सोलन ज़िला के धर्मपुर विकास खण्ड की ग्राम पंचायत बाड़ियां में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया गया। शिविर की अध्यक्षता सिनियर सिविल जज कसौली नेहा शर्मा ने की। नेहा शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि आम जन तक विभिन्न नियमों एवं कानूनों की उचित जानकारी पंहुचाने तथा समाज के कमजोर वर्गों की आवश्यक कानूनी सहायता करने के लिए नियमित अन्तराल पर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि शिविरों में सम्मिलित होकर इनका लाभ उठाएं। सिनियर सिविल जज ने इस अवसर पर लोगों को दिवानी एवं फौजदारी मामलों की बारीकियों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि विभिन्न मामलों को न्यायालय से बाहर निपटाने के लिए लोक अदालतों एवं न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थों की सहायता ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि आपस में निपटने वाले मामलों को न्यायालय में लाने के स्थान पर स्वयं अथवा पंचायत स्तर पर या मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए बनाए गए मध्यस्थता केन्द्रों में विभिन्न मामले दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखकर ही सुलझाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति आर्थिक तंगी के कारण न्याय से वंचित न रहे इसके लिए निःशुल्क कानूनी सहायता का प्रावधान है। इसके लिए हर न्यायालय में फ्रन्ट कार्यालय खोले गए हैं। अधिवक्ता यादविन्द्र सिंह ने इस अवसर पर घरेलू हिंसा, 138 एनआई अधिनियम सहित अन्य कानूनी प्रावधानों की जानकारी प्रदान की। ग्राम पंचायत प्रधान ममता गुप्ता ने विधिक साक्षरता शिविर के आयोजन के लिए आभार व्यक्त करते हुए आशा जताई कि भविष्य में भी ऐसेे शिविर आयोजित किए जाते रहेंगे।
इन्नरव्हील क्लब सोलन मिडटाउन द्वारा हिमानी होटल में दायित्व ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में शूलिनी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पी के खोसला ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। पदाधिकारियों में शैली पहुजा सचिव,रेणु शर्मा उप प्रधान,रैना गुप्ता कोषाध्यक्ष, मोनिका बंसल आयी.एस.ओ. ,और अंजू पब्याल ने एडिटर ने अपने-अपने पदभार संभालें। इस अवसर पर नए सदस्यों ने सदस्यता ग्रहण की । क्लब ने दो सिलाई मशीन ज़रूरतमंद महिलाओं को दी जो कि रोटरी के पूर्व प्रधान जितेंद्र भल्ला द्वारा प्रयोजक की गई। क्लब प्रधान ने पिछले साल की विशेष उपलब्धियों के बारे में बताया। इसमें क्लब को डिस्ट्रिक्ट द्वारा वुमैन एमपावरमेंट के लिए रनिंग ट्रोफ़ी,नशाबंदी के ख़िलाफ़ रैली और ब्रेस्ट फ़ीडिंग के लिए सम्मान पत्र मिले । क्लब प्रधान ने बताया की वह आगे भी अपने क्लब मेंबरो के सहयोग से सामाजिक बुराइयों के ख़िलाफ़ जागरुकता कार्यक्रम चलाएंगी । इस कार्यक्रम में उषा ठाकुर,नीलम अग्रवाल,सुनिता अग्रवाल शामिल रहीं।
Sanjay Balraj Dutt is celebrating his 60th birthday today. The life of Sanjay Dutt is no less than a Bollywood blockbuster. Let's know interesting facts about his life. Bollywood actor Sanjay Dutt was born to actor parents Sunil Dutt and Nargis in Mumbai. Sanjay received his education from The Lawrence School, Sanawar near Kasauli. His debut film was Rocky, which released in 1981. Just three days before the release of Rocky, his mother Nargis died. After death of Nargis, Sanjay plunged into drug addiction. Manyata is his third wife Dutt married actress Richa Sharma in 1987. She died of a brain tumour in 1996. Dutt's second marriage was to air-hostess-turned-model Rhea Pillai in February.The divorce finalised in 2008. Dutt married Manyata in 2008. He is the father of twins born in 2010. After rehabilitation, Sanjay joined back the industry in 1985 to resume his career. In 1993, Sanjay was arrested on charges of involvement in the 1993 Mumbai bomb blasts. He spent 18 months in jail and got bail in April 1995. Later, the Supreme Court of India, in a judgement on 21 March 2013, convicted Dutt of illegal possession of arms relating to the 1993 Mumbai blasts case and sentenced him to five years imprisonment. Sanjay Dutt has been part of some memorable films like "Naam", "Khalnayak", "Vaastav: The Reality", "Mission Kashmir", "Munna Bhai M.B.B.S.", "Lage Raho Munna Bhai" and many more. The Playboy Image Sanjay was rumoured to be dating Tina Munim, who is now the wife of Anil Ambani. He himself admitted that he was in three relationships at one point of time. People also say that after working together in several movies like Saajan, Thaanedar, Khalnayak etc, Sanjay and Madhuri fell in love with each other. Sanjay’s first wife Richa’s sister, Ena Sharma outrightly accused Madhuri of breaking her sister’s marriage with Sanjay.
हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग का विशेष स्थान है और इन्हें भगवान शिव के आदि-अनन्त रूप के प्रतीक के तौर पर पूजा जाता है।ज्योतिर्लिंग में स्वयं शिव का वास होता है। पुराणों के अनुसार इन 12 जगहों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे। इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, पूजन, आराधना और नाम जपने मात्र से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद किनारे स्थित है भगवान् सोमनाथ का मंदिर। चंद्रमा का एक नाम सोम भी है। मान्यता है कि चंद्रमा ने भगवान शिव को आराध्य मानकर पूजा की थी, इसलिए उसी के नाम पर इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ा। महादेव के करोड़ों भक्तों के लिए सोमनाथ का विशेष महत्व है।पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्णचन्द्र ने यदु वंश का संहार कराने के बाद अपनी नर लीला समाप्त कर ली थी। ‘जरा’ नामक व्याध (शिकारी) ने अपने बाणों से उनके चरणों (पैर) को भेद डाला था। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग। इसके दर्शन से सात्विक मनोकामनाएं पूरी होती हैं और दैहिक, दैविक और भौतिक पाप नष्ट हो जाते हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। महाभारत के अनुसार श्रीशैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से लोगों के सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं और अनन्त सुखों की प्राप्ति होती है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन, पूजन, आराधना से भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं। वे भगवान शिव की कृपा के पात्र बनते हैं। यह परम पवित्र ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में है। इसे प्राचीन साहित्य में अवन्तिका पुरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान महाकालेश्वर का भव्य ज्योतिर्लिंग विद्यमान है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से चतुर्थ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर है। यह मध्य प्रदेश के शिवपुरी में स्थित है। यहाँ दो ज्योतिर्लिंगों की पूजा की जाती है, ओंकारेश्वर और अमलेश्वर। यही केवल एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो नर्मदा के उत्तरी तट पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि ये तट ॐ के आकार का है। यहाँ प्रतिदिन अहिल्याबाई होल्कर की तरफ से मिट्टी से निर्मित 18 शिवलिंग तैयार करके नर्मदा नदी में विसर्जित किये गए हैं। यह ज्योतिर्लिंग पंचमुखी है। मान्यता है कि भगवान शिव तीनों लोको का भ्रमण करके यहाँ विश्राम करते हैं। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के उत्तराखंड राज्य में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ ही चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। श्री केदारनाथ को ‘केदारेश्वर’ भी कहा जाता है, जो केदार नामक शिखर पर विराजमान है। इस शिखर से पूर्व दिशा में अलकनन्दा नदी के किनारे भगवान श्री बद्री विशाल का मन्दिर है। जो कोई व्यक्ति बिना केदारनाथ भगवान का दर्शन किए यदि बद्रीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है, तो उसकी यात्रा निष्फल अर्थात व्यर्थ हो जाती है। भीमशंकर ज्योतिर्लिंग इस ज्योतिर्लिंग का नाम ‘भीमशंकर’ है, जो डाकिनी पर अवस्थित है। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमशंकर मंदिर बहुत ही प्राचीन है, लेकिन यहां के कुछ भाग का निर्माण नया भी है। इस मंदिर के शिखर का निर्माण कई प्रकार के पत्थरों से किया गया है। यह मंदिर मुख्यतः नागर शैली में बना हुआ है। मंदिर में कहीं-कहीं इंडो-आर्यन शैली भी देखी जा सकती है। विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग सप्तम ज्योतिर्लिंग काशी में विराजमान ‘विश्वनाथ’ को सप्तम ज्योतिर्लिंग कहा गया है। कहते हैं, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है। इसे आनन्दवन, आनन्दकानन, अविमुक्त क्षेत्र तथा काशी आदि अनेक नामों से स्मरण किया गया है। काशी साक्षात सर्वतीर्थमयी, सर्वसन्तापहरिणी तथा मुक्तिदायिनी नगरी है। निराकर महेश्वर ही यहाँ भोलानाथ श्री विश्वनाथ के रूप में साक्षात अवस्थित हैं। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग अष्टम ज्योतिर्लिंग को ‘त्र्यम्बक’ के नाम से भी जाना जाता है। श्री त्रंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग तीन छोटे-छोटे लिंग ब्रह्मा, विष्णु और शिव प्रतीक स्वरूप, त्रि-नेत्रों वाले भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदिर के अंदर गर्भगृह में प्रायः शिवलिंग दिखाई नहीं देता है, गौर से देखने पर अर्घा के अंदर एक-एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं। सुवह होने वाली पूजा के बाद इस अर्घा पर चाँदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग नवम ज्योतिर्लिंग ‘वैद्यनाथ’ हैं। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त के संथाल परगना में जसीडीह रेलवे स्टेशन के समीप में है। पुराणों में इस जगह को चिताभूमि कहा गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे ‘वैद्यनाथधाम’ कहा जाता है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग नागेश नामक ज्योतिर्लिंग जो गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है। इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है। मान्यता है कि सावन मास में इस प्राचीन नागेश्वर शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंगों की एक साथ पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मंदिर में इन अद्भुत शिवलिंगों के दर्शन व पूजन के लिए दूर-दूर से श्रद्घालु आते हैं। सावन में विशेष रूप से सोमवार को खासी भीड़ रहती है। मान्यता है कि भगवान शिव के निर्देशानुसार ही इस शिवलिंग का नाम ‘नागेश्वर ज्योतिर्लिंग’ पड़ा। रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के प्रमुख तीर्थों में से एक रामेश्वरम को भगवान श्रीराम ने शिवलिंग निर्माण के लिए चुना था। इसलिए इसका नाम रामेश्वर पड़ गया। रामेश्वरम को पुराणों में गंधमादन पर्वत कहा जाता है, यह बंगाल की खाड़ी एवं अरब के सागर के संगम स्थल पर स्थित है। रामेश्वरतीर्थ को ही सेतुबन्ध तीर्थ कहा जाता है। यह स्थान तमिलनाडु के रामनाथम जनपद में स्थित है। यहां समुद्र के किनारे भगवान रामेश्वरम का विशाल मन्दिर शोभित है। यह हिंदुओं के चार धामों में से एक धाम है। घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग घृश्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र क्षेत्र के अन्तर्गत दौलताबाद से लगभग अठारह किलोमीटर दूर ‘बेरूलठ गांव के पास है। इस स्थान को ‘शिवालय’ भी कहा जाता है। घृश्णेश्वर को लोग घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर भी कहते हैं। घृश्णेश्वर से लगभग आठ किलोमीटर दूर दक्षिण में एक पहाड़ की चोटी पर दौलताबाद का क़िला मौजूद है।इस मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर द्वारा करवाया गया था। पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के हिन्दू मानते हैं कि उपरोक्त 12 ज्योतिर्लिंग धड़ हैं और काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर इसका सर है।
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के उपलक्ष्य पर परवाणू के हिमाचल राज्य विद्युत निगम के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने निगम कार्यालय में खाली भूमि पर पौधरोपण किया। इस दौरान करीब 125 पौधे रोपे गये। इस अवसर पर महिला आयोग की प्रदेश अध्यक्ष डेजी ठाकुर भी उपस्थित रही। डेज़ी ठाकुर ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण का जिम्मा सभी का है। आए दिनों पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई हो रही है जिस कारण पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसकी पूर्ति कर पाना तो असंभव है पर हमें होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए पौधरोपण करना चाहिए व मानवीय वजह से नुकसान न पहुंचे इस बात का सभी को ख्याल रखना चहिए। इस दौरान परवाणू डिविजन के एक्सईन राहुल वर्मा ने सभी का धन्यवाद करते हुए आशा जताई कि भविष्य में भी पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जाने वाले कार्यो में सबका सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस पौधारोपण में माइक्रोटैक ग्रुप का विशेष सहयोग रहा, उन्होंने माइक्रोटैक ग्रुप का भी धन्यवाद किया।
रोटरी क्लब, इनर व्हील क्लब व स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सोलन के तत्वधान में रविवार को बड़ोग वेल्ली सोलन में पौधा रोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस पौधरोपण कार्यक्रम में 110 पौधे लगाए गए। इसमें मुख्य रूप से देवदार , सिल्वर ओक, कपूर आदि के पौधे लगाए गए। इस दौरान कारगिल विजय में जान की बाजी लगाने वाले देश के वीर जवानों को पौधा लगा कर श्रद्धांजलि दी गई। इस मोके पर प्रोजेक्ट चेयरमैन डॉ राकेश प्रभाकर व प्रधान मनीष तोमर ने बताया की रोटरी क्लब पौधरोपण व अन्य समाज सेवा के कार्य में अग्र्णी भूमिका निभा रहा है। हमें अपनी पुरानी सँस्कृति को अपनाते हुए वृक्षों को देव तुल्य सम्मान देना चाहिए। कार्यक्रम में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सोलन के मुख्य प्रबंधक शिवाली बंगा, रितेश कुमार, पार्षद पुनीत शर्मा, सेक्रेटरी अनिल चौहान, अरुण त्रेहन, तीरथ राम ठाकुर, बहु शर्मा, एस डी रतन, रोमेश अग्रवाल, कार्तिक सूद, वीरेंदर साहनी, डॉ कमल अटवाल, प्रवीण गुप्ता, निर्मल भान, विजय भुवनेश, लक्ष्मि नारायण शर्मा, संगीता त्रेहन, ऋतू पूरी, डॉ सुधीर मोहिंद्रू, मनोज कोहली व इनरव्हील क्लब प्रधान आरती दुगल मुख्य रूप से उपस्तिथ रहे।
प्रोफेसर प्रेम कुमार खोसला ने की क्लब के प्रयासों की तारीफ़ समाज के पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए रोटरी क्लब सोलन मिडटाउन उल्लेखनीय कार्य कर रहा हैं। क्लब पोलियो उन्मूलन, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में बढ़चढ़ कर अपना योगदान दे रहा है तथा समाज को नशा मुक्त बनाने हेतु सराहनीय प्रयास कर रहा है। यह बात प्रोफेसर प्रेम कुमार खोसला वाइस चांसलर शूलिनी विवि ने सोलन में रोटरी क्लब सोलन मिटाउन, रोटरेक्ट एवं इनरव्हील क्लब के स्थापना समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। इस दौरान उन्होंने सदस्यों से उक्त कार्यों के लिए बधाई दी व इसी प्रकार निस्वार्थ तरीके से समाज के उत्थान के लिए कार्य करने व सेवा करने का आह्वान किया। इससे पूर्व डॉ कैलाश पराशर को रोटरी क्लब सोलन मिडटाउन की विधिवत कॉलर सेरेमनी द्वारा कमान सौंपी गई। इस अवसर पर डॉ कैलाश ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य युवा वर्ग को नशे से दूर रखना व योग एवं खेलकूद की सुविधाएं प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि क्लब द्वारा पौधरोपण, मुफ्त चिकित्सा शिविर ,स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पोलियो उन्मूलन, शिक्षा के सुदृढ़ीकरण तथा विभिन्न समाज सेवा के लिए अभियान चलाया जाएगा। युवा एवं बुजुर्गों के लिए योग एवं जीवन शैली के रोगों की रोकथाम हेतु विशेष अभियान चलाया जाता है वह भविष्य में भी चलाया जाएगा। असिस्टेंट गवर्नर अतुल टांगरी ने डिस्ट्रिक्ट 3080 द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी तथा रोटरी इंटरनेशनल द्वारा क्लब के प्रोजेक्टों को पूर्ण रूप से आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया। इस अवसर पर कुल राकेश पंत, सदस्य प्रदीप अग्रवाल, डॉक्टर अरविंद गुप्ता, डॉ उपेंद्र कोल, रमन शर्मा, डॉ सीमा गुप्ता, शगुन शर्मा, विकास चोपड़ा, संदीप आनंद, जितेंद्र मल्ला, शिमला क्लब से नेहा शर्मा, रश्मि सलवान, डॉ राजेंद्र शर्मा, कर्नल शशि सलमान, उषा शर्मा सहित अन्य मौजूद रहे।
पांच वैरायटी के कलाकंद, सब लाजवाब कलाकंद एक ऐसा मिष्ठान है जिसका नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाता है और जब कलाकंद की बात होती है तो सबसे पहले ईशर स्वीट्स का नाम जहन में आता है। क्वालिटी से कोई समझौता नहीं और स्वाद ऐसा कि पेट भर जाए पर मन नहीं, ईशर स्वीट्स के कलाकंद के न सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि शिमला -कसौली आने वाले लाखों पर्यटक भी मुरीद है। यहाँ एक दो नहीं बल्कि पुरे पांच किस्म का कलाकंद मिलता है, सादा सफ़ेद कलाकंद, बटर स्कॉच कलाकंद, केसर कलाकंद, अंजीर कलाकंद और शुगर फ्री कलाकंद। सब एक से बढ़कर एक और लाजवाब ! करीब पिछले 5 दशक से लोग ईशर स्वीट्स के कलाकंद के मुरीद है और कई लोग तो ऐसे है जो कई किलोमीटर का सफर तय कर सिर्फ ईशर स्वीटस का कलाकंद खाने आते है। तीसरी पीढ़ी बढ़ा रही व्यवसाय श्री ईशर दास किसी ज़माने में शादी-ब्याह में खाना बनाने का कार्य करते थे। धीरे -धीरे उनके हाथ का स्वाद रंग लाने लगा और दूर -दूर से लोग उन्हें खाना बनाने बुलाने लगे, खासतौर से कलाकंद। इसके बाद श्री ईशर दास ने कालका में पहली दूकान खोली, जहां वहां अब भी बैठते है। वर्तमान में ईशर स्वीट्स की तीन दुकानें है और उनकी तीसरी पीढ़ी यानी की उनके पोते कमल और निखिल उनका व्यवसाय आगे बढ़ा रहे है। हर वैरायटी के लिए रखे गए है विशेष कारीगर : कमल श्री ईशर दस के पोते कमल ने बताया कि कलाकंद के अतिरक्त ईशर स्वीट्स दवार निर्मित ड्राई फ्रूट्स की मिठाइयों की भी काफी मांग है। विशेषकर सात प्रकार की बकलावा स्वीट्स की डिमांड न सिर्फ हिमाचल और हरियाणा से, बल्कि अन्य प्रदेशों से भी आती है। उन्होंने बताया कि हर वैरायटी की मिठाई और पकवान बनाने के लिए विशेष कारीगर रखे गए है, मसलन बंगाल से आये कारीगर बंगाली मिठाई तैयार करते हैं, तो राजस्थान से आये कारीगर घेवर और जलेबी बनाते है।
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अंग्रेजी सीखाने के लिए हिमाचल सरकार नई पहल करने जा रही है। इस योजना के तहत पहली से तीसरी कक्षा वाले सूबे के साढ़े 10 हजार स्कूलों में एक विशेष किट बांटी जाएंगी। संपर्क फाउंडेशन संस्था ये विशेष इंग्लिश किट बांटेगी। शिक्षक इस किट के अनुसार छात्रों को इंग्लिश प्रशिक्षण के गुर सिखाएंगे। 30 जुलाई को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शिमला से इस योजना का शुभारंभ करेंगे। इस इंग्लिश किट को विशेषकर छोटे बच्चों के लिए तैयार किया गया है। इसमें एक साउंड बॉक्स होगा, इससे शब्दों का उच्चारण होगा। इस बॉक्स को संपर्क दीदी नाम दिया गया है। एसएमएस से अभिभावकों तक पहुंचेगी बच्चों की रिपोर्ट 30 जुलाई को सीएम जयराम ठाकुर ई-संवाद ऐप का भी शुभारम्भ करेंगे। बच्चों की हर गतिविधि उनके अभिभावकों तक एसएमएस से पहुंचाने के लिए ई-संवाद मोबाइल ऐप तैयार किया गया है। फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंडी जिले में इसे शुरू किया जाएगा। फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट भेजने वालों अधिकारीयों पर कसेगा शिकंजा मौके पर गए बिना फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट भेजने वालों अधिकारीयों पर शिक्षा विभाग एप से शिकंजा कसेगा। सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करने के लिए शिक्षा विभाग ने शिक्षा साथी ऐप तैयार किया है, जिसका इस्तेमाल बीआरसीसी, डीपीओ और बीओ करेंगे। इसकी मदद से स्कूलों के निरीक्षण के दौरान संबंधित अधिकारियों को मौके से ही निरीक्षण की रिपोर्ट ऐप पर अपलोड कर सकेंगे।
मृतकों में दो श्रद्धालु दिल्ली के व एक शिमला का श्रीखंड महादेव यात्रा कर रहे तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। फिलहाल आधिकारिक तौर पर मृत्यु के कारणों का पता नहीं चला है , पर बताया जा रहा है कि इन तीन श्रद्धालुओं को सांस लेने में दिक्कत हुई जिसके चलते उनकी मृत्यु हो गई। यात्रा के दौरान भीमवही, नैनसरोवर और कुशां में इनकी मृत्यु हुई है।प्रारंभिक तौर पर हाइपोथर्मिया (शरीर के तापमान में कमी होना) इनकी मौत की वजह माना जा रहा है , किन्तु इसकी पुष्टि पोस्टमॉर्टेम के बाद ही हो पायेगी। मृतकों में से दो श्रद्धालु दिल्ली के और एक शिमला का रहने वाला है।एसडीएम आनी चेत राम ने बताया कि श्रीखंड महादेव की यात्रा के अंतिम पड़ाव में शनिवार देर रात डेढ़ बजे के करीब तीन लोगों की मौत हुई है। इनकी हुई मौत- 40 वर्षीय उपेंद्र सैनी पुत्र जीवन सैनी निवासी खलीणी, शिमला केवल नंद भगत पुत्र गोपाल भगत निवासी ए 577 चोखरी, वेस्ट दिल्ली आत्मा राम पुत्र खाशा राम, निवासी गली चेतराम मोजपुर, दिल्ली जब यात्रा बंद थी तो कैसे पहुंचे श्रद्धालु श्रीखंड महादेव की ऐतिहासिक यात्रा 15 जुलाई से शुरू हुई थी। 25 जुलाई को यात्रियों के अंतिम जत्थे का पंजीकरण किया गया था। उसके बाद यात्रा बंद कर दी गई थी। बावजूद इसके लोग यात्रा करने कैसे पहुंचे ये बड़ा सवाल है।बता दें कि निरमंड के बेस कैंप सिंहगाड़ से यह यात्रा शुरू होती है। 18,570 फीट की ऊंचाई पर श्रीखंड चोटी पर बाबा भोले नाथ के दर्शन के लिए 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यात्रा में आठ ग्लेशियर भी पार करने होते हैं। यात्रा करने वालों का सिंहगाड़ में पंजीकरण और मेडिकल चेकअप किया जाता है जिसके बाद ही श्रद्धालुओं को अनुमति मिलती हैं। तीनों मृतक किस तरह यात्रा करने पहुंचे, ये तफ्तीश का विषय है।
काली माता मंदिर के नाम पर ही शहर का नाम कालका पड़ा हिमाचल के प्रवेश द्वार और हरियाणा के कालका में स्थित सिद्ध शक्तिपीठ काली माता मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है। देश के हर कोने से माँ काली के भक्त यहाँ आते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काली माता मंदिर के नाम पर ही शहर का नाम कालका पड़ा था। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। वैसे तो श्री काली देवी का सर्वप्रसिद्ध शक्तिपीठ कलकत्ता में स्थित है, पर मान्यता है कि यहाँ पर भगवती सती के केश (बाल) गिरे थे। हालांकि इस स्थान की गणना 51 शक्तिपीठो में नहीं है लेकिन इस स्थान के बारे में मान्यता है कि भगवती देवी सती के केशो के कुछ अंश इस स्थान पर भी गिरे थे। कालिका माता मंदिर में माता के दर्शन एक पिण्डी के रूप में किए जाते है। देवताओं का दुख सुनकर माता ने किया था अपना स्वरूप विस्तार किंवदंति के अनुसार, सतयुग में महिषासुर, चंड-मुंड, शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज आदि राक्षसों का उपद्रव बढ़ गया था, जिससे देवता भी डरकर कंदराओं में छिपे फिरते थे। एक दिन सभी देवताओं ने आदिशक्ति श्री जगदंबा मातेश्वरी की स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर माता एक बालक के रूप में प्रकट हुईं। देवताओं का दुख सुनकर माता ने अपने स्वरूप को विस्तृत किया, जिसके हजारों हाथ पैर थे। सभी देवाताओं ने आदिशक्ति को अपना एक-एक शस्त्र दिया। विष्णु ने चक्र, शिव ने त्रिशूल, ब्रह्मा ने कमंडल, इंद्र ने वज्र, शेषनाग ने शेषफांस, यमराज ने यमफांस आदि शस्त्र माता को अर्पण किए। इसके बाद माता जगदंबा रणभूमि में उतरीं और महिषासुर सहित अन्य दैत्यों का संहार करके कालका भूमि स्थल पर स्थित हुईं, जो कालांतर में कालका में काली माता के नाम से प्रसिद्ध हुई। एक दंत कथा के अनुसार बहुत प्राचीन काल में यहा राजा जयसिंह देव का राज्य था। राजा जयसिंह देव सिंह ने ही इस मंदिर में श्री कालिका देवी की एक प्रतिमा स्थापित की थी।एक बार नवरात्रो के अवसर पर भगवती जागरण हो रहा था। राजमहल की स्त्रियां इकट्ठे होकर कालिका जु का स्तवन गान कर रही थी। स्वयं भगवती भी एक दिव्य स्त्री का वेश धारण करके उन राज महल की स्त्रियो में सम्मिलित होकर कीर्तन करने लगी। कीर्तन की समाप्ति पर कामातुर राजा ने देवी का हाथ पकड़ लिया और विवाह का प्रस्ताव दिया। इससे कालिका देवी क्रोधित हो गई और उन्होंने राजा को श्राप दे दिया कि – जिस राज्य के अभिमान से तुझे यह अहसास हुआ है उस राज्य सहित तेरा भी सर्वनाश हो जाएगा। तभी कालिका माता मंदिर में सिंह गर्जन होने लगा। पर्वत जमीन में धसने लगे और श्री कालिका जी की मूर्ती भी पहाड़ में प्रवेश करने लगी। इसके बाद एक साधू के निवेदन पर मात शांत हुई और तब देवी की वह मूर्ती जो पहाड़ के अंदर प्रवेश कर रही थी पहाड़ के साथ वैसी ही अवस्था में रह गई। आज भी यहा देवी का केवल सिर दिखाई देता है। मात के श्राप के कारण नष्ट हो गया था राज्य देवी के श्राप के चलते शत्रुओं ने राजा देव सिंह पर हमला कर दिया और राजा अपने दोनों पुत्रों सहित मारा गया। कहा जाता हैं कि पूरा नगर कालिका देवी जी के श्राप के कारण नष्ट हो गया। इस स्थान पर बिल्कुल उजाड़ हो गया था। राज्य का कही नामोनिशान नहीं था। वर्तमान में स्थित कस्बे का निर्माण उसके कई सौ वर्षो उपरांत हुआ माना जाता है। श्यामा गाय करती थी माता की पिंडी का अभिषेक कालका मंदिर की स्थापना को लेकर एक धारणा ऐसी है कि भगवान कृष्ण के द्वापर युग में जब पांडव जुए में हार गए थे तो उन्हें 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास हुआ। इसी दौरान पांडव विराटनगर में 12 वर्ष रहे। उस समय केवट राजा के राज्य में गाय की बहुत सेवा की जाती थी। वहीं एक श्यामा नामक गाय रोजाना अपने दूध से माता की पिंडी का अभिषेक करती थी। यह करिश्मा देख पांडव आश्चर्यचकित रह गए और पांडवों ने इसी स्थान पर माता के मंदिर मंदिर की स्थापना की।
परवाणू में रोटरी क्लब द्वारा शनिवार को वन महोत्सव मनाया गया। इसमें रोटरी क्लब के प्रधान आरटीएन रोटेरियन चांद कमल शर्मा, रोटेरियन योगेंद्र दीवान, रोटेरियन अनिल सहगल, पुनीत कपूर, राकेश भंडारी, पिंकी गुप्ता व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। रोटेरियन प्रधान चांद कमल ने बताया कि पौधरोपण अभियान के तहत आम, आंवला व अन्य किस्मों के पौधे परवाणू के दशहरा ग्राउंड में लगाए गए हैं जिनकी देखभाल की जिम्मेवारी भी क्लब ने ली है। इस अवसर पर उद्योग इकाइयों से आई हुई महिलाएं वह मजदूर भी उपस्थित थे।
लगभग 1.47 करोड़ रुपये के कार्यों का किया लोकार्पण उद्योग, श्रम एवं रोजगार तथा तकनीकी शिक्षा मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार आम आदमी की सरकार है और यह सुनिश्चित बनाया जा रहा है कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचे। बिक्रम सिंह आज सोलन जिला के दून विधानसभा क्षेत्र के लोदीमाजरा में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इससे पूर्व बद्दी में 1.15 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित ट्रक पार्किंग का लोकार्पण किया। इस पार्किंग में 50 से 60 ट्रक खड़े किए जा सकेंगे। उन्होंने लोदीमाजरा में बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ विकास प्राधिकरण द्वारा 31.50 लाख रुपये की लागत से निर्मित वर्षा शालिकाओं का लोकार्पण भी किया। बिक्रम सिंह ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में न केवल नवीन योजनाएं कार्यान्वित की हैं अपितु उनके लाभ लक्षित वर्गों तक पहुंचाएं भी हैं। राज्य सरकार जहां एक ओर शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क एवं उद्योग जैसे आवश्यक क्षेत्रों में मूलभूत अधोसंरचना को सुदृढ़ कर रही है वहीं रोजगार एवं स्वरोजगार के व्यापक अवसर भी सृजित किए जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित होने के लिए स्वयं भी पहल करें। उन्होंने लोगों को विश्वास दिलाया कि क्षेत्र में औद्योगिक निवेश के साथ-साथ ग्राम स्तर तक अधोसंरचना निर्माण पर विशेष बल दिया जा रहा है। उन्होंने इस अवसर पर लोदीमाजरा से खरयाणाा तक साढ़ तीन किलोमीटर लंबे संपर्क मार्ग को पक्का करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की विभिन्न जायज मांगों को निश्चित अवधि में पूरा किया जाएगा। बिक्रम सिंह ने इससे पूर्व ट्रक यूनियन के सदस्यों से आग्रह किया कि वे उद्योग जगत के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखें। उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि विभिन्न नियमों की अनुपालना सुनिश्चित बनाएं। ग्राम पंचायत लोदीमाजरा की प्रधान ममता खटाना ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मांगे प्रस्तुत की। इस अवसर पर दून विधानसभा क्षेत्र के विधायक परमजीत सिंह पम्मी, भाजपा मंडल के अध्यक्ष बलबीर ठाकुर, जिला भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रामगोपाल शर्मा, दून भाजपा के उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा, जिला भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कृष्ण कौशल, ग्राम पंचायत थाना के प्रधान तरसेम, गोसेवा आयोग के सदस्य देवराज शर्मा, बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनोद कुमार, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर शर्मा, एसडीएम नालागढ़ प्रशांत देष्टा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सोलन जिला के विद्यालयों में शीघ्र आयोजित होंगे योग जारूगता शिविर उपायुक्त सोलन केसी चमन ने कहा कि योग मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और यह सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए कि छात्रों को विद्यालय स्तर पर ही योग का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त हो। केसी चमन ने आज यहां योग एवं प्राणायाम जागरूकता अभियान कार्यक्रम की रूपरेखा सुनिश्चित करने के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। केसी चमन ने कहा कि विशेष रूप से विद्यालय एवं अन्य स्तरों पर योग एवं प्राणायाम के विषय में सभी को जागरूक बनाने के लिए व्यापक स्तर पर शीघ्र ही जागरूकता अभियान आरंभ किया जाएगा। उन्होंने जिला आयुर्वेद अधिकारी को निर्देश दिए कि इस विषय में शीघ्र तिथि निर्धारित कर कार्य आरंभ करें। उपायुक्त ने कहा कि अभियान के तहत सोलन जिला के सभी विद्यालयों में प्रातःकालीन सभा में विद्यार्थियों को विषय विशेषज्ञ द्वारा योग जागरूकता के संबंध में अवगत करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न विद्यालयों में चार-चार बच्चों के समूह बनाकर एक स्थान पर 50 से 150 तक बच्चों को योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे प्रार्थना सभाओं में सभी को योग करवा सकें। केसी चमन ने कहा कि सोलन स्थित एससीईआरटी एवं डाईट में अध्यापकों को भी योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में उन्हें जीवन शैली के संबंध में भी जागरूक बनाया जाएगा। उन्होंने इन संस्थानों में आवासीय प्रशिक्षण पर बल दिया। केसी चमन ने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए वे स्वयं जिला में कार्यरत 40 एलोपैथिक एवं 10 आयुर्वेदिक वेलनेस केंद्रों से विचार-विमर्श करेंगे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के धर्मपुर एवं सोलन खंडों में कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं तथा महिला एवं पुरूष स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए भी ये शिविर आयोजित किए जाएंगे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए भी ये शिविर आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों सहित सभी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए भी योग शिविर आयोजित होंगे। पुलिस विभाग के लिए इस प्रकार का शिविर पुलिस लाइन्स में किया जाएगा। उन्होंने उप कारागार सोलन के लिए भी शिविर आयोजित करने की संभावनाएं तलाशने पर बल दिया। उन्होंने पंचायती राज विभाग से आग्रह किया कि ग्राम सभाओं में इस तरह के शिविर आयोजित किए जाएं। केसी चमन ने कहा कि योग युवाओं को नशे की लत से बचाने में विशेष रूप से सहायक है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि योग को दैनिक रूप से अपनाएं। उन्होंने कहा कि छात्रों को सर्वप्रथम सूर्य नमस्कार का पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए क्योंकि सूर्य नमस्कार मस्तिष्क एवं संपूर्ण शरीर की पूर्ण यौगिक क्रिया संपन्न करवाता है। इस अवसर पर जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डाॅ. राजेंद्र शर्मा ने अभियान की विस्तृत जानकारी प्रदान की। बैठक में आयुर्वेदिक चिकित्सक डाॅ. अरविंद्र गुप्ता सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सोलन जिला राईफ्ल एसोसिएशन के महासचिव एवं जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष विजय सिंह ठाकुर ने कहा कि एसोसिएशन प्रदेश के उभरते निशानेबाजों को सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है ताकि प्रदेश के अधिक से अधिक निशानेबाज राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में देश तथा प्रदेश का नाम रोशन कर सकें। विजय सिंह ठाकुर आज सोलन जिला के दून विधानसभा क्षेत्र के कुठाड़ में आयोजित 3 दिवीय शूटिंग प्रतियोगिता में उपस्थित प्रतिभागियों एवं अन्यों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभिन्न राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिताओं में हिमाचल के निशानेबाजों ने देश तथा प्रदेश को अनेक पदक दिलाए हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमीरपुर के निशानेबाज विजय कुमार तथा जिला सिरमौर के समरेश जंग को जाना जाता है। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन के प्रयासों से शीघ्र ही हिमाचल से अनेक उद्यीयमान निशानेबाज प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि 3 दिवसीय शूटिंग प्रतियोगिता का आयोजन जिला राईफ्ल शूटिंग एसोसिएशन द्वारा किया जा रहा है। यह इस तरह की आठवीं प्रतियोगिता है। इस प्रतियोगिता में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब एवं हिमाचल सहित साथ लगते क्षेत्रों के निशानेबाज भाग ले रहे हैं। 138 प्रतियोगी विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुठाड़ स्थित टैगारे वनस्थली पब्लिक स्कूल में इंडारे प्रतियोगिता भी आयोजित की जा रही है। इसमें 37 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। प्रतिभागियों में 12 निशानेबाज राष्ट्रीय स्तर के हैं। इनमें से 7 सोलन जिला से संबंधित हैं। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य राईफ्ल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूरत सिंह ठाकुर, महासचिव ईश्वर रोहाल, अन्य पदाधिकारी तथा निशानेबाज उपस्थित रहे। तीन दिवसीय इस प्रतियोगिता का 28 जुलाई, 2019 को समापन होगा।
Queries addressed through farmer-scientist interaction A one-day field visit of farmers from various clusters under the Himachal Pradesh Horticulture Development Project (HP-HDP) was held at the high-density apple plantations of Dr YS Parmar University of Horticulture and Forestry (UHF), Nauni. The main aim of the event was to apprise the farmers of the benefits of high-density apple plantations and their management. Over 100 farmers from different clusters in Shimla, Sirmour, Mandi, Kullu, Kinnuar and Chamba chosen by the Project Control Unit of the HP HDP and officers of the Horticulture Department took part in the event. This event was organised by the Department of Fruit Science of the university. The idea behind the event was to apprise and address the queries of farmers who are raising high-density apple plantations under this project. Dr Parvinder Kaushal, Vice Chancellor of the University was the Chief Guest on the occasion. Dr JN Sharma, Director Research and Nodal Officer of the HP HDP at the University, Dr JS Chandel, Professor and Head, Department of Fruit Science, all the statutory officers and heads of department also took part in the occasion. Speaking on the occasion, Dr Kaushal said that the university has always been at the forefront of providing the latest knowhow to the farmers. He said that the research on high-density apple plantations at different altitudes is an effort to provide the apple growers the technical knowhow so that they can benefit from increased production through this modern technology. The university raised the plantations in the year 2016 keeping in view the importance of high-density plantations in fruit crops in general and apple in particular. Various varieties being studied are Jeromine, Red Velox, Red Cap Valtod, Scarlet Spur-II, Super Chief, Gale Gala, Redlum Gala and Auvil Early Fuji grafted on M9 and MM106 rootstocks. The university has been studying the performance of various varieties on different rootstocks namely M9 and MM106. The plant spacing i.e. 2.5 X 0.75 m (5333 plants/ha), 2.5 X 1.0 m (4000/plants/ha) and 2.5 X 1.5 m (2666 plants/ha) and training systems viz., Vertical Axis, Slender Spindle and Tall Spindle are being tested. “The University’s Department of Fruit Science has been conducting trials for development of Packages of Practices on high-density apple plantations under the World Bank funded HP HDP. The trials are being conducted in different agro climatic conditions at various research stations of the University including the main campus at Nauni to identify the suitable varieties and rootstocks along with ideal plant spacing and canopy management techniques and the results will be shared with the growers in the future,” said Dr Kaushal. During the field visit, the scientists of the Department of Fruit Science apprised the farmers about the various important aspects of high-density plantations, which can enable them to get best yield. A farmer scientist interaction was also held where all the queries of the farmers were addressed. What is high density plantations High-density planting refer to the planting of higher number of plants per unit area than the convention system of plantings. Conventionally, standard apple plants raised on seedling rootstocks are planted at a spacing of 7.5 X 7.5 m with a planting density of 178 trees/ha and spur varieties on seedling rootstocks are planted at a spacing of 5.0 X 5.0 m with a planting density of 400 plants/ha. The average productivity of these orchards is approximately 6 to 8 MT/ ha, which is much below the productivity obtained in high-density orchards (40-60 MT/ ha). In high density planting, apple plants on clonal rootstocks can be planted at 5333 plants/ha to increase the production per unit area basis and improves the quality of the produce. With the increasing pressure on land and reduction in average land holdings, shifting from low density planting systems to high density planting systems is need of the hour, as the trees in high density are more precocious, heavy yielders and produce better quality fruits. High-density orcharding can be done on flat and fertile lands with assured irrigation using dwarf/semi dwarf clonal rootstocks which can be trained to modern methods of canopy management viz., vertical axis, slender spindle and tall spindle etc. The technology is helpful in best utilization of land and resources and ease in orchard inter-culture operations, plant protection as well as harvesting and to obtain export quality of the produce. Canopy management has paramount importance in high density planting to control vigour of the trees and harvest quality fruits. Training and pruning are two important horticultural practices of canopy architecture that plays significant role in quality fruit production. Generally, training of trees aims at more penetration of sunlight, support to main branches for desired tree architecture to increase the planting density and finally increasing the production. The training systems like tall spindle, vertical axes, slender-spindle, head and spread are recommended for high-density apple orchards. Under these training systems, branches are trained to horizontal positions/below horizontal, using cloth pins on 8-10 cm shoots and tying of branches during summer months. Pinching of shoots at 8-10 cm growth is carried out to develop the fruiting spurs and to check the growth of branches.
बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक संघ के साथ बैठक संपन्न उद्योग, श्रम एवं रोज़गार तथा तकनीकी शिक्षा मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल को निवेश की दृष्टि से देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की दिशा में प्रयासरत है। सोलन जिला के नालागढ़ उपमंडल के बद्दी में बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक संघ के साथ आयोजित परस्पर संवाद को संबोधित करते हुए बिक्रम सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में यह प्रयास किया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश को देश एवं विदेश के निवेशकों के लिए बेहतरीन निवेशक स्थल बनाया जाए। इस दिशा में मुख्यमंत्री ने यूरोपीय एवं खाड़ी देशों का दौरा कर वहां से हिमाचल के लिए लाभदायक निवेश प्राप्त करने में सफलता पाई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 85 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रदेश को नियमित रूप से आकर्षक निवेश प्रस्ताव मिल रहे हैं। उद्योग मंत्री ने कहा कि भारत वर्तमान में विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। केंद्र सरकार देश में निवेशक मित्र वातावरण को प्रोत्साहित कर रोज़गार एवं स्वरोज़गार के अनगिनत अवसर सृजित करने की दिशा में प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि हिमाचल का स्वच्छ पर्यावरण एवं केन्द्र तथा प्रदेश सरकार द्वारा दी गई विभिन्न रियायतों के कारण यहां विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। उद्योग मंत्री ने बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक संघ से आग्रह किया कि वे इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए बड़ी परियोजनाओं का कार्य करें ताकि सभी के लिए जल की उपलब्धता बनी रहे। उन्होंने जल को प्रदूषण से बचाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार निवेश के साथ-साथ प्रदेश में युवाओं के कौशल को स्तरोन्नत करने के लिए भी कार्य कर रही है। जहां युवाओं के कौशल स्तरोन्नयन के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है वहीं कौशल बढ़ाने के लिए युवाओं को कौशल विकास भत्ता भी प्रदान किया जा रहा है। बिक्रम सिंह ने इससे पूर्व सरस्वती विद्यामंदिर बरोटीवाला में बेल का पौधा भी रोपा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रकृति एवं पर्यावरण के संरक्षण पर बल देती है और श्रावण के पवित्र मास में बेल का पौधा लगाना हम सभी का इस दिशा में एक प्रयास है। इस अवसर पर दून के विधायक परमजीत सिंह पम्मी, दून भाजपा मंडल के अध्यक्ष बलबीर ठाकुर, पूर्व जिला भाजपा अध्यक्ष डाॅ। श्रीकांत शर्मा, श्रम आयुक्त एसएस गुलेरिया, गौवंश सेवा आयोग के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा, बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनोद कुमार, उद्योग विभाग के निदेशक उद्योग हंसराज शर्मा, बीबीएनडीए के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर शर्मा, उपमंडलाधिकारी नालागढ़ प्रशांत देष्टा, बीबीएनआईए के अध्यक्ष संजय खुराना, महासचिव वाईएस गुलेरिया, वरिष्ठ उपप्रधान अनुराग पुरी, दिनेश जैन, पूर्व प्रधान शैलेश अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा औद्योगिक संघ के प्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे।
डीएवी अंबुजा विद्या निकेतन दाड़लाघाट में छात्र अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि अनिल गुप्ता ऑपरेशनल हेड अंबुजा सीमेंट दाड़लाघाट तथा अरविंद शर्मा मुख्य सुरक्षा अधिकारी अंबुजा सीमेंट दाड़लाघाट के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इसमें गगन ठाकुर बारहवीं कक्षा से हेड ब्वॉय और नियति गौतम को हेड गर्ल तथा सौरभ, लक्ष्य, आर्यन, प्रीतेश को क्रमशः दयानंद, गांधी, टैगोर और विवेकानंद सदनों के लिए हाउस कैप्टन चुना गया। स्कूल के प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि छात्र पदाधिकारी पद की गरिमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए काम करें।उन्होंने कहा कि स्कूल द्वारा छात्रों को यह जिम्मेदारी इसलिए दी जाती है ताकि वह अपने स्कूल,परिवार व समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा सके।उन्होंने छात्रों को कर्तव्यनिष्ठा से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए प्रेरित किया। स्कूल प्रबंधन समिति के चेयरमैन अनुपम अग्रवाल ने नव निर्वाचित छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि अनुशासन में रहकर पूरी कर्तव्यनिष्ठा से अपनी जिम्मेदारियों का वहन करें जिससे कि वह अपने स्कूल तथा परिवार का नाम रोशन कर सकें।
गुरुकुल इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कारगिल विजय दिवस पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इसमें एनसीसी कैडेट्स और कक्षा चौथी के छात्रों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सैनिकों को लघुनाटिका, गीत और वीर रस से भरी कविता गाकर श्रद्धांजलि दी। वहीं नीतीश द्वारा गाए देशभक्ति गीत को सुनकर सभी की आंखें नम हो गई। विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती गुरप्रीत माथुर ने कहा कि भारत माता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है और हर नागरिक के अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी होनी चाहिए। प्रार्थना सभा में भारत माता की जय तथा वीर सैनिक अमर रहे के नारे भी लगाए गए।
साईं इंटरनेशनल स्कूल में शुक्रवार को 'मैंगो डे' मनाया गया। इसमें विद्यालय के सभी बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस उपलक्ष्य पर सभी बच्चे पीले रंग के वस्त्रों में विद्यालय आए। बच्चे अपने-अपने घरों से आम लेकर आए और अध्यापिकाओं की मदद से बच्चों ने आमों को विभिन्न प्रकार के आकार देकर प्रस्तुत किया। अध्यापिकाओं ने बच्चों को फलों के राजा आम में पाए जाने वाले गुणों की जानकारी दी। सभी बच्चों ने बड़ी उत्सुकता के साथ इस जानकारी को सुना। स्कूल प्रबंधक श्री रामेंद्र बावा ने कहा कि विद्यालय परिसर में इस तरह की गतिविधियां आयातित करवाते रहते हैं जिससे बच्चे के अंदर मानसिक और बौद्धिक विकास होता है।
पांडवों ने माता कुंती के साथ यहां पर की थी महाकाल की आराधना पालमपुर से 16 किमी की दूरी पर स्थित बैजनाथ मंदिर लाखों शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है। द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास ने दौरान इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। कहते हैं कि मंदिर बनवाने के बाद पांडवों ने माता कुंती के साथ यहां पर महाकाल की आराधना की थी। स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर का शेष निर्माण कार्य आहुक एवं मनुक नाम के दो व्यापारियों ने 1204 ई में पूर्ण किया था और तब से लेकर अब तक यह स्थान शिवधाम के नाम से उत्तरी भारत में प्रसिद्ध है। भगवान शिव ने रावण को दिए थे दो शिवलिंग बैजनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग के स्थापना की कथा रावण से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग में लंका के राजा रावण ने कैलाश पर्वत पर शिव की तपस्या की थी। कोई फल न मिलने पर उसने घोर तपस्या प्रारंभ की। अंत में उसने अपना एक-एक सिर काटकर हवन कुंड में आहुति देकर शिव को अर्पित करना शुरू किया। दसवां और अंतिम सिर कट जाने से पहले शिवजी ने प्रसन्न हो प्रकट होकर रावण का हाथ पकड़ लिया। उसके सभी सिरों को पुर्नस्थापित कर शिव ने रावण को वर मांगने को कहा। रावण ने कहा मैं आपके शिवलिंग स्वरूप को लंका में स्थापित करना चाहता हूँ। आप दो भागों में अपना स्वरूप दें और मुझे अत्यंत बलशाली बना दें। शिवजी ने तथास्तु कहा और लुप्त हो गए। लुप्त होने से पहले शिव ने अपने शिवलिंग स्वरूप दो चिह्न रावण को देने से पहले कहा कि इन्हें ज़मीन पर न रखना। रावण दोनों शिवलिंग लेकर लंका को चला। रास्ते में गौकर्ण क्षेत्र (बैजनाथ) में पहुँचने पर रावण को लघुशंका का अनुभव हुआ। उसने 'बैजु' नाम के एक ग्वाले को सब बात समझाकर शिवलिंग पकड़ा दिए और शंका निवारण के लिए चला गया। शिवजी की माया के कारण बैजु उन शिवलिंगों के भार को अधिक देर तक न सह सका और उन्हें धरती पर रखकर अपने पशु चराने चला गया। इस तरह दोनों शिवलिंग वहीं स्थापित हो गए। जिस मंजूषा में रावण ने दोनों शिवलिंग रखे थे, उस मंजूषा के सामने जो शिवलिंग था, वह चन्द्रभाल के नाम से प्रसिद्ध हुआ और जो पीठ की ओर था, वह बैजनाथ के नाम से जाना गया। सप्तऋषियों ने स्थापित किए थे सात कुंड मान्यता यह भी है कि सप्तऋषि जब इस क्षेत्र के प्रवास पर थे, तब सात कुंडों की स्थापना की गई थी। इनमें से चार कुंड- ब्रह्म कुंड, विष्णु कुंड, शिव कुंड और सती कुंड आज भी मंदिर में मौजूद हैं। तीन कुंड- लक्ष्मी कुंड, कुंती कुंड और सूर्य कुंड मंदिर परिसर के बाहर हैं। जाने बैजनाथ मंदिर के बारे में यह प्रसिद्ध शिव मंदिर पालमपुर के चामुंडा देवी मंदिर से 22 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां शिवलिंग पर चढ़ने वाला पानी या दूध कहीं भी बाहर निकलता नजर नहीं आता। इस मंदिर को अघोरी साधकों और तंत्र विद्या का केंद्र माना जाता है। इसका पुराना नाम कीरग्राम था, परन्तु समय के साथ यह मंदिर के नाम से प्रसिद्ध होता गया और ग्राम का नाम बैजनाथ पड़ गया। मंदिर के प्रांगण में कुछ छोटे मंदिर हैं और नंदी बैल की मूर्ति है। नंदी के कान में भक्तगण अपनी मन्नत मांगते है। पूरा मंदिर एक ऊंची दीवार से घिरा है और दक्षिण और उत्तर में प्रवेश द्वार हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों में मूर्तियों, झरोखों में कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं। मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, वैशाख संक्रांति, श्रावण सोमवार आदि पर्व भारी उत्साह और भव्यता के साथ मनाऐ जाते हैं। श्रद्धालु रेलमार्ग,हवाई सेवा, बस या निजी वाहन व टैक्सी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
जलागम विकास परियोजना द्वारा दुर्गा माता मंदिर धुंधन में किसानों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में मुख्य रूप से एरिया प्रोग्राम मैनेजर संजय शर्मा भी उपस्थित रहे। उनके साथ अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन के कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी,कृषि विशेषज्ञ एचके शर्मा व इफ़को जैविक राज्य विपणन प्रबंधक गुरमीत सिंह मनकोटिया भी मौजूद थे। इस मौके पर मनकोटिया ने किसानों को इफको नामक जैविक की दवाइयों के बारे में जानकारी दी। जलागम विकास परियोजना के अध्यक्ष रूपलाल वर्मा ने किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए जागरूक किया ओर किसानों से आह्वान किया कि आज हम प्रण करें कि अपने खेतों में हम कोई रासायनिक खाद और किसी भी प्रकार का रासायनिक स्प्रे नहीं करेंगे। रूपलाल वर्मा ने कहा कि ना हम स्वयँ जहर खाएंगे और ना ही दूसरों को खिलाएंगे। रूपलाल ने सरकार द्वारा चलाई जा रही प्राकृतिक शून्य बजट खेती के बारे में भी लोगों को जानकारी दी तथा किसानों से आग्रह किया कि हर किसान बाजार से खाद व दवाइयां न खरीद कर स्वयं पहाड़ी गाय के गोबर व मूत्र से खाद व स्प्रे की दवाइयों का निर्माण करें। उन्होंने किसानों को गाय के गोबर व मूत्र से बनने वाले जीवामृत बीजामृत धन जीवामृत और फसलों को फफूंदनाशक से बचाने के लिए द्रेकशस्त्र अग्नि शास्त्र व दस्पणि बनाने व प्रयोग करने की विधि भी किसानों को बताई। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जलागम विकास परियोजना के सदस्यों व अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन में कार्यरत चंपा वर्मा,रमेश शुक्ला ने अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया। इस शिविर में 123 किसानों ने भाग लिया और किसानों को 90% अनुदान पर जैविक दवाइयां भी बांटी गई। एसीएफ से आए कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी ने किसानों से प्राकृतिक खेती करने के साथ युवाओं और बच्चों को नशीले पदार्थों जैसे शराब,भांग और चिट्टा से बचाने की भी अपील की और कहा कि आने वाली युवा पीढ़ी ही देश का भविष्य है। कार्यक्रम प्रबंधक संजय शर्मा ने किसानों से प्राकृतिक खेती करने का आग्रह किया। इस मौके पर कृषि विभाग खंड कुनिहार से एसएमएस मनोज शर्मा व बीटीएम निखिल ने भी किसानों को रासायनिक दवाइयां और खाद न डालने पर प्रकाश डाला।सरकार का लक्ष्य किसानों की आय को दोगुना करना ही है यह तभी संभव होगा जब किसान प्राकृतिक ढंग से खेती करेंगे। मनोज शर्मा ने कहा कि हर गांव के लोग प्राकृतिक खेती की शुरुआत करें। विभाग किसानों की हरसंभव सहायता करेगा। इस अवसर पर एरिया प्रोग्राम मैनेजर संजय शर्मा,अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन के कार्यक्रम प्रबंधक भूपेंद्र गांधी,कृषि विशेषज्ञ एचके शर्मा,इफ़को जैविक राज्य विपणन प्रबंधक गुरमीत सिंह मनकोटिया,जलागम विकास परियोजना के अध्यक्ष रूपलाल वर्मा,कृषि विभाग खंड कुनिहार से एसएमएस मनोज शर्मा व बीटीएम निखिल,चंपा वर्मा,रमेश शुक्ला,परसराम वर्मा,रामदत्त ठाकुर,राजेंद्र ठाकुर,रतन चंद बट्टू,हेमराज डोगरा,गोपाल शर्मा राजेंद्र सिंह वर्मा,मुंशीराम वर्मा,राजपाल ठाकुर,हेमराज शर्मा,मदन शर्मा,चंपा वर्मा,रमादेवी,रीनू,रीता शर्मा,शीला देवी,रेखा देवी,सरोज,मंजू,जानकी, निर्मला,रमा,नानक चंद,अमर देव वर्मा,अमर सिंह,भुवनेश,लेख राम,जय राम,भूप चंद,दुनीचंद,सुधीर,रमेश सहित जलागम विकास परियोजना के सदस्यों व स्थानीय लोगों ने भाग लिया।
राजकीय महाविद्यालय अर्की की ओल्ड स्टूडेंट एसोसिएशन ने शिक्षा मंत्री द्वारा महाविद्यालय में इस सत्र में पीजीडीसीए की कक्षाएं आरंभ करने तथा अगले सत्र से स्नात्कोत्तर विषयों पर कक्षाएं आरंभ करने की घोषणा का स्वागत किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक गुप्ता , वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश शर्मा ,उपाध्यक्ष योगेश चौहान ,सचिव प्रभा भारद्वाज, संयुक्त सचिव मुकेश शर्मा, कोषाध्यक्ष कन्नव सूद, सहायक कोषाध्यक्ष राजेश शर्मा ,कानूनी सलाहकार भीम सिंह ठाकुर व सदस्यों गौरव ठाकुर ,विजय भारद्वाज ,सागर व भूपेंद्र ने इस घोषणा के लिए शिक्षा मंत्री का आभार व्यक्त किया है । एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक गुप्ता ने कहा कि अर्की महाविद्यालय में स्नातकोत्तर कक्षाएं आरंभ होने से स्नातक विषय पढ़ने वाले छात्रों को शिमला या अन्यथा नहीं जाना पड़ेगा ।
डॉ वाईएस परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी अपनी शैक्षणिक, अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिए ईमानदारी से प्रयास करेगा ताकी विश्वविद्यालय न केवल सर्वश्रेष्ठ वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके बल्कि किसानों के लिए नवीन कृषि समाधान और तकनीक विकसित कर सके और उसका नियमित हस्तांतरण हो सके। यह विचार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान साझा किए। इस अवसर पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण कार्य बागवानी और वानिकी में कुशल मानव संसाधन को तैयार करना है। ताकि अधिक से अधिक छात्र शीर्ष पदों पर पहुंच सके इसलिए विश्वविद्यालय आने वाले समय में न केवल जेआरएफ, एसआरएफ, एआरएस और आईएफएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग देगा बल्कि लैटरल एंट्री वाले वोकेशन कार्यक्रम भी शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों को बेहतर शिक्षण वातावरण प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करेगा। विश्वविद्यालय के कैरियर और प्लेसमेंट सेल को मजबूत करना और पुस्तकालय सुविधाओं सहित शैक्षणिक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से डिजिटलीकरण विश्वविद्यालय के अन्य फोकस एरिया है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय न केवल नई किस्मों को विकसित करने के लिए काम करेगा, बल्कि किसानों को प्रदान किए जाने वाले विभिन्न फलों, सब्जियों, औषधीय और वन पौधों के बीजों और रोपण सामग्री को भी बढ़ाएगा। नई किस्मों पर ट्राइल भी लगाए जाएगें और राज्य के किसानों को उनकी सिफारिश करने के लिए और कदम उठाए जाएंगे। शोध और विस्तार के क्षेत्र पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि विश्वविद्यालय से प्रौद्योगिकी और ज्ञान का प्रवाह राज्य के कृषक समुदाय तक हो। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में एक सामान्य कौशल विकास कार्यक्रम स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाने के लिए राज्य के कृषि और बागवानी सहित विभिन्न विभागों के साथ गठजोड़ करेगा और किसानों के उत्पादन से विपणन तक के मुद्दों को संबोधित करेगा। उन्होंने कहा कि इनपुट लागत को कम करके और बाजार हस्तक्षेप से खेती की आय को दोगुना करना भी एक लक्ष्य है जिसे विश्वविद्यालय पूरा करना चाहेगा। राज्य में प्राकृतिक खेती का प्रणालीगत प्रचार और प्रसार के लिए विश्वविद्यालय प्रत्येक ब्लॉक के 50 किसानों को प्रशिक्षित करेगा। प्रत्येक ब्लॉक में पांच किसानों के खेतों पर प्रदर्शन मॉडल भी स्थापित किए जाएंगे। वार्षिक राज्य स्तरीय किसान मेला और किसान दिवस के आयोजन के अलावा, विश्वविद्यालय बागवानी और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में राज्य और आस-पास के किसानों के लिए इन-हाउस और फील्ड प्रशिक्षण प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय के लिए विभिन्न शैक्षिक एवं गैर शिक्षण पदों को मंजूरी देने के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए डॉ कौशल कि कहा विश्वविद्यालय जल्द ही सहायक प्रोफेसरों के 39 पदों के साक्षात्कार आयोजित करेगा। इसके अलावा सहायक प्रोफेसरों के 23 अतिरिक्त पदों को विज्ञापित कर दिया गया है और हिमाचल सरकार द्वारा अनुमोदित विभिन्न श्रेणियों के गैर-शिक्षण कर्मचारियों के 55 से अधिक पद भी भरे जाएगें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय राज्य सरकार के समक्ष शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष तक बढ़ाने का विषय उठाएगी। बुनियादी ढाँचे के विकास के मुद्दे पर कई निर्माण कार्यों (प्रत्येक एक करोड़ रुपये से ऊपर) को समय पर पूरा करना की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है । इनमें लड़कों का छात्रावास, पानी की आपूर्ति योजना, खेल का मैदान और पवेलियन ब्लॉक, मुख्य परिसर और अनुसंधान स्टेशनों की फेंसिंग, औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नेरी की प्रयोगशाला और बहुउद्देशीय भवन और कृषि विज्ञान केंद्र, ताबो में प्रशासनिक भवन के निर्माण प्रमुख हैं। कई अन्य कार्यों के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं, जबकि स्टाफ हाउसों की मरम्मत, नए छात्रावास का निर्माण, अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नए छात्रावास, वानिकी महाविद्यालय के लिए नया शिक्षण ब्लॉक, वीआईपी गेस्ट हाउस और नेरी महाविद्यालय में नए छात्रावास और स्नातकोत्तर ब्लॉक के निर्माण के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर लिए गए हैं। इस अवसर पर डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने अनुसंधान कार्यों के विस्तार के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग एजेंसियों से वित्त पोषण के अवसर तलाशेगा। अनुसंधान और विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय फलों, सब्जियों, फूलों, औषधीय और सुगंधित पौधों, वन पौधों की प्रजातियों और एग्रोफॉरेस्ट्री, जिसमें उच्च घनत्व वाले वृक्षारोपण,संरक्षित और प्रीसीजन खेती शामिल हैं, की खेती के लिए अत्याधुनिक तकनीकों पर शोध और छात्रों का मार्गदर्शन करेंगे। इसके अलावा, संरक्षण कृषि, प्राकृतिक खेती आदि सहित वैकल्पिक कृषि प्रणालियों के लिए अनुसंधान और विकास सहायता देने पर ज़ोर दिया जाएगा ताकि रसायन अवशेष मुक्त कृषि उत्पादों का उत्पादन करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। डॉ कौशल ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक बागवानी और कृषि के क्षेत्रों में सतत विकास के लिए राष्ट्रीय संसाधनों और जैव विविधता के संरक्षण के लिए मॉडल तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि उद्यमियों को सरकारी योजनाओं से लाभ उठाने और नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी प्रदाता बनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुसंधान और विकास सहायता देना विश्वविदयालय का लक्ष्य रहेगा। व्यावसायिक खेती, मूल्य संवर्धन और बाजार के हस्तक्षेप की शिक्षा को एकीकृत करके शिक्षित ग्रामीण युवाओं के लिए एक मॉडल स्थापित किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ राकेश गुप्ता, डीन कॉलेज ऑफ हॉर्टिकल्चर; डॉ पीके महाजन, डीन कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री; श्री राजीव कुमार, रजिस्ट्रार; डॉ कुलवंत राय, एसडब्ल्यूओ; श्री एचएम वर्मा, वित्त नियंत्रक और इंजीनियर अर्पणा रोहेला, एस्टेट ऑफिसर भी मौजूद रहे।
कैप्टेन विजयंत थापर शहीद स्मारक अर्की में कारगिल विजय दिवस मनाया गया। इस मौके पर एसडीएम अर्की विकास शुक्ला व अन्य लोगों ने शहीद कैप्टन विजयंत थापर के स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर कारगिल के शहीद वीर सपूतों को याद किया। शुक्ला ने कहा कि देश की रक्षा करने में हमारे वीर जवानों ने अपने अदम्य साहस व वीरता का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि आज वह उन वीर जवानों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते है। जो इस देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। इस मौके पर तहसीलदार मोहन लाल शर्मा ,नायाब सन्तराम सहित एस डी एम कार्यालय के कर्मचारी मौजूद रहे।
दुधारू पशु सुधार सभा सोलन के सौजन्य से दुधारू पशुओं के उचित रख रखाव व प्रज्जन जनन पर पशुपालकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन ग्राम पंचायत धुंधन में किया गया।इस दौरान दुधारू पशु सुधार सभा सोलन के अध्यक्ष रविंद्र परिहार मुख्य अतिथि रहे।प्रशिक्षण शिविर में पशु पालकों को विभिन्न सुविधाओं की जानकारी दी गई।इसमें डॉक्टर मारकंडे सिंह,डॉक्टर मानवी चौधरी ने दुधारू पशुओं के रखरखाव,नस्ल सुधार,दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी,प्रजन्न,जनन से संबंधित समस्याओं के निवारण,पशुओं के उपचार आवश्यक दवाइयों की उपलब्धता हरे चारे की उपलब्धता के लिए उन्नतव पोष्टिक घास के उत्पादन की जानकारी दी गई।इसका मुख्य उद्देश्य पशुओं से संबंधित जानकारी प्राप्त और सुधार सभा में जुड़ने का लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।इस अवसर पर दुधारू पशु सुधार सभा के अध्यक्ष रविंद्र परिहार,उपाध्यक्ष सत्या ठाकुर,डॉक्टर मारकंडे सिंह,डॉक्टर मानवी चौधरी,मोटीवेटर अरुण,प्रभा गौतम,ग्राम पंचायत धुंधन के प्रधान प्रेम चंद,उपप्रधान त्रिलोक ठाकुर,हनुमान बड़ोग के प्रधान कृष्ण सिंह कंवर,भूतपूर्व प्रधान जगदीश चंद,मोटिवेटर नरेंद्र वर्मा,देवेंद्र गुप्ता, रोशनलाल,वार्ड सदस्य चेतराम,निर्मला देवी,कौशल्या देवी,जानकी देवी,पूर्व पंचायत सदस्य मनोहर लाल और ग्राम पंचायत के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
लोक निर्माण विभाग ने मानसून सीजन में जिला सोलन में 16 हज़ार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। विभाग के सोलन, अर्की, कसौली और नालागढ़ खंड में अलग-अलग स्थानों पर ये पौधे लगाए जाएंगे। विभाग के एसई ई. एसपी जगोटा ने बताया कि इसी के तहत चम्बाघाट के समीप करीब डेढ़ सौ पौधे लगाए गए है। इस मौके पर ई. बीआर धीमान बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। वहीँ ललित भूषण बतौर विशेष अतिथि मौजूद रहे। ई. एसपी जगोटा ने जानकारी दी कि विभाग द्वारा समय -समय पर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इस दौरान एक्सईएन सोलन ई. अरविन्द शर्मा भी मौजूद रहे।
पोषण अभियान जन आंदोलन कार्यक्रम के तहत खंड स्तरीय जागरूकता शिविर का आयोजन ग्राम पंचायत कुमारहट्टी में किया गया। समेकित बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 90 आंगनवाड़ी वर्कर, आशा कार्यकर्ता एवं स्थानीय महिलाओं ने भाग लिया है। सीडीपीओ पवन गर्ग ने बाल विकास विभाग द्वारा महिलाओं, किशोरियों एवं गर्ववती महिलाओं हेतु चलए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी। वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ सीमा गुप्ता ने महिलाओं की किशोरवस्था के परिवर्तन, गर्वावस्था के दौरान उचित रखरखाव आदि की जानकारी दी। अधिवक्ता राजीव ने महिलाओं के कानूनी अधिकारों पर जानकारी दी। मनोचिकित्सक डॉ वैशाली ने मानसिक रोगों एवं अवसाद से बाहर आने के बारे में जागरूक किया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने रोटरी क्लब कसौली की इंस्टालेशन सेरेमनी में की शिरकत सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने कहा कि रोटरी क्लब विभिन्न सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से समाज सेवा में अग्रणी रहकर कार्य कर रहा है तथा पीड़ितों एवं ज़रूरतमंदों के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है। सोलन जिला के कसौली विधानसभा क्षेत्र में रोटरी क्लब कसौली की इंस्टालेशन सेरेमनी को संबोधित करते हुए डाॅ. सैजल ने कहा कि विभिन्न लाभकारी योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाने में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा नियमित रूप से जनसेवा के कार्यों में भाग लेना जहां सराहनीय है वहीं इससे समाज के सभी वर्ग प्रेरित भी होते हैं। विभिन्न सामाजिक क्रियाकलापों में रोटरी क्लब की सक्रिय भूमिका है। क्लब द्वारा समय-समय पर रक्त दान शिविर, पौधरोपण कार्यक्रम तथा अस्पतालों में रोगियों व तीमारदारों के लिए सुविधाएं, विद्यालयों में शौचालय निर्माण इत्यादि प्रशंसनीय कार्य किया जा रहा है। सहकारिता मंत्री ने रोटरी क्लब के सदस्यों से आग्रह किया कि वे विभिन्न सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन में प्रदेश सरकार को सहयोग दें। उन्होंने कहा कि नशे जैसी सामाजिक कुरीति के समूल नाश में स्वयंसेवी संस्थाओं को अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि रोटरी क्लब द्वारा कसौली से संबंधित विभिन्न समस्याओं को उठाया गया है जिनका चरणबद्ध ढंग से निपटारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पेयजल संरक्षण बड़ी चुनौती है तथा क्लब को सामाजिक गतिविधियों के अलावा पेयजल संरक्षण में भी योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कालूझंडा उठाऊ पेयजल योजना का कार्य अंतिम चरण में है तथा इस परियोजना को वित्तीय मदद के लिए नाबार्ड को प्रस्तुत किया गया है। नाबार्ड से स्वीकृति मिलते ही इस परियोजना का कार्य शीघ्र पूरा किया जाएगा। डाॅ. सैजल ने इस अवसर पर रोटरी क्लब की मांग पर कसौली के आसपास कूड़ा निपटान सयंत्र स्थापित करने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम को अवश्य सुनें। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री युवाओं को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनका बेहतर मार्गदर्शन भी करते हैं। उन्होंने कहा कि इस माह की ‘मन की बात’ की कड़ी में प्रधानमंत्री ने वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता पर बल दिया है। प्रधानमंत्री ने आमजन से भी वर्षा जल संग्रहण करने की दिशा में कदम उठाने का आह्वान किया है। इससे पूर्व रोटरी क्लब के अध्यक्ष एवं किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य राज सिंगला तथा इनर व्हील क्लब कसौली की अध्यक्ष रीता टंडन ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा क्लब की विभिन्न गतिविधियों के विषय में अवगत करवाया।इस अवसर पर कृषि उपज मंडी सोलन के अध्यक्ष संजीव कश्यप, जिला भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुंदरम ठाकुर, जिला परिषद सदस्य चैन सिंह, हिमफैड के निदेशक कपूर सिंह वर्मा, तहसीलदार कसौली कपिल तोमर, रोटरी क्लब के सचिव सुशील बंसल, कपिल टंडन, देवेंद्र गुप्ता, पंकज जैन, आईएस चड्ढा, विकास सिंगला, कैप्टन एजे सिंह, डाॅ. वीरेंद्र मोहन, इनर व्हील क्लब कसौली के सहायक गवर्नर विपिन गुप्ता सहित बड़ी संख्या में क्लब के सदस्य एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
जहां बरसात के मौसम में जल जनित बीमारियों के फैलने की संभावना बढ़ गई है वहीं अभी भी नगर परिषद इसे लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। शहर में अधिकतर क्षेत्रों में नालियों पर पेयजल पाइप लाइन को लंबे समय से हटाया नहीं गया है। कई क्षेत्रों में पेयजल पाइप लाइन टूट गए हैं जिससे लोगों के घर द्वार गंदा पानी पहुंच रहा है। गंदी नालियों से गुजर रही पेयजल पाइप लाइन हटाई नहीं जा रही है और इसका खामयाज़ा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है। गंभीर चिंता का विषय है नगर परिषद को शहर में फैल रहे जल जनित रोगों की शायद सुध ही नहीं है। बता दें शहर में जल जनित रोगों ने दस्तक देना शुरू कर दी है। क्षेत्रीय अस्पताल में रोज़ाना डायरिया से ग्रस्त मरीज़ पहुंचना शुरू हो चुके हैं। इसी के साथ डेंगू ने भी अपने पांव पसारना शुरू कर दिया है। ऐसे में बीमारियों के फैलने का अंदेशा बढ़ता जा रहा है।
कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने जीवन का बलिदान दिया था। इसमें कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 11, हमीरपुर के सात, बिलासपुर के सात, शिमला से चार, ऊना से दो, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिले से एक-एक जवान शहीद हुआ था। कारगिल युद्ध में पहले शहीद कैप्टेन सौरभ कालिया भी हिमाचल के पालमपुर से ही ताल्लुख रखते थे। हिमाचल प्रदेश के राइफलमैन संजय कुमार और कैप्टेन विक्रम बत्रा को परमवीर चक्र से भी सम्मानित किया गया। दुश्मन की मशीनगन से ही दुश्मन को भून डाला संजय कुमार ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के रहने वाले संजय कुमार को इसी अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र का सम्मान मिला।प्वाइंट 4875 पर राइफलमैन संजय कुमार की बहादुरी ने भारतीय सेना को आगे बढ़ने का आधार दिया था। एक दिन पूर्व ही इस प्वाइंट पर संजय कुमार की चीते सी फुर्ती से दुश्मन पर कहर बनकर टूटी थी। संजय कुमार प्वाइंट 4875 पर पहुंचे ही थे कि उनका सामना दुश्मन के आटोमैटिक फायर से हो गया। संजय कुमार तीन दुश्मनों के साथ गुत्थमगुत्था हो गए। हैंड टू हैंड फाइट में संजय कुमार ने तीनों को मौत के घाट उतार दिया। दुश्मन टुकड़ी के शेष जवान घबराहट में अपनी यूनिवर्सल मशीन गन छोड़कर भागने लगे। बुरी तरह से घायल संजय कुमार ने उसी यूएमजी से भागते दुश्मनों को भी ढेर कर दिया। कैप्टेन विक्रम बत्रा की शाहदत की कसमें खाते है सैनिक पहली जून 1999 को कैप्टेन विक्रम बत्रा की टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया। हम्प और राकी नाब स्थानों को जीतने के बाद उसी समय विक्रम को कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर सबसे 5140 चोटी को पाक सेना से मुक्त करवाने का जिम्मा भी कैप्टन विक्रम बत्रा को दिया गया।विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को अपने कब्जे में ले लिया।विक्रम बत्रा ने जब इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय ‘यह दिल मांगे मोर’ कहा तो पुरे हिन्दुस्तान में उनका नाम छा गया। इसके बाद सेना ने चोटी 4875 को भी कब्जे में लेने का अभियान शुरू कर दिया, जिसकी बागडोर भी विक्रम को सौंपी गई। उन्होंने जान की परवाह न करते हुए लेफ्टिनेंट अनुज नैयर के साथ कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। कारगिल के युद्ध के दौरान उनका कोड नाम 'शेर शाह' था। पॉइट 5140 चोटी पर हिम्मत की वजह से ये नाम मिला।कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा 7 जुलाई को शहीद हो गए।शहीद होने के बाद उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया।
हिमाचल प्रदेश की हरियाली बढ़ाने के लिए यूं तो वन विभाग हर साल हर संभव प्रयास करता है। पर अब नई योजना से यह जन अभियान बन सकेगा। अब नवजात कन्या के नाम पर बूटा लगाकर हिमाचल प्रदेश में हरियाली बढ़ाई जाएगी । हिमाचल इस तरह की अनूठी पहल करने जा रहा है। प्रदेश में जहां भी बेटी पैदा होगी, उस परिवार को वन विभाग पौधा भेंट करेगा। इसे संबंधित क्षेत्र में रोपा जाएगा। कन्या कहां पैदा हुई, इसका पता लगाने की जिम्मेदारी वन रक्षक की रहेगी। वह पंचायतों से लेकर तमाम विभागों से संपर्क में रहेगा। किस प्रकार की भूमि में कौन से पौधे रोपे जाएंगे, यह जल्द ही तय होगा। इस सिलसिले में सरकार ने प्रारंभिक खाका खींच लिया है। इस योजना का नाम ‘एक बूटा बेटी के नाम’ होगा। इसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जाएगा। रोपे पौधे की देखभाल बेटी के मां-बाप करेंगे। बजट सत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नई योजना शुरू करने का ऐलान किया था। इसका प्रस्ताव तैयार किया गया है। जैसे ही सरकार स्वीकृति देगी, यह धरातल पर उतरेगी।
सोलन -बीती रात करीब 2:00 से 3:00 के बीच शहर के अस्पताल मार्ग पर एक बड़ा सड़क हादसा पेश आया है। हादसे में एक शीशे से भरा ट्रक बीच सड़क में पलट गया। जानकारी के अनुसार ट्रक (HP 12c 3981 ) (बेराडी) राजस्थान से सोलन पहुंचा जिसे रोड पर स्थित दुकान पर उतारा जाना था, लेकिन दुकान के सामने ही अस्पताल की तरफ से आ रही कार को साइड देने के लिए ड्राइवर ने जैसे ही ट्रक की ब्रेक लगाई वैसे ही ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया। इसमें ड्राइवर को हल्की चोट आई है। ट्रक के पलटने से साइड में पार्क की गई दो कारों को नुकसान हुआ है। स्थानीय लोगों को मदद से ड्राइवर को क्षेत्रीय अस्पताल पहुंचाया गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है।
राजकीय महाविद्यालय अर्की के रजत जयंती समारोह को किया संबोधित शिक्षा, संसदीय कार्य एवं विधि मंत्री सुरेश भारद्वाज ने छात्रों से आग्रह किया है कि वे अपने गुरूजनों, बुजुर्गों एवं अध्यापकों द्वारा प्रदत्त शिक्षाओं को आत्मसात कर जीवन में आगे बढ़ें। सुरेश भारद्वाज आज राजकीय महाविद्यालय अर्की के रजत जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिक्षा तभी प्रासंगिक है जब इसके माध्यम से आज का युवा भविष्य में देश की बेहतरी के लिए सकारात्मक कार्य कर सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि युवा पीढ़ी अपने बुजुर्गों के अनुभवों से सीख लें और इस सीख को जीवन की कठिनाईयों को दूर करने में उपयोग में लाए। उन्होंने युवाआंे से आग्रह किया कि वे आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ रोजगारपरक शिक्षा से लाभ प्राप्त करें। शिक्षा मंत्री ने युवाओं का आह्वान किया कि वे स्वयं भी नशे से दूर रहें और अपने साथियों को भी नशे से दूर रखें। उन्होंने कहा प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में गत एक वर्ष में 663 सहायक प्रवक्ता भर्ती किए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में सीधी भर्ती के माध्यम से प्रधानाचार्यों के पद भरे जा रहे हैं ताकि विद्यालयों में स्टाफ की कमी से प्रभावी रूप से निपटा जा सके। उन्होंने निदेशक शिक्षा विभाग को अर्की महाविद्यालय में इसी वर्ष से पीजीडीसीए की कक्षाएं आरंभ करने के लिए शीघ्र अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए। शिक्षा मंत्री ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले छात्रों को अपनी ऐच्छिक निधि से 51 हजार रुपये की राशि प्रदान करने की घोषणा की। इससे पूर्व महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डाॅ. रीता शर्मा ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा, प्रदेश भाजपा सचिव रतन पाल, भाजपा मंडल अर्की के अध्यक्ष बाबू राम, जिला भाजपा उपाध्यक्ष रमेश ठाकुर, प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य अमर सिंह ठाकुर, पंचायत समिति अर्की के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश, मंडल की उपाध्यक्ष आशा परिहार, मंडल के वरिष्ठ महामंत्री देवेंद्र शर्मा एवं यशपाल कश्यप, पूर्व जिला परिषद सदस्य सोनिया ठाकुर, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक अमरजीत शर्मा, उपमंडलाधिकारी अर्की विकास शुक्ला, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता रवि कपूर, महाविद्यालय के उप प्रधानाचार्य दलीप शर्मा, महाविद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रोशन लाल वर्मा, अन्य गणमान्य व्यक्ति, अध्यापक तथा छात्र इस अवसर पर उपस्थित थे।
स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम आवश्यक-डाॅ. सैजल सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने आज सोलन में रूद्राक्ष फिजियोथेरेपी क्लीनिक एवं व्यायामशाला का शुभारंभ किया। यह पहली ऐसी फिजियोथेरेपी क्लीनिक एवं व्यायामशाला है जो चिकित्सकीय रूप से युवाओं एवं रोगियों को लाभ पहुंचाएगी। डाॅ. सैजल ने इस अवसर पर कहा कि तेज रफ्तार जिंदगी और लगातार बढ़ते दबाव के कारण वर्तमान में युवा भी विभिन्न न्यूरोमस्क्यूलर रोगों से ग्रस्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इनके उपचार में फिजियोथेरपी का महत्वपूर्ण योगदान है। आयुर्वेद में योग एवं फिजियोथेरेपी के विभिन्न आयामों पर सारगर्भित प्रकाश डाला गया है। इसके माध्यम से विभिन्न वात रोगों से पीड़ित रोगी का सफल उपचार किया जा सकता है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि रूद्राक्ष व्यायामशाला में युवाओं को आधुनिक तकनीक एवं व्यायाम पद्धति से लाभान्वित होने का अवसर प्राप्त होगा। यहां विभिन्न रोगों का व्यायाम के माध्यम से भी उपचार करने के उपकरण हैं। उन्होंने आशा जताई कि यह व्यायामशाला सभी के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि व्यायामशाला के माध्यम से सभी तक यह संदेश भी पहुंचाया जाए कि स्वस्थ रहने के लिए हमें अपनी खानपान की आदतों में सुधार करना होगा। उन्होंने कहा कि व्यायाम युवाओं को नशे से दूर रखने में भी सहायक हैं। उन्होंने रूद्राक्ष फिजियोथेरेपी क्लीनिक एवं व्यायामशाला की स्थापना के लिए डाॅ. अमित एवं डाॅ. पूजा धवन को बधाई दी। उन्होंने आशा जताई कि इसके माध्यम से सोलन शहर एवं आसपास के गांवों के सभी जन लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर नगर परिषद सोलन की उपाध्यक्ष मीरा आनंद, भाजपा प्रवक्ता राकेश शर्मा, भाजपा मंडल सोलन के अध्यक्ष अमर सिंह ठाकुर, अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं व्यायामशाला के संस्थापक उपस्थित थे।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने आज सोलन में निजी क्षेत्र में कार्यरत रत्नाकर बैंक की शाखा का विधिवत शुभारंभ किया। रत्नाकर बैंक की यह देश की 350वीं शाखा है। यह बैंक वर्ष 1943 से कार्यरत है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में इस बैंक की सोलन एवं शिमला में शाखा कार्यरत है। डाॅ. सैजल ने बैंक प्रबंधन को सोलन में शाखा आरंभ करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि निजी क्षेत्र के बैंक वर्तमान में देश में आर्थिकी को सशक्त करने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि निजी क्षेत्र में कार्यरत बैंक विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाएं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि उद्योग, कृषि, बागवानी एवं अन्य प्रमुख क्षेत्रों को सशक्त बनाने एवं इनके विस्तार में बैकिंग क्षेत्र की विशिष्ट भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आम जन को वित्तीय रूप से मज़बूत बनाने में बैकिंग क्षेत्र का पूर्ण सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने आशा जताई कि रत्नाकर बैंक अपनी शाखाओं के माध्यम से लोगों तक पहुंच बनाने एवं जनधन जैसी योजना से उन्हें लाभान्वित करने में सहायक सिद्ध होगा। पूर्व मंत्री एमएल सोफत, बघाट बैंक के अध्यक्ष पवन गुप्ता, एपीएमसी सोलन के अध्यक्ष संजीव कश्यप, नगर परिषद सोलन की उपाध्यक्ष मीरा आनंद, जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष विजय सिंह ठाकुर, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रितु सेठी, भाजपा प्रवक्ता राकेश शर्मा, मनोनीत पार्षद एवं भाजयुमो सोलन के अध्यक्ष भरत साहनी, पार्षद गौरव, जिला भाजपा महामंत्री एवं बघाट बैंक निदेशक मंडल की सदस्य पूजा हांडा, एपीएमसी सोलन के सदस्य किशन वर्मा, आढ़ती संघ के अध्यक्ष पदम सिंह पुंडीर, धर्मचंद गुलेरिया, जोगिंद्रा केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक टशी संडूप, उपमंडलाधिकारी रोहित राठौर, उप पुलिस अधीक्षक अनिल वर्मा सहित अन्य अधिकारी, भाजपा तथा भाजयुमो के रोहित, वरिष्ठ पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
यह किस्सा उसके बाद का है जब अवैध धंधों और अवैध संबंधों के अनगिनत तमगों के विजेता इंस्पेक्टर मातादीन चांद प्रशासन के आग्रह पर उनके पुलिस विभाग में क्रांतिकारी सुधार लाने के इरादे से पुलिस सेवा आदान प्रदान कार्यक्रम के तहत अपनी सरकार द्वारा डेपुटेशन पर चांद भेजे गए थे और चंद दिनों में ही उन्होंने वहां के पुलिस विभाग में ऐसे ऐसे क्रांतिकारी सुधार कर डाले थे कि वहां की सरकार को पूरे चंद्रलोक के हाथ जोड़ उन्हें वहां से समय से पहले ही उनका डेपुटेशन खत्म कर सादर वापस भेजना पड़ा था। चांद पर भी तब पुश्तों तक न मिटने वाली अपनी अमिट कार्यकुशलता की छाप छोड़ वे वहां की कानून व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार कर अपने देस लौट तो आए थे, पर उसके बाद की कहानी का कम ही पाठकों को पता होगा कि उन्होंने चांद पर सुधारों के साथ और क्या गुल खिलाए थे? जब वे चांद पर उस दिन वहां की पुलिस की क्लास लगाने के बाद थके मांदे घूमने निकले थे तो अचानक उनकी नजर चांद की एक सुंदरी पर पड़ी गई थी। उस सुंदरी पर नजर पड़ते ही वे ये भूल गए थे कि वे अपने देस में नहीं, चांद पर हैं। एकाएक तब उन्हें फील हुआ था कि ज्यों वे चांद पर नहीं , अपने देस में ही हों। ये फील होते ही उन्होंने सुंदरी को बिना किसीकी परवाह किए तोला तो उन्हें लगा, काम बन सकता है। और वे कानून के तमगे कंधों से निकाल अपनी जेब में डाल उसके पीछे हो लिए, मूंछों को ताव देते , उसे सुरक्षा देने के बहाने। उसका पीछा करते करते वे ये भी भूल गए कि वे उनके पद का रौब दिखाकर हर दुकान से साधिकार सामान उठाने वाली बीवी के साथ ही साथ चार बच्चों के बाप भी हैं। असल में पर उन पर काम का लोड इतना है कि वे जब भी काम से चूर होकर वे किसी सुंदरी को देखते हैं तो और कुछ भूलें या न, पर यह जरूर भूल जाते हैं कि वे अपने से भी चार कदम आगे की खाऊ बीवी सहित चार नालायक बच्चों के बाप हैं। तो अपने एमडी साब! चांद पर होने के बाद भी पहली ही नजर में उसे देखते फिर भूल गए कि वे अपने देस में अपनी बीवी बच्चों को छोडकऱ आए यहां के राज अतिथि हैं। वे ये भी भूल गये कि अपने देस में कुछ भी उट पटांग करो तो अपनी ही बदनामी होती है, परंतु यहां कुछ ऐसा वैसा करेंगे तो उनकी नहीं, पूरे देस की बदनामी होगी। फिर वे सोचे? राज अतिथि के दिल नहीं होता क्या? शादीशुदा होने के बाद भी क्या उसका मौलिक हक नहीं कि वह अवसर सुअवसर मिलते आंखें चार करे? एमडी साब को यह भी पता था कि चांद पर उनके परिवार के बारे में जानने वाला कोई नहीं। और जो कोई उनसे उनके परिवार के बारे में पूछे भी तो वे बताने वाले बिल्कुल नहीं। हर कोई अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार सकता है, पर कम से कम एक पुलिसवाला तो बिल्कुल नहीं मार सकता। एमडी साब का मानना है कि हर सुंदरता वाली चीज पर पहला हक कानून वालों का ही होता है। कानून उसके साथ सुरक्षा के बहाने वह सब कुछ मजे से कर सकता है जो.... तो पाठको! बहुत कम पाठकों को इस बात का इल्म होगा कि वहां पर उनके एक विवाहित सुंदरी से संबंध हो गए थे। दोनों शादीशुदा थे, सो दोनों ने एक दूसरे से एक दूसरे के पति, पत्नी के बारे में कतई नहीं पूछा। और जिस तरह वे अपने को रिष्वत लेने से लाख हाथ पीछे खींचने के बावजूद भी रोक नहीं पाते थे, उसी तरह उस चंद्र सुंदरी को प्रेम सुरक्षा प्रदान करते करते वे अपने को उसके आंचल में जाने से बचा नहीं पाए। और नतीजा! वहां की पुलिस व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार लाते लाते वे अपने देस का एक जीव उस सुंदरी की कोख में रोपित कर आए। इधर वे वापस अपने देस तो आ गए पर चंद्रलोक की उस सुंदरी से उनकी एक और संतान ने जन्म ले लिया। मातादीन उर्फ एमडी साब वहां से आते आते सुंदरी को वचन दे आए थे कि ज्यों ही धरती से अपने देश का कोई चंद्रयान अपनी सरकार द्वारा यहां भेजा जाएगा, तो उसमें वे दोनों की सीट एडवांस में बुक करवा देंगे। पर हुआ यों कि इस बीच अपने देश को कोई चंद्रयान चांद पर न भेजा जा सका। उधर भारत से चांद पर भेजे जाने वाले चंद्रयान की बाट जोहती जोहती वह सुंदरी सुंदर होने के बाद भी उम्र दराज होने लगी तो एमडी साब का चांद पर जन्मा बेटा पल छिन बड़ा। जब मातादीन का चांद पर जन्मा बेटा सोचने समझने लायक हुआ तो एक दिन वह अपनी मां से पूछा बैठा,‘ मां! मेरे डैड कहां रहते हैं? मुझे मेरे डैड दिखाओ न!’ तो उस सुंदरी ने धरती की ओर उंगली लगाकर उससे कहा,‘ बेटा !तेरे डैड वहां रहते हैं।’ ‘ इत्ती दूर? इत्ती दूर वे क्या करते हैं? एमडी साब के पता नहीं कितनवे बेटे ने अपनी मां से पूछा तो वह उदास हो बोली,‘ वहां वे पुलिस विभाग में नौकरी करते हैं।’ ‘ तो वे यहां क्यों नहीं नौकरी करते?’ ‘ यहां ऊपर की कमाई के सकोप नहीं है न बेटे!’ तब बेटे ने ज्यों ही अगला प्रश्न अपनी मां से पूछा तो मां ने उसे चुप करा दिया। ऐसे ही एमडी साब के बेटे को जब भी मौका मिलता, वह अपने डैड के बारे कुछ न कुछ जरूर पूछता। अपने डैड की शक्ल के बारे में पूछता। पर सुंदरी हर बार उसे उसके डैड का नाम एमडी साब बता कर जैसे कैसे उसे चुप करा देती। एक दिन फिर एमडी साब के बेटे ने अपनी मां से कहा कि वह जो उसे उसके डैड नहीं दिखा सकती तो न सही। कम से कम उसकी फोटो ही बता दे, तो यह सुन वह विवाहिता सुंदरी एक बार पुनः चुप हो गई। असल में पहले पति के डर से उसने एमडी साब की फोटो केवल अपने दिल में ही रखी थी। यों ही दिन...महीने... साल बीतते गए। और बेचारी सुंदरी! अपने देस से आने वाले चंद्रयान का इंतजार करती बूढ़ी होने लगी। चंद्रलोक में जब भी कोई यान उतरता तो वह सारे काम छोड़ दौड़ कर उस यान के पास आ जाती। उसे लगता कि यह यान भारत से आया होगा। पर जब वह उस पर अमेरिका , चीन, रूस या किसी अन्य देश का लगा झंडा देखती तो उदास हो जाती। ...और एक दिन! अपने देस का चंद्रयान चंद्रमा की ओर कूच कर गया। एमडी साब ने ज्यों ही जिमखाना जाते जाते इस बात की खबर चंद्रलोक की अपनी आठवीं इलीगल बीवी को दी तो वह पागल हो गई। उसका मन किया कि वह चांद पर से उसी वक्त पृथ्वी पर छालांग लगा दे। एमडी साब ने फोन पर दिल फेंकते उसे बताया कि उसने उन दोनों के लिए अपने चंद्रयान में वापसी का टिकट बुक करवा दिया है तो फोन पर ही चंद्रसुंदरी ने एमडी साब से पूछा,‘ हे मेरे दूसरे प्राणनाथ! पर हम धरती पर आकर रहेंगे कहां? आपके पुराने घर में हमारे आने पर दंगा फसाद हो गया तो? एक ही घर में बीवी और सौत अपने अपने बच्चों के साथ रह पाएंगी क्या?’ तो उन्होंने काली की मूंछों पर ताव देते, पैंट से फुट भर बाहर निकल आए पेट बैल्ट कस उसे भीतर करते कहा,‘ डरो मत डार्लिंग! तुम्हारा एमडी साब इंस्पेक्टर से एसपी हो गया है। अब बड़े बड़े शरीफों से उसके पारिवारिक संबंध हो गए हैं। दिल्ली में ही उसके पॉश एरिया में दस बेनामी फ्लैट हैं। मन करे तो रोज फ्लैट बदलते रहना। क्या मजाल जो दूसरी बीवियों को इसकी भनक भी लग जाए कि तुम चांद पर से आ गई हो। और हां! आते आते आईजी साहब की बेगम को चांद पर से एड़ी चमकाने वाला बिल्कुल वैसा ही पत्थर जरूर लाना। कह रहे थे कि यार! उस पत्थर से बेगम ने जब एड़िया रगड़ीं तो वह ऊपर तक चमक गई थी। उनका वह एड़ियां चमकाने वाला पत्थर अब घिसने को आ गया है। ’ मित्रो! जबसे अपने देस का चंद्रयान चांद पर रवाना हुआ है, अपना देस ही नहीं, चंद्रलोक की एमडी साब की सुंदरी भी हमारे मिशन चांद की सफलता की दिन रात कामना कर रही है। वह दिनरात जागे जागे सारे काम छोड़ दूरबीन से चंद्रयान को एकटक निहारती बस इस इंतजार में है कि कब जैसे उसका चंद्रयान रूपी एमडी साब पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर चांद पर प्रवेश करे और वह उसके गले में सारी लोकलाज त्याग वरमाला डाल उनके स्वागत के मंगलगीत गाने के बाद, अपने बेटे के साथ एड़ियां चमकाने वाला पत्थर ले निर्दयी एमडी साब से आ मिले, अपने बेटे को यह कहने कि-देख बेटा! ये रहे तेरे एमडी डैड!
बगलामुखी मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है। कांगड़ा जनपद के कोटला क़स्बे में स्थित माँ श्री बगलामुखी का सिद्ध शक्तिपीठ है। वर्ष भर यहाँ श्रद्धालु मन्नत माँगने व मनोरथ पूर्ण होने पर आते हैं। माँ बगलामुखी का मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर वनखंडी नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर हिन्दू धर्म के लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बगलामुखी मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। पांडुलिपियों में माँ के जिस स्वरूप का वर्णन है, माँ उसी स्वरूप में यहाँ विराजमान हैं। माता बगलामुखी पीतवर्ण के वस्त्र, पीत आभूषण तथा पीले रंग के पुष्पों की ही माला धारण करती हैं। बगलामुखी जयंती पर यहाँ मेले का आयोजन भी किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की गई थी। सर्वप्रथम अर्जुन एवं भीम द्वारा युद्ध में शक्ति प्राप्त करने तथा माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की गई थी। इसके अतिरिक्त द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महायोद्धाओं द्वारा माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े गए। कहा जाता है कि नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी प्राय: इस मंदिर में आकर माता बगलामुखी की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। तभी से इस मंदिर में अपने कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालुओं का निरंतर आना आरंभ हुआ। लोगों का अटूट विश्वास है कि माता अपने दरबार से किसी को निराश नहीं भेजती हैं। रावण की ईष्टदेवी हैं मां बगलामुखी मंदिर के पुजारी दिनेश बताते हैं कि मां बगलामुखी को नौ देवियों में 8वां स्थान प्राप्त है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने की बाद हुई थी। ऐसी मान्यता है कि एक राक्षस ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि उसे जल में कोई मनुष्य या देवता न मार सके। इसके बाद वह ब्रह्मा जी की पुस्तिका ले कर भाग रहा था। तभी ब्रह्मा ने मां भगवती का जाप किया। मां बगलामुखी ने राक्षस का पीछा किया तो राक्षस पानी में छिप गया। इसके बाद माता ने बगुले का रूप धारण किया और जल के अंदर ही राक्षस का वध कर दिया। त्रेतायुग में मा बगलामुखी को रावण की ईष्ट देवी के रूप में भी पूजा जाता है। त्रेतायुग में रावण ने विश्व पर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की। इसके अलावा भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की आराधना की। इसलिए विशेष है माँ बगलामुखी मंदिर... बगलामुखी शब्द बगल और मुख से आया है, जिनका मतलब क्रमशः लगाम और चेहरा है। मां को शत्रुनाशिनी माना जाता है। पीला रंग मां प्रिय रंग है। मंदिर की हर चीज पीले रंग की है। यहां तक कि प्रसाद भी पीले रंग ही चढ़ाया जाता है। मंदिर में बस या टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां तक की नेताओं से लेकर अभिनेता भी मां के दर्शन पाकर,शुत्रओं के नाश की कामना करने मंदिर आते हैं। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी मां के दरबार में शीश झुकाया था। मंदिर के साथ प्राचीन शिवालय में आदमकद शिवलिंग स्थापित है, जहाँ लोग माता के दर्शन के उपरांत शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। कांगड़ा के बगलामुखी मंदिर में देशभर से श्रद्धालु आते हैं। बगलामुखी जयंती पर मंदिर में हवन करवाने का विशेष महत्व है, जिससे कष्टों का निवारण होने के साथ-साथ शत्रु भय से भी मुक्ति मिलती है। श्रद्धालु नवग्रह शांति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति सर्व कष्टों के निवारण के लिए मंदिर में हवन-पाठ करवाते हैं। मंदिर में हवन करवाने के लिए बाकायदा बुकिंग करवानी पड़ती है। पहले यहां एक ही हवन कुंड था तो आलम यह था कि कई महीने हवन करवाने के लिए इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब यहां हवन कुंडों की संख्या बड़ा दी गई है। माँ बगलामुखी के हैं तीन मंदिर भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो क्रमशः दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा (मध्यप्रदेश) में हैं। तीन मुखों वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का एक मंदिर आगरमालवा जिला में नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे है। मां बगलामुखी रावण की ईष्टदेवी हैं।
अर्की, दाड़लाघाट व आसपास के क्षेत्रों में पिछले सप्ताह से सूखे की स्थिति बन चुकी थी मगर गुरुवार को हुई बारिश से अधिकतर क्षेत्र में सूखे से राहत मिली है। क्षेत्र की अधिकतर फसलें जिनमें मक्की,टमाटर,धान और अन्य सब्ज़ियां शामिल हैं उसके लिए यह बारिश वरदान साबित होगी। गुरुवार की बारिश से जहां किसानों के चेहरे खुशी से झूम उठे वहीं लोगो को भी भयंकर गर्मी से राहत मिल गयी। वहीं छोटे-छोटे बच्चे सड़को पर पानी में खेलते हुए देखे गए। ग्रामीणों में योगेश, उमेश, देवेंद्र, सुनील, संजू, हर्ष, उदित, रूप राम शर्मा, ईश्वर दत्त, महेंद्र, बलदेव, हेमराज किसानों ने कहा कि अब पानी की कमी भी पूरी हो जाएगी।
डी ए वी अम्बुजा विद्या निकेतन दाड़लाघाट के विद्यार्थियों ने एक बार फिर राज्य स्तरीय गुरु वचन सिंह स्वरांजलि समूह गान प्रतियोगिता में अपना परचम लहराया। यह प्रतियोगिता डी ए वी स्कूल न्यू शिमला में आयोजित हुई। इसमें हिमाचल प्रदेश के सात नामी स्कूलों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में डी ए वी अम्बुजा के होनहारों ने संगीत अध्यापक लेखराज के मार्गदर्शन में प्रथम स्थान हासिल किया। वहीं डी ए वी सोलन दूसरे तथा डीएवी न्यू शिमला तीसरे स्थान पर रहा। स्कूल के प्रधानाचार्य मुकेश ठाकुर तथा स्कूल प्रबंधन समिति के चेयरमैन अनुपम अग्रवाल ने बच्चों को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दी।
परवाणू स्थित आनंद स्कूल में इनकम टैक्स डे पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें स्कूल के बच्चों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। आयोजन में इनकम टैक्स अधिकारियों ने बच्चों को इनकम टैक्स के बारे में जागृत किया। इस अवसर पर विजेता रहे छात्रों को स्मृति चिन्ह देकर पुरुस्कृत भी किया गया।
सांसदों के भत्ते बढ़ने को लेकर शायद ही कभी सरकार ने सोचा हो। पर देश का नाम रोशन करने वाले वैज्ञानिकों की तनख्वाह सरकार को ज्यादा लगती है। भारत सरकार ने Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग से ठीक पहले ISRO वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती कर दी थी। इसके चलते वैज्ञानिक बेहद हैरत में हैं और दुखी हैं ISRO वैज्ञानिकों के संगठन स्पेस इंजीनियर्स एसोसिएशन (SEA) ने पत्र लिखकर मांग की है कि वे इसरो वैज्ञानिकों की तनख्वाह में कटौती करने वाले केंद्र सरकार के आदेश को रद्द करने में मदद करें। इनका कहना है कि तनख्वाह में कटौती होने से वैज्ञानिकों के उत्साह में कमी आएगी।
कारगिल युद्ध को 20 वर्ष पुर हो चुके है। वो मई 1999 का वक्त था, जब करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना को जब इस बात का पता चला तो सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। 8 मई से 26 जुलाई 1999 तक चले ऑपरेशन विजय में भारतीय सेना के 527 जवानो ने बलिदान दिया और 1363 जवान जख्मी हुए। तब से हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। पाकिस्तान की नापाक कोशिश पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की। पाकिस्तानी सेना की शामिल पाकिस्तान आरोप को नकारता रहा और दावा किया कि लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, किन्तु युद्ध में बरामद हुए दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की सेना प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े वाली जगहों पर हमला किया और धीरे-धीरे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था। कारगिल युद्ध में 2 लाख 50 हजार गोले और रॉकेट दागे गए थे। हिमाचल प्रदेश स्थित पालमपुर के कैप्टन सौरभ कालिया ने कारगिल में सबसे पहले गंवाई थी जान। थल सेना के सपोर्ट में भारतीय वायु सेना ने 26 मई को ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू किया, जबकि जल सेना ने कराची तक पहुंचने वाले समुद्री मार्ग से सप्लाई रोकने के लिए अपने पूर्वी इलाकों के जहाजी बेड़े को अरब सागर में ला खड़ा किया। भारतीय एयरफोर्स ने कारगिल युद्ध के दौरान मिग-27 व मिग -29 का इस्तेमाल किया गया था। परमवीर चक्र : विक्रम बत्रा, मनोज कुमार पांडेय, नायब सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव व राइफलमैन संजय कुमार। सरकार के दामन पर ताबूत घोटाले के लगे दाग कारगिल युद्ध के बाद शहीद भारतीय सैनिकों के शवों को उनके पैतृक आवास पर भेजने की विशेष व्यवस्था की गई। इससे पूर्व ऐसी व्यवस्था नहीं थी। पैतृक आवास पर शहीद सैनिकों का राजकीय सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार किया गया। उनके शवों को ले जाने के लिए काफ़ी मंहगे शव बक्सों (कॉफ़िन बॉक्स) का उपयोग किया गया। हालंकि बाद में तत्कालीन सरकार पर ताबूत घोटाले के आरोप भी लगे।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की है कुलदेवी भीमाकली मंदिर लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। देवी भीमाकली को समर्पित ये मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 180 किलोमीटर दूर सराहन में व्यास नदी के तट पर स्थित है। भीमाकाली मन्दिर, 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह देवी तत्कालीन बुशहर राजवंश की कुलदेवी है जिसका पुराणों में उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 800 साल पहले बनाया गया है। यह अपनी अनूठी वास्तुकला, जो हिंदू और बौद्ध स्थापत्य शैली का एक मिश्रण है, के लिए जाना जाता है। मंदिर परिसर के भीतर एक नया मंदिर 1943 में बनाया गया था। मंदिर में देवी भीमाकली की एक मूर्ति को एक कुंवारी और एक औरत के रूप में चित्रित किया गया है। मंदिर परिसर में रघुनाथ और भैरों के नरसिंह तीर्थ को समर्पित दो मंदिर और हैं। हर साल यहां बड़े स्तर पर काली की पूजा की जाती है जिसमें लाखों लोग भाग लेते है। पौराणिक कथा महल में स्थापित भीमाकाली मन्दिर के साथ अनेक पौराणिक कथाएं जुडी हैं जिनके अनुसार आदिकाल मन्दिर के स्वरूप का वर्णन करना कठिन है। भीमाकाली शिवजी की अनेक मानस पुत्रियों में से एक है। मत्स्य पुराण में भीमा नाम की एक मूर्ति का उल्लेख आता है। एक अन्य प्रसंग है कि मां पार्वती जब अपने पिता दक्ष के यज्ञ में सती हो गई थीं तो भगवान शिव ने उन्हें अपने कंधे पर उठा लिया था। हिमालय में जाते हुए कई स्थानों पर देवी के अलग-अलग अंग गिरे। एक अंग कान शोणितपुर में गिरा और भीमाकाली प्रकट हुई। मन्दिर के ब्राह्मणों के अनुसार पुराणों में वर्णन है कि कालांतर में देवी ने भीम रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और भीमाकाली कहलाई। भीमाकली मंदिर भारत में सबसे महत्वपूर्ण पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यह मंदिर बेहद सुंदर है जहां कई भगवानों की मूर्ति को प्रर्दशित किया गया है। यह पवित्र मन्दिर लगभग सभी ओर से सेबों के बागों से घिरा हुआ है भीमाकाली मन्दिर हिंदु और बौद्ध शैली में बना है जिसे लड़की और पत्थर की सहायता से तैयार किया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू देवता शिव की पत्नी सती, वैवाहिक जीवन के परम सुख और दीर्घायु की देवी, का बायाँ कान इस जगह गिर गया था। यहाँ हर साल लोकप्रिय हिंदू त्योहार दशहरा के समारोह को धूमधाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति, रामनवमी, जन्माष्टमी, शिवरात्रि आदि त्यौहार भी बडे हर्षोल्लास व श्रद्धा से मनाये जाते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए स्थानीय बस सेवा और टैक्सियां उपलब्ध है मन्दिर परिसर में बने साफ-सुथरे कमरों में ठहरने की व्यवस्था है। इस भीमाकाली मंदिर के कपाट केवल सुबह और शाम ही दर्शनों के लिए खुलते हैं। मंदिर कई मंजिला है और सबसे उपर माता का विग्रह स्थापित है । मंदिर में प्रवेश से पहले सिर पर टोपी अवश्य पहननी होती है। मंदिर में अपने साथ कुछ भी सामान नहीं ले जा सकते हैं ।
पहाड़ी गायक स्वः काकूराम की पुण्यतिथि पर भाषा एवं संस्कृति विभाग सोलन द्वारा समारोह आयोजित किया गया जिसमें कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सचिव डा. कर्म सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप मे शिरकत की। कार्यक्रम का शुभारंभ विधिवत ज्योति प्रज्वलित करके किया गया। इस कार्यक्रम में 30 कलाकारों ने भाग लिया। अपने सम्बोधन में डा. कर्म सिंह ने कहा कि लोक भाषा, लोक कला और लोक संस्कृति के सरक्षण मे हिमाचल प्रदेश सरकार तेजी से कार्य कर रही है। हिमाचल अकादमी जिसके मुख्यमंत्री अध्यक्ष भी हैं पारम्परिक वेशभूषा तथा वाद्य यंत्रों के सरक्षण एवं लोक गायकों को उचित सम्मान देने की दिशा में प्रयासरत है। सचिव कर्म सिंह ने बताया कि भविष्य में पहाड़ी गायक स्व: काकूराम की याद में राज्य स्तरीय लोकगीत सम्मेलन करवाने के प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर उनके सुपुत्र राजेन्द्र कश्यप, पुत्रवधू सावित्री देवी, पौत्र मँजूल कश्यप, बीडीसी चेयरमैन रीता ठाकुर, तहसील दार ओपी मेहता, अनुसंधान अधिकारी देवराज शर्मा, पत्रकार प्रेम कश्यप, रामलाल वर्मा, नारायण तृषित, उमादत्त कश्यप उपस्थित रहे।
उपायुक्त सोलन के सी चमन ने ज़िला में कार्यरत विभिन्न बोर्डों एवं निगमों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा की लोक उपक्रम समिति के ज़िला के प्रवास के लिए अपनी तैयारियां पूर्ण रखें। उपायुक्त यहां इस संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। विधायक राकेश पठानिया की अध्यक्षता वाली इस समिति में विधायक सर्वश्री रामलाल ठाकुर, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, हीरा लाल, लखविन्द्र राणा, बलवीर सिंह वर्मा, अनिरूद्ध सिंह, राकेश सिंघा, मुल्ख राज, अरूण कुमार तथा विक्रमादित्य सिंह सदस्य है। केसी चमन ने कहा कि प्रदेश विधानसभा की लोक उपक्रम समिति 5 अगस्त 2019 से 9 अगस्त 2019 तक विभिन्न ज़िलों के प्रवास पर रहेगी। उन्होंने कहा कि समिति 9 अगस्त 2019 को सोलन ज़िला के नालागढ़, बरोटीवाला एवं बद्दी क्षेत्रों का दौरा करेगी। उन्होंने कहा कि समिति इन क्षेत्रों में ज़िला में कार्यरत विभिन्न बोर्डों एवं निगमों द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजनाओं एवं परियोजनाओं का निरीक्षण करेगी। उपायुक्त ने निर्देश दिए कि संबंधित बोर्ड एवं निगम योजनाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी 26 जुलाई 2019 तक उपायुक्त कार्यालय को प्रेषित करना सुनिश्चित बनाएं। केसी चमन ने संबंधित बोर्डों एवं निगमों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे विभिन्न योजनाओं की आंतरिक समीक्षा भी करें ताकि कमियों को दूर कर समिति के समक्ष वास्तविक आंकड़ें प्रस्तुत किए जा सके। बैठक में जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक मनोज चैहान, सहायक आयुक्त भानु गुप्ता, प्रदेश विद्युत बोर्ड के अधीक्षण अभियंता एसके सेन सहित विभिन्न बोर्डों एवं निगमों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड से प्राप्त जानकारी के अनुसार 25 जुलाई को सोलन में विद्युत लाइनों के मुरम्मत व रखरखाव कार्य के चलते विभिन्न क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बाधित रहेगी। यह जानकारी विद्युत बोर्ड के सहायक अभियंता मनीष कुमार आर्य ने दी। उन्होंने बताया कि इसके दृष्टिगत सलोगड़ा, कोठों, दौंसी, दधोग, कथोग और आसपास के क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति प्रातः 9.00 बजे से सांय 5.00 बजे तक बाधित रहेगी। उन्होंने इस दौरान लोगों से सहयोग की अपील की है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग सोलन द्वारा आज शिक्षा क्रांति एन जी ओ ग्लोबल एजूकेशन आफ सेंसिटाईजेशन सोसायटी के सभागार में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया गया। कार्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षिका ने परिवार नियोजन की स्थाई एवं अस्थाई विधियों के विषय पर प्रकाश डाला। बीसीसी समन्वयक राधा चौहान ने जनसंख्या वृद्धि से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में जानकारी दी। क्लनिकल साईकाॅलोजिस्ट वैशाली शर्मा ने नशा निवारण विषय पर विस्तृत जानकारी दी। शिक्षा क्रांति एनजीओ के संस्थापक सत्येन सनातन शर्मा ने जनसंख्या वृद्धि के ऊपर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के प्रतिभागियों निधि, चांदनी, दीक्षा, सिमरन, खुशी गुप्ता, नीलम कुमारी, संध्या शर्मा, रोनित, संध्या नीलम तथा धर्मराज को नगद पुरस्कार भी प्रदान किए गए।
ग्राम पंचायत दाड़लाघाट व पुलिस थाना दाड़लाघाट के स्टाफ द्वारा,उपायुक्त सोलन के आदेशानुसार भांग उन्मूलन कार्यक्रम संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। जानकारी देते हुए ट्रैफिक इंचार्ज दाड़लाघाट कमला वर्मा ने बताया कि भांग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ग्राम पंचायत परिसर व साथ लगती निजी भूमि व सरकारी भूमि में भांग को उखाड़ा गया व इस क्षेत्र में साफ-सफाई भी की गई।उन्होंने बताया कि इस अवसर पर स्थानीय लोगों व बच्चों को नशे की बुराइयों के बारे में भी अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु स्थानीय लोगों,पंचायत के सभी सदस्यों व सड़क सुरक्षा क्लब के सदस्यों ने भी अपना पूर्ण सहयोग दिया।इस अवसर पर ओबीसी के जिला अध्यक्ष नरेंद्र चौधरी,ग्राम पंचायत प्रधान सुरेन्द्र शुक्ला,उपप्रधान लेखराज चंदेल,ट्रैफिक इंचार्ज दाड़लाघाट कमला वर्मा,एएसआई,हेड कांस्टेबल मेहर सिंह,महेंद्र,नरेश,अरुण गौतम,भानु गौतम,हेमराज गौतम,पवन शर्मा,पंचायत सिलाई अध्यापिका सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
बाल विकास परियोजना अर्की की ओर से आंगनबाड़ी केंद्र देवरा में "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान के तहत एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में महिला मंडल देवरा की प्रधान दामोदरी देवी ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की । इस मौके पर लता देवी की बेटी को उपहार भेंट कर प्रशस्ति पत्र दिया गया, वहीं पौधारोपण भी किया गया । महिला मंडल की प्रधान दामोदरी देवी ने कहा कि बाल विकास परियोजना की ओर से आंगनबाड़ी में इस तरह के कार्यक्रम काफी सराहनीय है । इस तरह के कार्यक्रम से लोगों को काफी जानकारियां मिलती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है । इसके लिए सभी लोगों का कर्त्तव्य बनता है कि वह भी इस तरह के कार्यक्रमो में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करे। इस मौके पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता देवरा मीना,सहायिका सरला, शांता देवी,शालिनी व पार्वती सहित महिला मंडल की महिलाएं मौजूद रही ।