'औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी और अपने गरेबान में झाँका नहीं जाता', मुज़फ़्फ़र वारसी का ये शेर कांग्रेस के मौजूदा हालात पर बिलकुल सटीक बैठता है। बंगाल में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला पर पार्टी को ख़ुशी इस बात की है कि भाजपा 77 पर सिमित रह गई। देश की सबसे बुजुर्ग पार्टी का मनोबल गिर चूका है और कांग्रेस की मानसिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो स्वयं की जीत के बनिस्पत भाजपा की हार में अपनी ख़ुशी तलाश रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में न धार दिख रही है और न ही नई सोच, फिर भी परिवर्तन को पार्टी तैयार नहीं है। रही सही कसर चापलूसों की फ़ौज पूरा कर देती है। अशरफ़ मालवी ने कहा था कि 'हुकूमत से एजाज़ अगर चाहते हो, अंधेरा है लेकिन लिखो रोशनी है', कांग्रेस में भी ऐसा ही है। पार्टी में भविष्य देखना है तो अँधेरे को रोशनी कहना ही पड़ेगा। पर सवाल ये है कि ऐसा कब तक चलेगा। कब तक पार्टी हकीकत को अनदेखा करती रहेगी। ये सिर्फ कांग्रेस का आंतरिक मसला नहीं है, देश के लोकतंत्र के लिए भी एक मजबूत विपक्ष का होना आवश्यक है। निसंदेह कांग्रेस की जड़ गहरी है, हिली जरूर है पर अभी उखड़ी नहीं है। कांग्रेस को जरूरत है वक्त रहते आत्ममंथन की। कांग्रेस का एक बड़ा तबका मानता है कि संगठनात्मक तौर पर कांग्रेस को दोबारा खड़ा करने की सख्त आवश्यकता है। मौजूदा स्तिथि में एक ही रास्ता है की पार्टी में हर स्तर पर लोकतांत्रिक तरीक़े से संगठनात्मक चुनाव करवाकर नेतृत्व चुना जाए। राष्ट्रीय स्तर से बूथ स्तर तक संगठनात्मक चुनाव हो, राज्य स्तर पर भी पार्टी मजबूत हो और मुद्दा आधारित राजनीति के मार्ग पर पार्टी आगे बढ़े। कई बड़े नेता सार्वजानिक तौर पर इसकी वकालत कर चुके है। कई युवा नेता भी खुलकर लोकतांत्रिक तरीक़े से संगठनात्मक चुनाव करवाने के पक्ष में अपनी बात रखते रहे है। न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि प्रदेश में भी इसकी मांग उठती रही है। हालहीं में हिमाचल प्रदेश के युवा नेता और शिमला ग्रामीण विधायक विक्रमादित्य सिंह ने इस मसले पर अपनी राय रखी। विक्रमादित्य इससे पहले भी संगठनात्मक चुनाव करवाने के पक्ष में बोलते रहे है। कांग्रेस को कामराज प्लान की दरकार तीन बार मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस के एक नेता को लगा कि पार्टी कमज़ोर होती जा रही है और इसी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक दिन वो देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मिले और कहा कि वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनना चाहते है। वो नेता थे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के कामराज। जब पंडित नेहरू ने कामराज से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा की कांग्रेस के सब बुजुर्ग नेताओं में सत्ता लोभ घर कर रहा है, उन्हें वापस संगठन में लौटना चाहिए और लोगों से मिलना जुलना चाहिए। भारतीय राजनीती के इतिहास में इस योजना को कामराज प्लान के नाम से जाना जाता है। इस योजना के तहत उन्होंने खुद भी इस्तीफा दिया और इनके अलावा लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम, मोरारजी देसाई तथा एसके पाटिल जैसे नेताओं ने भी पद त्यागे थे। अगर आज की बात करे तो भले ही अब भी कुछ राज्य में कांग्रेस की सरकार है मगर कांग्रेस की कुव्वत अब पुरे देश में कुछ खास नहीं रही। अपना अस्तित्व ढूंढ़ती आज की कांग्रेस को कामराज जैसे नेताओ की ज़रूरत है जो सत्ता का लालच छोड़ कर पार्टी का संगठन मजबूत करने में अपना योगदान दें। वर्तमान परिवेश की बात करें तो पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंद्र सिंह और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ऐसे चेहरे है जो राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का नेतृत्व करने का मादा रखते है। गहलोत तो 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी अपनी क्षमता का लोहा मनवा चुके है। वहीँ कई राज्यों में बेशक कांग्रेस सत्ता में नहीं है लेकिन सत्ता स्वपन ने ही नेताओं में रार डाली हुई है। ये बिखराव और अंतर्कलह ही पार्टी की बड़ी कमजोरी है। यदि ऐसे बुजुर्ग नेता युवाओं को आगे लाकर खुद पार्टी के संगठन में काम करते है तो निसंदेह पार्टी की काया पलट सकती है। देश में हाल : यूपी, बंगाल, बिहार में मुख्य विपक्षी दल भी नहीं है कांग्रेस उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में तो अब कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल तक नहीं रही। दक्षिण में भी पार्टी की स्तिथि ठीक नहीं है। कांग्रेस का जमीनी स्तर पर संगठन या तो नदारद है, या कमजोर पड़ चुका है। हर स्तर पर आत्ममंथन की जरूरत है। हालहीं में केरल में कांग्रेस गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा, तमिलनाडु में गठबंधन की जीत पूरी तरह से डीएमके की ही जीत है। पुडुचेरी और आसाम भी पार्टी हारी है। पिछले वर्ष हुए बिहार चुनाव में तो कांग्रेस के साथ गठबंधन का खमियाजा आरजेडी को भुगतना पड़ा था। राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब में जरूर अब भी कांग्रेस के मुख्यमंत्री है। महाराष्ट्र, झारखण्ड और तमिलनाडु में गठबंधन की सरकार है पर इनमें कांग्रेस की हैसियत कुछ ख़ास नहीं दिखती। मध्य प्रदेश में आपसी खींचतान से कांग्रेस सत्ता गवां चुकी है तो राजस्थान में बमुश्किल सत्ता बची है। इसी तरह कर्नाटक में भी गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। हिमाचल: लचर संगठन से पार्टी लाचार, वीरभद्र का अब भी विकल्प नहीं देश के मुकाबले हिमाचल में कांग्रेस की स्तिथि बेहतर दिखती है लेकिन 2022 में बगैर वीरभद्र सिंह अब भी कांग्रेस सरकार की कल्पना गले से नहीं उतरती। बढ़ती उम्र और खराब सेहत ने वीरभद्र सिंह को काफी सिमित कर दिया है, पर उनका विकल्प अब भी कांग्रेस के पास नहीं दिख रहा। बीते साढ़े तीन साल में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का दायरा सिमित ही दिखा हैं। कौल सिंह ठाकुर और सुधीर शर्मा जैसे कई वरिष्ठ नेता पिछला चुनाव हारने के बाद मानो किसी योजना के तहत हाशिए पर धकेल दिए गए है। कांग्रेस का प्रदेश संगठन लचर हैं। प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर तो मानो बंद कमरे से पत्रकार वार्ता करके ही अपनी सियासी गाड़ी धकेलना चाहते है। हालांकि नगर निगम चुनाव में पार्टी के बेहतर प्रदर्शन ने कुछ आस जरूर जगाई है पर विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पार्टी को दमदार चेहरे और नेतृत्व की जरुरत है, जो फिलहाल नहीं दिखता। पांच साल की सत्ता परिवर्तन थ्योरी के आधार पर ही सत्ता में वापसी मुश्किल होगी।
शिमला: कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कोरोना कर्फ्यू के बाद आज से प्रदेश में पूर्ण बंदी, जिसके तहत सार्वजनिक बसों की आवाजाही पर पूर्ण रोक कर दी गई है पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकार नींद में अपनी सुविधा अनुसार फैसले ले रही है। सरकार को लोगों की कोई चिंता नही है। सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति न होने की वजह से आज प्रदेश में लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। इसका सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो दैनिक आधार पर दिहाड़ी या अन्य छोटा मोटा कामकाज कर अपनी रोजीरोटी कमाते है, व अपने परिवार का लालन पालन करते है। सरकार की ऐसे लोगों पर कोई भी दया दृष्टि नही हो रही है। राठौर ने कहा कि भाजपा सरकार पूरी तरह असंवेदनशील हो गई है। प्रदेश में बढ़ते कोरोना के मामलों से लोगों में भय फैलता जा रहा है। प्रदेश सामुदायिक संक्रमण की ओर बढ़ गया है। प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में इसके बढ़ते मामलों से लोगों में भय फैलना शुरू हो गया है। कोरोना संक्रमित लोगों को अस्पतालों में बेड तक नही मिल रहे है। ऑक्सीजन, रेगुलेटर, वेन्टीलेटर के अभाव में अस्पतालों में लोग परेशान है। राठौर ने कहा है कि सरकार ने किसी भी वर्ग को अबतक कोई भी राहत नही दी है। सरकारी स्तर पर कोई भी ऐसा राहत शिविर स्थापित नही किया है जिससे गरीब व जरुरत मंद लोगों को कोई सहायता मिल सकें। राठौर ने कहा है कि कांग्रेस ने सभी जिलों व ब्लॉकों में गांधी हेल्पलाइन, सहायता केंद्र स्थापित कर दिए है जो लोगों की किसी भी प्रकार की सेवा के प्रति समर्पित है। कांग्रेस के सभी नेता, कार्यकर्ता एकजुट होकर इस विपदा के समय लोगों की सहायता कर रहें है। राठौर ने भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि न तो उनकी सरकार ने कोई अपना राहत केंद्र स्थापित किया है और न ही उनकी पार्टी भाजपा ने लोगों की सहत्यार्थ कोई हाथ बढ़ाया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ने इस विपदा के समय अपने सभी राजनैतिक कार्यक्रम स्थागित कर जनसेवा का संकल्प लिया है जिसे वह तन,मन,धन से पूरा कर रही है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी के उस ट्यूट पर जिसमें उन्होंने मोदी सरकार के कोरोना वेक्सिनेशन को लेकर 35 हजार करोड़ का बजट निर्धारित किया था उसमें से अभी तक केवल 4,744 करोड़ खर्च कर पाने को मोदी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी बताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कहा है कि सरकार ने आज देश में अपनी नाकामी से इस महामारी का गम्भीर संकट खड़ा कर दिया है।उन्होंने कहा है कि कोरोना को लेकर सरकार गम्भीर नही है और इसकी कथनी और करनी में दिन रात का अंतर साबित हो गया है। राठौर ने कहा है कि राहुल गांधी को इस समय देश की चिंता है और इसी चिंता के चलते वह सरकार को इस महामारी के प्रति सचेत करते रहें, पर मोदी सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नही दिया और आज देश विकट परिस्थितियों से गुजर रहा है जहां हर रोज हजारों लोग इस महामारी की चपेट में आकर मौत का शिकार बन रहे है।आज देश मे ओक्ससीज की भारी कमी के साथ आवश्यक दवाओ की कालाबाजारी हो रही है। राठौर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश मे एक मई से 18 साल से ऊपर सभी को वेक्सिन उपलब्ध करवाने की घोषणा की थी,जो हवा हवाई साबित हुई है। हिमाचल में मुख्यमंत्री को अभी पता ही नही है कि यह कब शुरू होगी,क्योंकि प्रदेश के अस्पतालों में पर्याप्त वेक्सिन ही उपलब्ध नही है। राठौर ने कहा कि राहुल गांधी ने वेक्सिन की कमी बारे सचेत करते हुए सरकार को इसे तुरंत विदेशों से मंगवाने की बात कही थी पर उस समय भी नजर अंदाज कर दिया गया,परिणामस्वरूप आज देश मे वेक्सिन की कमी हो गई है।उन्होंने कहा कि सरकार वेक्सिनेशन के नाम पर देश को गुमराह करने का पूरा प्रयास कर रही है।उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना से लोगों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल हो गई है और अपनी विफलता छुपाने के लिए वह लोगों की जान से खेल रही है।
सुजानपुर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन ज्योति प्रकाश व जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष लेखराज ठाकुर ने सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा व प्रदेश कांग्रेस मीडिया के चेयरमैन अभिषेक राणा के खिलाफ बयान बाजी करने वाले भाजपा नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि ऐसे नेताओं को पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए और फिर टीका टिप्पणी करनी चाहिए। आज यहां जारी एक बयान में इन दोनों नेताओं ने कहा कि बयानबाजी करने वाले भाजपाइयों की असलियत सुजानपुर हलके की जनता से छुपी हुई नहीं है और सुजानपुर की जनता यह भली-भांति जानती है कि सेना में भर्ती करवाने के नाम पर गरीब लोगों के साथ कौन लूट घसीट कर रहा है और अपने रेस्टोरेंट में अवैध तरीके से शराब परोसने का कारोबार कौन लोग राजनीतिक संरक्षण में कर रहे हैं यह बात किसी से छुपी नहीं है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अगर विधायक राजेंद्र राणा और अभिषेक राणा मोदी शासन में देश भर में ऑक्सीजन सिलेंडर व अस्पतालों में बेड की कमी से निरंतर हो रही मौतों को लेकर आम आदमी की पीड़ा जाहिर कर रहे हैं तो भाजपाइयों के पेट में मरोड़ किस लिए उठ रहे हैं। इन नेताओं ने कहा कि कि अगर देश की अर्थव्यवस्था पताल में चली जाने, बेरोजगारी से युवाओं में हाहाकार मचने और कमरतोड़ महंगाई की चक्की में आम आदमी के पिसने की पीड़ा को अगर राजेंद्र राणा व अभिषेक राणा आवाज दे रहे हैं तो भाजपाइयों को सांप क्यों सूंघ रहा है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि क्या भाजपा नेता चाहते हैं कि मोदी सरकार की तरह विपक्ष के लोग भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध लें और देश में मची त्राहि-त्राहि पर अपनी आवाज ना उठाएं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि राजेंद्र राणा का सामाजिक कार्यों में क्या योगदान है और किस तरह वह दिन रात अपने इलाके की जनता के सुख दुख में शामिल रहते हैं, इस बात को सुजानपुर की जनता ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की जनता जानती है। उन्होंने कहा कि राजेंद्र राणा परिवार ने अपना जीवन गरीबों को समर्पित कर रखा है लेकिन दूसरी तरफ भाजपा के लोग सिर्फ भाषण बाजी और जुमलेबाजी में ही यकीन रखते हैं। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जिन भाजपाइयों ने अखबारों में राजेंद्र राणा के खिलाफ टीका टिप्पणी की है, उनकी असलियत और किरदार इलाके की जनता भलीभांति जानती है। ऐसे लोग बयानबाजी करके जनता के बीच हंसी का पात्र बन रहे हैं।
युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अखिल अग्रिहोत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस प्रकार से धरना प्रदर्शन किया है, यह कोरोना काल में नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि जब शादी भी अनुमति के साथ हो रही है, तो यह बताया जाना चाहिए कि किस प्रशासन ने भाजपा को धरने प्रदर्शन करने की इजाजत दी। उन्होंने कहा कि क्या यह भाजपा के कार्यकर्ता कोरोना फ्री हैं? या सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है ? उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में सरकार बनी है। निश्चित रूप से किसी भी प्रकार से हिंसा नहीं होनी चाहिए। सब को न्याय भी मिलना चाहिए, लेकिन भाजपा मौतों पर भी राजनीति कर रही है, इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं षड्यंत्र में भाजपा शामिल है। अखिल ने अरोप लगाते हुए कहा कि जनता ने भाजपा को सत्ता से दूर रखा है, तो भाजपा ने मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए हिंसा का सहारा लिया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल ही हिंसा को भी भाजपा प्रायोजित करार देते हुए कहा कि भाजपा को इतने तामझाम के बाद बंगाल में मिली हार बर्दाश्त नहीं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि जिला ऊना में जिस प्रकार से भाजपा कार्यकर्ता बिना परमिशन के धरने दे रहे है, ऐसे में जिला प्रशासन को सख्त कदम उठाते हुए कार्रवाई करनी चाहिए
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य प्रदेश मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर से विचार विमर्श के बाद मंडी लोक सभा व फतेहपुर विधानसभा उप चुनाव के लिए पार्टी पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए है। कांग्रेस महासचिव रजनीश किमटा ने बताया कि मंडी लोकसभा उप चुनाव के लिए प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व मंत्री विधायक श्रीमती आशा कुमारी, विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू,प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष गंगू राम मुसाफिर को पार्टी पर्यवेक्षक बनाया गया है। इसी तरह फतेहपुर विधानसभा उप चुनाव के लिए पूर्व मंत्री जी.एस. बाली,प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष चंद्र कुमार व विधायक राजेंद्र राणा को पार्टी पर्यवेक्षक बनाया गया है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वर्चुअल माध्यम से मंडी जिले के सुंदरनगर में 12 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित मातृ एवं शिशु अस्पताल का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने शिमला से सुंदरनगर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इस अस्पताल को वर्तमान राष्ट्रीय भाजपा अध्यक्ष और तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने वर्ष 2017 में राज्य के लिए स्वीकृत किया था और पिछले तीन वर्षो के दौरान इस परियोजना के कार्य में तेज़ी लाने के उपरान्त आज जनता को समर्पित किया गया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार इस अस्पताल को वर्चुअल माध्यम से लोगों को समर्पित करने के लिए मजबूर हुई। इस अस्पताल का उपयोग समर्पित कोविड-19 अस्पताल के रूप में किया जाएगा और यह जिले के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करेगा। नेरचैक मेडिकल कालेज को कोविड-19 अस्पताल के रूप में समर्पित किया गया है और अतिरिक्त 100 बिस्तरों की क्षमता वाले प्री-फैब्रिकेटिड अस्पताल का कार्य भी कुछ दिनों में पूरा हो जाएगा। नागरिक अस्पताल सुंदरनगर को 150 बिस्तर वाले अस्पताल में स्तरोन्नत किया गया है और यह क्षेत्र के लोगों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान कर रहा है। राज्य सरकार अस्पताल में लिफ्ट और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि चिंता का विषय है। राज्य सरकार ने प्रदेश में आने वाले लोगों से 72 घंटे पहले किए गए आरटीपीसीआर परीक्षण की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से साथ लाने और उन्हें चौदह दिनों की अवधि के लिए अपने निवास स्थान पर होम आईसोलेशन में रहने का आग्रह किया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के निर्वाचित प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सभी मानक संचालन प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई आरंभ करने का आग्रह किया ताकि इस महामारी को फैलने से रोका जा सके।
हिमाचल की कर्मचारी राजनीति के कई दिग्गज असली सियासी पटल पर भी अपनी किस्मत आजमाते रहे है। कुछ सफल हुए कुछ नहीं। जल्द मंडी संसदीय क्षेत्र का उप चुनाव होना हैं, और इस चुनाव में हिमाचल की कर्मचारी राजनीति के एक धुरंधर के भी चुनावी समर में उतरने के कयास हैं। माना जा रहा है कि कर्मचारी नेता एनआर ठाकुर भाजपा से टिकट के चाहवान है। हालांकि खुद एनआर ठाकुर खुलकर इस मसले पर नहीं बोल रहे पर उनके समर्थक सोशल मीडिया पर उन्हें टिकट देने की खूब पैरवी कर रहे है। स्वास्थ्य शिक्षक और अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष एनआर ठाकुर पिछले 30 सालों से कर्मचारी राजनीति में है। उन्होंने कर्मचारी राजनीति में रहते हुए 18 चुनाव लड़े है और अपना वर्चस्व कायम रखने में हमेशा कामयाब रहे। एन आर ठाकुर अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के तीनों बड़े पदों पर रहे है, पहले साल 2000 में चुनाव जीतकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनें, उसके बाद महामंत्री और फिर प्रदेश अध्यक्ष। 13 अन्य संस्थाओं से भी जुड़े हैं और कर्मचारियों में खासी पकड़ रखते है। ठाकुर संघ की पृष्ठ्भूमि से भी है। यानी ठाकुर का बायोडाटा तो ठीक-ठाक है, लेकिन बायोडाटा के साथ-साथ राजनीति में आलाकमान के आशीर्वाद की भी जरूरत होती है। अब ठाकुर को आशीर्वाद मिलता है या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा। क्या तीसरी दफा जोखिम लेगी भाजपा ? नगर निगम चुनाव में लगे झटके के बाद भाजपा के लिए मंडी संसदीय क्षेत्र का उपचुनाव बेहद ख़ास है, या यूं कहे की साख का सवाल है। नगर निगम चुनाव में भाजपा सिर्फ मंडी में ही अच्छा परफॉर्म कर पाई थी। अब उपचुनाव है, यदि मंडी में पार्टी ठंडी पड़ गई तो सरकार और संगठन पर तो सवाल उठेंगे ही भाजपा के भीतर भी सियासी बवंडर तय है। इतिहास पर नज़र डाले तो मंडी संसदीय क्षेत्र में इससे पहले भाजपा दो कर्मचारी नेताओं को टिकट दे चुकी है, 1984 में व 1996 में और दोनों ही मर्तबा भाजपा को शिकस्त मिली। ऐसे में बड़ा सवाल ये ही है कि क्या पार्टी तीसरी दफा जोखिम लेगी ? मधुकर और अदन सिंह ठाकुर लड़ चुके है मंडी से चुनाव मंडी संसदीय क्षेत्र की बात करें तो प्रदेश कर्मचारी महासंघ में अध्यक्ष के पद पर रह चुके फायर ब्रांड कर्मचारी नेता मधुकर और ठाकुर अदन सिंह ने यहां से चुनाव लड़ा था। इन दोनों ने हिमाचल की राजनीति के चाणक्य पंडित सुखराम के खिलाफ चुनाव लड़ा। हालांकि दोनों को ही चुनावों में सफलता नहीं मिली थी, लेकिन संसदीय क्षेत्र के चुनाव में कर्मचारी नेताओं ने दिग्गज नेता को टक्कर दी थी। मधुकर ने 1984 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, तो वहीं अदन सिंह ठाकुर ने 1996 में भाजपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा था। विस चुनाव में भी रही है कर्मचारी नेताओं की धाक -रणजीत सिंह ठाकुर और चौधरी विद्यासागर रहे हैं मंत्री ऐसा नहीं है कर्मचारी नेताओं पर खेला गया हर दांव उल्टा पड़ा हो ,लोकसभा न सही पर विधानसभा चुनाव में कर्मचारी नेताओं ने खुद को साबित किया है। राज्य की कर्मचारी राजनीति में सक्रिय रहे ठाकुर रणजीत सिंह 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर बमसन से चुनाव लड़े और तत्कालीन मंत्रिमंडल में भी शामिल हुए । वहीं कर्मचारी नेता चौधरी विद्यासागर कांगड़ा जिले के कांगड़ा निर्वाचन हलके से भाजपा टिकट पर चार बार चुनाव जीते और प्रदेश कैबिनेट का हिस्सा बने । चौधरी विद्या सागर 1982, 1985,1990 और 1998 में चुनाव जीते हैं । अर्की के पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा भी कर्मचारी राजनीति सक्रिय रह चुके हैं। वह महासंघ में संयुक्त सचिव भी रहे हैं। वर्तमान में खादी बोर्ड के उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम गुलेरिया भी कर्मचारी नेता रहे है। हालांकि गुलेरिया चुनावी राजनीति से अब तक दूर है। ये नाम भी चर्चा में मंडी उप चुनाव में भाजपा टिकट के लिए महेश्वर सिंह का नाम भी चर्चा में है। महेश्वर सिंह 1989 , 1998 और 1999 में मंडी से सांसद रह चुके है। महेश्वर सिंह के अतिरक्त अभिनेत्री कंगना रनौत के नाम के भी चर्चे आम है। कंगना खुद सोशल मीडिया पर हिमाचल से चुनाव न लड़ने की बात कह चुकी है। इसी तरह जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की बेटी वंदना गुलेरिया और पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर का नाम भी सुर्ख़ियों में है। ऐसे में भाजपा किसी पुराने चेहरे पर भरोसा जताती है या किसी नए चेहरे पर दांव खेलती है, इस पर सबकी नज़र है।
- अनुशासन है नहीं, पर सपना है 2022 में शासन पाने का 2022 में सोलन निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा का चेहरा कौन होगा ये तो समय के गर्भ में छीपा है, किन्तु सोलन भाजपा में अभी से जड़ खुदाई शुरू हो गई है। नगर निगम में हार का ठीकरा दोनों गुट एक दूसरे पर फोड़ रहे है, बड़े नेता बेशक चुप है, लेकिन कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल रहे है। अनुशासन है नहीं, पर सपना है 2022 में शासन पाने का। बदलते समीकरणों के बीच चेहरे की जंग अभी से प्रखर होती दिख रही है। किस ओर जा रही है सोलन भाजपा की सियासत, क्या बन सकते है समीकरण ये जानने - समझने के लिए बात 2017 के चुनाव से शुरू करनी होगी। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सोलन निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा टिकट के लिए सिर्फ दो नाम चर्चा में थे, एक कुमारी शीला और दूसरा तरसेम भारती। थोड़ी बहुत कोशिश हीरानंद कश्यप भी करते रहे पर वो कभी रेस में दिखे नहीं। पर चुनाव से ठीक पहले डॉ राजेश कश्यप पैराशूट से आए और टिकट ले गए। कहते है टिकट दिलाने वाले थे डॉ राजीव बिंदल। इस टिकट ने तरसेम भारती और कुमारी शीला के अरमान कुचल दिए थे। रोचक बात ये है कि बिंदल के चहेते भी तब शीला के साथ खड़े दिखे थे, मंशा दिलासा देना था या बहलाना, इसे लेकर सबका अपना -अपना विश्लेषण है। खैर डॉ राजेश कश्यप चुनाव हार गए, पर कहते है चुनाव में बिंदल के कुछ ख़ास लोगों ने उनके पक्ष में काम नहीं किया। सो तभी से बिंदल गुट और उनके बीच एक खाई बन गई। आहिस्ता-आहिस्ता कश्यप सोफत गुट के नजदीकी हो गए। वहीं महेंद्र नाथ सोफत जिनका डॉ राजीव बिंदल के साथ मनभेद जगजाहिर है। 2017 से अब तक 40 माह में डॉ राजीव बिंदल का सियासी सफर किसी रोलर कोस्टर के सफर जैसा रहा है। सो जब - जब बिंदल अर्श पर सोलन में उनकी टीम भी फ्रंट फुट पर और जैसे ही बिंदल फर्श पर उनकी टीम भी हाशिए पर। इस सब के बीच डॉ राजेश कश्यप जमे रहे और भाजपा के प्राइम फेस बने भी रहे। नगर निगम चुनाव में भी बेशक प्रभारी डॉ राजीव बिंदल थे लेकिन जो भाजपाई जीते है उनमे से अधिकांश डॉ राजेश कश्यप के करीबी माने जाते है। अब जो बात निकल कर आ रही है वो आने वाले समय में सोलन भाजपा की सियासत को नई दिशा दे सकती है। दरअसल कुछ लोगों को अब तरसेम भारती के चेहरे में भाजपा का ग्लो दिख रहा है और इनमें वो लोग भी शामिल है जिन्हें 2017 तक तरसेम भारती फूटी आंख नहीं सुहाते थे। यानी वक्त, परिस्थिति और मौके के हिसाब से अब एक नया गठबंधन आकार ले सकता है ताकि डॉ राजेश कश्यप को साधा जा सके। अब ये गठबंधन जन्म लेता है या इसकी भ्रूण हत्या हो जाती है ये देखना रोचक होगा। शीला जीत जाती तो और बात होती जिला परिषद् चुनाव में सलोगड़ा वार्ड से कुमारी शीला भाजपा उम्मीदवार थी। लगातार तीन चुनाव जीत चुकी कुमारी शीला जीत का चौका लगाने का दावा कर रही थी, लेकिन जनता का आशीर्वाद उन्हें नहीं मिला। ये हार कुमारी शीला के लिए बड़ा झटका है। शायद यही कारण है कि डॉ राजेश के विरोधी अब कुमारी शीला की जगह तरसेम भारती में संभावना तलाश रहे है। निसंदेह, शीला अगर जीत जाती तो शायद 2022 में कुछ और बात होती। बहरहाल शीला अब भी डटी है और 2022 में ऊंट किस करवट बैठता है ये देखना रोचक होगा। नगर निगम में नहीं चला तरसेम का जादू नगर निगम चुनाव में तरसेम भारती ने वार्ड 7 में जमकर प्रचार किया। तरसेम भारती के करीबी बादल नाहर की पत्नी सोना नाहर वहां से चुनाव लड़ रही थी। पर इस पुरे चुनाव में भाजपा कभी भी मजबूत नहीं दिखी। तरसेम भारती का प्रचार यहां पूरी तरह बेअसर दिखा। कांग्रेस ने बागी के मैदान में होने के बावजूद यहां शानदार जीत दर्ज की। यानी तरसेम की पोलिटिकल मैनेजमेंट का जनाजा हालही में हुए सोलन नगर निगम चुनाव में निकल चूका है। पर हर दिन की तरह हर चुनाव भी नया होता है। बिंदल के खासमखास भी हारे चुनाव जानकार मानते है कि भाजपा बेशक नगर निगम हार गई लेकिन डॉ राजेश कश्यप ने इस हार के बावजूद ज्यादा नहीं खोया। दरअसल भाजपा ने डॉ राजीव बिंदल को प्रभारी बनाया था और यदि बिंदल का जादू चल जाता तो जाहिर है 2022 के टिकट वितरण में भी उनकी दखल ज्यादा होती। पर नगर निगम जीतना तो दूर बिंदल के कई खासमखास चुनाव में बुरी तरह हारे। इस हार का ठीकरा भी विरोधी बिंदल के सर ही फोड़ रहे है। 2022 में फिर पैराशूट लैंड हुआ तो 2012 से 2017 तक कई नेता टिकट के लिए जमीनी काम करते रहे। पर भाजपा आलाकमान ने इन सबके अरमान कुचल दिए और पैराशूट कैंडिडेट उतार दिया। 2022 में टिकट को लेकर भी तमाम दावेदारों में मन में ये भय जरूर होगा। न जाने ऐन मौके पर किसकी एंट्री हो जाए।
- 2017 में दो बार के विधायक का टिकट काटा, फिर अनदेखी भी हुई - ठगा सा महसूस कर रहा है भाजपा का पुराना कार्यकर्ता अर्की निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा का हाल फिलहाल ठीक नहीं दिख रहा है। दो नेताओं के बीच बढ़ती खींचतान और वर्चस्व की लड़ाई में पार्टी फंसी हुई है। क्षेत्र में नेतृत्व और चेहरे को लेकर लगातार सवाल उठ रहे है। दरअसल, 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दो बार विधायक रहे गोविन्द राम शर्मा का टिकट काट कर रतन सिंह पाल को टिकट दिया था। इसके बाद से ही अर्की भाजपा में विभाजन स्पष्ट देखा जा सकता है। खेर 2017 में सरकार बनी तो उम्मीद थी कि गोविन्द राम को पार्टी कोई महत्वपूर्ण पद या ज़िम्मेदारी देगी, पर ऐसा भी हुआ नहीं। इसका असर अर्की भाजपा के बड़े खेमे में दिखता है। गोविन्द राम से जुड़ा पुराना कार्यकर्ता खुद को ठगा सा महसूस करता है। उधर, गोविन्द राम अब तेवर बदल चुके है। वे 2022 के लिए अभी से खुलकर अपना दावा ठोक रहे है। उनके साथ भाजपा का एक बड़ा गुट दिख रहा है और जैसे - जैसे 2022 नजदीक आ रहा है उनके समर्थकों का कुनबा भी बढ़ता दिख रहा है। वैसे भी 2017 से ही भाजपा के लिए अर्की में कुछ ख़ास अच्छा नहीं हुआ है। हालहीं में हुए नगर पंचायत चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। बीडीसी पर भी कांग्रेस का कब्ज़ा रहा। वहीं जिला परिषद् में भी टिकट वितरण को लेकर सवाल उठे। जिला परिषद् के डुमैहर कुनिहार वार्ड से पार्टी के बागियों ने जीत दर्ज की। बहरहाल, रतन सिंह पाल बेशक फ्रंट फेस बने हुए है पर गोविन्द राम की पकड़ पर कोई संशय नहीं है। अर्की में दो बार कमल खिला चुके है गोविंद राम कांग्रेस के गढ़ रहे अर्की में लम्बे समय बाद 2007 में गोविन्द राम शर्मा ने कमल खिलाया था। 2012 में शर्मा लगातार दूसरी बार जीते। बावजूद इसके 2017 में उनका टिकट काट दिया गया। हालांकि जानकार मानते है कि 2017 में शर्मा भाग्यशाली रहे क्योंकि अर्की से कांग्रेस टिकट पर खुद वीरभद्र सिंह ने चुनाव लड़ा था। अब तक खरे नहीं उतरे पाल अर्की नगर पंचायत में भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी। जिला परिषद् चुनाव में पार्टी ने अमर सिंह ठाकुर और आशा परिहार का टिकट काटा था जो भारी भूल साबित हुआ। आखिरकार ये दो चेहरे ही अध्यक्ष पद पर पार्टी का कब्ज़ा करवाने में निर्णायक सिद्ध हुए। माना जाता है कि अर्की भाजपा में फिलवक्त रतन सिंह पाल की खूब चल रही है, पर चुनावी समर में पाल अब तक कुछ कमाल नहीं कर सके है। सोलन नगर निगम चुनाव में भी रतन सिंह पाल को वार्ड 17 का प्रभारी बनाया गया था। प्रत्याशी चयन में भी उनकी राय को तवज्जो दी गई पर वार्ड 17 में भाजपा तीसरे स्थान पर रही। मैं आश्वस्त, 2022 में मुझे मिलेगा टिकट: गोविन्द राम गोविन्द राम शर्मा 2022 के लिए अभी से हुंकार भर चुके है। शर्मा आश्वस्त है कि पार्टी उन्हें टिकट देगी और वे चुनाव जीतेंगे भी। निसंदेह उन्हें दरकिनार करना भाजपा के लिए आसान नहीं होने वाला। शर्मा कहते है 2017 में उन्होंने टिकट भी छोड़ा और पूरी शिद्दत से पार्टी के लिए काम करते आ रहे है। अब पार्टी के आशीर्वाद से 2022 में वे ही कमल खिलाएंगे।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में सेक्रेटरी, पूर्व में वीरभद्र की टीम में मिनिस्टर और हमेशा हंसते-हंसते राजनीति करने वाले कांग्रेस नेता ने अगले साल हाेने वाले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए चाराें तरफ सियासी फील्ड सजा दी है। प्रदेश की जयराम सरकार के कार्यकाल काे माेदी की कठपुतली बताते हुए अपने दम पर निर्णय लेने में नाकाम सीएम करार देने वाले सुधीर नगर निगम चुनाव में हार काे हार नहीं मान रहे। जनता के बीच, जनता के लिए और जनता द्वारा उठाई गई आवाज काे बुलंद करने में सुधीर काेई कमी नहीं छोड़ रहे। पूर्व की वीरभद्र सरकार में शहरी विकास मंत्री के पद पर रहते धर्मशाला काे नगर निगम और स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलवाने में सुधीर शर्मा का ही हाथ रहा। कई मुद्दों पर अपने विचार पूर्व मंत्री ने फर्स्ट वर्डिक्ट मीडिया से सांझा किये। पेश है बातचीत के मुख्य अंश ... जयराम सरकार के अब तक के कार्यकाल काे सुधीर शर्मा ने विक्रम के कंधाे पर कई बेताल करार दिया है। वे कहते है जयराम सरकार अपनों की मारी है और सरकार की मति भ्रमित हो चुकी है। उनका दावा है कि अगले साल हाेने वाले चुनाव में भाजपा काे जनता बाहर का रास्ता दिखा देगी और कांग्रेस सत्ता में आएगी। सुधीर शर्मा कहते हैं कि हिमाचल में जाे विकास कांग्रेस ने किया उसमें भाजपा रंगराेगन कर रही है। जयराम सरकार साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी है, लेकिन आज तक एक भी निर्णय अपने दम पर नहीं लिया। मिशन -2022 यानी अगले साल हाेने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पूर्व मंत्री कहते है, कांग्रेस भी तैयार है, वे भी तैयार है और जनता भी जयराम सरकार को विदा करने को तैयार है। सुधीर का कहना है कि जयराम सरकार निर्णय लेने में नाकाम सरकार है, प्रदेश को कर्ज में डुबोने वाली सरकार है और जन विरोधी सरकार है। प्रदेश का हर वर्ग सरकार से खफा है, चाहे व्यापारी हो या कर्मचारी। कर्मचारी वर्ग पर बात आगे बढ़ाते हुए सुधीर कहते है कि "कर्मचारियों को याद है कि भाजपा ने विपक्ष में क्या -क्या वादे किए थे, झूठे प्रलोभन दिए थे और आज वही भाजपाई सरकार कर्मचारियों के विरुद्ध तुगलकी फरमान ज़ारी कर रही है। इस सरकार का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। "सुधीर का कहना है कि काेविड काल में भी सीएम जयराम ठाकुर पिछले साल से लेकर अब तक पीएम माेदी के निर्णय काे ही फाॅलाे कर रहे हैं। उनका कहना है कि " सरकार को चाहिए कि वे समझे हिमाचल की क्या स्थिति है और उसके अनुरूप फैसले ले। देखा देखी में निर्णय लेकर जनता को परेशान करने से कुछ नहीं होगा। " कोरोना की बिगड़ती स्थिति पर उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए आम जनता से अपील की है कि " खुद ही बच सकते हो तो बचो, हालात है डराने वाले, तमाशबीन बन गए है सभी हुकूमत चलाने वाले ..." 2017 के बाद क्याें उलटी बह रही विकास की गंगा ? सुधीर शर्मा ने कहा कि ठीक चुनाव से पहले ऐसा क्या हो गया जो धर्मशाला पर भाजपा सरकार इतनी मेहरबान हो रही है? धर्मशाला स्मार्ट सिटी और धर्मशाला नगर निगम कांग्रेस सरकार की देन हैं। 2017 के बाद धर्मशाला में विकास की गंगा क्यों उलटी बहने लगी? भाजपा के एक कैबिनेट मंत्री भी यहीं से थे तब ये सौग़ात और घोषणाओं का पिटारा कहां गुम हो गया था, भाजपा सरकार का तो हाल ‘थोथा चना बाजे घना’ जैसा है, नगर निगम चुनावों से पहले धर्मशाला पर इस तरह प्यार बरसाने का कारण जनता समझती है। सुधीर शर्मा की माने ताे धर्मशाला विधानसभा और नगर निगम में जो भी विकास कार्य हुए हैं या चल रहे हैं वो कांग्रेस सरकार की देन हैं। धर्मशाला विधानसभा के लिए भाजपा सरकार का रवैया शुरू से ही उदासीन रहा है। सरकार बनने के तीन बरस पूरे हो जाने पर भी हिमाचल सरकार ने कभी धर्मशाला के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया। उल्टे जो विकास कार्य चल रहे थे वो भी अधर में झूल रहें हैं, जो विकास की लहर कांग्रेस ने 2012 से 2017 के बीच में क्षेत्र के लिए लाई उसका ही परिणाम है की आज सबके सामने है। पक्की सड़कें, स्मार्ट सीटी, नगर निगम, ओपन जिम, फुटपाथ, पार्क, सुचारू बिजली व्यवस्था (स्ट्रीट लाईट), पार्किंग, कई उठाउ पेय जल योजनाओं को अमली जामा पहनाया गया, ये कांग्रेस सरकार की ही देन है। भाजपा सरकार आते ही क्षेत्र के विकास कार्यों को ठण्डे बस्ते में बंद कर दिया गया, और धर्मशाला मात्र भाजपा के बड़े नेताओं को खुश करने के लिए कार्यक्रम आयोजन स्थल बन कर ही रह गया। पूर्व मंत्री ने कहा कि जहाँ एक तरफ़ सरकार का कर्तव्य क्षेत्र का विकास और जनता की समस्याओं का निदान करना होना चाहिए था वहीं सरकार ने धर्मशाला को संगठनात्मक आयोजनों की कर्म भूमि बना कर झूठे विकास की उपलब्धियों का चोला पहनाना आरंभ कर दिया। चुनाव आते ही घोषणाओं का पिटारा खोलना जयराम सरकार के लिए नई बात नहीं हैं, यह तो भाजपा की प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं, जैसे इनकी केंद्र सरकार भी करती है। चाहे वो विधानसभा के हो, पंचायत या निकाय चुनाव हो, घोषणाओं का ढोल वहां बजाना इस सरकार की पुरानी आदत है। कांग्रेस के करवाये कार्यों का श्रेय लेना भाजपा की पुरानी आदत है। जयराम सरकार को दूसरी राजधानी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, आइटी पार्क व प्रदेश फ़ुटबाल अकादमी और धर्मशाला बस टर्मिनल बारे अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में.. - सुधीर बोले, अगले साल चुकता करेंगे हिसाब नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की हार पर सुधीर शर्मा का कहना है कि वहां कोई नहीं जीता। नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के पास 5, भाजपा के पास 8 और अन्य के पास 4 सीटें थी। इन चुनाव में कांग्रेस मात्र 88 वाेटाें से भाजपा से पीछे रही। इसका हिसाब अब अगले साल चुकता करेंगे। पूर्व मंत्री ने अपने ही अंदाज में कहा कि " गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले। " भ्रष्टाचार नहीं है तो काेविड फंड का हिसाब क्यों नहीं देती सरकार एआईसीसी के सचिव एवं पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने काेविड फंड काे सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बताया। उन्हाेंने कहा कि भाजपा सरकार कोविड-19 स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फण्ड में आम जनता सामाजिक संस्थाओं और मंदिरों से मिले लगभग 81 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं देती कि उस पैसे को कोरोना महामारी से लड़ने और मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने इक्विपमेंट्स लेने के लिए सरकार ने कहां-कहां खर्च किया? सुधीर शर्मा ने कहा कि पिछले साल कोविड-19 फंड का हिसाब दिए बिना आज फिर से कर्मचारियाें से दाे दिन की सैलरी मांग रही है। यही नहीं, बल्कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने 5.10 लाख रूपये प्रति घण्टे की दर से नया हेलीकाॅप्टर में सफर करने जा रही है, जाे काेराेना काल में सबसे बड़ी गलती साबित हाेगी। आज प्रदेश हजाराें कराेड़ के कर्ज तले डूब चुका है इसकी प्रदेश सरकार को कोई चिंता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश हर दिन कर्जे के बोझ तले डूबा जा रहा है। सरकार में हुआ घोटाला और संगठन पर गिरी थी गाज सुधीर कहते है कि पिछले साल काेविड-19 के दाैरान सेनेटाइजर घाेटाला, हेल्थ डिपार्टमेंट में पीपीई किट घाेटाला और काेविड केयर फंड में भी भ्रष्टाचार काे देखते हुए भाजपा संगठन में फेरबदल हुआ था। ऐसा पहली बार हुआ कि सरकार में हुए घोटाले की गाज किसी राजनैतिक दल के संगठन पर गिरी हो। सुधीर का कहना है की हिमाचल की जनता सब जानती है, जिन्होंने कोविड काल में भी भ्रष्टाचार करने से गुरेज नहीं किया उन्हें 2022 में जनता मुकम्मल जवाब देगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी पर चुनाव आयोग ने प्रचार करने पर 24 घंटे की रोक लगा दी है। ममता बनर्जी 12 रात आठ बजे से 13 अप्रैल रात आठ बजे तक प्रचार नहीं कर सकतीं। पाबंदी लगाए जाने के निर्वाचन आयोग के फैसले के विरोध में ममता बनर्जी शहर के बीचों बीच धरने पर बैठ गईं हैं। पिछले महीने चोटिल होने के कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व्हीलचेयर पर बैठकर कोलकाता के मायो रोड पहुंचीं और उन्होंने परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास बैठकर धरना शुरू कर दिआ। इस दौरान ममता बनर्जी के साथ तृणमूल का कोई नेता या समर्थक नहीं था। चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के केंद्रीय बलों के खिलाफ बयानों और कथित धार्मिक प्रवृत्ति वाले एक बयान के कारण 24 घंटे तक उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है। इसकी निंदा करते हुए ममता बनर्जी ने आयोग के इस फैसले को असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक कहा है जिसके खिलाफ वह मंगलवार को करीब 11 बजकर 40 मिनट पर शहर में धरना देने पहुंची। तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी रात आठ बजे के बाद बारासात और बिधाननगर में दो रैलियों को संबोधित करेंगी। वहीं, ममता बनर्जी के धरने पर बंगाल के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि वे चुनाव को बाधित करने का प्रयास कर रही हैं। चुनाव आयोग को निशाना बना रही हैं। केंद्रीय बलों पर हमला कराया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी ममता बनर्जी की है। वे आयोग का निर्णय न मानकर आंदोलन कर रही हैं। एक सीएम को यह शोभा नहीं देता।
पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के मतदान के बीच भी कई जगहों से हिंसक झड़प की खबरें सामने आई हैं। कूचबिहार के सितालकुची में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। झड़प में कई लोग घायल हो गए। इस दौरान बूथ नंबर 285 में मतदान केंद्र के बाहर बम फेंके गए और गोलीबारी हुई। फायरिंग में वोट डालने आए एक युवक की मौत हो गई। इस घटना के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर हालात पर काबू पाया। जानकारी के अनुसार घटना स्थल से कई क्रूड बम भी बरामद किए गए। युवक की मौत के बाद टीएमसी ने बीजेपी पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। बीजेपी ने ऐसे आरोपों से इनकार कर दिया है। वहीं, चुनाव के चौथे चरण के दौरान हुगली में बीजेपी उम्मीदवार लॉकेट चटर्जी की कार पर भी हमला किया गया। हमले में बीजेपी उम्मीदवार की कार के शीशे टूट गए। उन्होंने इस हमले का आरोप टीएमसी के लोगों पर लगाया है।
सोलन नगर निगम में कब्ज़ा जमाने के बाद कांग्रेस में मेयर व डिप्टी मेयर पद के लिए मंथन शुरू हो गया है। मेयर पद अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित है सो जाहिर है ऐसे में पूनम ग्रोवर ही पार्टी की पहली पसंद होगी। पूनम वरिष्ठ तो है ही उन्होंने इस चुनाव में पवन गुप्ता को पटकनी दी है। जिसके बाद उनका मेयर बनना तय माना जा रहा है। वहीँ डिप्टी मेयर पद के लिए कई नाम सामने आ रहे है लेकिन सबसे अधिक चर्चा में है अभय शर्मा का नाम। इसके कई कारण है। दरअसल अभय ने वार्ड 11 में लम्बे समय बाद पार्टी को जीत दिलवाई है। ये पूर्व नगर परिषद् अध्यक्ष देवेंदर ठाकुर का गृह वार्ड है और अभय का मुकाबला उनके पुत्र अभिषेक ठाकुर से था। अभय की जीत पूनम ग्रोवर की जीत से किसी भी संदर्भ में कम नहीं है। इस जीत ने कांग्रेस को उक्त क्षेत्र विशेष में मजबूत तो किया ही है, लम्बे समय बाद अभय के रूप में पार्टी को एक दमदार युवा चेहरा भी मिला है। निसंदेह अभय इस समय कांग्रेस के राइजिंग स्टार है, अब पार्टी उन्हें डिप्टी मेयर बनाकर प्रोत्साहित करती है या नहीं, ये देखना दिलचस्प होगा। युथ अभय के साथ, 2022 में हो सकता है फायदा वार्ड 11 में मिली शानदार जीत के बाद अभय रातों रात सोलन की राजनीति में युथ स्टार बन गए है। उनकी सोच, उनकी सादगी और संवाद का तरीका उन्हें सीधे जनता से कनेक्ट करता है। ऐसे में अभय को आगे लाकर कांग्रेस 2022 के लिहाज से भी अपनी जड़े मजबूत कर सकती है। अभय भाजपा के युथ वोट में सेंध लगाने का काम भी कर सकते है। शांडिल के प्रोत्साहन से लड़ा चुनाव, शहरी कांग्रेस भी साथ अभय शर्मा को सोलन विधायक कर्नल धनीराम शांडिल का आशीर्वाद प्राप्त है। उनके प्रोत्साहित करने पर ही अभय राजनीति में आए है। इसके अलावा शहरी कांग्रेस भी अभय के साथ बताई जा रही है। जगजाहिर है कि निगम चुनाव में शहरी कांग्रेस का जलवा खूब देखने को मिला है। अब अंदर कि खबर ये है कि शहरी कांग्रेस भी अभय को आगे लाना चाहती है। बहरहाल कांग्रेस के पास युवा अभय शर्मा को बड़ी ज़िम्मेदारी देकर युथ को लुभाने का अवसर है, अब कांग्रेस क्या फैसल लेती है इसका सबको इंतज़ार रहेगा।
नगर निगम सोलन के चुनाव में भाजपा द्वारा अपनी तमाम ताकत झोंक दिए जाने के बावजूद जिस तरह कांग्रेस ने धमाकेदार जीत अर्जित की है, उससे राजनीतिक पर्यवेक्षक भी सुजानपुर के विधायक व सोलन चुनाव के प्रभारी राजेंद्र राणा की सियासी मैनेजमेंट व उनके द्वारा रचे गए चक्रव्यूह के कायल हो गए हैं। राजेंद्र राणा को कांग्रेस नेतृत्व द्वारा सोलन नगर निगम के चुनाव की कमान सौंपी गई थी और जिस तरह राणा ने सोलन में डेरा डालकर तमाम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को एकजुट करके भाजपा के खिलाफ व्यूह रचना रची, उसकी काट भाजपा नहीं ढूंढ पाई। खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इन चुनावों के दौरान लगातार सोलन के तीन दौरे किए और राजनीतिक मैनेजमेंट में माहिर माने जाने वाले अपने दिग्गज नेता राजीव बिंदल को फ्री हैंड देकर यहां के दंगल को जीतने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन कांग्रेस के चुनाव प्रभारी राजेंद्र राणा व स्थानीय कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल की जुगलबंदी ने भाजपा को दिन में तारे दिखा दिए। इस चुनाव में कर्नल धनीराम शांडिल्य की साख व राजेंद्र राणा की मैनेजमेंट स्किल दांव पर लगी थी। भाजपा सोलन नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने के दावे कर रही थी। लेकिन राजेंद्र राणा ने जो चक्रव्यूह रचा और जिस तरह सोलन से जुड़े जमीनी मुद्दों को उठाकर भाजपा को आक्रामक तरीके से घेरना शुरू किया, उससे न केवल कांग्रेसी वर्करों का हौसला बढ़ा बल्कि मतदाताओं में भी उन मुद्दों का खासा असर दिखा। भाजपा ने सोलन के पूर्व विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल के चुनावी प्रबंधन के सहारे सोलन में धमाकेदार जीत अर्जित करने का ख्वाब संजोया था। लेकिन राजेंद्र राणा की मैनेजमेंट के आगे न केवल बिंदल बुरी तरह चित हो गए बल्कि उनके सबसे करीबी व खासमखास माने जाने वाले बाघाट बैंक के अध्यक्ष पवन गुप्ता चुनाव हार गए। सोलन में कांग्रेस की जीत को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग मजेदार टिप्पणियां दर्ज कर रहे हैं। कई लोगों ने यह कहकर चुटकी ली है कि सुजानपुर में राजेंद्र राणा ने पहले अपने गुरु पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को उनके घर में शिकस्त देकर उनके मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब चूर कर दिया और अब सोलन में पूर्व मुख्यमंत्री के चेले और भाजपा के दिग्गज मैनेजमेंट गुरु माने जाने वाले राजीव बिंदल को भी उन्हीं के घर में धूल चटा दी है। निश्चित रूप से कांग्रेस की इस जीत से कांग्रेस आलाकमान में सुजानपुर के विधायक व प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजेंद्र राणा का सियासी कद बढ़ गया है।
बांग्लादेश दौरे को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आचार संहिता के उलंघन का आरोप लगाया है। पार्टी के नेताओं ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि पीएम मोदी ने मतुआ समुदाय के मंदिर ओराकांडी जाकर आचार संहिता का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के मंदिरों में जाने का एकमात्र मकसद मतदाताओं को प्रभावित करना था। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने साथ पश्चिम बंगाल से सांसद शांतनु ठाकुर को ले गए थे, जो किसी भी सरकारी पद पर नहीं हैं। टीएमसी ने पीएम मोदी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है।
असम विधानसभा चुनाव के लिए आज पहले चरण का मतदान हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असम की जनता से कॉंग्रेस को वोट देने की अपील की। पूर्व प्रधानमंत्री ने असम के लोगों से कहा कि उन्हें ऐसी सरकार चुननी चाहिए जो संविधान और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखें। उन्होंने कहा की समाज को धर्म, संस्कृति और भाषा के आधार पर विभाजित किया जा रहा है। पूर्व पीएम ने एक वीडियो मैसेज के ज़रिए असम की जनता से कहा,'आज, मैं आप ही में से एक बोल रहा हूँ। एक बार फिर से, विधानसभा चुनाव में मतदान करने का समय आ गया है। आपको समझदारी से मतदान करना चाहिए। मैं आपसे कांग्रेस पार्टी को वोट देने की अपील करता हूँ। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि असम पिछले कई सालों से मेरा दूसरा घर रहा है। यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मैंने 28 सालों (1991 से 2019) तक राज्यसभा में असम का प्रतिनिधित्व किया। असम के लोगों ने ही मुझे पांच वर्ष केंद्रीय वित्त मंत्री और 10 साल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में काम करने में सक्षम बनाया । बता दें कि असम में कांग्रेस बीजेपी से सत्ता वापिस पाने की कोशिश कर रही है। मनमोहन सिंह असम चुनावों के लिए एक स्टार प्रचारक हैं, लेकिन स्वास्थ्य कारणों और कोविड-19 बंदिशों के चलते प्रचार करने में सक्षम नहीं है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सोलन जिले के बद्दी में भाजपा आईटी विभाग की राज्य कार्यकारी समिति की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा का आईटी विभाग वास्तव में प्रदेश सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों, उपलब्धियों आदि का प्रभावी ढ़ग से प्रचार प्रसार कर राज्य में राज्य सरकार के साथ-साथ भाजपा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और राज्य भाजपा की उपलब्धियों के प्रसार के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए और विपक्ष के झूठे प्रचार का जवाब देना चाहिए। जय राम ठाकुर ने कहा कि 11 जिला परिषदों में से 9 में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने विजय हासिल की जबकि कांग्रेस केवल दो जिला परिषद ही जीत पाई। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि नगर निगम चुनावों में और उसके बाद 2022 के विधान सभा चुनावों में भी कांग्रेस को उसकी असली जगह दिखाई जाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष के झूठे प्रचार का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए सोशल मीडिया सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्र का नेतृत्व सशक्त नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे है, जो विश्व नेता के रूप में उभरे हैं।मुख्यमंत्री ने राज्य भाजपा आईटी विभाग से 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए ग्राम सभा से विधानसभा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए और अधिक समर्पण के साथ कार्य करने का आग्रह किया। इस अवसर पर ग्रामीण विकास और पंचायती राज और पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर, स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल, विधायक दून परमजीत सिंह पम्मी, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष पुरूषोतम गुलेरिया, पूर्व विधायक विनोद चंदेल और केएल ठाकुर भी रहे उपस्थित ।
विधानसभा में कांग्रेस द्वारा राज्यपाल की गाड़ी रोकने व धक्का मुक्की करने पर भाजपा अर्की मंडल ने भराड़ीघाट में मुकेश अग्निहोत्री का पुतला फूंका। इस घटना पर अर्की मंडल अध्यक्ष डीके उपाध्याय ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ज्यादा न उछले अपनी हद में रहे। इस तरह की हरकतों का अंजाम बुरा होगा। इस मौके पर अर्की मंडल के समस्त पदाधिकारी व युवा मोर्चा अर्की के अध्यक्ष सहित अन्य सहयोगी मौजूद रहे।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन विपक्ष के हंगामे के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सुरक्षा कर्मियों सहित मंत्रियों के साथ बैठक आयोजित की और दोबारा से सदन बुलाया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि सदन के स्थगित होने के बाद सदन बुलाया गया हो। इस सदन का गौरवमयी इतिहास रहा है। लेकिन आज की घटना इतिहास में कभी नहीं हुई। सीएम ने कहा कि नेतृत्व विफल हुआ इसी वजह से लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत लड़ने की क्षमता नहीं है। राज्यपाल के साथ ऐसा व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। सीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जमीन पर रहिये वरना जमीन में गाड़ देती है जनता।
शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू होते ही को विपक्ष ने हंगामा कर दिया। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 11 बजे अभिभाषण पढ़ना शुरू किया और 11:14 पर कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। राज्यपाल ने 11:16 पर अभिभाषण को खत्म कर दिया। इस बीच नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने महंगाई का सवाल उठाया साथ ही अभिभाषण को भी जूठा करार दिया। बजट सत्र में पहली बार ऐसा हुआ है कि अभिभाषण के दौरान इतना बड़ा हंगामा हुआ हो। वहीं जब राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय राजभवन जाने लगे तो इस दौरान विधानसभा के काउंसिल चैंबर गेट पर राज्यपाल की गाड़ी के आगे खड़े होकर कांग्रेस दल ने नारेबाजी की। मामला इतना गरमा गया कि विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज और कांग्रेस विधायकों के बीच धक्कामुकी हो गई। कांग्रेस के पांच विधायको को पूरे सत्र के लिए बर्खास्त कर दिया गया है। जिनमें नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, सतपाल रायज़ादा, हर्षवर्दन, विनय कुमार, सुंदर सिंह शामिल है
हिमाचल प्रदेश में नगर निगम चुनाव का बिगुल बज चुका है, सभी पार्टिओं ने आगामी चुनाव के लिए कमर कस ली है। कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर हिमाचल के प्रभारी राजीव शुक्ला ने भी चार नगर निगमों के पर्यवेक्षक तैनात कर दिए हैं। इनके साथ सदस्य भी लगाए गए हैं। राजेंद्र राणा को सोलन नगर निगम का पर्यवेक्षक तैनात किया गया है। हर्षवर्धन चौहान और केवल सिंह पठानिया सदस्य बनाए गए है । जीएस बाली को मंडी नगर निगम का पर्यवेक्षक तैनात किया गया है। विक्रमादित्य सिंह, सुंदर सिंह और विनोद सुल्तानपुरी सदस्य लगाए गए हैं। कौल सिंह को पालमपुर नगर निगम का पर्यवेक्षक तैनात किया गया है। रामलाल ठाकुर, इंद्र दत्त लखनपाल और जगत सिंह सदस्य लगाए गए हैं। सुखविंद्र सिंह सुक्खू को धर्मशाला नगर निगम का पर्यवेक्षक तैनात किया गया है। कुलदीप कुमार, चंद्र कुमार और राजेश धर्माणी सदस्य लगाए गए हैं। ये पर्यवेक्षक नगर निगम चुनाव को लेकर लगाए हैं। इन्हें लोकल कमेटियां बनाने का अधिकार भी दिया गया है।
बजट की खबर ...... -चुनावी साल का बजट देखना, अभी क्यों निराश होना ! -अभी चुनावी राज्यों को मिला है, अगले साल हिमाचल को भी मिलेगा -बेवजह हंगामा कर रहा नादान विपक्ष ! बजट आखिर आज आ ही गया. वित्त मंत्री का बजट भाषण खत्म होते ही हिमाचल में कांग्रेस का सरकार पर अटैक शुरू हो गया. विपक्ष कह रहा है कि हिमाचल प्रदेश को इस बजट से कुछ नहीं मिला. बजट में न बागवानों के लिए कुछ खास है और न ही पर्यटन के लिए. विपक्ष डबल इंजन की सरकार को लेकर खूब चुटकी ले रहा है. उनके अनुसार हिमाचल प्रदेश इस बजट के बाद ठगा सा महसूस कर रहा है. कितना नादान है हमारा विपक्ष. भाई जब चुनाव 2022 में है तो हिमाचल को 2021 के बजट में कुछ खास क्यों मिलेगा. न जाने क्यों विपक्ष बेवजह सरकार को घेरने पर लगा है. तो क्या हुआ कोरोना ने बागवानी और पर्यटन की भी कमर तोड़ी है, तो क्या हुआ कोल्ड चेन बागवानों के लिए अति महत्वपूर्ण है, तो क्या हुआ फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने की सख्त दरकार है, तो क्या हुआ पर्यटन को पंख लगने के लिए आधरभूत सुविधाओं को मजबूत किया जाना चाहिए, ये सब तभी मिलेगा न जब चुनाव नजदीक आएंगे. अब केंद्र सरकार अभी कैसे दे देती ये सब. पिछले चुनाव से पहले भी तो दिए थे 69 एनएच, ये अलग मसला है बाद में कैंसिल कर दिए. हम तो यही कहेंगे जरा एक साल इंतजार कीजिये जनाब अगले बजट में जरूर हिमाचल की सुध ली जाएगी. दरअसल राजनैतिक परंपरा ही कुछ ऐसी है. कोई भी पार्टी सत्ता में हो ऐसा ही करती है. अब इसी बजट को देख लीजिये. पश्चिम बंगाल, केरल, असम और तमिलनाडु में जल्द विधानसभा चुनाव है, देखिये इन्हें कितना कुछ मिला है. बाकी इतना भी निराशावादी नहीं होना चाहिए. बजट सरकारी कंपनियों की सेल भी लाया है. पुरे पौने दो लाख करोड़ का विनिवेश होगा. बहुत कुछ बिकने वाला है भाई. आप भी बतौर निवेशक खरीद सकते है. आपको बताते है क्या-क्या बिकने वाला है? BPCL, एअर इंडिया, कॉनकोर और SCI के विनिवेश पर जल्द मुहर लग सकती है. सरकार LIC का आईपीओ भी लाने वाली है. इसके अलावा IDBI में भी विनिवेश होगा. अब इन बड़ी सरकारी कंपनियों के हिस्सेदार तो हिमाचल वासी भी बन सकते हैं. हैं ना बहुत कुछ हिमाचल के लिए !
हिमाचल पूर्ण राज्यत्व की स्वर्ण जयन्ति पर प्रदेश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस विधायक वीरभद्र सिंह ने गुरुवार को सोलन में अगला विधानसभा चुनाव न लड़ने का एलान किया था जिसे सुन सभी दंग रह गए थे, लेकिन इसके कुछ देर बाद ही उन्होंने अपना बयान बदलते हुए चुनाव लड़ने की बात कही थी। वीरभद्र के बयानों का दौर अब भी बरक़रार है और आज उन्होंने कुठाड़ में कहा कि आज वो अगला चुनाव भी लड़ेंगे और कांग्रेस को जिताएंगे भी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कुठाड़ में हो रही पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि वो कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते रहेंगे और वो 2022 का चुनाव लड़ेंगे भी और कांग्रेस को जिताएंगे भी और यदि जनता का साथ रहा तो अगली बार मुख्यमंत्री बन हिमाचल की बागडोर भी संभालेंगे। वीरभद्र सिंह इन दिनों सोलन जिला के कुठाड़ स्थित अपने ससुराल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। गुरुवार को वीरभद्र सिंह कुनिहार में पंचायत प्रतिनिधियों के शपथ समारोह में शिरकत करने आए थे। उन्होंने जिप चुनाव में डुमैहर और दाड़ला से पार्टी प्रत्याशियों की कम मतों से हार पर कहा कि पार्टी में गद्दार घुस आए हैं, उनका पर्दाफाश किया जाए। यहां वीरभद्र सिंह के चुनाव न लड़ने का एलान करने के बाद एक बार तो प्रदेशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में हड़कंप मच गया, लेकिन इसके बाद वीरभद्र सिंह के कुठाड़ राजमहल लौटते ही जिला सोलन सहित शिमला, रोहड़ू और रामपुर से सैकड़ों समर्थक भी वहां पहुंच गए। समर्थकों ने उनसे मुलाकात कर अगला विधानसभा चुनाव लड़कर जनता की सेवा करने का आग्रह किया। अपने समर्थकों की जिद के बाद वीरभद्र सिंह ने थोड़ा समय पहले चुनाव न लड़ने के अपने बयान से पलटते हुए कहा कि अगर जनता ने चाहा तो वह अपना फैसला बदलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।
वीरभद्र सिंह ने 2022 विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। कुनिहार दौरे के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा की वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे पर उन्हें कांग्रेस पार्टी से प्यार है। वह कांग्रेसी हैं और मरते दम तक कांग्रेसी रहेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी में गद्दारी को बर्दाश्त मत करो। गद्दार पार्टी में रहते हुए पार्टी को कमजोर करते हैं। गद्दारों को बाहर का रास्ता दिखाना ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कांग्रेसी बनते हैं और अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस को हराते हैं। एक गद्दार आगे चल कर गद्दारों की फौज पैदा करेगा। इसलिए गद्दारों से प्रार्थना है कि आपको कांग्रेस में नहीं रहना है तो छोड़कर चले जाएं। कांग्रेस में रहकर जो पार्टी की पीठ पर छूरा मार रहे हैं, उनका कांग्रेस में कोई स्थान नहीं है। इससे अच्छा नए लोग आएं। वीरभद्र सिंह आज कुनिहार में नवनिर्वाचित कांग्रेस समर्थित प्रधानों, उपप्रधानों व बीडीसी सदस्यों को शपथ ग्रहण समारोह के उपरांत आशीर्वाद देने पहुचे थे। कुनिहार पहुंचने पर कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेंद्र ठाकुर व अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा विधायक वीरभद्र सिंह का जोरदार स्वागत किया गया।
आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि पार्टी हिमाचल उतराखंड समेत छः राज्यों में चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी आगामी दो वर्षों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी लगातार देश भर में कदम बढ़ा रही है। इसी के चलते पार्टी दूसरे राज्यों में चुनाव लड़ने की तैयारी में लग गई है।
औरों के ख़यालात की लेते हैं तलाशी और अपने गिरेबान में झाँका नहीं जाता मुज़फ्फर वारसी का ये शेर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के मौजूदा हालत पर बिलकुल सटीक बैठता है। बात-बात पर अन्य पार्टियों को आइना दिखने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को जिला परिषद् चुनाव में जनता ने आइना दिखा दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के अपने ही गृह क्षेत्र की दो जिला परिषद् सीटों परे भाजपा हार गई है। यूँ तो कश्यप के गृहक्षेत्र पच्छाद में 15 वार्ड सदस्यों वाली पंचायत समिति में भाजपा ने सबसे अधिक सीटें जीतने का दावा किया है लेकिन, जिला परिषद के दो वार्डों में भाजपा बुरी तरह हारी है। यहां एक वार्ड में कांग्रेस ने परचम लहराया, जबकि दूसरे में निर्दलीय ने बाजी मारी। सुरेश कश्यप के अपने वार्ड बागपशोग में भाजपा समर्थित उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रही जबकि नारग के जिला परिषद् वार्ड पर प्रदेश निर्माता यशवंत सिंह परमार के पोते आनंद परमार की जीत हुइ है। दोनों ही जिला परिषद् वार्डस में भाजपा समर्थितों उम्मीदवारों को मुँह की खानी पड़ी। इससे साफ़ होता है की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की अपने गढ़ में कितनी पकड़ है। गौरतलब है कि भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को जीताने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप, स्थानीय विधायक रीना कश्यप और विपणन बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव भंडारी स्वयं मैदान में उतरे थे लेकिन तीन नेताओं की रणनीति भी काम नहीं आई।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे देर रात को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद परिणाम सिरमौर बनकला निर्मला देवी (भाजपा) कालाअंब पुष्पा देवी (भाजपा) ददाहू सुरेंद्र सिंह (भाजपा) बाग पशोग नीलम शर्मा (निर्दलीय) नारग आनंद परमार (कांग्रेस) शिलांजी सतीश ठाकुर (भाजपा) देवठी मझगांव विनय भगनाल (कांग्रेस) संगड़ाह सीमा कनियाल (भाजपा) नौहराधार पृथ्वीराज (कांग्रेस) कांडो भटनोल विद्या देवी (कांग्रेस) गवाली चमेली देवी (कांग्रेस)
जिला परिषद् बिलासपुर सहित जिला की 4 पंचायत विकास समितियों के चुनाव के बाद मतगणना सुबह 8 बजे शुरू हो गई थी। बैलेट पेपर पर मतों की गणना का कार्य काफी मुश्किल भरा रहा। जिसके चलते देर रात तक आधे नतीजे ही घोषित किए गए थे। सदर बीडीसी के वार्ड नंबर-9 छकोह व वार्ड नंबर-12 घ्याल में जीत का अंतर मात्र 16 वोटों का रहा, जिसके चलते दोनों वार्डों में गिनती को लेकर खूब गर्मा-गर्मी देखने को मिली। वंही सबसे कड़ा व रोचक मुकाबला में देखने को मिला। यहाँ हार जीत का अंतर मात्र 4 वोटों का रहा। विजेता संतोष चंदेल को 542 वोट मिले वंही उपविजेता रहे जगदीश को 538 मत मिले।
हिमाचल के रामपुर ब्लॉक से जिला परिषद् के वार्ड नंबर-2 झाकड़ी वार्ड से CPI समर्थित कविता कंटु ने जीत हासिल की है। कविता कंटु अभी महज 25 साल की है। उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस और भाजपा संबंधी थे। वह कई सालों से राजनीती करते आ रहे है, और उनमें से कुछ प्रत्याशी प्रधान भी रहे है। पहली बार राजनीती में उत्तरी कविता ने इन सभी प्रत्याशियों को हार का मुँह दिखाया है। कविता ने 4561 मत लेकर 13 वोटों से जीत हासिल की। बता दें की कविता कंटू अपने माता पिता की इकलौती संतान है। उन्होंने इतिहास विषय में एमफील की हुई है, और साथ ही यूजीसी की नेट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। पढ़ाई के साथ-साथ वे छात्र राजनीती में भी सक्रीय रही है।
पिहड बेहडलु पंचायत से बीडीसी सदस्य के लिए ग्रामीणो ने क्षेत्र की बागडोर युवा प्रत्याशी के हाथों में दी है। इन दोनों पंचायतों से बीडीसी सदस्य के लिए करसल गांव निवासी मधु देवी ने जीत हासिल की है। मधु मात्र 22 वर्ष की है और एमकॉम की पढ़ाई कर रही है। वह लडभड़ोल पंचायत में सबसे काम उम्र की बीडीसी सदस्य बनी है।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे देर रात को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद परिणाम कांगड़ा वार्ड विजयी 1 डमटाल राहुल पठानिया(भाजपा) 2 लोहारपुरा अपर्णा (भाजपा) 3 पुंदर वार्ड हरदीप सिंह (कांग्रेस ) 4 भली वार्ड नर्मदा ठाकुर 5 भत्तला रितिका शर्मा 6 तलाडा जगदीश सिंह 10 खोली वार्ड कुलभाष चंद बीजेपी 11 हलेडकलां वार्ड अंजना कुमारी बीजेपी 12 बाघणी रविंदर कुमार 14 कबाड़ी चंचला देवी 15 झिकला मंगला देवी (भाजपा) 17 अवैरी नीलम देवी 18 कुदैल अनिल कुमार 19 गुनेहड़ पवन देवी 22 चौबीन अंकुश ठाकुर 25 बारी ध्रुव सिंह 28 नौरा संतोष कुमार 29 सुलह रूप रेखा 30 उस्तेहड़ विनय 33 कुल्थी सुषमा देवी 34 तियारा वार्ड रमेश सिंह बराड (बीजेपी) 43 नगरोटा सुरिया बिना धीमान 47 स्थान संजीव कुमार 48 मैरा वार्ड लक्ष्य ठाकुर 49 भरमाड सुखविंदर कुमार 50 नेरना शेर सिंह 52 बडूखर नैंसी धधोच 54 इंदौरा प्रवीण कुमार फतेहपुर के मैरा वार्ड से जवाली विधायक अर्जुन ठाकुर के बेटे लक्ष्य ठाकुर ने तीन पूर्व कांग्रेसियों की तिगड़ी का खेल बिगाड़कर जीत दर्ज की है। नूरपुर विकास खंड जिला परिषद वार्ड पुंदर में कांग्रेस समर्थित हरदीप सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी रविंद्र चौधरी को 1054 मतों के अंतर से हराया है। हरदीप सिंह 8231 वोट मिले, जबकि रविंद्र चौधरी 7177 प्राप्त हुए।
पंचायत चुनावो में सबसे बड़ी सीट मानी जाने वाली जिला विकास परिषद् में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है, वही भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है। मंडी जिला की 36 सीटों में से 30 पर भाजपा ने अपना कब्ज़ा किया है, जबकि कांग्रेस प्रतय्क्ष रूप से एक ही सीट जीत पाई है। वंही माकपा और भाकपा के तीन प्रत्याशी ने जिला परिषद के चुनाव में सफलता प्राप्त की। इसके आलावा 12 आज़ाद प्रत्याशी भी अपनी जीत सुनिश्चित कर पाए है, इनमें 3 भाजपा समर्थित और 2 कांग्रेस समर्थित बताये जा रहे है। इन आंकड़ों को भी अगर देखा जाये तो कांग्रेस की झोली में सर्फ 4 ही सीटें आ रही है।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे देर रात को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। कुल्लू जिला परिषद परिणाम धाउगी विभा सिंह चायल पूर्ण ठाकुर मौहल गुलाब सिंह बाड़ी देविंद्र सिंह जरड़ भुटी आशा दलाश पंकज वशिष्ठ मीना डुघीलग दीपिका बरशैणी रेखा ज्येष्ठा रुकमणि लराकेलो अरुणा नसोगी बीर सिंह कोठीचैहणी मान सिंह लझेरी जीवन
हिमाचल निर्माता डॉ वाईएस परमार के पोते ने नारग वार्ड से जिला परिषद् का चुनाव जीत लिया है। परमार ने शानदार जीत दर्ज करते हुए सुभाष शर्मा को हरा दिया है। कांग्रेस प्रत्याशी आनंद परमार को 7395 मत हासिल हुए। लम्बे समय तक परमार के परिवार से कोई भी राजनीती में सक्रिय नहीं था। इस बात पर सबकी नज़रे टिकी हुई थी कि तीसरी पीढ़ीआनंद परमार जीत हासिल करते है या नहीं।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद ऊना के 17 वार्डों के नतीजे घोषित हो गए हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने बताया कि जिप वार्ड 1 मुबारिकपुर से कुलदीप कुमार विजयी रहे, उन्हें 6870 वोट मिले, सुनीश को 5006 वोट व अमन कुमार को 4479 वोट प्राप्त हुए हैं। जिप वार्ड 2 कुठेहड़ा खैरला से रजनी कुमारी 7669 मत लेकर विजयी रहीं जबकि ऊषा कालिया को 7026 मत प्राप्त हुए। जिप वार्ड 3 ठठल से सतीश कुमार विजय रहे, उन्हें 7292 मत मिले और सरवन सिंह को 4022 मत प्राप्त हुए। जिप वार्ड 4 दियाड़ा से नरेश कुमारी 10846 वोट लेकर विजय रही, जबकि सीमा को 10680 वोट प्राप्त हुए। जिप वार्ड 5 मुच्छाली से सत्या देवी विजय रही हैं, उन्हें 11326 वोट मिले और उर्मिला देवी को 7860 वोट प्राप्त हुए। वार्ड 6 मोमन्यार से कृष्ण पाल विजय रहे, उन्हें 10069 वोट मिले जबकि रणबीर सिंह को 5137 वोट प्राप्त हुए। बसाल अप्पर जिप वार्ड 7 से 9,211 मत लेकर उर्मिला देवी चुनाव जीत गई जबकि मोनिका को 6,286 व अंजना रानी को 1,817 वोट प्राप्त हुए हैं। वार्ड 8 टब्बा से अशोक कुमार विजय रहे, उन्हें 9483 वोट मिले व अभिनव कुमार को 8494 वोट प्राप्त हुए। जिप वार्ड 9 बहडाला से गुलजार सिंह विजय रहे, उन्हें 6675 वोट मिले, मनजीत पाल को 5490 तथा राजिंद्र कुमार को 5205 वोट प्राप्त हुए। वार्ड 10 रायपुर सहोड़ा से नीलम कुमारी विजय रही, उन्हें 10300 वोट मिले तथा रानो देवी को 7910 वोट प्राप्त हुए। जिप वार्ड 11 ललड़ी से कमल किशोर विजय रहे, उन्हें 8364 वोट मिले जबकि अनीता रानी को 5209 वोट प्राप्त हुए। जिप वार्ड 12 पालकवाह से नरेश कुमारी विजय रही हैं, उन्हें 9806 मत मिले तथा रानो देवी को 6915 मत प्राप्त हुए। हरोली वार्ड 13 से रमा कुमारी विजयी रही, उन्हें 9039 वोट मिले तथा शशि को 7615 वोट प्राप्त हुए। पंडोगा वार्ड 14 से ओंकार को 8040 वोट लेकर जीत मिली जबकि अमितपाल को 4500 वोट प्राप्त हुए। अम्बोटा वार्ड 15 से रजनी बाला विजयी रही हैं, उन्हें 9,661 मत मिले जबकि पिंकी देवी को 7,363 वोट मिले। जिप वार्ड 16 संघनेई से संगीता देवी ने चुनाव में जीत दर्ज की उन्हें 6281 वोट मिले, रेखा ठाकुर को 4745 वोट तथ रजनी देवी को 3162 वोट प्राप्त हुए। भंजाल लोअर वार्ड 17 से चैतन्य शर्मा विजय रहे, उन्हें 14789 वोट मिले जबकि विश्वदीप सिंह को 2806 वोट प्राप्त हुए।
कांग्रेस के दिग्गज नेता कौल सिंह ठाकुर की बेटी ने लगातार चौथी बार जीत हासिल कर रिकॉर्ड कायम किया है। चम्पा ठाकुर ने अभी तक जितने भी जिला परिषद् के चुनाव लड़े है वो सभी अलग अलग क्षेत्र से लड़े है, और किसी भी चुनाव में उन्हें हर का मुँह नहीं देखना पड़ा। इस बार चम्पा ठाकुर ने स्योग वार्ड से जिला परिषद का चुनाव लड़ा। उनका मुकाबला यहां दया देवी से हुआ। चम्पा ठाकुर ने 2389 मतों से जीत दर्ज की। चम्पा देवी ने स्योग वार्ड जनता का आभार व्यक्त किया, वंही पिता कौल सिंह ने अपनी बेटी की जीत के लिए बधाई दी। बता दें कि मंडी जिला से अभी तक चम्पा ठाकुर को छोड़ कर किसी भी प्रत्याशी ने लगातार अलग-अलग वार्ड से जीत दर्ज नहीं की है। इसी के आधार पर ये मना जा रहा की उन्होंने पंचायत चुनावों में रिकॉर्ड कायम किया है।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। शिमला में कांग्रेस का दबदबा 1. त्यावल ज्यूरी से चंद्र प्रभा (कांग्रेस) 2. झाकड़ी से कविता 13 वोट से जीती (माकपा) 3. नरैण से त्रिलोक चंद (कांग्रेस) 4. बगलती से हुकुम चंद (कांग्रेस) 5. सीमा रणटाडी से उर्मिला(भाजपा) 6. खशधार से मोनिता चौहान(कांग्रेस) 7. अढ़ाल से सुरेंद्र सिंह (कांग्रेस) 8. टिक्कर से भारती जनारथा (निर्दलीय) 9. सरस्वती नगर से कौशल मुंगटा (कांग्रेस) 10. बढ़ाल से विशाल (माकपा) 11. कलबोग अनिल काल्टा (भाजपा) 12. सरांह-परिणाम आना बाकी 13. मझौली-परिणाम आना बाकी 14. पौड़िया-परिणाम आना बाकी 15. घोड़ना-परिणाम आना बाकी 16. देवरी-वोटिंग जारी 17. केलवी-वोटिंग जारी 18. बल्देआं से रीना (कांग्रेस) 19. बसंतपुर से चुन्नी लाल (माकपा) 20. कुमारसैन से उज्जवल सेन (कांग्रेस) 21. भुट्टी से सुभाष (आजाद) 22. चमियाणा से लता वर्मा (कांग्रेस) 23. जुन्गा से संतोष शर्मा (कांग्रेस) 24. हलोग धामी से प्रभा वर्मा (कांग्रेस)
- स्थानीय भाजपा में मंथन शुरू सिराज में जिला परिषद के चुनाव में 4 वार्डों में भाजपा मात्र 2 पर ही जीत हासिल कर पाई है। भाजपा की हार से हड़कंप की स्थिति है। दरअसल जयराम के गृह क्षेत्र में भाजपा समर्थित 2 प्रत्याशि ही जीत हासिल कर पाए है। - जिला परिषद के मझोठी वार्ड से भाजपा समर्थित रजनी ने करीब 5 हजार मतों से जीत हासिल की। - रोड वार्ड से सराज भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षा खिम दासी ने 7 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की। - सिराज भाजपा को थाची वार्ड में झटका लगा है। यहां लगातार दूसरी बार भाजपा समर्थित उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है. यहाँ जिला परिषद सदस्य व भाकपा नेता संतराम की धर्म पत्नी हिमा देवी ने 2577 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। - ब्रेउगी वार्ड से निर्दलीय मीरा चौहान ने भी भाजपा समर्थित रीता देवी को 144 मतों से हराया।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के विकास खंड के टिक्करी डुहकी वार्ड से 23 वर्षीय युवा मीनाक्षी ने 31 मतों से जीत हासिल कर बीडीसी पद पर कब्जा किया है। मीनाक्षी के परिवार में आज दिन तक किसी भी सदस्य ने राजनीतिक तौर पर कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है और न ही किसी को इस क्षेत्र में रुचि है। मीनाक्षी प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई कर रही हैं। गांव में लोगों की समस्याओं व उनके रहन-सहन को देखते हुए उन्होंने राजनीति में आकर लोगों के लिए कुछ करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस में जाने का कोई विचार नहीं है और यह सब भविष्य में देखा जाएगा। उन्होंने बताया कि बीडीसी की भूमिका में सफलता मिलने पर आगे की राजनीति पर वो विचार करेंगी।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला सोलन के जिला परिषद वार्ड वार्ड 1 दाड़लाघाट हीरा कौशल वार्ड 2 धुन्धन भुवनेश्वरी वार्ड 3 डुमैहर आशा परिहार वार्ड 4 कुनिहार अमरसिंह ठाकुर वार्ड 5 सिरिनगर लीला देवी वार्ड 6 सलोगड़ा मनोज वर्मा वार्ड 7 सपरून राजेन्द्र सिंह रंजू वार्ड 8 धर्मपुर दर्पणा ठाकुर वार्ड 9 कसौली (गड़खल) रीना देवी वार्ड 10 दड़वा वार्ड 11 बरोटीवाला वार्ड 12 खेड़ा शांति देवी वार्ड 13 मंझोली सरबजीत कौर वार्ड 14 दभोटा सुमन वार्ड 15 बवासनी राहुल शर्मा वार्ड 16 रतवाड़ी कमलेश पंवर वार्ड 17 कुण्डलु जुखडी मुख्तयार कौर
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में पंचायत समिति के वार्ड-15 पीणी तलपीणी से ओमप्रकाश 22 साल की उम्र में बीडीसी सदस्य का चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने बतौर आजाद उम्मीदवार चार दिग्गज प्रत्याशियों को कड़ी टक्कर दी। ओमप्रकाश ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 182 मतों से हराया। ओम प्रकाश तलपीणी पंचायत के फलाटी गांव से संबंध रखते हैं। उन्होंने वर्ष 2017 से 2019 तक आईटीआई शमशी में ड्राफ्ट्समैन सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया है। आईटीआई डिप्लोमा करने के बाद उन्होंने नौकरी नहीं की, लेकिन अब राजनीति में उतरकर अपने क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं। पीणी व तलपीणी पंचायत के कई गांव अभी भी सड़क से महरूम हैं। क्षेत्र में कई सुविधाओं का अभाव है। तलपीणी और पीणी पंचायत के रास्तों की हालत भी सुधारी जाएगी। जीत के बाद उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा है।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद मंडी के निर्वाचित सदस्यों की सूची : जिप वार्ड विजेता हारा प्रत्याशी जीत का अंतर ढेलू लीला देवी(कांग्रेस) कल्पना देवी(आजाद) 804 बथेरी शारदा(भाजपा नेरघरवासड़ा विजय कुमार(कांग्रेस) तेज सिंह(बीजेपी) 525 डलाह रविकांत(माकपा) भराडू कुशाल भारद्वाज( माकपा) भागीरथ(भाजपा) 7000 नगवाईं रीता(कांग्रेस) रेखा(भाजपा) 251 सयोग चंपा ठाकुर कटौला इंद्रा देवी थाची हीमा देवी(माकपा) सुशीला(भाजपा) 2597 बासा मुकेश चंदेल(भाजपा) ज्ञान चंद(भाजपा) 734 मझोठी द्रोमपति देवी(भाजपा) लीला देवी 5569 रोड़ खेम दासी(भाजपा) गीता देवी(कांग्रेस) 7383 ब्रयोगी मीरा देवी(निर्दलीय) रीता देवी(भाजपा) 144 नौण हुकम सिंह चुराग चेतन सिंह(भाजपा) कीतिश कुमार(निर्दलीय) 4388 ममेल बिहारी लाल शर्मा सराहन किशोरी लाल सांविधार सीमा डैहर कर्म चंद(भाजपा) देवराज(निर्दलीय) 472 सलापड़ अंजु देवी(भाजपा) लता देवी(कांग्रेस) 406 खिलड़ा भूपेंद्र ठाकुर( भाजपा ) हेम सिंह ठाकुर(निर्दलीय) 2462 महादेव जसवीर सिंह(निर्दलीय) नंद लाल ठाकुर(भाजपा) 7180 कोट(ब्लह) ज्ञान चंद(भाजपा) मनोज कुमार(कांग्रेस) 3867 भडयाल पाल वर्मा बैहल मनीषा ठाकुर लोअर रिवालसर प्रियंता शर्मा कोट(गोपालपुर) ज्ञान चंद बलद्वाड़ा ऊषा(भाजपा) कल्पना(कांग्रेस) 418 थौना चंद्रमोहन(भाजपा) पृथ्वी राज(भाजपा-बागी) 9464 जनेड वेद प्रकाश कोटली कमलेश कुमारी लौंगणी जगदीश चंद(भाजपा) रोशन लाल(आजाद) 4005 नवाही मुनीष(निर्दलीय) जयकुमार(कांग्रेस) 4548 ग्रियोह वंदना गुलेरिया(भाजपा) भूपेंद्र सिंह(माकपा) 724 लांगणा ममता भाटिया(भाजपा) निर्मला देवी(कांग्रेस) 2789 दतवाड़ मीना कुमारी(भाजपा) निशा देवी(कांग्रेस) 583 पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर ने जिला परिषद के चुनावों में लगातार चौथी बार जीत दर्ज करके नया रिकार्ड कायम किया है। रिकार्ड इस बात को लेकर भी बन रहा है कि चंपा ठाकुर ने अब तक जिला परिषद के जीतने भी चुनाव लड़े वह सभी सदर क्षेत्र के अलग-अलग वार्डों से लड़े और किसी में भी हार का मुहं नहीं देखना पड़ा। जिला परिषद में कांग्रेस की करारी हार, भाजपा की प्रचंड जीत 20 सीटों पर भाजपा का प्रत्यक्ष रूप से हुआ कब्जा कम्युनिस्टों के खाते में गई 3 सीटें जबकि 12 आजाद उम्मीदवार जीते 12 आजाद विजेताओं में से 3 कांग्रेस और 3 भाजपा समर्थित मंडी में भाजपा के नाम हुई जिला परिषद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी सीएम के घर सिराज में जिला परिषद के चुनाव में 4 वार्डों में भाजपा मात्र 2 पर ही जीत हासिल कर पाई है। भाजपा की हार से हड़कंप की स्थिति है। दरअसल जयराम के गृह क्षेत्र में भाजपा समर्थित 2 प्रत्याशि ही जीत हासिल कर पाए है। जिला परिषद के मझोठी वार्ड से भाजपा समर्थित रजनी ने करीब 5 हजार मतों से जीत हासिल की। रोड वार्ड से सराज भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्षा खिम दासी ने 7 हजार से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की। सिराज भाजपा को थाची वार्ड में झटका लगा है। यहां लगातार दूसरी बार भाजपा समर्थित उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा है।यहाँ जिला परिषद सदस्य व भाकपा नेता संतराम की धर्म पत्नी हिमा देवी ने 2577 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। ब्रेउगी वार्ड से निर्दलीय मीरा चौहान ने भी भाजपा समर्थित रीता देवी को 144 मतों से हराया।
हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद और पंचायत समिति वार्ड सदस्यों का चुनाव नतीजे शुक्रवार को घोषित किए गए। प्रदेश भर के कुल 80 ब्लाक मुख्यालयों में सुबह आठ बजे से जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के वोटों की गिनती शुरू हो गई थी। कई जगह मतगणना शनिवार सुबह करने का फैसला लिया गया है। प्रदेश को जिप के 239 और बीडीसी के 1638 नए सदस्य मिलेंगे। जिला परिषद हमीरपुर के निर्वाचित सदस्यों की सूची : वार्ड 1 बगेहड़ा रणजीत सिंह राणा वार्ड 2 करोट सुमना देवी वार्ड 3 दरोगण पति कोट बबली वार्ड 4 धलोट मोहिंद्र सिंह वार्ड 5 जंगलरोपा नरेश कुमार दर्जी वार्ड 6 अणु आशा देवी वार्ड 7 धीरड़ पवन कुमार वार्ड 8 जाहू राजकुमारी वार्ड 9 खरवाड़ रमन वर्मा वार्ड 10 भोरंज मनु बाला वार्ड 11 करेर राजेश कुमार वार्ड 12 बिझड़ी मीना कुमारी वार्ड 13 बड़सर बीना देवी वार्ड 14 दांदड़ू संजीव कुमार वार्ड 15 लहड़ा संजीव कुमार वार्ड 16 मालग संजय कुमार वार्ड 17 बेला इंदु बाला वार्ड 18 नौहंगी आशीष कुमार जिला परिषद की अणु वार्ड से कांग्रेस समर्थित आशा कुमारी ने भाजपा समर्थित बीना देवी को दी शिकस्त। 2024 मतों से भाजपा उम्मीदवार बीना देवी को हराया। जिला परिषद जंगल रोपा वार्ड आजाद उम्मीदवार नरेश कुमार दर्जी जीते। आजाद उम्मीदवार ने भाजपा और कांग्रेस दोनों उम्मीदवारों को हराया 810 मतों से जीत की हासिल। जिला परिषद के करेर वार्ड से भाजपा समर्थित उम्मीदवार राजेश कुमार उर्फ मानंगा ने जीत की हासिल अपने प्रतिनिधियों को दी करारी शिकस्त।
राहुल गांधी ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि कृषि क्षेत्र पर तीन-चार पूंजीपतियों का एकाधिकार हो जाएगा जिसकी कीमत मध्यम वर्ग और युवाओं को चुकानी होगी। मैं युवाओं से कहना चाहता हूँ की उनसे उनकी आज़ादी छीनी जा रही है। मुट्ठीभर लोगों का देश की अर्थव्यवस्था पर कब्जा हो रहा है और ये सभी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त हैं। राहुल गांधी ने कहा कि आज देश के सामने एक त्रासदी आ गई है, सरकार देश की समस्या नजरअंदाज करना चाहती है और गलत सूचना दे रही है। मैं अकेले किसानों के बारे में बोलने वाला नहीं हूं। किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है। यह वर्तमान के बारे में नहीं बल्कि युवाओं के भविष्य के बारे में है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान थकने वाले नहीं हैं क्योंकि 'वे प्रधानमंत्री से ज्यादा समझदार हैं।'
देश में कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू होते ही सियासी बयानबाज़ी का दौर भी शुरू हो गया हैl एक तरफ जहां भारत ने पहले दिन दो लाख से अधिक लोगों को टीका लगाकर रिकॉर्ड बनाया। वहीं, दूसरी तरफ राजनीती में बड़े कद के नेता वेक्सिनेशन पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने से बाज़ नहीं आ रहे जिसकी झलक राजधानीं दिल्ली में देखने को मिल रही है। दरअसल, टीकाकरण के पहले दिन दिल्ली में लक्ष्य से आधे लोगों को ही वैक्सीन दी जा सकी जिस पर काफी विवाद हो रहा है l हर राज्य में एक दिन में वैक्सीनेशन को लेकर कुछ टारगेट रखे गए हैंl 16 जनवरी को वैक्सीनेशन के पहले दिन दिल्ली में कुल 8100 लोगों को टीका लगना था लेकिन ये लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका। इस बात को मुद्दा बना कर कांग्रेस ने प्रश्न उठाया है कि केंद्र और दिल्ली की तीनों एमसीडी में बीजेपी सत्ता में है, फिर भी इतना कम वैक्सीनेशन क्यों हुआ है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राहुल गाँधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर किसानों की पूंजी हड़पने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि अपने सूट-बूट वाले दोस्तों का 8,75,000 करोड़ का कर्ज माफ करने वाली मोदी सरकार अन्नदाताओं की पूंजी साफ करने में लगी है। किसान आंदोलन को लेकर राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। इससे पहले राहुल गांधी यह तक कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री देश के किसानों की इज्जत नहीं करते और बार-बार बातचीत कर सिर्फ किसानों को थकाना चाहते हैं। राहुल गांधी ने यह दावा किया था कि नरेंद्र मोदी भले ही देश के प्रधानमंत्री हो लेकिन उनका रिमोट कंट्रोल कुछ पूंजीपतियों के हाथ में ही है। राहुल गांधी और प्रियंका कृषि कानूनों के खिलाफ उप राज्यपाल के निवास के निकट आयोजित कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस ने शुक्रवार को ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाया।
उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अपने दो दिवसीय दिल्ली दौरे पर है। इस दौरान उन्होंने कल अमितशाह और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी। आज योगी प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी से मुलाकात करंगे। यह मुलाकात दोपहर के समय होगी। मुलाकात के दौरान मंत्री मंडल में विस्तार से कोरोना वैक्सीन को लेकर चर्चा की जाएगी। इसके आलावा वो प्रधानमंत्री मोदी को उनके ड्रीम प्रोजेक्ट काशी कॉरिडोर की प्रगति रिपोर्ट भी देंगे। मुखयमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यूपी में होने वाले विधान परिषद और पंचायत चुनाव की तैयारियों पर बात करने के साथ-साथ मकर सक्रांति के बाद यूपी के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी बातचीत कर सकते है।
सोलन विधायक डॉ कर्नल धनीराम शांडिल के बदले तेवरों से सोलन कांग्रेस का कलेवर बदलता दिख रहा हैं. मिस्टर कूल शांडिल ने अब कर्नल वाले तेवर इख्तियार किये हैं जिससे कांग्रेस ज्यादा अनुशासित दिख रही हैं, बेशक उनकी दखल सिर्फ सोलन निर्वाचन क्षेत्र के मामलों तक ही सिमित हैं, लेकिन असर साथ लगते क्षेत्रों में भी दिख रहा हैं. हालांकि जिला अध्यक्ष के साथ उनकी खींचतान भी जगजाहिर हो चुकी हैं लेकिन लगता हैं कर्नल शांडिल के आगे जिला अध्यक्ष की चल नहीं रही. इसका ताजा प्रमाण हैं जिला परिषद् चुनाव के लिए शांडिल द्वारा अपने तीन प्रत्याशी घोषित करना. पहली बार शांडिल ने इस तरह खुलकर आये हैं जिससे कांग्रेस में एक आस जगी हैं और विश्वास भी. वैसे भी जिला कांग्रेस की सक्रियता बंद कमरों तक सिमटी हैं, सरकार के खिलाफ मैदानी जंग में जिला कांग्रेस संगठन कही नहीं दिखा रहा. सरकार की बड़ी नाकामियां भी कांग्रेस मजबूती से उठाने में विफल रही हैं. ऐसे में कांग्रेस में जिस आक्रामकता की कमी दिख रही हैं उसकी भरपाई अब शांडिल करते दिख रहे हैं. न सिर्फ शांडिल के फैसलों में आक्रमता हैं बल्कि मैदान में भी उनकी बढ़ती मौजूदगी कांग्रेस में नया जोश भर रही हैं. उधर जिला अध्यक्ष शिवकुमार को भी कुछ बड़े नेताओं का साथ मिला हुआ हैं, पर उनकी राह जरा भी आसान नहीं हैं. खासतौर से सोलन निर्वाचन क्षेत्र में कण्ट्रोल पूरी तरह कर्नल शांडिल के हाथ में हैं. शहरी कांग्रेस सोलन और ब्लॉक कांग्रेस पर भी शांडिल का ही पकड़ दिख रही हैं. ऐसे में कांग्रेस में कब जिला संगठन के खिलाफ मुख़ालफ़त देखने को मिल जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता. सुल्तानपुरी की बढ़ती सक्रियता का चर्चा आम: एक और बात जिसकी चर्चा इन दिनों सोलन के राजनैतिक गलियारों में हैं वो हैं विनोद सुल्तानपुरी की सोलन में बढ़ती सक्रियता. सुल्तानपुरी बेहद कड़े मुकाबले में बीते दो चुनाव कसौली निर्वाचन क्षेत्र से हार चुके हैं. उनकी हार का कारण भीतरघात को माना जाता रहा हैं. अब सुल्तानपुरी अचानक सोलन में क्यों इतने सक्रीय हो गए, इसे लेकर खूब चर्चा हैं. अब इसके क्या कारण हो सकते हैं इसे लेकर सब अपने हिसाब से अनुमान लगा रहे हैं. 2022 की तैयारी में शांडिल: बहरहाल, 2022 के चुनाव में बेशक शांडिल की उम्र 82 वर्ष होगी लेकिन फिलवक्त वे ही सोलन निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं और उनका विकलप कांग्रेस के पास नहीं दिख रहा हैं. उनके ताजा फैसलों को भी 2022 की चुनावी रणनीति के तौर पर ही देखा जा रहा हैं. दरअसल शांडिल संगठन में अपनी ब्रिगेड तैयार करना चाहते हैं ताकि 2022 में उनकी राह आसान हो. अब कर्नल के तेवर ज़ारी रहते हैं या कोई नया ट्विस्ट आता हैं, ये देखना रोचक होगा. आखिर राजनीति में कुछ भी मुमकिन हैं.