अगर आपका बिजली का बिल बकाया हैं तो तुरंत जमा करवाएं अन्यथा आपका विधुत कनेक्शन काट दिया जायेगा। दरअसल, हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड लिमिटिड सोलन ने ऐसे उपभोक्ताओं के विद्युत कनेक्शन काटने की चेतावनी ज़ारी की हैं, जिन्होंने जून, 2019 में अपने बिजली के बिल जमा नहीं करवाए हैं। जानकारी देते हुए प्रदेश विद्युत बोर्ड निगम लिमिटिड के सहायक अभियंता मुनीष कुमार आर्य ने बताया कि काटे जाने वाले कनेक्शन की कुल संख्या 1245 है। उपभोक्ताओं द्वारा जमा न करवाई गई कुल राशि 29,86,036 रुपये है। इनमें 783 घरेलू उपभोक्ता हैं। इनकी कुल राशि 13,73,957 रुपये है। कुल उपभोक्ताओं में से 420 व्यवसायिक उपभोक्ता हैं। इनकी कुल राशि 14,26,964 रुपये है। अन्य 44 उपभोक्ताओं की राशि 1,85,115 रुपये है। उन्होंने सभी उपभोक्ताओं से आग्रह किया है कि वे अपने बिल 29 जुलाई, 2019 तक जमा करवा दें। उन्होंने कहा कि इस दिन एक काउंटर सेर चिराग (जौणाजी) में लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अपने बिल पेटीएम, गुगलपे, अमेजोन, भीम ऐप द्वारा भी जमा करवा सकते हैं।
Abhinam Eye Care Centre, Solan has become the most trusted hospital for treatment of eyes. Each day, large number of patients arrive from across the Himachal and sometimes from other states also. The Hospital is equipped with latest equipments required for diagnosis & treatment. Moreover, Abhinam Eye Care Centre, Solan is affiliated by the Himachal Pradesh government and here patients may also avail the benefit of Ayushman Bharat Yojna. It is the first eye hospital of the region which is affiliated for Ayushman Bharat Scheme.In special conversation with First Verdict, Dr Namita Thakur and Dr. Abiraj K. Sinha from Abhinam Eye Care Center shared very useful information related to care of eyes. If you are 40 plus, you need regular eye check–up According to Dr Namita, change in near vision in 40 plus age is a normal thing, perhaps a person need glasses to see up close or may find it uneasy to adjust to glare or distinguishing some colours. She said, with age there is more risk of developing age-related eye diseases and conditions, which includes age-related macular degeneration, cataract, diabetic eye disease, glaucoma, low vision and dry eye. Dr Namita recommended everyone with 40 plus age should regularly visit an eye care professional for a comprehensive eye check up. There are so many eye diseases which have no early warning signs or symptoms, but a dilated exam can detect eye diseases in their early stages before vision loss occurs. Early detection and treatment can help a person saving his sight. If you are a diabetic, your eyes need extra care As told by Dr. Abiraj, Retina consultant at Abhinam Eye Care Centre "If you are a diabetic, than you must take extra care of your eyes, as diabetic eye disease is a complication of diabetes and a leading cause of blindness.” He shared that the most common form of diabetic eye disease is diabetic retinopathy which occurs when diabetes damages the tiny blood vessels inside the retina. He prescribed regular eye check-up for diabetic people. According to him, with a healthy life style one may minimise the chances of diabetic retinopathy, it is must to control blood sugar and cholesterol, to do regular work out, consume adequate fruits and vegetables & to avoid smoking and liquor consumption Consult the doctor if you have dry eye syndrome symptoms "If someone feels Burning sensation in eyes, Itchy eyes, Aching sensations, Heavy eyes, Fatigued eyes, Sore eyes, Dryness sensation, Red Eyes, Photophobia or Blurred vision, then probably Dry eye syndrome is the reason,” Dr Namita says. “But it is curable,” she added. Dr Namita shared that with the routine use of artificial tears and minor behavioural modifications one can significantly reduce dry eye symptoms.
यदि आप लजीज तिब्बतियन व चाइनीस व्यंजन खाना चाहते है तो फ्रेंड्स फ़ूड कार्नर आपके लिए उपयुक्त स्थान है। बीते करीब डेढ़ दशक में सोलन के आंनद काम्प्लेक्स स्थित फ्रेंड्स फ़ूड कार्नर, तिब्बतियन व चाइनीस व्यंजनों के चाहवानों का पसंदीदा रेस्टोरेंट बना हुआ है । पारम्परिक जायके से भरपूर यहां के व्यंजन शहर के हर वर्ग व उम्र के लोगों को खूब भाते है । आलम ये है कि तिबबति व चाइनीस खाने की चर्चा होते ही सोलनवासियों के जहन में सबसे पहले फ्रेंड्स फ़ूड कार्नर का नाम आता है । ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि फ्रेंड्स कार्नर ने ही सोलन में तिब्बत्ति व चाइनीस व्यंजनों को पहचान दिलाई है । रेस्टोरेंट के मालिक अर्जुन नेगी बताते है कि जब करीब 17 वर्ष पूर्व उन्होंने अपना पहला रेस्टोरेंट शुरू किया था तब शुरुआत में लोगों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। लोग तिब्बती व चाइनीस व्यंजनों को बहुत अधिक पसंद नहीं करते थे ।उस दौरान रेस्टोरेंट को ज़ारी रखना एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन उन्हें भरोसा था कि एक बार जो भी उनके लजीज व्यंजन चख लेगा वो लौट कर जरूर आएगा, और हुआ भी ऐसा ही। देखते देखते ऐसा समय आ गया जब एक रेस्टोरेंट छोटा पड़ने लगा। इसी के चलते वर्ष 2010 में उन्होंने बगल में ही एक और रेस्टोरेंट खोल दिया। खुद तैयार करते हैं मसाले फ्रेंड्स कार्नर में मोमो ,थुकुपा ,शाप्ता ,टीमो ,थिंतुक सहित सभी तिब्बती व्यंजन पकाने में पारम्परिक तिब्बती मसालों व रेसिपी का इस्तेमाल किया जाता है और स्पेशलिस्ट शेफ इन्हें पकाते है। इन विशेष मसालों को तैयार भी खुद अर्जुन नेगी ही करते है । शौक को ही बनाया व्यवसाय अर्जुन नेगी खुद एक बेहतरीन कुक है । वे शौकियां तौर पर घर पे कभी कभार खाना पकाते थे जिसे उनका परिवार व दोस्त बहुत चाव से खाते थे। उन्हीं की प्रशंसा से उन्हें प्रोत्साहन मिला और उन्होंने खाने में ही अपना जीवन यापन का ज़रिया तलाश लिया। अर्जुन कहते है कि उन्हें खाना पकाना बेहद पसंद है इसीलिए वे सफल है । फ्रेंड्स फ़ूड कार्नर के 14 सफल वर्षो के सफर में अर्जुन की पत्नी कलसंग ने भी उनका बखूबी साथ दिया है । आज कलसंग ही दोनों रेस्टॉरेंट्स का प्रबंधन सम्भाल रही है । क्वालिटी के साथ कोई समझौता नहीं तिब्बतियन व चाइनीस व्यंजनों में मसाला कम होता है और बॉइल्ड होने के चलते खाने के पोस्टिक तत्व बरकरार रहते है । अर्जुन नेगी कहते हैं कि उन्होंने कभी भी क्वालिटी के साथ समझौता नहीं किया और हमेशा लोगों को अपना बेहतरीन देने का प्रयास किया है ।
जिला सोलन से सम्बन्ध रखने वाले “मेरा भोला है भंडारी” फेम हंसराज रघुवंशी आज कल काफी आहत में हैं। दरअसल “मेरा भोला है भंडारी” गीत से रातों-रात सुपरस्टार बने हंसराज रघुवंशी को लेकर सोशल मीडिया में सवाल उठाए जा रहे हैं कि वह नशे की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित कर रहे हैं।इस मामले ने उस समय नया मोड़ ले लिया, जब रघुवंशी ने एक वीडियो सोशल मीडिआ में जारी कर इस पर स्पष्टीकरण दे दिया। हालांकि सोशल मीडिया में रघुवंशी के गीतों पर उठाए गए सवालों की बजाय उनका खुद का वीडियो अधिक वायरल हो रहा है। इसमें रघुवंशी का कहना है कि उन्होंने एक वर्ष पहले उन्होंने “गांजा” गीत शूट किया था। इस गीत में युवाओं की टोली को नशा करते हुए दिखाया गया था। दिलचस्प बात यह है कि रघुवंशी ने इस गीत को लेकर अपनी गलती को स्वीकार किया है। वहीं उनका कहना है कि उन्होंने तो साधुओं से जुड़े अधिक गीत बनाए हैं तो युवक साधु क्यों नहीं बन रहे हैं। रघुवंशी ने वीडियो में अपनी बात को दमदार तरीके से पेश किया है। कुल मिलाकर रघुवंशी ने सीधे शब्दों में अपनी बात कह दी है। अब फैसला जनता जनार्दन को ही लेना है कि रघुवंशी को एक आर्टिस्ट के रूप में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए या फिर नहीं।
The Canadian Nobel Prize Laureate Alice Munroe turns 88 today with a massive achievement of turning the sublimity of women in the society in a different direction through her writings. The revolutionizing short story writer has won Man Booker International Prize in 2009 and Nobel Prize in Literature in 2013. Her first collection of short stories, ‘Dance of The Happy Shades’ (1968), is scented with the memories of the writer by the shore of Lake Huron, Ontario. The memoirs of her farmland history are sprinkled all over her stories. This collection was followed by ‘Lives of Girls and Women’ (1971), ‘What Do You Think You Are?’ (1978), ‘Runaway’ (2004) and many more. Alice Laidlaw Munro was born in Wingham, Ontario, Canada on July 10, 1931, in a fox farmer family. She has involved her life’s history and immigration experiences of her family in her earlier collections. They were simpler as compared to the later collections. ‘Dear Life’ is her latest collection. The Canadian Post released her honorary postage stamp in 2015.
मानव भारती विवि में स्थित हैं मूर्ति, धर्मिक पर्यटन को मिलेगी उड़ान सोलन का लाडो गांव विश्व मानचित्र पर अंकित हो गया है। यहाँ दुनिया की सबसे ऊँची भगवान् हनुमान की मूर्ति बनकर तैयार है। ये मूर्ति मानव भारती विश्वविद्यालय में स्थित हैं। मानव भारती फाउंडेशन ने करीब अढ़ाई करोड़ रुपये की लागत से 156 फीट ऊँची भगवान हनुमान की इस मूर्ति का निर्माण करवाया हैं, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा आगामी जल्द होने जा रही हैं। इसके बाद इस मूर्ति को आमजन को समर्पित कर दिया जायेगा। माना जा रहा हैं कि इस मूर्ती के निर्माण से मानव भारती यूनिवर्सिटी धार्मिक पर्यटन का एक नया डेस्टिनेशन बनेगा। इससे सोलन में धार्मिक पर्यटन को भी उड़ान मिलेगी और निसंदेह इससे स्थानीय लोगों को राेजगार भी मिलेगा। मूर्ती के दर्शन के लिए अलग से रास्ता बनाया है, ताकि पर्यटक यहां पर आसानी से दर्शन कर सके। प्रतिमा को ऐसी जगह स्थापित किया है जहां से यह चंडीगढ़ -शिमला राष्ट्रीय मार्ग के साथ साथ सोलन शहर की तरफ से आने वाली सड़क से दूर से नजर आती हैं। उल्लेखनीय हैं कि मानव भारती चैरिटेबल ट्रस्ट ने वर्ष 2014 में इस मू्र्ती के निर्माण का कार्य शुरू किया था और इसे बनाने में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया हैं ।इस प्रतिमा को बनाने का ज़िम्मा मूर्तिकार पद्मश्री नरेश कुमार को दिया गया है। नरेश कुमार वहीँ शख्स हैं जिन्होंने जाखू मंदिर शिमला में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण भी किया है। मूर्ति की विशेषताएं 1600 मीटर क्षेत्रफल में निर्मित मूर्ति का चेहरा 21 फीट, हथेली 19 फीट और पांव 26 फीट के हैं। भगवान हनुमान की प्रतिमा के गले में 20 इंच व्यास की रुद्राक्ष की माला बनाई गई हैं। इस मूर्ति का वजन करीब दो हजार टन है। मूर्ति के निर्माण में विशेष कोंकरीट का इस्तेमाल किया गया है जिसमें इसकी उम्र सैकड़ों वर्षों से भी अधिक होगी। ये प्रतिमा भूकंप रोधी है। इस मूर्ति की चमक बरसों बनी रहे, इसके लिए इसे मेटल कोट किया जा रहा है। मेटल कोटिड होने के कारण मूर्ति पर पक्षी या परजीवी नहीं आ सकेंगे। परिंदो को दूर रखने के लिए मूर्ति पर शाॅक वेर्वस भी लगाए जा रहे हैं। लिम्का बुक में दर्ज होगी सबसे ऊंची मूर्ति मानव भारती विवि में स्थापित की जा रही भगवान हनुमान की प्रतिमा दुनिया की जानी-मानी वैबसाईट विकिपीडिया पर जल्द दुनिया में सबसे ऊंची हनुमान की प्रतिमा की श्रेणी में नंबर वन का तगमा हासिल करने वाली है। इसके अलावा इसका नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज हाेगा। मानव भारती फाउंडेशन ने इसके लिए सारे दस्तावेज तैयार करके भेज दिए हैं। अभी आंध्र प्रदेश में हैं सबसे ऊँचे हनुमान अभी दुनिया में सबसे ऊंची बागवान हनुमान की प्रतिमा आंध्र प्रदेश में स्थापित है जिसकी ऊंचाई 135 फीट है। दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची हनुमान की प्रतिमा उड़ीसा में स्थापित है जिसकी ऊंचाई करीब 109 फ़ीट है। वहीं शिमला व कर्नाटका में भी 108 फीट ऊंची हनुमान की प्रतिमा स्थापित है। इसके बाद महाराष्ट्र में 105 फीट ऊंची हनुमान की प्रतिमा स्थापित की गई है। वहीँ, दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा भगवान बुद्ध की है। यह प्रतिमा करीबन 502 फीट ऊंची है और चीन में स्थित हैं । चाहता हूँ धार्मिक पर्यटन बढे और लोगों को रोज़गार मिले- राणा मानव भारती विश्वविद्यालय के संस्थापक राज कुमार राणा ने बताया कि उनका मकसद अपने आराध्य भगवान हनुमान को यहां स्थापित कर प्रदेश में धार्मिक भावना के साथ पर्यटन को बढ़ावा देना है। साथ ही वे चाहते हैं कि इससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिले। राणा ने कहा कि हनुमान की उपासना से जीवन के सारे कष्ट, संकट मिट जाते है। बता दें कि हर मंगलवार को मानव भारती विवि में भंडारे का आयोजन होता हैं, जिसमें दूर- दूर से लोग प्रसाद ग्रहण करने पहुँचते हैं।
आगामी 11 जुलाई को पूरे प्रदेश में होने वाली मेगा मॉक ड्रिल की तैयारियों को लेकर आज फिर से सोलन में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। उपायुक्त कार्यालय सभागार में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी विवेक चंदेल ने की। बैठक के दौरान इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम के आधार पर विभिन्न विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारियों को बाकायदा तौर पर तय किया गया ताकि इंसीडेंट रिस्पांस सिस्टम के अनुरूप भूकंप पर आधारित ड्रिल को सोलन में अमलीजामा पहनाया जा सके। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने यह भी बताया कि 10 जुलाई को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मेगा मॉक ड्रिल को की गई तैयारियों की अलग से समीक्षा करेगा। यह समीक्षा उपायुक्त कार्यालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में सुबह 11 बजे से शुरू होगी। बैठक में ये फैसला भी लिया गया कि सोलन शहर में नियमित तौर पर सुबह 10 बजे बजने वाला हूटर नहीं बजेगा लेकिन 10 बजे के अलावा जिस भी समय हूटर बजेगा वह आपदा आने की सूचना होगा। हूटर बजने के बाद आपदा प्रबंधन टीम जिला आपदा प्रबंधन केंद्र का रुख करेगी। जिसमें आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक , मुख्य चिकित्सा अधिकारी , एसई लोक निर्माण, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य व बिजली बोर्ड और अध्यक्ष जिला परिषद शामिल होंगे । केंद्र में आपदा को लेकर आपात बैठक करने के बाद यह फैसला लिया जाएगा कि राहत और बचाव कार्य को किस तरीके से अंजाम देना है। इस फैसले के बाद ठोडो मैदान में स्थापित होने वाले स्टेजिंग एरिया से टीमों को जरूरत और प्राथमिकता के आधार पर तय किए गए घटनास्थल की ओर रवाना कर दिया जाएगा। नगर परिषद कार्यालय, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, विवांता मॉल, साईं संजीवनी अस्पताल और राजकीय डिग्री कॉलेज को घटना स्थलों के तौर पर चिन्हित किया गया है। बैठक के दौरान खोज एवं बचाव दलों, मेडिकल टास्क फोर्स, एंबुलेंस, अग्निशमन, बचाव कार्य में प्रयुक्त होने वाली भारी मशीनरी की उपलब्धता, राहत और मेडिकल शिविर की स्थापना, संचार व्यवस्था समेत मेगा मॉक ड्रिल से जुड़े अन्य सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने इंसीडेंट रिस्पांस टीम से जुड़े सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे तय की गई जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाएं ताकि यह मेगा मॉक ड्रिल अपने उद्देश्य को लेकर सफल बने। मेगा मॉक ड्रिल के दौरान शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर भी उन्होंने पुलिस को आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा। बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष एवं सदस्य जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण धर्म पाल चौहान के अलावा एसडीएम रोहित राठौर, सहायक आयुक्त भानु गुप्ता, सैन्य पुलिस और गृह रक्षा विभागों के अधिकारी, विभिन्न विभागों के अन्य अधिकारी व व्यापार मंडल के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
डीसी सोलन केसी चमन ने सोलन में विभिन्न रूटों पर चल रहे ऑटो रिक्शा के किराये बढ़ाए जाने संबंधी आदेश जारी किए गए हैं। यह दरें ऑटो ऑपरेटर्स एसोसिएशन की सहमती से निर्धारित की गई हैं। आदेशों के अनुसार ऑटो रिक्शा चालक को लिखित शर्तो के अतिरिक्त आम जनता/यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये ऑटो में किराया चार्ट सदैव लगाना अनिवार्य होगा। आदेश के अनुसार पुराना बस अड्डा से चंबाघाट तक प्रति यात्री किराया 10 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), पुराना बस अड्डा से कोटलानाला तक 14 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 42 रुपये), पुराना बस अड्डा से दोहरी दीवार नजदीक आबकारी एवं कराधान कार्यालय तक 10 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), पुराना उपायुक्त कार्यालय चैक से सपरून चैक /दोहरी दीवार नजदीक आबकारी एवं कराधान कार्यालय 7 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 21 रुपये), कोटनाला से पुराना उपायुक्त कार्यालय चैक तक 7 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 21 रुपये), पुराना उपायुक्त कार्यालय चैक से क्षेत्रीय अस्पताल सोलन तक 14 रूपये (पूरे ऑटो का किराया 21 रुपये), पुराना बस अड्डा से क्षेत्रीय अस्पताल सोलन तक 20 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 60 रुपये), सपरून से क्षेत्रीय अस्पताल सोलन तक 20 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 60 रुपये), पुराना बस अड्डा से शामती तक 20 रुपये (पूरे आॅटो का किराया 70 रुपये), सपरून से शामती तक 20 रुपये (पूरे आॅटो का किराया 60 रुपये), पुराना डीसी चैक से शामती तक 14 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 42 रुपये), पुराना डी.सी.चैक से न्यू बस स्टैंड सोलन तक 20 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 60 रुपये) निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार बाईपास सोलन से न्यू बस स्टैंड सोलन तक 10 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), चंबाघाट से न्यू बस स्टैंड सोलन तक 20 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 60 रुपये), दोहरी दीवार से रबौन तक 10रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), दोहरी दीवार से आंजी तक 10 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 30 रुपये), दोहरी दीवार से आंजी डी.पी.एस स्कूल तक 15 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 45 रुपये), पुराना बस अड्डा से उपायुक्त कार्यालय सोलन तक 7 रुपये (पूरे ऑटो का किराया 21 रुपये) किराया निर्धारित किया गया है। ये है मुख्य बिंदु ... आदेश में कहा गया है कि आटो रिक्शा सबलेटिंग पर नहीं चलाया जायेगा। ऑटो रिक्शा में परिवहन विभाग द्वारा जारी लाईसैंस के अनुरूप अधिकतम सवारियां बैठाई जा सकेंगी। ऑटो रिक्शा के चलने के किन्हीं भी दो स्टेशनों के बीच का न्यूनतम किराया 7 रूपये होगा। प्रारम्भ बिन्दु से अन्त बिन्दु तक का किराया उपरोक्त आदेशानुसार होगा। ये दरें अधिसूचना जारी होने की तिथि से दो वर्ष के लिए मान्य होगी। जुलाई 2021 में किराये का पुर्नमुल्यांकन किया जायेगा।
डॉ वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के कुलपति पद को लेकर ज़ारी संशय समाप्त हो गया है। मंगलवार को डॉ परविंदर कौशल की नियुक्ति की अधिसूचना हिमाचल प्रदेश राज्यपाल सचिवालय द्वारा जारी की गई, जिसके बाद उन्होंने पदभार ग्रहण किया। डॉ॰ परविंदर कौशल, इससे पहले बिरसा कृषि विश्वविद्यालय,रांची,झारखंड के बतौर कुलपति कार्यरत थे। खासबात ये है कि डॉ॰ परविंदर कौशल जिला सोलन के ग्राम कहन्नी में जन्में डॉ कौशल नौणी विवि के पूर्व छात्र भी रह चुके हैं। उन्होंने अपनी एमएससी वानिकी की पढ़ाई विश्वविद्यालय से हासिल की है जिसके बाद फ्रांस के यूनिवर्सिटी ऑफ नैंसी से फॉरेस्ट्री में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। डॉ कौशल पिछले 35 वर्षों से शिक्षण, अनुसंधान और विकास, विस्तार और प्रशासन में सक्रिय रूप से शामिल हैं, जिसके बुते वे उसी विवि के उप कुलपति बने है , जहाँ कभी वे छात्र थे। डॉ परविंदर कौशल ने विभिन्न क्षमताओं में अलग अलग संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अपनी सेवाएँ दी। इनमें से प्रमुख हैं, इंडियन काउंसिल फॉर फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन देहरादून (1979-1981), पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना में असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर (1981-1992) और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची में वानिकी संकाय में डीन (2005-2009)। नौणी विश्वविद्यालय में पर्यावरण, जल और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय वनीकरण और पर्यावरण विकास बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक और समन्वयक के रूप डॉ कौशल ने कई वर्षो तक कार्य किया। 100 से अधिक शोध पत्र हो चुके है प्रकाशित डॉ कौशल ने 100 से अधिक शोध पत्र और तकनीकी रिपोर्ट प्रकाशित करने के अलावा 13 से अधिक पुस्तकों के अध्याय और मैनुअल लिखे हैं। उन्होंने 26 विश्व कांग्रेस और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है और 63 परियोजनाओं को संभाला है। कई पुरस्कारों से सम्मानित डॉ कौशल को 1989 में राष्ट्रीय युवा वैज्ञानिक पुरस्कार और 2014 में हिमाचल श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें फ्रेंच सरकार द्वारा भी वर्ष 1984 में डॉक्टरल अनुसंधान के लिए फेलोशिप प्रदान की गई थी। इसके अलावा, उन्होंने फ्रांस, इटली, यूनाइटेड किंगडम, मैक्सिको, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, यूगोस्लाविया, बेल्जियम, हॉलैंड, स्पेन, एस्टोनिया, कनाडा, फिनलैंड, तुर्की, मलेशिया और श्रीलंका सहित कई देशों का दौरा किया है।
नशे के खिलाफ सोलन पुलिस की कार्रवाई ज़ारी है। इसी कड़ी में एक बार फिर पुलिस को सफलता मिली है। पुलिस ने सोलन के दो युवकों को 15.75 ग्राम चिट्टे के साथ गिरफ्तार किया। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर रबौन में नाका लगाकर इन युवकों क धरा है।दोनों युवक टोयोटा इटियोस कार में सवार थे, तभी पुलिस ने तलाशी ले चिट्टा बरामद किया है। कार से चिट्टा बरामद करना पुलिस के लिए आसान नहीं था। एक बार तो पुलिस क लगा कि उन्हें गलत सुचना मिली है लेकिन आखिरकार पुलिस को चिट्टा ढूंढने में सफलता मिल गई। दरअसल आरोपियों ने कार की पिछली सीट में लगी बेल्ट के हुक को लगाने वाली डिब्बी में चिट्टे को छुपाया हुआ था, पर पुलिस की पेनी नजर से आरोपी बच नहीं पाए। आखिरकार पुलिस ने 15.75 ग्राम चिट्टा बरामद करने में कामयाबी हासिल की। डीएसपी योगेश दत जोशी ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि दोनों आरोपियों के विरुद्ध एनडीएसपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई की जा रही है।
जिला शिमला के ठियोग-हाटकोटी सड़क मार्ग पर एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि दो लोग घायल हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह गाड़ी नंबर HP-16-A-0513 कोटखाई के पास छोल नामक स्थान पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई। गाड़ी में कुल पांच लोग सवार थे। सभी सवार सिरमौर के रहने वाले हैं। इनमें से तीन लोगों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। मरने वालों में दो पुरूष व एक महिला शामिल है।घायल आइजीएमसी शिमला में उपचाराधीन है। घायलों में से एक की हालत गंभीर बताई जा रही है।
संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम पर पंच तीर्थ बनाने वाली सरकार उनके नाम पर बने भवनों की भी देखरेख नहीं कर पा रही है। ऐसा ही एक मामला विकास खंड धर्मपुर की गोयला पंचायत का है। यहाँ बाबा साहेब के नाम पर बना भवन खंडर में तब्दील हो नशेड़ियों का अड्डा बना चूका है। लाखों की लागत वाले इस इस भवन का लोकार्पण 1 मई 2012 को हुआ था। दिलचस्प बात ये है कि इसका लोकार्पण सीएम जयराम ठाकुर ने किया था, जो तब प्रो प्रेम कुमार धूमल की सरकार में पंचायती राज मंत्री थे।इसके बाद वर्ष 2018 में डॉ आंबेडकर की 127 वीं जयंती के अवसर पर जयराम ठाकुर बतौर सीएम जिला सोलन में आये, पर उन्होंने इस विषय में संज्ञान नहीं लिया या शायद उन तक इस भवन की खस्ताहालत की जानकारी नहीं पहुंची। शराब की खाली बोतलें बयां कर रही हाल सीएम जयराम ठाकुर ने वर्ष 2012 में बतौर पंचायती राज मंत्री लाखों की लागत से बने जिस भवन का शुभारम्भ किया था वो अब खंडर बन चूका है। दरवाजे व खिड़कियां टूटी हुई है, आंगन में झाड़िया उगी हुई है। भवन में बिखरी शराब की खाली बोतलें बयां कर रही है कि ये भवन अब नशेड़ियों का अड्डा बन चूका है। पांच साल कांग्रेस ने नहीं ली सुध वर्ष 2012 के बाद पांच वर्ष प्रदेश में कांग्रेस का शासन रहा। वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में पांच साल चली कांग्रेस सरकार ने भी कभी इस भवन की सुध नहीं ली। दरअसल इन्हीं पांच सैलून में इस भवन की दुर्गति हुई है। वीरभद्र सरकार तो इस बदहाली के लिए जिम्मेवार है ही किन्तु बाबा साहिब के नाम पर पांच तीर्थ बनानी वाली भाजपा विपक्ष में रहकर भी कम से कम इस विषय पर तत्कालीन सरकार का ध्यान तो खींच ही सकती थी। उम्मीद है, सीएम को गोयला का आंबेडकर भवन याद रहे वर्तमान में प्रदेश में भाजपा की सत्ता है। बीते कुछ वर्षों में भाजपा ने डॉ भीमराव अंबेडकर के सम्मान में पंच तीर्थ बनाये है, उनके नाम से भीम एप शुरू की है और कई अन्य योजनाओं पर कार्य शुरू किया है। ऐसे में प्रदेश सरकार से अपेक्षित है वह ग्राम पंचायत गोयला के डॉ भीम राव अंबेडकर भवन की सुध भी लेगी और इसकी मरम्मत हेतु आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए जायेगे। सीएम साहब, उम्मीद है आपको अपने ही द्वारा बनवाया गया गोयला पंचायत का भीमराव अंबेडकर भवन याद होगा ! पक्ष ..... मामला ध्यान में नहीं था। मैंने हाल ही में ज्वाइन किया है। जांच कर उचित कदम उठाएंगे ।
फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट - 2014 में किया था वादा, 2019 में पीएम मोदी ने ज़िक्र तक नहीं किया सिटी ऑफ रेड गोल्ड सोलन के किसान लम्बे समय से टमाटर आधारित फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट की मांग करते आ रहे है। अमूमन हर चुनाव में सियासी दल फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट का वादा करते है और ऐसा दशकों से होता आ रहा है, किन्तु अब तक सोलन को फ़ूड प्रोसेसिंग पालनट नहीं मिला। टमाटर का समर्थन मूल्य तय करने की मांग भी किसान संगठन लम्बे वक्त से करते आ रहे है पर इस दिशा में भी किसानों को आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला।ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि जो टमाटर जिला के हजारों किसान परिवारों के लिए जीवनयापन का जरिया है वो शायद शासन और तंत्र के लिए सिर्फ राजनीति की वस्तु है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्ष 2014 में सोलन रैली में किसानों से टमाटर के समर्थन मूल्य व फूड प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की बात कह चुके है। तब वे प्रधानमंत्री नहीं थे, प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे। खेर, नरेंद्र मोदी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद उम्मीद जगी कि शायद सरकार टमाटर किसानों की सुध लेगी। परंतु कुछ नहीं बदला। दिलचस्प बात ये है कि 2019 में जब नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री सोलन आये तो उन्होंने न फ़ूड प्रोसेसिंग प्लांट का ज़िक्र किया और न ही टमाटर के समर्थन मूल्य का। मवेशियों को खिलने पड़ते है टमाटर कूल उत्पादन का करीब 70 फीसदी सोलन-सिरमौर से उल्लेखनीय है कि सोलन प्रदेश का सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक है। प्रदेश के कूल टमाटर उत्पादन का करीब 40 फीसदी से अधिक अकेले सोलन शहर से आता है। वहीं संसदीय क्षेत्र के एक अन्य जिला सिरमौर का योगदान कुल उत्पादन का करीब 30 फीसदी है। यहां के हजारों परिवार जीवन यापन के लिए टमाटर खेती पर आश्रित है। विडंबना ये है कि अधिक उत्पादन की स्थिति में किसानों को टमाटर का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। कई मर्तबा तो हालात इतने बदतर हो जाते है कि टमाटर मवेशियों को खिलाने पड़ते है। दो दशकों से है चुनावी मुद्दा सोलन में टमाटर आधारित फूड प्रोसेसिंग यूनिट करीब दो दशकों से चुनावी मुद्दा है। अमुमन हर चुनाव में किसान वोट हतियाने के लिए नेता फूड प्रोसेसिंग यूनिट का ख्वाब दिखाते है , वोट बटोरते है और फिर भूल जाते है । खासतौर से लोकसभा पहुंचने के लिए टमाटर फैक्टर का भरपूर इस्तेमाल होता आया है। बॉर्डर पर तनाव, किसानों का नुक्सान गौर हो कि सोलन से टमाटर आमतौर पर पाकिस्तान एक्सपोर्ट किया जाता है । इसी के चलते किसानो को अधिक उत्पादन होने पर राहत मिलती है । साथ ही उन्हें उचित मुल्य भी मिलता है। किन्तु अगर बॉर्डर पर तनाव हो तो व्यापारी एक्सपोर्ट से परहेज करते है जिसका खमियाजा किसानो को भी भुगतना पड़ता है। ऐसे में स्थानीय फूड प्रोसेसिंग यूनिट होने से किसानो का आर्थिक नुक्सान कम किया जा सकता है। वोट के लिए हुआ है किसान का इस्तेमाल - हिमाचल किसान सभा भाजपा व कांग्रेस दोनों ही राजनैतिक दलों ने सिर्फ वोट के लिए टमाटर किसान का इस्तेमाल किया है।खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मई 2014 में सोलन में हुई रैली में फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट व एमएसपी का वादा किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इतना ही नहीं जो टमाटर बाजार में किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता है, उसे किसान से क्रेट के हिसाब से ख़रीदा जाता है , जो किसान के साथ नाइंसाफी है। -डॉ कुलदीप तंवर, अध्यक्ष, हिमाचल किसान सभा।
जिला स्तरीय सार्वजनिक वितरण समिति की बैठक का आयोजन आज मिनी सचिवालय सोलन में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी सोलन विवेक चंदेल की अध्यक्षता किया गया। बैठक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत आवश्यक वस्तुओं के वितरण की उपलब्धता के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। विवेक चंदेल ने कहा कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्त मामले विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश सरकार द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उपलब्ध करवाई जा रही विभिन्न वस्तुओं का समय-समय पर निरीक्षण सुनिश्चित करें ताकि आम लोगों को उचित गुणवत्ता की खाद्य सामग्री उपलब्ध हो सके। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को दुकानों में पाॅलीथीन लिफाफों तथा ढाबों में घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर के प्रयोग को रोकने के लिए समय-समय पर निरीक्षण करने के निर्देश दिए ताकि घरेलू गैस सिलेंडर की कालाबाजारी पर अंकुश लगाया जा सके। बैठक में जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति नियंत्रक मिलाप शांडिल ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत जिले में 2 लाख 23 हजार 542 पात्र उपभोक्ताओं का चयन किया गया है। उत्पादन दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि जिला में उचित मूल्यों की दुकानों के निरीक्षण, जमाखोरी-मुनाफाखोरी, मूल्य प्रदर्शन, एलपीजी निरीक्षण इत्यादि के 759 निरीक्षण करके 32 हजार की राशि जुर्माने के रूप में वसूली गई।बैठक में जानकारी दी गई कि 156 उचित मूल्य की दुकानों के निरीक्षण किए गए जिनमें से 37 उचित मूल्य की दुकानों के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही अमल में लाई गई तथा एक लाख एक हजार रूपये की राशि जुर्माने के रूप में वसूली गई। बैठक में ग्राम पंचायत कोठों के अंतर्गत ग्राम बलाणा, ग्राम पंचायत बधोखरी के अंतर्गत गांव बधोखरी, ग्राम पंचायत सौड़ी गुजरां में तथा ग्राम पंचायत जगनी के गांव जगनी में उचित मूल्य की दुकान खोलने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई। बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने जानकारी दी कि जिला में 99 प्रतिशत राशन कार्डों को आधार कार्ड से जोड़ा जा चुका है।बैठक में सहायक आयुक्त भानु गुप्ता, सहायक पंजीयक सहकारी सभाएं नीरज सूद, राज्य आपूर्ति निगम के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रामेश्वर चंद उपस्थित थे।
सोलन से राजगढ़ जाने वाले मार्ग पर एक सड़क हादसे में दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई। जानकारी के अनुसार हरियाणा नंबर की एक कार मरयोग में बाल भारती स्कूल के निकट करीब 500 फीट गहरी खाई में जा गिरी। इस कार में दो लोग सवार थे, जिनकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों की पहचान सिरमौर के राजगढ़ के कण्डा निवासी 26 वर्षीय भूपेंद्र पुत्र राजेंद्र व 35 वर्षीय रविन्द्र उर्फ तरीया पुत्र खेम राम के रूप में हुई है। हादसे की सूचना मिलते ही सोलन पुलिस सदर थाना की टीम मौके पर पहुंच गई। मामले की पुष्टि सदर थाने सोलन के एसएचओ धर्म सेन नेगी ने की है। उन्होंने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही तुरन्त पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को पोस्टमार्टम के लिए क्षेत्रीय अस्पताल भेज दिया गया है और आगामी कार्यवाही अमल में लाई जा रही है।
साईं इंटरनेशनल स्कूल में प्रिंस एवं प्रिंसेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में केजी और नर्सरी के बच्चों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता में स्कूल की PRO गीतू डोगरा और सीनियर विंग कोर्डिनेटर दमयंती भागचंदानी ने जज की भूमिका निभाई। पहले चरण में बच्चों ने स्टेज पर अपना परिचय दिया। अगले चरण में बच्चों से सवाल पूछे गए ताकि उनके सामान्य ज्ञान को परखा जा सके। इस प्रतियोगिता में केजी के अरविन्द सिंह ने सिस प्रिंस और यातिका कवर ने सिस प्रिंसेस का ताज अपने नाम किया। कृध्य चौहान और अर्शिता ने प्रथम स्थान वहीं भावेश ठाकुर और जान्हवी सामटा ने दुसरा स्थान हासिल किया। स्कूल के प्रबंधक रविंद्र बाबा ने बताया कि ऐसी प्रतियोगिताएं समय- समय पर स्कूल में करवाई जाती हैं ताकि बच्चों के अंदर आत्मविश्वास के गुण को विकसित किया जा सके।
With an objective to develop a child into a good human being, having a well balanced and all-round well-developed personality, who can shoulder the responsibilities entrusted to him as a devoted citizen of the country, Pinegrove School is contribution its part amazingly in creating the future of the nation from last 26 years. In 1991 when School was started, there were very few students, but School management never compromised with their Mission & Vision, and as a result today Pinegrove School is renowned and respected for its high standards in moral and value education along with having a very strong reputation of maintaining the best academic standards coupled with good ethics and discipline. The best endeavour of the school is to rely on individual attention, personal care, affection and encouragement, to inculcate the habit of self-discipline and to develop high standards in moral and value education. Pinegrove School is committed to make sincere efforts to shape and mould the children, with the help of modern educational techniques and psychological handling, into responsible citizens and all-round well developed personalities, who have respect for their parents, loyalty for their country and develop a sense of fair-play, honesty and love for all mankind. About the School- Pinegrove School is an English medium, co-educational, residential public school with approx 950 Boarders. It has two wings, one at Dharampur and the other at Subathu. Both branches are situated in the sylvan and pollution free environment of Himachal Pradesh. It is affiliated to the CBSE, is member of the prestigious IPSC (Indian Public School’s Conference), is also member of the British Council sponsored UKIERI (UK-India Educational Research Initiative) and GSP (Global School Programme), Round Square Conference, the NCC (National Cadet Corps), the IAYP (International Awards for Young People) which was the erstwhile Duke of Edinburgh’s Award Program and is ISO 9001:2008 certified. Delivering Quality Education with SMART CLASSES- Pinegrove is fully IT enabled for the future and has all the facilities for imparting high quality education, like IT enabled E-classrooms (SMART CLASSES) networked with the computer labs for Computer-Aided-Teaching. Speed-Typing is taught and assists children in preparing for the demands of modern-day society. The school lays great stress on academics, along with giving full attention to various disciplines of sports and other activities. Proper care for the health and hygiene of children is taken to provide them with well balanced and tasty food so that they do not miss home and adjust well to hostel-life. First-rate Infrastructure- The school possesses a state-of-the-Art Auditorium with seating capacity of 750, Indoor Multi-Gym, Badminton Hall, National-sized Swimming Pool, 10 Mtr Indoor Shooting Range, Lush-green Playfields for outdoor games like Cricket, Soccer, Hockey, 200M Athletic track, hard-courts for Basketball, Squash and Tennis and indoor games like Pool/Billiards, Table Tennis, and Chess are also played. The school also has well-equipped and tastefully architected Art, Craft and Needlework rooms, wonderful facilities for Dance, Drama, Music, Band, Cooking, Carpentry, Sculpture etc and apart from all this children also take part in NCC Camps, Parade, Mass PT and Karate as well. The school lays great stress on public speaking, which plays a big role in the overall personality development of the child and also tries to ensure that children develop their aesthetic senses along with inculcating a love for nature through annual outdoor camps. Children are often sent overseas on Exchange Programmes and visits, which adds another important dimension to their education. Pledged to all-round development of children- Capt AJ Singh In the words of the Executive Director, Capt AJ Singh, “As compared to a day school, in Pinegrove we are lucky to have the time, inclination and infrastructure to do a lot more in the direction of child development. A rigorous routine keeps the students healthy and extremely busy. The well-knit schedule of a wide variety of sports and activities, adds to the all-round development and smartness of the child and undoubtedly brings him much closer to having acquired an exemplary education.”
जिला सोलन के विकास खंड धर्मपुर में सोमवार को नए विकास खंड अधिकारी ने ज्वाइन है। रवि बैंस ने बतौर बीडीओ पदभार ग्रहण किया है। 56 वर्षीय रवि बैंस मूल रूप से सुबाथू ( सोलन ) के रहने वाले है और उनकी छवि एक विकासशील अधिकारी की है। 1990 में बतौर अकाउंटेंट नौकरी शुरू करने वाले बैंस अपनी करीब 30 दशक की नौकरी में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सेवाएं देते रहे है। अब उनके अनुभव का लाभ विकास खंड धर्मपुर को मिलने जा रहा है। इससे पहले भी बैंस बतौर बीडीओ व अकाउंटेंट धर्मपुर में सेवाएं दे चुके है। रवि ने बताया कि उनकी प्राथमिकता सरकार की योजनाओं को आम जन तक पहुंचाना है ताकि अधिक से अधिक लोगों को जनहित योजनाओं का लाभ मिल सके। साथ ही वे सुनिश्चित करेंगे कि मनरेगा का लाभ भी अधिक से अधिक लोगों को मिले । उन्होंने कहा वे आम जनता की सेवा में हमेशा उपलब्ध है और वे विकास खंड धर्मपुर को एक आदर्श विकास खंड के तौर पर स्थापित करना चाहते है।
हिमाचल प्रदेश में 9 जुलाई को आसमान से आफत बरस सकती है। मौसम विभाग ने अगले 3 दिन के लिए प्रदेश में अलर्ट जारी किया है। 9 जुलाई को प्रदेश में येलो अलर्ट जारी किया गया है।प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है। लगातार हो रही बारिश से हिमाचल के नदी-नाले उफान पर हैं। ब्यास और सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। 8 जुलाई को प्रदेश में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इसका मतलब है प्रदेश के मध्यपर्वतीय और मैदानी इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश होगी। ऐसे में लोगों के लिए प्रशासन की ओर से एडवाज़री भी जारी की गई है। इसके अनुसार बारिश के समय घर से बाहर निकलने वाले लोगों को सावधानी बर्तने की जरूरत है।शिमला और प्रदेश के अन्य जिलों में बीते तीन दिन से रूकरूक कर बारिश का सिलसिला जारी है। लगातार प्रदेश में हो रही बारिश से बढ़े हुए तापमान से लोगों को राहत मिली है। रविवार को सोलन के कसौली में 33 एमएम, रेणुका जी में 54 एमएम, नाहन में 49 एमएम, बैजनाथ में 36 एमएम, पालमपुर में 31 एमएम और शिमला में 15 एमएम बारिश दर्ज की गई।वहीँ प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में 64.5 से 115.5 mm तक बारिश हो सकती है।। इसका असर प्रदेश के 9 जिलों में ज्यादा देखने को मिलेगा। प्रदेश में 13 जुलाई तक बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। इस कारण प्रदेश के तापमान में भी कमी आएगी।
Budget 2019 India: Get all the news and updates on Union Budget 2019 with First Verdict Media 2019 Interim-Union budget of India.
Budget has the Vision to achieve $ 5 Trillion Economy goal - Uday "Corporate tax with a turnover of up to Rs 400 crore slashed to 25 per cent from a current rate of 30 per cent. It is truly a quality move by the government,” says Uday Kapoor, MD, Udayraj Advertisers. He further added "Budget has the vision to achieve a goal of $ five trillion economy. It is a balanced budget and has something for everyone.” Kapoor believes that the Budget has given a huge thrust to startups and Make in India. He also welcomed the initiative to give pension to the shopkeepers and traders. According to Uday Kapoor, the Government has a target of Rs 12,000 crore from the hike in the surcharge for the high-income group. This amount can be used in so many development works and it is fine to pull some extra tax from HNI’s. Budget Misses Corrective Measures for the Auto Industry- Anand "Budget has got a lot to promote electric vehicles like reducing the GST to 5 per cent, an exemption in customs duty on parts and most importantly the Income Tax rebate on the interest component paid for loans taken for purchasing electric vehicles. However, Budget has missed some form of a stimulus package which is much required for the auto industry at this point of time," says Vishal Anand, MD of Anand Toyota. He said, rather than promoting electric vehicles the Government must promote existing automobile industry at this point of time. Increase in fuel prices will also affect the industry adversely and corrective measures are much required to give a boost to the auto industry. Anand further added, Budget is aimed at overall economic development, but it was a disappointment for the automobile industry as a whole, which is presently reeling under a downshift. It is the Budget with a Vision - Vipul Goyal According to Vipul Goyal, it is the Budget with a vision; it is a Budget for 130 crore Indians. The budget reflects the roadmap to achieve a target of $5 trillion economy. Goyal says, "Budget replicates the intention to improve the living standard of common people. Provisions like electricity, cooking gas for every rural household by 2022, provision for labour law reforms, construction of nearly 1,25,000 km rural roads, construction of 1.95 crore houses in rural areas by 2021, and 10,000 new farmer producer organisations will directly benefit people, especially the rural population. It is a below Expectation Budget- Dinesh Verma Dinesh Verma, Managing Director of Verma Sons Jewellers says, "Budget is not up to the expectations. Government is setting high economic growth goals, that is fine, but there is no clear blueprint to achieve it. The macro picture seems good but how to implement the planning on the micro level is more important." "As expected the government increased the fuel prices which will add to inflation. As far as Jewellery sector is concerned an increase in import duty will adversely hit the industry. It may lead to a decrease in demand", he added.
गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 'अंतरसदनीय बास्केटबॉल मैच' का आयोजन किया गया।मैच में चारों सदन के वरिष्ठ वर्ग के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।विद्यालय की प्रधानाचार्या गुरप्रीत माथुर ने खेल का शुभारंभ किया।चारों सदन के प्रतिभागी उत्साहपूर्वक खेले।खेल के अंत में अर्थव वेद सदन के खिलाड़ियों ने जीत हासिल की।प्रधानाचार्या ने सभी छात्रों की प्रशंसा की।इस मौक़े पर विद्यालय के निदेशक पीयूष गर्ग भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि विद्यालय इस तरह की खेल प्रतिस्पर्धा समय-समय पर करवाता रहता है जिससे विद्यार्थी के भीतर छिपे खिलाड़ी को बाहर निकाला जा सके। उन्होंने छात्रों की प्रशंसा करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।मैच में वेदांत ठाकुर, कनिष्क, हिमांशु, आर्यन, जितेश,रिणुल, पारस, अनीश, तेजस्वी, एलक्सि,ध्रुव नेगी,प्राश और दीक्षित ने भाग लिया।
Visionary Budget for Tourism Industry- Bharadwaj Included amongst the apex travel companies of the country, Colors of India called the Union Budget a visionary one for the tourism Industry. According to the Managing Director of the company, Narendra Bharadwaj "Decision to develop world-class 17 iconic tourism sites will pull domestic as well as inbound tourist. It is a great move by the government." He also appreciates the decision to create a digital tribal repository, in which photos, videos, details of origin, education, lifestyle, skill sets, traditional arts, and other anthropological information pertaining to tribal culture will be stored. Bhardwaj added " These initiatives will also boost the MICE industry ” added Mudras. No reduction in GST for coaching institutes- Bachchan Mr. Anurag Bachchan, Managing Director of Dronacharya IAS Academy, Chandigarh said that Union Budget 2019-20 has the provision of Rs 400 crore for world-class higher education institutions. The finance minister also announced that the government will launch a 'Study in India' scheme to encourage International Student exchange programs. The idea is simply to attract foreign students to India. However, no reduction in GST has been announced by the Finance Minister for the coaching institutions. Presently coaching institutions fall under the category of 18 percent GST, which is unfair. As far as the overall Budget is concerned it has more focused on boosting the rural economy, which is appreciable. Budget will benefit the entire economy in the long run- Arora Pharma Industrialist KD Arora, Managing Director of Instant Remedies says that it is a great decision to made PAN card and Aadhaar card interchangeable for filing tax returns. Arora said, now business establishments with annual turnover more than rupee 50 crores will need to offer low-cost digital modes of payments, it is a remarkable move by the government. He also welcomed the decision to levy corporate tax at a lower rate of 25 percent from companies with turnover up to Rs 400 crore. KD Arora believes that budget has the vision and will benefit not just the pharma industry but the entire economy in the long run. Truly a Jet Budget for Real Estate Sector- Mittal 'It is an amazing budget for real estate sector. Additional tax deduction of Rs 1.50 lakh on interest paid on home loans taken up to March 2020 will benefit the real estate sector in a great way," says Ashish Mittal, Managing Director of Royal Garden Premium, Chandigarh. The government has increased the tax deduction benefit against interest on home loans for affordable housing, with a value of up to Rs 45 lakhs by 75 percent, earlier it was two lakhs and now it is 3.5 lakhs, it is truly a jet move for real estate, he added. He believes that after this announcement, it is highly expected to attract fence-sitters back into the market, within the financial year 2019-20.
मोदी सरकार भाग दो का पहला बजट शुक्रवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश कर दिया है। बजट में पेट्रोल-डीजल पर एक रूपया सेस बढ़ाने की घोषणा की गई है जिससे आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ सकती है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई पर आने वाला खर्च बढ़ जाएगा, जिसका प्रभाव लगभग हर सामान की कीमत पर होना तय माना जा रहा है।बजट में सोना पर शुल्क 10 फीसद से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। साथ ही ये भी घोषणा की गई है कि आने वाले दिनों में तंबाकू पर भी अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को भी प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया हैं। बजट में इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जीएसटी रेट 12 पर्सेंट से घटाकर 5 पर्सेंट कर दिया गया। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने हेतु लिए गए लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त इनकम टैक्स छूट भी देने का एलान किया है। मुख्य बिंदु... ''हर घर जल, हर घर नल'' के तहत 2024 तक हर घर में नल से होगी जल की आपूर्ति। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण में 1,25,000 किलोमीटर लंबी सड़क को अगले पांच सालों में अपग्रेड किया जाएगा। मार्च 2020 तक 45 लाख रुपये तक की घर खरीद पर ब्याज के पुनर्भुगतान पर 1.5 लाख की अतिरिक्त छूट मिलेगी। 114 दिनों में जरूरतमंदों को घर बनाकर देने का लक्ष्य। 1.95 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य। सालाना एक करोड़ रुपये से अधिक की नकदी निकासी पर अब दो फीसदी टीडीएस। सोने के आयात शुल्क पर 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी की है। सालाना 2-5 करोड़ रुपये की कमाई वाले व्यक्तियों के सरचार्ज में 3 फीसदी व 5 करोड़ रुपये से अधिक की आय पर सरचार्ज में सात फीसदी का इजाफा। 400 करोड़ रुपये तक के रेवेन्यू वाले कंपनियों को अब 30 फीसदी के मुकाबले 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स देना होगा। ये हुआ सस्ता - साबुन, शैंपू, हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, डिटरजेंट वाशिंग पाउडर, बिजली का घरेलू सामानों पंखे, लैम्प, ब्रीफकेस, यात्री बैग, सेनिटरी वेयर, बोतल, कंटेनर, रसोई में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों के अलावा गद्दा, बिस्तर, चश्मों के फ्रेम, बांस का फर्नीचर, पास्ता, मियोनीज, धूपबत्ती, नमकीन, सूखा नारियल, सैनिटरी नैपकिन, ऊन खरीदना सस्ता हुआ।
साई इंटरनेशनल स्कूल सोलन ने बच्चों के लिए शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया। इस दौरान बच्चों को जटोली स्थित शिव मंदिर ले जाया गया। मंदिर के पुजारी ने बच्चों को मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी दी। बच्चों ने मंदिर का यह सफर सड़क से मंदिर तक पैदल चल कर किया। मंदिर परिसर में पहुँच कर बच्चों ने भगवान शिव का आशीर्वाद लेकर प्रसाद ग्रहण किया। मंदिर परिसर में बच्चों ने अध्यापकों के साथ मिलकर भजन भी गाए। साई इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक रमिन्द्र बाबा ने बताया कि साई इंटरनेशनल स्कूल समय-समय पर इस तरह के आयोजन स्कूल में करवाता रहता है जिससे बच्चों के अंदर धार्मिक व नैतिक मूल्यों को विकसित किया जा सके।
कई ऐतिहासिक फैसलों का गवाह रहा सोलन का दरबार हॉल आज उचित संरक्षण के लिए तरस रहा है। इसे विडम्बना ही कहेंगे कि जिस ईमारत में कभी बघाट रियासत का दरबार सजता था, वहां आज लोक निर्माण विभाग सोलन के अधीक्षण अभियंता का दफ्तर है। इसी दरबार हॉल में हिमाचल का नामकरण हुआ था और इसी दरबार हॉल में बघाटी राजा दुर्गा सिंह ने 28 रियासतों के राजाओं को राज -पाट छोड़ प्रजामण्डल में विलय होने के लिए मनाया था। बावजूद इसके किसी भी हुकूमत ने अब तक इसे हेरिटेज तक घोषित करने की जहमत नहीं उठाई । हालांकि वर्ष 2015 में बघाटी सामाजिक संस्था सोलन की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दरबार हॉल को धरोहर संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी। योजना थी कि इसे संग्रहालय के तौर पर विकसित किया जाएगा तथा बघाट व आसपास के क्षेत्रों की संस्कृति से संबंधित दुर्लभ वस्तुओं को इस हॉल में प्रदर्शित किया जाएगा। जिला भाषा अधिकारी के अनुसार इस हेतु जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग को योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। आदेशानुसार विभाग ने रिपोर्ट भी बनाई और सरकार को भेजी भी। किंतु इसके बाद इस संदर्भ में कुछ नहीं हुआ। दरबार हॉल को हेरिटेज घोषित करने की आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी ही नहीं हुई। आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा ने सुझाया था नाम ... बघाट रियासत के राजा दुर्गा सिंह संविधान सभा के चेयरमैन थे और उन्हें प्रजामण्डल का प्रधान भी नियुक्त किया गया था। उनकी अध्यक्षता में 28 जनवरी 1948 को दरबार हॉल में हिमाचल प्रदेश के निर्माण हेतु एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी। इस बैठक में डॉ यशवंत सिंह परमार व स्वतंत्रता सैनानी पदमदेव की उपस्तिथि को लेकर भी तरह-तरह की कहनियां है। कहा जाता है कि डॉ परमार वर्तमान उत्तराखंड का कुछ हिस्सा भी हिमाचल प्रदेश में मिलाना चाहते थे, किन्तु राजा दुर्गा सिंह इससे सहमत नहीं थे। साथ ही डॉ परमार प्रदेश का नाम हिमालयन एस्टेट रखना चाहते थे जबकि राजा दुर्गा सिंह की पसंद का नाम हिमाचल प्रदेश था। ये नाम संस्कृत के विद्वान आचार्य दिवाकर दत्त शर्मा ने सुझाया था जो राजा दुर्गा सिंह को बेहद भाया। अंत में राजा दुर्गा सिंह की चली और नए गठित राज्य का नाम हिमाचल प्रदेश ही रखा गया।
सोलन से करीब 12 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है निर्मल ग्राम पंचायत नौणी जो किसी परिचय की मोहताज नहीं है। स्वच्छता और विकास के नए आयाम स्थापित कर रही नौणी हिमाचल प्रदेश की वो पंचायत है जो अन्य पंचायतों के लिए एक मिसाल बन चुकी है। ग्राम पंचायत नौणी अब तक सैकड़ों पुरस्कार जीत चुकी है। आंकड़ों के अनुसार अब तक इस पंचायत ने करीब तीस लाख राशि बतौर पुरस्कार जीती हैं। वर्ष 2006 से नौणी पंचायत अस्तित्व में आई और बलदेव ठाकुर इसके प्रधान चुने गए। तब से अब तक बलदेव ठाकुर ही इस पंचायत के प्रधान है और काम के बुते आज उनकी छवि एक विकास पुरुष की है। उन्होंने सुनिश्चित किया है कि पंचायत के लोगों की मूलभूत जरूरतों को आधुनिक तकनीक के साथ पूरा किया जाए और पर्यावरण से भी कोई खिलवाड़ न हो। जानिये निर्मल ग्राम पंचायत नौणी को ... वर्ष 2006 में अस्तित्व में आई नौणी पंचायत वर्ष 2007 में प्रदेश की पूर्ण खुला शौच मुक्त पंचायत बनी। वर्ष 2007 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने वाली प्रदेश की पहली पंचायत बनी। महर्षि वाल्मीकि राज्य स्वच्छता पुरस्कार (ब्लॉक, जिला, डिवीज़न व प्रदेश विजेता) राज्य पर्यावरण लीडरशिप अवार्ड 2018 पंचायत के सभी परिवार एम्बुलेंस सड़क से जुड़ चुके हैं। नौणी गांव में करीब एक हज़ार वाहनों के लिए फ्री पार्किंग सुविधा उपलब्ध है। किसानों की बेहतर उपज का ध्यान रखते हुए 50 सिंचाई टैंको का निर्माण किया गया है। पंचायत में वर्षा जल संग्रहण टैंक बनाए गए हैं। पंचायत में दुधारू पशुओं की चिकित्सा के लिए पशु चिकित्सालय मौजूद हैं। किसानों के लिए कई ग्रीन हाउस बनाये गए हैं। नौणी स्थित डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय से पंचायत को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। लोगों की सुविधा के लिए पक्के रास्ते, पर्याप्त शौचालय, हाई टेक पंचायत घर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, , पटवारखाना, कई बैंक, डाकघर सहित कई आवश्यक संस्थान है। पंचायत में एक वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, दो निजी स्कूल, एक प्राइमरी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र भी मौजूद हैं। पर्यटन बढ़ने के लिए नौणी गांव में पंचायत द्वारा निर्मित नौणी ताल, बाग ताल, दो सुंदर पार्क, निर्मल वाटिका नौणी सहित कई निर्माण कार्य करवाए गए हैं। अत्याधुनिक सामुदायिक भवन का निर्माण किया जा रहा हैं। अब ये है बलदेव का इरादा...... नौणी गांव स्थित पुलिस बूथ को चौकी में तबदील करने की जरूरत है। बच्चों को तकनीकी पढ़ाई के लिए यहां एक आईटीआई की भी दरकार है। धारों की धार स्थित किले को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की आवशयकता है। नौणी के नजदीक गिरी नदी है जिसे भी नए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता हैं । पर्यटन विभाग क्षेत्र में कुछ फ्लड लाइटें लगा दे तो इस खूबसरत क्षेत्र की सुंदरता और भी बढ़ सकती है।
With the flowering time of Gladiolus, Chinese Aster and Marigold in the month of July, farmers are gearing up for the upcoming harvest season. The harvest time of Alstroemeria, Gerbera and Lilium has just passed in June and now it is time to prepare for new income. The preparations would require the gathering of packaging material, take care of the buds, pinching of the unwanted shoots and support the shoots. Some areas and varieties of carnation are also expected to flower in July. The crop is expected to get a good price in the major megacities of India. Farmers with forward marketing skills can avail from their agile efforts. Aside from the crop, it is also time for pinching of Chrysanthemum heads to prepare more buds and dividing Gerbera plants. Marigold seeds are to be spread into the nurseries and fields for germinations. Bulbs of daffodils are also to be collected and stored. Opportunities in Floriculture in Himachal Pradesh The Pushp Kranti Yojna with a budget of 10 crores was flagged last year by CM Jai Ram Thakur with the objective of providing training and facilities to farmers for the commercial production of flowers. Apart from generating awareness, the scheme will also encourage farmers to deploy hi-tech poly houses. This will open better opportunities and earnings for farmers. Presently, there are six floriculture nurseries and two model centres and laboratories in the state. The topography and climatic conditions of Himachal Pradesh allow floriculture to thrive in the region. The state observes extremely hot, extremely cold to moderate climates. Overall, the state of Himachal Pradesh has best agro-climatic conditions for floriculture to sustain through even off-season and produce export quality flowers. Advanced farmers can also introduce new flowers to the market such as Gypsophila, Bird of Paradise, Limonium, Freesia, Tulips, Orchid, Iris and Zantedeschia.
The three-day ‘National Seminar on Doubling Income through Sustainable and Holistic Agriculture (DISHA)’ concluded at the Dr. YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni on Friday. The seminar was jointly organized by the Society for Advancement of Human and Nature (SADHNA), Solan and UHF Nauni with the Indian Council of Agricultural Research and the Central Potato Research Institute, Shimla as technical collaborators. The seminar saw highly successful deliberations on various topics and 218 abstracts were received. The participants covered a wide range of topics through poster and oral presentations. Several new crops, technologies and tools for production, protection and dissemination of technology were presented and discussed in the technical sessions of the seminar. There was a consensus among all the scientists on the need to develop eco-friendly technologies and improved cultivars. Many presentations also emphasized on the need to diversify through new crops and value addition. In addition, there were several new ideas for reducing the cost of farm inputs, plant protection, reduction of post-harvest losses, improvement of market access and infrastructure for enhancing farmers' income. Exciting presentations on nutritional quality enhancement and innovative products were also given by the participants. Founder of SADHNA Sh. Roshan Lal was the Chief Guest for the valedictory session of the seminar. While congratulating the participants, he spoke about the journey of the society and the work done by it in the field of education to the underprivileged. Dr. Amit Vikram presented the report of the seminar. Dr. Rakesh Gupta, Advisor of DISHA shared that the society has grown to over 2000 members from all over the country in a short period. He hoped that the recommendations coming out of this seminar will be received positively by the policymakers, researchers and other stakeholders and can play a role in developing sustainable agriculture and improving farmers’ income. Nine research papers; six in the oral and three in the poster category were awarded under various categories. Dr. Rakesh Sharma, MS Kanwar, Urvashi, Preeti Sagar Negi, Vipasha and Dhanapriya were awarded under the best oral research presentation category. In the poster category, research papers presented by Pooja Bhardwaj, Debasis Golui and Sakshi Sharma bagged the award.
The Krishi Vigyan Kendra (KVK) Chamba of the Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni has been awarded at the national level for the successful implementation of the National Innovations in Climate Resilient Agriculture (NICRA) project in Lagga village of the district. NICRA is an ICAR funded project, which was started in 2011 throughout India in 100 KVKs, including four of Himachal. The project was launched to address the climatic vulnerability prevailing in these kendras. Climatic vulnerability like water scarcity, drought, dry spells, delayed monsoon, hailstorm, cold waves and prolonged winter season were addressed under this project. This NICRA model of KVK Chamba was awarded at the Annual Review Workshop of Krishi Vigyan Kendras, which was held recently at the Central Research Institute for Dryland Agriculture, Hyderabad in which representatives of 121 KVKs took part. Dr Kehar Singh Thakur, Scientist cum Nodal officer of NICRA represented KVK Chamba in this workshop and gave an oral and poster presentation in the workshop. He received the Best NICRA Award for Zone-1 from Dr AK Singh, ICAR Deputy Director General (Agricultural Extension). He also bagged the award for the best poster presentation at the workshop. Dr Thakur dedicated the award to everyone associated with the project since its inception in 2011, particularly the farmers of Lagga village. Dr HC Sharma, UHF Vice Chancellor and other faculty and staff also congratulated the team on their achievement. Under the project, KVK Chamba carried out interventions at village Lagga which falls under Mehla block of District Chamba. It comprises of seven small villages like Lagga, Pudhruin, Ghati, Osal, Hathla, Shakla and Prechha. In the first phase (2011-2016), 102 families were selected covering an area of 89 ha. under different interventions. Four modules-Natural Resource Management, Crop Production, Livestock and Fisheries, and Capacity Building were covered. Different interventions/ demonstrations were also carried out in these selected villages. In 2018, five more villages were adopted to upscale the proven technology of existing villages. Successful interventions include the introduction of spur-type apple plantations in 24.9 ha area, 64 polyhouses, crop diversification with cabbage (46.0 ha.), crop diversification cauliflower (59.5 ha.) and protected cultivation in .80 ha area. (Capsicum cucumber and tomato are grown under protected cultivation).
वो 1952 का वर्ष था। डॉ वाईएस परमार अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने अपने गृह जिला सिरमौर की पच्छाद सीट से ताल ठोकी थी। ये वो दौर था जब हिमाचल प्रदेश अपने गठन की प्रक्रिया से गुजर रहा था और बीतते वक्त के साथ साथ प्रदेश का स्वरुप भी बदल रहा था। इसमें डॉ वाईएस परमार अहम किरदार निभा रहे थे। वे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के करीबी भी थे। लिहाजा ये लगभग तय था कि चुनाव के बाद यदि कांग्रेस सत्तासीन हुई तो डॉ परमार ही मुख्यमंत्री होंगे। कांग्रेस के अतिरक्त किसान मजदूर प्रजा पार्टी और भारतीय जन संघ ही इस चुनाव में हिस्सा लेने वाले प्रमुख राजनीतिक दल थे। किंतु दोनों दलों ने डॉ परमार के विरुद्ध प्रत्याशी नहीं उतारा और उन्हें वाक ओवर मिलना लगभग तय था। उसी वक्त सोलन में रहने वाली एक महिला ने निर्णय लिया कि वे डॉ परमार का मुकाबला करेंगी। ये वो दौर था जब प्रदेश की साक्षरता दर करीब 7 प्रतिशत थी , जबकि महिला साक्षरता दर तो तकरीबन 2 प्रतिशत ही थी। उस दौर के पुरुष प्रधान समाज में सियासत में एक महिला की भागीदारी किसी अचम्भे से कम नहीं थी। बावजूद इसके एक महिला ठान चुकी थी कि वह हिमाचल के निर्माण में अपना योगदान देगी। ये महिला थी अछूत कन्या और जिनघरो फैशन अबले इंडिया जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी सिने जगत की नायिका कलावती लाल। भारत -पाकिस्तान विभाजन के बाद कलावती लाल 1947 में अपने पति कर्नल रामलाल के साथ आकर सोलन में बसी थी। शहर के फारेस्ट रोड स्थित ग्रीन फील्ड कोठी ही उनका आशियाना था। दरअसल 1930 के दशक में कलावती की उच्च शिक्षा लाहौर में हुई थी जहाँ वो कामरेड मुहम्मद सादिक और फरीदा वेंदा के संपर्क में आई थी। तभी से उनकी विचारधारा भी वामपंथी हो गई थी। हालांकि उस दौर को गुजरे करीब दो दशक बीत चुके थे लेकिन वामपंथ विचारधारा की लौ अभी भुजी नहीं थी। खेर, चुनाव हुआ और वहीँ नतीजा आया जो अपेक्षित था। कलावती लाल प्रदेश के निर्माता डॉ वाईएस परमार से चुनाव हार गई।
हिमाचल प्रदेश में डोर टू डोर गार्बेज एकत्रित करने को लेकर एनजीटी सख्त हो गया है। एनजीटी ने स्थानीय शहरी निकायों को पन्द्रहअप्रैल तक सभी क्षेत्रों में घर-घर से ठोस एवं तरल कचरा अलग-अलग उठाने का कार्य शुरू करने के निर्देश जारी किए है। ऐसा न करने पर और सख्त कार्रवाई के साथ जुर्माना करने की भी चेतावनी दी है। शिमला जिला के शहरी स्थानीय निकायों तथा विभिन्न विकास खंडों द्वारा ठोस कचरा प्रबंधन नियम-2016 की अनुपालना के संबंध में बचत भवन में बैठक आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की ठोस कचरा प्रबंधन नियम कार्यान्वयन संबंधी राज्य समिति की अध्यक्ष राजवंत संधू सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। संधू ने कचरे के निपटारे के लिए आवास स्तर पर कचरा तरल व ठोस अलग-अलग एकत्र करने के निर्देश दिए और कहा कि इससे कचरे के बेहतर प्रबंधन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी सुरक्षित होगा। उन्होंने कहा कि ठोस एवं तरल कचरा विभिन्न खड्डों एवं नदियों तक न पहुंचे। उन्होंने जिला के सभी स्थानीय शहरी निकायों एवं विकास खंडों को निर्देश दिए कि कचरे के उचित निपटारे के लिए विज्ञान एवं तकनीकी प्रोद्योगिकी विभाग तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूर्ण पालन करें।समिति की अध्यक्ष ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए कि विभिन्न अस्पतालों में बायो वेस्ट के शत्-प्रतिशत निपटारे के लिए योजनाबद्ध कार्य करें। उन्होंने जिला के विभिन्न मंदिरों में पूजा के उपरांत एकत्र हो रहे फूल इत्यादि से धूप बनाने के लिए विभिन्न स्वयं सहायता समूहों को इस कार्य के साथ जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कचरा प्रबंधन को सही दिशा प्रदान करने एवं नियमों की अनुपालना के लिए उनकी समिति अब तक सोलन, ऊना, हमीरपुर तथा कांगड़ा जिला में बैठकें आयोजित कर व्यापक दिशा-निर्देश जारी कर चुकी हैं।
Shimla is known as the Queen of hills. The mesmerizing and picturesque views of the hills captivate every person who visits the place. Shimla is a place with pristine natural surroundings and quaint colonial architecture. Shimla is the capital of Himachal and also a retreat destination for most foreign tourists around the world. The snow-capped Himalayan peaks and green natural trails offer a breathtaking view of the city. Shimla is the most famous hill station of north India and a major Indian tourist hub. People often refer to Shimla as Shimla hills. What exactly is Shimla hill? Why the place is always synonymous with hills? Well, there is a reason behind this reference, read on to know more. Shimla is ideally located at the southwestern ranges of the Himalayan region. It is located 7238 feet above the sea level, which stands along a ridge with seven spurs. Shimla was built on top of seven different hills namely Inverarm Hill, Prospect Hill, Observatory Hill, Summer Hill, Elysium Hill, Bantony Hill, and Jakhoo Hill. In fact, the highest point is the Jakhoo hill that is located at the height of 8051 feet. The seven hills of Shimla 1.Inverarm Hill It’s a very famous hill in Shimla and it houses the Himachal state museum. The place is quiet and there is no buzz around it. Only a handful of tourists visit the hill when they come to visit the famous museum in Shimla. 2. Prospect Hill Prospect Hill is on the western side of Shimla city. It houses the very famous Kamna Devi Temple. Many devotees visit the place to seek divine intervention at this place. The hill is located at the height of 2200 meters above sea level. The view from this hill is spectacular. 3. Observatory Hill It’s located at the bottom towards the summer hill. The hill is located at the western part of Shimla. It has a height of 7050 ft above sea level. It houses the Indian Institute of advanced study, which is a major tourist attraction. 4. Summer Hill Summer hill is also located in the western part of Shimla. It's located at the height of 6500 feet above sea level. It is just 5 km away from the heart of the city. Its the center point of Kalka Shimla toy train. It also houses the famous Himachal Pradesh University campus. 5. Elysium Hill Its located in the northwestern part of Shimla. The place houses the famous state museum and bird park. The state museum gives a rich insight into the history and culture of Himachal city. Most people prefer trekking to get a panoramic view of this hill that is surrounded by flowers, trees, and forests. It also houses the Auckland house and Longwood. Elysium Hill is known as the 7th hill of Shimla. 6. Bantony Hill Bantony hill is located at the central part of the city just before the scandal point. It houses the famous Bantony Castle. The hill was named after Lord Bantony. He had built the castle on the hill as his summer residence. But, after independence, the place was used as a railway office. Today, no one uses the place and it's been declared as an impermissible place. 7. Jakhoo hill Its the most popular and famous hill of Shimla. In fact, its the highest point of Shimla that is located in the western part. It's located at a height of 8051 ft above sea level. It's just 2 km away from the city center. It houses the very famous ancient temple of Lord Hanuman. The place is popular for a 108-meter tall statue of Lord Hanuman There is a 2.5 steep climb from the ridge, which you need to take to reach the place. The place offers a mesmerizing view of sunset and sunrise that can leave you spellbound. Pine trees and deodar trees surround the hill. Shimla is surrounded by seven hills and hence its given the name of hill city. It's the most popular hill station in India. References to Shimla or Shimla hills Near Kufri region Just 20 km away from Shimla, there is another hill station, which is known as Kufri. The hill station was named by Britishers and is surrounded by mountains and great climate throughout the year. Different mountain ranges Shimla is surrounded by various mountain ranges. Trees such as deodar and oak are located in various parts of Shimla. It’s a home to the natural nature trail and magnificent valleys. The history behind it Shimla got its name from Goddess Shayamla Devi. Blessed with natural beauty and snow-capped peaks, it’s surrounded by hills and historical structures. Shimla straddles in a long eight-mile ridge that clings to the green hill slides. Shimla is a place that is bounded by the state of Uttarakhand that is in the mountain region. It's near the Mandi and Kullu region in the north and Kinnaur region in the south. The green belt in Shimla is spread around 414 hectares of land and there are so many places of attraction that fascinate the tourists. Ridge is the pedestrian esplanade that is situated along the Mall road in Shimla. Major places of Shimla like snow down and Jakhoo hill are connected through the ridge. The base ridge of Shimla had the thickest forestland in the area. Today, the same area is covered by Himalayan oak, pines, furs and rhododendron trees. Shimla hill station is the regal summer capital, which Britishers used to recoil when the temperature of Indio-Gangetic plains was agonizing. Be it the ancient stonework of the place or the spectacular viceregal lodge, the architectural excellence is still alive at the place. Shimla is surrounded by snow slopes of snowcapped mountain peaks so its the favorite spot for trekkers too. The mountain peaks also fascinate skiers from all over India. Shimla is the most beautiful hill station of India, truly the Queen of hills.
डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं को देश में डेहलिया फूल की टेस्टिंग का लीड सेंटर के रूप में नामित किया है। भारत सरकार के कृषि सहकारिता व किसान कल्याण विभाग के पौधा किस्म और कृषक अधिकार प्राधिकरण ने धौलाकुआं अनुसंधान केंद्र को इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर का लीड सेंटर बनाया है। इससे प्रदेश में डेहलिया की खेती को बढ़ावा मिलेगा। इस अनुसंधान केंद्र को फूलों पर शोध कार्य करते ज्यादा समय नहीं हुआ है। वर्ष 2012 में सजावटी पौधों पर काम शुरू किया गया था, लेकिन इस क्षेत्र में अनुसंधान केंद्र ने काफी प्रगति की है। पौधा किस्म और कृषक अधिकार प्राधिकरण ने 2016-17 में 18 लाख रुपये की एक परियोजना इस केंद्र को स्वीकृत की थी। इसके तहत डेहलिया के विभिन्न रंग, आकार व श्रेणियों की 50 से अधिक किस्में उत्तराखंड और आसपास के क्षेत्रों से केंद्र पर लाई गई। मुख्य अन्वेषक डॉ. प्रियंका ठाकुर ने बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य डेहलिया का डीयूएस टेस्टिंग के निर्देशों का विकास और फूल की विभिन्न प्रजातियों और कल्टीवार का मूल्यांकन करना है। प्रदेश के किसान इस नई फसल को कट फ्लॉवर के साथ पॉट प्लांट प्रोडक्शन के लिए भी अपना सकते हैं। डेहलिया फूलों का राजा नाम से भी मशहूर है। पौधों की ऊंचाई विभिन्न किस्मों में अलग-अलग पाई जाती है। दो इंच लॉलीपॉप शैली से लेकर विशाल 10-15 इंच 'डिनर प्लेट' स्टाइल के फूल पांच फीट की ऊंचाई तक बढ़ सकते हैं। फरवरी से मई तक यह फूल खिला रहता है। किसान कट फ्लावर, गमले और लैंडस्केप पौधों और पौधों के उत्पादन से लाभांश कमा सकते हैं। नौणी विश्वविद्यालय के छात्र भी प्रदेश की निचली पहाड़ी परिस्थितियों के लिए डेहलिया की किस्मों के मूल्यांकन पर काम कर रहे हैं। क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र धौलाकुआं के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. एके जोशी ने बताया कि डेहलिया परीक्षण के राष्ट्रीय स्तर के लीड सेंटर की मान्यता पाना एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यह सर्दियों में खिलने वाला बहुत ही लोकप्रिय और उपयोगी फूल है। डॉ. जोशी ने कहा कि इस मान्यता से अनुसंधान स्टेशन द्वारा किए जा रहे कार्य को देश में पहचान मिलने के साथ प्रदेश में इस फूल की व्यावसायिक खेती को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी। नौणी विवि के कुलपति डॉ. एचसी शर्मा और अनुसंधान निदेशक डॉ. जेएन शर्मा ने वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
Solan is still waiting for writers home, the promise made by one of the world's richest novelists, Salman Rushdie. When Salman Rushdie visited Solan on April 13, 2000 he had told his attorney and leading Supreme Court lawyer Vijay ST Shankardas that he wish to convert his ancestral property 'Anees Villa' into a writer's home. The idea was to provide stay to five to six writers by converting one of the rooms into a library, but till now nothing has been done. Though before two years District Administration tried to approach Mr Rushdie for the same reason but they failed. Instead representatives of Rushdie are now trying to sell this Heritage property. The surprising fact is that one of the richest novelists, Salman Rushdie is even not able to repair his ancestral home which is built over an area of 2,934-sq yard in the typical British style. As the result Anees Villa is losing its charm as the unchecked construction in and around the heritage building has blocked its view. This is the same home for which he fought legal battle with the then government of Himachal Pradesh. It was gifted to him by his father Maulvi Anees Ahmed in 1969. Anees Villa was built in 1927, and was purchased by Salman Rushdie's grandfather Mohammad Uldin. As per the revenue records of 1953-69, this building was declared an evacuee property by the state government after partition. Later in 1992 Rushdie staked claim on the property and moved the court. After five years of legal fight he finally won the case and the property was restored back to him in 1997. Interestingly, Rushdie never spend even a single night in this house.
सोलन में प्राकृतिक सुंदरता की कमी नही है। हिमालय रेंज की सबसे पुरानी और लंबी 28 किमी गुफा का इतिहास आज भी रहस्यमय है। हम ज़िक्र कर रहे है कालका-शिमला हाईवे के समुद्र तल से 7 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित करोल गुफा की। इस गुफा को करोल टिब्बा के नाम से भी जाना जाता है। करोल पर्वत का सौंदर्य इतना है कि हर कोई यहां आने की चाहत रखता है। करोल पर खड़े होकर एक तरफ हिमालय तो दूसरी ओर मैदानी राज्यों के दर्शन होते है। यहां से शिमला, चायल, कसौली, अपर हिमाचल की बर्फ से ढ़की पहाड़ियां और धौलाधार रेंज भी नजर आती है। वहीं चंडीगढ़ व अन्य मैदानी क्षेत्रों को भी देखा जा सकता है. करोल पर खड़े होकर एक तरफ हिमालय तो दूसरी ओर मैदानी राज्यों के दर्शन होते है। यहां से शिमला, चायल, कसौली, अपर हिमाचल की बर्फ से ढ़की पहाड़ियां और धौलाधार रेंज भी नजर आती है। वहीं चंडीगढ़ व अन्य मैदानी क्षेत्रों को भी देखा जा सकता है। गुफा के बारे में और अधिक जानने के लिए फर्स्ट वर्डिक्ट टीम ने यंहा के स्थानीय लोगो से बात की तो बहुत सी बातें सामने आयी, यहाँ के लोगो की माने तो गुफा के अंदर अलौकिक शक्तियां हैं, जिनका रहस्य अभी तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं। गुफा 50 फ़ीट तक ही पाया जाता है, गुफा में पानी होने के कारण गुफा में जाने का रास्ता काफी जटिल है व फिसलन भरा है। लोगो का मानना ये भी है कि यह गुफा पांडव काल की है और इस स्थान से शुरू होकर 28 किमी दूर कालका के पिंजोर पार्क निकलती है। एक जर्मनी के साइंटिस्ट ने जब इस गुफा के अंदर प्रयोग के तौर पर रंगीन पानी डाला तो यह पिंजौर गार्डन के पानी के प्राकृतिक चश्मों में निकला। इससे ये प्रमाण होता है कि गुफा पिंजौर में ही निकलती है। इस के बाद भी कई वैज्ञानिको ने इस गुफा का मुआयना किया और हर बार वैज्ञानिको के सामने नई बातें आती है। स्थानीय लोगो को इस गुफा से काफी आस्था है। मान्यता है कि इस गुफा में भगवान शिव ही नहीं बल्कि पांडवों ने भी यहां तपस्या की थी। किवदंती के मुताबिक महाभारत में जब शकुनि ने पांडवों को लाक्ष्य गृह में जिंदा जलाने की योजना तैयार की तो भीष्म पितामह ने पांडवों को भगाने के लिए इस गुफा का निर्माण किया था। पांडव यहां पर पांच वर्ष तक रहे थे। गुफा के अंदर कई अजीबोगरीब चीजें हैं जिन्हें देखने के बाद किसी की अंदर जाने की हिम्मत नहीं पड़ती। एक अन्य मान्यता ये भी है कि इस गुफा में भगवान शिव और उनका परिवार रहता था। गुफाके अंदर कई शिवलिंग भी बने हुए हैं। जो ऐसे में अनेकों रहस्य समेटे हुए हैं।जामवंत से भी सम्मलित है कहानी, इस गुफा का संबंध जामवंत से भी रहा है। कहते हैं कि लंका युद्ध के बाद जब श्रीराम ने सबकी विदाई की तो जामवंत ने कहा था कि लंका में इतने बडे योद्धाओं के साथ मलयुद्ध करके भी मेरी भुजाएं संतुष्ट नहीं हुई हैं तो श्रीराम ने उन्हें जामवंत की यह इच्छा द्वापर युग में पूरी होने की बात कही थी। उसके बाद से जामवंत इसी गुफा में रहने लगे थे। द्वापर युग के अंत में श्रीकृष्ण के साथ जामवंत का युद्ध हुआ तो फिर श्रीकृष्ण ने उन्हें त्रेता युग में उनकी इच्छा के बारे में बताया। उसके बाद जामवंत को अपनी कागलती का एहसास हुआ था। संस्कृत के शब्दकोष में करोली शब्द का अर्थ 'रीछ की गुफा' है। गुफा के मुहाने पर प्राचीन ठाकुरद्वारा मंदिर व आषाढ़ माह के पहले रविवार को लगने वाला मेला सिद्ध बाबा करोल इस घटना से जुड़े हैं। बताते हैं कि आषाढ़ माह के पहले रविवार को ही श्रीकृष्ण का जामवंती से इसी गुफा में विवाह हुआ था। ऐसे पहंच सकते है गंतव्य करोल खुम्ब सिटी के नाम से मशहूर सोलन शहर करोल पर्वत की गोद में बसा हुआ है। जनवरी माह में बर्फबारी के दौरान पूरा पहाड़ बर्फ की सफेद चादर में लिपट जाता है। करोल पर्वत जाने के लिए सोलन के चंबाघाट से भी रास्ता जाता है। सोलन शहर से आगे कालका शिमला एनएच पर डेडघराट क्षेत्र के पास से पांडव गुफा के लिए रास्ता जाता है। इसमें करीब साढ़े पांच किलोमीटर की चढ़ाई बान व देवदार के घने जंगलों के बीच से तय करनी पड़ती है। अन्य राज्यों से आने वाले सोलन तक रेलगाड़ी के माध्यम से भी आ सकते हैं। उसके आगे बस या गाड़ियों के माध्यम से भी जा सकते हैं।
विश्व धरोहर कालका -शिमला रेलवे रूट खतरे में है। लालफीताशाही और हुकूमत में इच्छाशक्ति की कमी के चलते आज यह विरासत बदहाली के दौर से गुजर रही है। कहीं डंगे टूटे पड़े है तो कही ट्रैक से सट कर निर्माण हो रहा है। इसे विडम्बना ही कहेगे कि जिस 100 किलोमीटर लंबे बेहद दुर्गम रेलवे रूट का निर्माण ब्रिटिश हुकूमत ने महज तीन वर्ष में कर दिखाया था , देश की चुनी हुई लोकतान्त्रिक सरकारें आज उसकी देख रेख भी ठीक से नहीं कर पा रही । हालांकि वर्ष 2007 में प्रदेश सरकार ने इसे हेरिटेज घोषित किया और वर्ष 2008 में इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की फेहरिस्त में शामिल किया गया। लेकिन बावजूद इसके इस विश्व धरोहर की बदहाली जस की तस कायम है। बल्कि दिन ब दिन बदतर होती जा रही है । आलम यह है कि ट्रैक का जो हिस्सा वर्तमान में काम नहीं आ रहा , वहां तो कबाड़ियों ने पटरियों के नट बोल्ट तक खोल डाले । लेकिन सुध लेने को कोई तैयार नहीं है। न विश्व का सबसे बड़े विभागों में शुमार भारतीय रेलवे सेवा और न ही सरकार। बस कभी कभार एनक्रोचमेंट की एवज में विभाग नोटिस थमा अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। ब्रिटिश व्यवस्था से ले सबक वर्ष 1903 में तत्त्कलीन ब्रिटिश वाइसराय लार्ड कर्ज़न ने ट्रैक का औपचारिक उद्घटान किया था। 11 दशकों से अधिक के सफर के बाद हम आज इस विषय धरोहर के निर्माण से सबक ले या इसकी बदहाली पर चिंतन करे ,ये मंथन का विषय है । ब्रिटिश राज में अफसरों की जवाबदेही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तत्कालीन ब्रिटिश इंजीनियर बरोग ने टनल संख्या 33 के निर्माण में असफल होने पर शर्मिंदगी के चलते आत्महत्या कर ली थी। हुकूमत ने उन पर एक रुपए का जुर्माना भी ठोका था। और आज आज़ाद भारत में अफसरशाही इस कदर हावी है कि किसी ब्रिज के गिरने से भीषण हादसा पेश आने पर भी अधिकारी ज़िम्मेदारी से भागते है। ब्रिटिश इंजीनियरों ने टेके घुटने , बल्खु ने थामी कमान कालका -शिमला रेलवे ट्रैक के निर्माण की कहानी बेहद दिलचस्प है। वर्ष 1898 में इस नैरो गेज रेलवे ट्रैक की नींव रखी गई । लेकिन निर्माण शुरू हुआ वर्ष 1900 में। और महज 3 वर्षो में ब्रिटिश हुकूमत ने 100 किलोमीटर लंबे इस दुर्गम ट्रैक का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया। जो आज के तकीनीक दौर में भी आसान नहीं है। उस दौरान मार्ग पर 20 स्टेशन व 107 टनल का निर्माण किया गया था। जिनमे से 18 स्टेशन और 102 टनल वर्तमान में कार्यरत है। निर्माण के दौरान टनल नंबर 33 ब्रिटिश हुकूमत के सामने सबसे बड़ी चुनोती थी। इसी टनल में इंजीनियर बरोग आत्महत्या कर चुके थे। जिसके बाद निर्माण कार्य इंजीनियर एचएस हेर्रिन्ग्टन ने संभाला। लेकिन सभी विशेषज्ञों ने घुटने टेक दिए । जिसके बाद हेर्रिन्ग्टन ने स्थानीय चरवाहे बल्खु को इसका दायित्व सौपा। और नतीजा सबके सामने है। जिस टनल को निकालने में नामी ब्रिटिश इंजीनियर घुटने टेक चुके थे उसे बल्खु ने निकाल अपना लोहा मनवाया।