निपटारे के लिए है, और इसका मुख्य उद्देश्य देश के सभी अल्पसंख्यक समुदायों की भलाई सुनिश्चित करना है।
दिल्ली में बीजेपी की शानदार जीत के बाद सीएम फेस के लिए जद्दोजहद जारी है।कई दावेदार लॉबिंग में जुटे है पर सबसे ज्यादा चर्चा है प्रवेश वर्मा के नाम की, जिन्हें GIANT किलर भी कहा जा रहा है। प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली सीट से अरविन्द केजरीवाल को हराया है।अगर प्रवेश वर्मा दिल्ली के सीएम बनते है तो दिलचस्प रिकॉर्ड भी बनेंगे। पहला, वो बीजेपी के ऐसे पहले नेता होंगे जिनके पिता भी सीएम रहे है । साहिब सिंह वर्मा फरवरी 1996 से लेकर अक्टूबर 1998 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे है। दूसरा, लगातार सातवीं बार दिल्ली का सीएम नई दिल्ली सीट से होगा। 1998, 2003 और 2008 में शीला दीक्षित इस सीट से विधायक बनकर सीएम पद संभाल चुकी है। हालाँकि परिसीमन से पहले इस सीट को गोयल मार्किट के नाम से जाना जाता था। फिर 2013 में अरविन्द केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हराया और दिल्ली से सीएम बने। 2015 और 2020 में भी केजरीवाल ही चुनाव जीते और सीएम बने। अब प्रवेश वर्मा ने अरविन्द केजरीवाल को हराया है और यदि वे सीएम बनाते है तो नई दिल्ली के नाम लगातार सात सीएम देने का अनूठा रिकॉर्ड भी बन जायेगा।
बीजेपी और आप के बीच दिल्ली में सिर्फ 1.99 प्रतिशत वोट शेयर का अंतर रहा लेकिन सीटों के लिहाज से देखे ये तो अंतर 26 सीटों का है। आंकड़े साफ़ बताते है की दिल्ली में बीजेपी का चुनाव मैनेजमेंट शानदार रहा है और इसका श्रेय पार्टी के संगठन को भी जाता है । दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की इस शानदार जीत के पीछे संगठन मंत्री पवन राणा की भी बड़ी भूमिका रही है। अप्रैल 2023 में बीजेपी ने उन्हें दिल्ली का जिम्मा सौपा था और उसके बाद से ही दिल्ली में लगातार बीजेपी का संगठन मजबूत होता दिखा। बीजेपी संगठन में पन्ना प्रमुख मॉडल की शुरुआत करने वाले पवन राणा अपने पॉलिटिकल माइक्रो मैनेजमेंट के लिए जाने जाते है और दिल्ली में राणा का ये ही माइक्रो मैनेजमेंट बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत बना। मसलन, बीजेपी ने दिल्ली में मंदिर प्रकोष्ठ शुरू किया और दिल्ली के करीब पंद्रह हजार मंदिरों को इस प्रकोष्ठ से जोड़ा गया। इसका बीजेपी को अच्छा लाभ हुआ है। माना जा रहा है आने वाले दिनों में अन्य राज्यों में भी इसे अपनाया जा सकता है। वहीं, झुग्गी बस्ती सम्मलेन जैसे अभियानों का जमीनी असर भी खूब दिखा। केजरीवाल के झुग्गी वोट को तोड़ने के लिए बीजेपी चुनाव से कई महीने पहले झुग्गी क्षेत्रों में प्रो. एक्टिव दिखी। न सिर्फ झुग्गी प्रधानों को पार्टी के साथ जोड़ा गया, बल्कि खुद गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनका संवाद करवाया गया। इसके अलावा चाहे उत्तराखण्ड हो, हिमाचल या फिर पूर्वांचल के वोटर इनके प्रभाव वाली सीटों पर इस मर्तबा बीजेपी का माइक्रो मैनेजमेंट साफ़ दिखा। इन राज्यों से सम्बन्ध रखने वाले नेताओं को कोंस्टीटूएंसी टू कोंस्टीटूएंसी जिम्मा सौंपा गया और इसका भी बीजेपी को फायदा मिला।
'येन केन प्रकारेण' बीजेपी जीतना चाहेगी तीनों दिग्गजों की सीटें कांग्रेस के संदीप दीक्षित और अलका लाम्बा ने भी बना दिया है चुनाव ! ये चुनाव नहीं आसाँ बस इतना समझ लीजिए, एक आग का दरियाँ है और डूब के जाना है। कुछ ऐसी ही स्थिति इस बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी की नज़र आ रही है। इस बार दिल्ली में आप की राह आसान नहीं है और दिलचस्प बात ये है कि पार्टी के तीनों मुख्य चहेरे, यानी सीएम आतिशी, पूर्व व प्रोजेक्टेड सीएम अरविन्द केजरीवाल और पूर्व डिप्टी व प्रोजेक्टेड डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी अपनी -अपनी सीटों पर फंसे देख रहे है । इन तीनों दिग्गजों की सीटों पर इस बार मुकाबला टक्कर का है। 'येन केन प्रकारेण' बीजेपी इन सीटों को जीतना चाहती है और जमीनी स्तर पर इसका असर दिख भी रहा है। सिलसिलेवार बात करें तो नई दिल्ली से, अरविन्द केजरीवाल के सामने बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के पुत्रों को मैदान में उतारा है। बीजेपी से पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस से पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित। ये दोनों ही दो -दो मर्तबा सांसद भी रहे है और दोनों ने ही पूरी ताकत झोंकी है। ऐसे में इस सीट पर केजरीवाल की राह आसान जरा भी नहीं है। वहीं कालका जी सीट में भी आतिशी और भाजपा प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी तो आमने-सामने थे ही, लेकिन इस सीट पर अब कांग्रेस प्रत्याशी अलका लाम्बा भी मजबूती से लड़ रही है। यहाँ भी मुकाबला त्रिकोणीय है और माहिर भविष्यवाणी करने से बचते दिख रहे है। बात मनीष सिसोदिया की करें तो इस बार आप ने उन की सीट बदल दी है और उन्हें पटपड़गंज की जगह जंगपुरा से मैदान में उतारा है। इस सीट पर बीजेपी के तरविंदर सिंह तो बेहद मजबूती के साथ चुनाव लड़ ही रहे है, कांग्रेस के फरहाद सूरी को भी हल्का नहीं लिया जा सकता। माहिर मान रहे है कि सूरी इस सीट पर सिसोदिया संकट में है। चर्चा सिसोदिया की पटपड़गंज सीट की भी करते है जहाँ से इस बार आप ने अवध ओझा को मैदान में उतारा है। यहाँ मुख्य रूप से यहाँ मुकाबला अवध ओझा और बीजेपी से रविंद्र नेगी के बीच माना जा रहा है। पिछले चुनाव में भी नेगी ने सिसोदिया को कड़ी टक्कर दी थी और इस बार भी ओझा यहाँ उलझे दिखे है। बहरहाल कल मतदान है और आठ फरवरी को नतीजा सामने होगा। अब आप के ये तीन दिग्गज इस चुनावी अग्नि परीक्षा को पास करते है या नहीं, ये जनता तय करेगी।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री ने बजट में टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी घोषणा की। अब सालाना 12.75 लाख रुपये तक कमाने वालों को कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। वहीं टीडीएस में भी राहत दी गई है। सीनियर सिटीजन को भी इनकम टैक्स में बड़ी राहत मिली है। हालांकि यह फायदा उन्हीं टैक्सपेयर्स को मिलेगा जो नई टैक्स व्यवस्था के अनुसार आईटीआर फाइल करेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि सालाना 12.75 लाख रुपये तक कमाने वालों को अब कोई भी इनकम टैक्स नहीं देना होगा। इसमें 75 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है। सीतारमण ने कहा कि 18 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले टैक्सपेयर्स को 70,000 रुपये की बचत होगी जबकि 25 लाख तक 1.10 लाख रुपये की बचत होगी। सीतारमण ने कहा कि ITR और टीडीएस की सीमा बढ़ाई गई है। टीडीएस की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। टैक्स डिडक्शन में बुजुर्गों के लिए भी बड़ी घोषणा की गई है। Old Tax Regime के तहत इनकम टैक्स दरें 0-4 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं। 4-8 लाख की आय पर 5 प्रतिशत 8-12 लाख की आय पर 10 प्रतिशत 12-16 लाख की आय पर 15 प्रतिशत 16-20 लाख की आय पर 20 प्रतिशत 20-24 लाख की आय पर 25 प्रतिशत 24 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत इन्हें नहीं मिलेगा फायदा सालाना 12.75 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स में छूट उन्हीं लोगों को मिलेगी, जिनकी आय सिर्फ सैलरी से होगी। अगर वे शेयर मार्केट या किसी और माध्यम से कमाई करते हैं तो उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में उन्हें इनकम टैक्स देना होगा।
अगले 10 सालों में देशभर में 120 नए एयरपोर्ट बनाये जाएंगे। आज केंद्रीय वित्त मंत्री ने बजट 2025 में नागरिक उड्डयन क्षेत्र के लिए ये अहम घोषणा की है, जिसमें अगले 10 सालों में देशभर में 120 नए एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसका उद्देश्य हवाई यात्रा को सुलभ बनाना और एयर कनेक्टिविटी को मजबूती देना है, खासकर छोटे शहरों और दूरदराज के इलाकों में। इस योजना से न केवल स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटन, व्यापार और उद्योगों को भी गति मिलेगी। नए एयरपोर्ट के निर्माण से हजारों रोजगार के अवसर पैदा होंगे और आर्थिक विकास को एक नई दिशा मिलेगी। यह कदम प्रधानमंत्री की "उड़ान" योजना के तहत लिया जा रहा है, जिसका मकसद छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों को हवाई मार्ग से जोड़ना है। इससे न केवल यात्रा में सुगमता आएगी, बल्कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में तकनीकी क्षेत्र को लेकर एक अहम ऐलान किया। सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये का विशेष फंड देने की घोषणा की है। इस फंड का उद्देश्य AI के शोध, विकास, और शिक्षा को प्रोत्साहित करना है, जिससे भारत को वैश्विक तकनीकी नेतृत्व में एक नया मुकाम हासिल हो सके। सरकार के इस ऐलान के तहत, AI आधारित परियोजनाओं, स्टार्टअप्स और संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे नए समाधान विकसित कर सकें और विभिन्न उद्योगों में AI का अधिकतम उपयोग कर सकें। इससे न केवल भारत में AI टेक्नोलॉजी की गति बढ़ेगी, बल्कि यह रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगा और उद्योगों में कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करेगा।
आज पूरा देश संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2025 पर नजरें गड़ाए बैठा है। यह बजट आज सुबह 11 बजे लोकसभा में पेश किया जाएगा। यह निर्मला सीतारमण का लगातार आठवां बजट होगा, और 2024 में बनी मोदी 3.0 सरकार का दूसरा पूर्ण बजट है। गरीब, मिडिल-क्लास और वेतनभोगी वर्ग को इस बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। खासकर इनकम टैक्स स्लैब में राहत और आर्थिक सुधारों की मांग की जा रही है। बजट से उम्मीद की जा रही है कि यह महंगाई से राहत देने और खर्च करने की क्षमता को बढ़ाने वाले कदमों के साथ आएगा।बजट सेशन 2025 की शुरुआत शुक्रवार 31 जनवरी 2025 को हुई, जब वित्त मंत्री ने संसद में इकोनॉमिक सर्वे 2025 पेश किया। इसमें देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति, विकास दर, महंगाई और भविष्य की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। अब सभी की निगाहें आज के बजट पर टिकी हैं, जिसमें इन आंकड़ों के आधार पर नई नीतियां घोषित की जाएंगी। बजट से पहले राष्ट्रपति से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मुलाकात केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में अपना आठवां बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुरु से मिलने के लिए वित्त मंत्रालय नॉर्थ ब्लॉक से रवाना हो गई हैं। पेपरलेस फॉर्मेट में वे पारंपरिक ‘बही खाता’ के बजाय एक टैब के माध्यम से बजट पेश करेंगी और पढ़ेंगी।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की एक पोस्ट पर विवाद खड़ा हो गया है, जिसके बाद उनके खिलाफ दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। यह विवाद 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर किए गए एक ट्वीट को लेकर उत्पन्न हुआ। राहुल गांधी ने इस पोस्ट में नेताजी की मौत की तारीख का जिक्र किया था, जो कई लोगों के अनुसार विवादास्पद था। राहुल गांधी के इस बयान को लेकर अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने कड़ी आपत्ति जताई और एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। इसके बाद संगठन के कार्यकर्ताओं ने कोलकाता के एल्गिन रोड स्थित नेताजी के पैतृक घर के पास प्रदर्शन भी किया, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी के बयान को लेकर अपना विरोध जताया। हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रचूड़ गोस्वामी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और उनके परिवार ने हमेशा नेताजी की विरासत को नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की यह पोस्ट नेताजी के बारे में गलत जानकारी देने की एक और कोशिश है, जिसे देश के लोग स्वीकार नहीं करेंगे। यह विवाद और गहरा हुआ जब राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर 18 अगस्त 1945 को नेताजी की मौत की तारीख बताई। हालांकि, नेताजी की मृत्यु की सही तारीख को लेकर कई सवाल हैं, क्योंकि इस संबंध में अब तक कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिल सका है। इस विवाद के बाद, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, तृणमूल कांग्रेस और भाजपा जैसे राजनीतिक दलों ने भी राहुल गांधी के बयान की आलोचना की है। जानिए क्या है पूरा मामला यह विवाद इस सप्ताह के शुरुआत में हुआ था, जब राहुल गांधी ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में नेताजी की मृत्यु की तारीख 18 अगस्त 1945 बताई। यह वही तारीख थी जब नेताजी का विमान ताइहोकू (जो अब ताइपे में है) में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। हालांकि, नेताजी की मृत्यु की सही तारीख की कभी भी पुष्टि नहीं हो पाई और उनके गायब होने के बाद बने आयोगों ने भी इसकी पुष्टि नहीं की। ऐसे में राहुल गांधी नेताजी की मृत्यु की तारीख कैसे तय कर सकते है।
उत्तराखंड, आज एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने जा रहा है क्योंकि राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज मुख्य सेवक सदन में यूसीसी पोर्टल और नियमावली का औपचारिक लोकार्पण करेंगे, जिसके साथ राज्य ने इस महत्वपूर्ण कानून को लागू करने के लिए सारी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। इसके बाद, उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बन जाएगा, जो समान नागरिक संहिता लागू करेगा। समान नागरिक संहिता की दिशा में यह यात्रा 27 मई 2022 को एक विशेषज्ञ समिति के गठन से शुरू हुई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट 2 फरवरी 2024 को सरकार को सौंपी, और उसके बाद 8 मार्च 2024 को विधानसभा में विधेयक पारित किया गया। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 12 मार्च 2024 को इस अधिनियम पर अंतिम मुहर लगी, और अब इसे पूरी तरह से लागू किया जा रहा है। यूसीसी को लागू करने के लिए तकनीक आधारित व्यवस्थाओं का भी निर्माण किया गया है, जिसमें नागरिकों और अधिकारियों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है। इस पोर्टल पर अब विवाह, तलाक, लिव-इन, लिव-इन से अलग होना और विरासत के मामलों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा। 20 जनवरी को यूसीसी की नियमावली को अंतिम रूप देने के बाद, कैबिनेट ने इसे पास किया, और इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए विभिन्न स्तरों पर मॉक ड्रिल्स की गईं। शुक्रवार को हुई मॉक ड्रिल के बाद अब पोर्टल पूरी तरह से तैयार है, और आम नागरिकों और अधिकारियों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। मुख्यमंत्री का लोकार्पण समारोह आज दोपहर 12:30 बजे होगा, जिसके बाद यूसीसी के नए नियमों के तहत विभिन्न सेवाओं का लाभ लिया जा सकेगा।
ढाका: बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना के पद से इस्तीफे और देश छोड़ने के बाद आर्मी चीफ ने लोगों से शांति की अपील की है। बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार-उज-जमान ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि शेख हसीना ने पीएम पद छोड़ दिया है और देश छोड़कर चली गई हैं। ऐसे में राजनीतिक उथलपुथल को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों से बात की गई है और अब राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से मिलकर अंतरिम सरकार बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। हालांकि उन्होंने बताया कि राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ उनकी बैठक में हसीना की पार्टी अवामी लीग से कोई शामिल नहीं हुआ। बैठक में जमात और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी से देश के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार सभी दलों की भागीदारी से बनेगी। बांग्लादेश सेना प्रमुख ने लोगों से शांकि अपील करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जल्दी ही स्थिति में सुधार होगा। सेना प्रमुख वकार ने कहा कि उन्होंने सैनिकों को गोली ना चलाने का करने का निर्देश दिया है। ऐसे में लोग खुद घरों को लौटें और हिंसा बंद करें। ऐसे में स्थिति में सुधार होने पर कर्फ्यू और दूसरे प्रतिबंधों की आवश्यकता नहीं होगी। सेना प्रमुख ने विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई सभी मौतों की जांच कराए जाने का ऐलान किया है। हिंसा को रोका जाए: आर्मी चीफ जनरल वकार ने कहा कि देश में सभी तरह की हिंसा को तुरंत रोका जाए। उन्होंने छात्रों से वादा किया कि नई सरकार भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान हुई सभी मौतों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगी। ढाका विश्वविद्यालय के कानून विभाग के प्रोफेसर आसिफ नजरूल ने एक बयान जारी कर छात्रों से विरोध प्रदर्शन बंद करने का अनुरोध करने के लिए कहा गया है।
नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन के ‘दरबार हॉल', ‘अशोक हॉल' का नाम आज बदल दिया गया है. अशोक हॉल का नाम बदलकर अशोक मंडप किया गया है। वहीं अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप के नाम से जाना जाएगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदलने का आदेश जारी किया है। इस आदेश में लिखा गया है कि राष्ट्रपति भवन भारत के लोगों की अमूल्य विरासत है। राष्ट्रपति भवन तक लोगों को पहुंच आसान बनाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। साथ ही राष्ट्रपति भवन के माहौल को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक बनाने का भी प्रयास जारी है। आपको बता दे कि ‘दरबार हॉल' में कई बड़े आयोजन होते रहे है। राष्ट्रीय पुरस्कारों की प्रस्तुति जैसे महत्वपूर्ण समारोहों का यह स्थान रहा है। राष्ट्रपित भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का बदला गया नाम, प्रियंका गांधी ने कहा- ये शहंशाह की अवधारणा राष्ट्रपति भवन के दोनों हॉल के नाम बदले जाने पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी ने केंद्र की NDA सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि दरबार की कोई अवधारणा (कॉन्सेप्ट) नहीं है, लेकिन 'शहंशाह' की अवधारणा है।